शुक्रवार, 25 सितंबर 2009

वक्त्त नहीं - madan kumar thakur

सबटा ख़ुशी अछि दमन पर ,
ऐगो हशी के लेल वक्त्त नहीं


दिन - राएत दोरते -दोरते दुनिया में ,
जिनगी के लेल वक्त्त नही

माय के लोरी के एहाशास त् छैन ,
मुद्दा माय कहैय के लेल वक्त्त नहीं

सब रिश्ता के त छोरी गेला ,
मुद्दा अंतिम संस्कार करैय लेल हुनका वक्त्त नहीं

सबटा नाम मोबाईल में छैन ,
मुद्दा दोस्तों से बात करैय वक्त्त नहीं

मन मर्जी व फर्जी के की बात करी ,
जिनका अपनोहु लेल वक्त्त नहीं

अखियों में बसल त् नींद बहुत ,
मुद्दा नींद से आराम करैय लेल वक्त्त नहीं

दिल अछि गमो से भरल ,
मुद्दा कानैय के लेल वक्त्त नहीं

टका - पैसा के दौर में एहन दौरी ,
की मुरीयो के तकय लेल वक्त्त नहीं

जे गेला हुनकर की कदर करी ,
जखन अपनही सपनों के लेल वक्त्त नहीं

आब अहि बताऊ हे जिनगी ,
अहि जिनगी के लके की हेतय

की ? हरदम जिनगी से मरेय बाला ,
जिबैय के लेल अछि वक्त्त नहीं


madan kumar thakur

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