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मंगलवार, 9 मार्च 2010

ग़लती - मदन कुमार ठाकुर

ग़लती भेल आय हमरा से ,
तकर कुनो जबाब नही आय
जकर दुःख -दर्द हम बुझैत छि ,
लोक लाज से भीने मरैय छी
दूर देश के आय पराई त छी
क्याकी .............
ग़लती भेल आय हमरा से ....

छोटका न्नाह बचा संन छेलो ,
गुली डांटा मे समय बीटेलो
बाबू काका डटायत रहीगेल ,
मूर्खख संग मूर्खे भोगेल
मान मे अयल से हम केलो ,
अपन उमर के मोज उरेलो
क्याकी .......
ग़लती भेल आय हमरा से ......

पढ़ाई लेल जे कियो किछ बाजे ,
अपने ही सर पर थापर मारी
मूर्खे अच्छी ई सबटा दुनिया ,
सोचि -सोच्ची हम नही हिया हरी
बाबा -दादा के संपति नही कम ,
उही देख के उमर बितैत अच्छी
क्याकी ..........
ग़लती भेल आय हमरा से ......

टी वी भिसियार देखते देखते ,
गम घर मे घूमते घूमते
नेता सब के भाषण सुन-सुन ,
ग्न्नू झा के कहानि सुनी -सुनी
अपन कपार हम अपने पिटैय छि
क्याकी .........
ग़लती भेल आय हमरा से ........

माय -बाबू के बात नही मानलो ,
सर समाजाक मान नही रखलो
चॉक -चोरहा मे हसी उरबी ,
बारका भैया की सब केलायत
छोट्कि भोजी नहियर ग़मेलायत ,
ई बात सब हम सोचिते राहलो
अपन कपार मे आगी लगेलो
क्याकी............
ग़लती भेल आय हमरा से ........

पढ़ल लिखल छैथ लूटन बाबू ,
की अपन ओ नाम बानेलैथ
ओही से निक अक्वाली भैया ,
महीस चरबैत कोठा बनबेलैथ
फुलबा के अच्छी फुशिक खेती
मुसाए बाबा के फाटल धोती
देखलो गामक ई सब रीत ,
गबैत रहलो इहा हम गीत
क्याकी .............
ग़लती भेल आय हमरा से.........

अपन जीवन के हम की कहू ,
खापैर- बारहैंन से नयन जुरेलो
फIशी चढ़लो हम मरी जायब ,
ज़हरो ख़ाके स्वरगो से एलो
हारल थाकल मिथिला लैब मे बैस्लो ,
ओ -पी जी कहलायत ई की केलों
मिथिला के आहा नाक कटेलो
क्याकी .............
ग़लती भेल आय हमरा से..........

जय मैथिली, जय मिथिला



~: लेखक :~


मदन कुमार ठाकुर
कोठिया , पट्टीटोल ,
भैरव स्थान , झंझारपुर
(मधुबनी)बिहार - ८४७४०४
मो -9312460150

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~: धन्यवाद :~

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