मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

लखना के बाबू

लखना के बाबू 
लखना के बाबू लखना स कहला कि ,
जो जा क हटिया स तरकारी ल क आ .
झोरा -झपटा ल क लखना भेल विदा .
अधे बाट में किछु लोग लखना के लेलेक उठा ,
पट्टी खुजल त  देखलक बियाह क मरबा .
लखना बुइझ  गेल की हैत ओकर वियाह ,
मुस्काईत लखना बियाह क लेलक  ,
ओम्हर बाबू गाइर द  क ओरान क देलक ,  
इ छौरा पी क कतौ ओंघराइत  हैत ,
या दोस-महिम  के संग बौआइत  हैत .
या देख गेल हैत  नटुआ के नाच ,
इ बह्सल छौरा मानैया ने एकोटा बात .
दोसर दिन हुनका पता लागल की ,
लखना कोबर  में बैसल अछि वर बनल ,
केलक कोना बियाह हमरा बिन कहल ?
नै यौ  अई में लखना के कोनो दोष नै ,
ओकरो नै बुझल छलै कि आई ओकर बियाह भ जेतै .
इ सुइन  लखना के बाबु बजला ,
आई स हमही हरदम हटिया जैब ,
तखने कियो बाजल ,
ह यौ  सत्ते कहै छी  नै त दोसरो  बेटा  के दहेज़  गमैब ,
इ बाई नै छै महराज ,
वियाह करब लै कियो हमरो  त  कहियो उठैत ।
हा हा हा .........................
(स्वरचित)


सोहराय  पंडोल  मधुबनी ,मिथिला  , बिहार 

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

कंजूस मास्टर


एकटा मास्टर जी छला बड  कंजूस ,
हुनक कंजूसी स पत्नी रहै छली बड रुष्ट .
साबुन खर्च के डर स चिकनी माईट  स नहाई  छला ,
धोती   फटइ के डर स गमछे पहिर घुमैत छला .
हुनक कंजूसी स पूरा गाम छल परिचित ,
भिखमंगो हुनका स  माँगइ  में रहै छलै भयभीत .
एकटा  हुनकर खिस्सा  सुनैब ,
एहन कंजूस नै  कहियो देखने हैब .
एक बेर 100 के नोट  पत्नी के देलखिन ,
हर्षित भ पत्नी  खर्च  केलखिन .
हुनका की पता की ?
मास्टर जी ओ पैसा मंगथिन .
किछु दिन बाद ओ पत्नी स कहला,
देने रही पैसा से लाउ  त  कमला .
हुनक हल्ला के डर स कमला,
चूपे-चाप पईच ल क हुनका देलखिन ,
पईसा लईते मास्टर जोर स चिचेयेला ,
बाज  हरासंखनी  पइसा  कत खर्च केलै?
कमला अबाक !
की खर्चक  बात हिनका कोना पता ?
डीरियाइत मास्टर बजला ,
मुझौसी हम देने रहियौ 100 के नोट ,
2 ता पचास कोना भेलौ ?
तू हमरा की बुझइ  छै गदहा ?
कमला बस एतबे कहली ,
जा हउ  दैब एहन लिच्चर  तू कोन माईट  स बनेलअअ ........ .