लेखक - मुकेश मिश्रा
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मस्ती
मुंबैय बसु या दिल्ली ,चाहे कलकत्ता अशाम,
मैथिल ललना छि आहा,रहू देश क कोनो ठाम
अहि मंच स सब स्रोत क मुकेश मिश्रा क प्रणाम !
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माछ जरूरी पान जरूरी ,दुभी अछत आ धान जरूरी !
मौध मखान त अछि निशिचते ,मों में किछ किछ शान जरूरी !
घर में कुकुर दाली पिबैय अछि ,मुदा दसहू हाथक दलन जरूरी !
कंटीरबा हो या कंटीरबी ,दर्जन भरी सन्तान जरूरी !
पढ़ब-लिखब चूल्हा में चली गेल , बौआ के बरदान जरूरी !!
बरसों स जकर इंतजार य,ओं सुंदर साम आबी जय
हमर जिनगी हमर दोस्त क कम आबी जय
हमरा त बस एतबा इक्छा आय यौ,
की मुकेश मिश्रा क नाम सेहो मिथिला के
स्रोता क जुबान पर आबी जय !
आबैत रही त रस्ता में एगो लरका -एगो लरकी के
छेरैत रहै,त लरकी कहलक.........
नै छेर लरकी के पाप लग्तौ,काएल तोरो कउनु लरकी
बाप कहतौ, .....त ह्सैत लरका कहलक .......
भगबान करौ तोहर कहनाय सच्चा हव
हमरा जे बाप कहै वो तोरे बच्चा हव !
हे कृष्ण तू एक बेर अय कलयुग में आबी क त देख,
चौद्हे बर्ष में मामा कंश के मरला,एक बेर लादेन क
मारि क त देख,
भैर सभा में द्रोपती क चिरक लाज रखला ,
दू मीटर कपरा मलिका शेराब्त क पहिरा क त देख ,
सुनै छियब गौखुल्क गोपी संग बर नचला,...
एक बेर हमरा कॉलेज के एगो लरकी के पटा के त देख!
दिल स दिल बर मुस्किल स मिलै य,
तूफान में सियाही बर मंजिल स भेटै य,
ओना त मिलै य कतेक गुलाबी गाल,
मुदा गुलाबी गाल पर करिया तिल
बर मुस्किल स मिलै य !
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हसीन तू छ, त खराप हमहू नै
कोठा में तू छ,त झोपरी में हमहू नै
बच्चा जनमा क कहै छ बियाहल छि
कान खोली के सुनिले,दू बच्चा के बाप हमहू छि
जखन मोन करा हमरा देखै क,छत पर ठार भ
डूबैत सूरज के देख लेब , हमरा अपन मोनक
हिस्सा बना लेब , तहु स ज नै हुआ त कैस
क अपन छति स लगा लेब !
Bahut badhiya
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