गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

हाकिम भ गेलाह- किशन कारीगर

हाकिम भऽ गेलाह

किएक चिन्हता आब कका
ओ तऽ हाकिम भऽ गेलाह
अबैत रहैत छथि कहियो कऽ गाम
मुदा अपने लोक सॅं अनचिन्हार भऽ गेलाह।

जूनि पूछू यौ बाबू हाकिम होइते
ओ कि सभ केलाह
बूढ़ माए-बाप के छोड़ि कऽ एसगर
अपने शहरी बाबू भऽ गेलाह।

आस लगेने माए हुनकर,गाम आबि
बौआ करताह कनेक टहल-टिकोरा
नहि परैत छनि माए-बाप कहियो मोन
मुदा खाई मे मगन छथि पनीरक पकौड़ा।

झर-झर बहए माएक ऑंखि सॅं नोर
किएक नहि अबै छथि हमर बौआ गाम
मरि जाएब तऽ आबिए के कि करबहक
हाकिम होइते, किएक भेलह तांे एहेन कठोर

ई सुनतैंह भेल मोन प्रसन्न
जे अबैत छथि कका गाम
भेंट होइते कहलियैनि कका यौ प्रणाम
नहि चिनहलिअ तोरा बाजह अपन नाम।


ऑंखि आनहर भेल कि देखैत छियै कम
एना किएक बजैत छह बाजह कनेक तूंॅ कम
आई कनेक बेसिए बाजब हम
अहूॅं तऽ होएब बूढ़ औरदा अछि कनेक कम।


कि थीक उचित कि थीक अनुचित
मोन मे कनेक अहांॅ विचार करू
‘किशन’ करत एतेबाक नेहोरा
जिबैत जिनगी माए-बापक सतकार करू।

नहि तऽ टुकूर-टुकूर ताकब एसगर
अहिंक धिया पूता अहॉं के देख परेता
बरू जल्दी मरि जाए ई बूढ़बा
मोने-मोन ओ एतबाक कहता।


लेखक:- किशन कारीग़र

2 टिप्‍पणियां:

  1. किएक चिन्हता आब कका
    ओ तऽ हाकिम भऽ गेलाह
    अबैत रहैत छथि कहियो कऽ गाम
    मुदा अपने लोक सॅं अनचिन्हार भऽ गेलाह।

    bahut nik lagal padhi ke

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