(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 28 मई 2015

अपन गाम अपन बात: मिथिला स्टूडेन्ट यूनियन थाना के समक्ष धरना पर बैस...

अपन गाम अपन बात: मिथिला स्टूडेन्ट यूनियन थाना के समक्ष धरना पर बैस...: Anup Kumar Maithil - हमरा सबके आतंकवादी कहल गेल__मारल गेल__अभद्र गाइर देल गेल__आब हमसब धरना पर नगर थाना,दरभंगा मेँ सैकड़ो युवा साथी के स...

शनिवार, 16 मई 2015

वट सावित्री व्रत

   वट सावित्री व्रत

ट सावित्री व्रत सौभाग्य और संतान सुख देने वाला व्रत । इस व्रत की तिथि को लेकर भिन्न - भिन्न मत हैं. स्कंद पुराण तथा भविष्योत्तर पुराण के अनुसार ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को यह व्रत करने का विधान बताया गया है तो वहीं निर्णामृत आदि के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या को व्रत करने की बात कही गई है । वट सावित्री व्रत में 'वट' और 'सावित्री' दोनों का विशिष्ट महत्व माना गया है। पुराणों में पीपल की तरह वट या बरगद के पेड़ का भी एक विशेष महत्व बताया गया है. वट में ब्रह्मा, विष्णु , महेश तीनों का ही वास है । इसके नीचे बैठकर पूजन, व्रत कथा आदि सुनने से प्रत्येक मनोकामना पूरी होती है।
           दार्शनिक दृष्टि से देखें तो वट वृक्ष दीर्घायु व अमरत्व-बोध का भी प्रतीक माना गया है। वट वृक्ष ज्ञान व निर्वाण का भी प्रतीक है। भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान प्राप्त हुआ था। इसलिए वट वृक्ष को पति की दीर्घायु के लिए पूजना इस व्रत का अंग बना। इस दिन बरगद, वट या पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है । वट वृक्ष के नीचे की मिट्टी की बनी सावित्री और सत्यवान तथा भैंसे पर सवार यम की प्रतिमा स्थापित कर पूजा करनी चाहिये । पूजा के लिये जल, मौली, रोली, कच्चा सूत, भिगोया हुआ चना, फ़ूल तथा धूप होनी चाहिये। बट की जड़ में एक लोटा जल चढ़ाकर हल्दी-रोली लगाकर फल-फूल, धूप-दीप से पूजन करना चाहिये। कच्चे सूत को हाथ में लेकर वट वृक्ष की बारह परिक्रमा करनी चाहिये। हर परिक्रमा पर एक चना वृक्ष में चढ़ाती जाएं और सूत तने पर लपेटती जाएं। इसके पश्चात सत्यवान सावित्री की कथा सुननी चाहिये, जब पूजा समाप्त हो जाये तब ग्यारह चने व वृक्ष की बौड़ी (वृक्ष की लाल रंग की कली) तोड़कर जल से निगलना चाहिये।  
      ऐसा करने का उद्देश्य यह है कि सत्यवान जब तक मरणावस्था में थे तब तक सावित्री को अपनी कोई सुध नहीं थी लेकिन जैसे ही यमराज ने सत्यवान को प्राण दिए, उस समय सत्यवान को पानी पिलाकर सावित्री ने स्वयं वट वृक्ष की बौंडी खाकर पानी पिया था। कहा जाता है सत्यवान अल्पायु थे । नारद को सत्यवान के अल्पायु और मृत्यु का समय ज्ञात था, इसलिए उन्होनें सावित्री को सत्यवान से विवाह न करने की सलाह दी परन्तु सावित्री मन से सत्यवान को पति मान चुकी थी, इसलिए उन्होने सत्यवान से विवाह रचाया।
      विवाह के कुछ दिनों पश्चात सत्यवान की मृत्यु हो गई, और यमराज सत्यवान के प्राण ले चल दिए। ऐसा देख सावित्री भी यमराज के पीछे-पीछे चल दी। पीछे आती हुई सावित्री को देखकर यमराज ने उसे लौट जाने का आदेश दिया ।
सावित्री बोली - जहां पति है वहीं पत्नी का रहना धर्म है, यही धर्म है और यही मर्यादा, पति को लिये बिना वह नही जायेगी । सावित्री की धर्म निष्ठा से प्रसन्न हो यमराज ने सावित्री के पति के प्राणों को अपने पाश से मुक्त कर दिया । सावित्री ने यमराज से अपने मृत पति को पुन: जीवित करने का वरदान एक वट वृक्ष के ही नीचे पाया था। तभी से महिलाएं अपने पति के जीवन और अक्षत सौभाग्य के लिए वट सावित्री का व्रत करने लगीं, और तभी से इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है।

शनिवार, 9 मई 2015

मातृत्व दिवस पर





















 मातृत्व दिवस पर

हम मैथिल मिथिलाक बात 
मैथिली में करबे टा करबै
मातृभाषाक गुमान बढ़ायब
मायक सेवा करबे टा करबै !

कतेक चैन सुकून कतेक छल
मायक कोड़ा वैसबे टा करबै
मातृभूमिक सम्मान बढ़ायब
मायक पूजा करबे टा करबै !!

आइ हमर मातृत्व दिवस अछि 
ममताक लाज रखबे टा करबै
मधुर सरस मिठ वाणी भेटल
मायक गुण हम गेबे टा करबै !!!

अमरनाथ मिश्र
भटसिमरि 

  जय मिथिला जयति मैथिली








MOTHER'S DAY 

पर किछु पद्य पुष्प पद अर्पण

मायक मान माथक चन्दन
शीश नवाउ करू नित वंदन
वांछा मंगल संतानक सदिखन
निहुँछैथ नजरि कबुला तत्क्षण
माइए स्वर्ग तप कर्म
वएह छथि देवी संतानक धर्म
माता मुदित सभ देव प्रशन्न
बुझू भेल जीवन यज्ञ सम्पन्न
हो स्थिति विषम मंदिर दूर
नहि थारी अक्षत पान सिनूर
आने चानन पान कपूर 
करू मातक वंदन सेवा भरपूर
हो मन मे सेवा आडम्बर सॅ दूर
बुझू कटल सभ कष्ट कुसूर
मायक मान माथक चन्दन
शीश नवाउ करू नित वंदन

सादर : महेश झा ' डखरामी 

शुक्रवार, 8 मई 2015

दहेज या मैरेज

दहेजक नाम सुनि कऽ
कांइपि उठैत अछि ,माए-बापऽक करेज
कतबो छटपटायब तऽ 
लड़कवला कम नहि करताह अपन दहेज।
 कहताहजे बियाह करबाक अछि
तऽ हमरा देबैह परत दहेज
पाई नहि अछि तऽ
बेच लिय अपना जमीनऽक दस्तावेज।
दहेज बिना कोना कऽ करब
हम अपना बेटाक मैरेज
दहेज नहि लेला सऽंॅ खराब होयत
समाज में हमर इमेज।
एहि मॉडर्न जुग मे तऽ 
एहेन होइत अछि मैरेज
आयल बरिया रू प्रतिज्ञा
जे आब नहि मॅंागब ति घूरीकऽ जाइत छथि
जऽंॅ कनियो कम होइत अछि दहेज।
मादा-भूर्ण आओर नव कनियाक 
जान लऽ लैत अछि  दहेज
 सभ देखि सूनि कऽ 
काइपि उठैत अछि ‘किशन’ के करेज।
समाज के बरबाद केने 
जा रहल अछि  दहेज
बचेबाक अछि समाज के तऽ
हटा दियौ  मुद्रारूपी दहेज।
खाउ एखने सपत , दहेज 
बिन दहेजक हेतै आब सभ ठाम
सभहक बेटीक मैरेज।
लेखक - किसन कारीगर  
ध्यान देव - अपनेक सहयोग अमुल्य  अच्छी , दहेज़ मुक्त मिथिला में  जूरी आ दहेज़ रूपी दानव  के  ख़त्म  करी  -


मंगलवार, 5 मई 2015

चलू जंतर मंतर-मंतर देल्ही - १० मई के

चलू  जंतर मंतर-मंतर  देल्ही - १० मई के 
10 तारीख के जंतर मंतर पर  , नहिये विद्यापति समारोह छैक, नहिये विद्यापतिक बरखी आ नहिये भोज. मुदा मिथिला स्टूडेंट यूनियन तैयो बजा रहल अछि, किएक त मिथिला संगे फेरो अन्याय भेल. हमरा बुझल अछि जे तथाकथित मैथिल के एहि सं कोनो टा फर्क नहि पड़ैत छन. मुदा जौं आहां चाहैत छी जे दरभंगा-सहरसा-पूर्णिया के टॉप-100 स्मार्ट सिटी मे जगह भेटय त लड़बा लेल आबय टा पड़त नहि त फेरो पछुआ जायब हम सभ ! जे मिथिलाक विकासक गप्प करैत छथि हुनका एहि शांति-मार्च मे आबय टा पड़त नहि त आगू सं विकास पुरुष सभ अप्पन मुुंह सीबी ली. हेयौ मैथिल आबो नहि जागब त कहियो नहि जागि सकब. बेर भ गेल अछि आउ संग दी आ शंखनाद करी अप्पन अधिकारक लेल.अपन  मातृभूमि   के  फर्ज पूरा करैक लेल -  

10 मई दिन के 2 बजे जंतर-मंतर,नई दिल्ली सं 30
औरंगजेब रोड तक शांति मार्च करी आ वेंकयां
नायडू जीके ज्ञापन सौंपी अपन शहर लेल संघर्ष  करी।
दरभंगा,पूर्णियां आओर सहरसा के स्मार्ट सिटी
में शामिल कराबी। जय मिथिला धाम।
सम्पर्क सूत्र : 8527972726, 956043700
जय मैथिलि  जय मिथिला