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शुक्रवार, 2 जुलाई 2010

हमर मदन मामा

लेखक - मुकेश मिश्रा


हमर मदन मामा


हमर मदन मामा क ऽ के नै जनैत य ऽ ,
हमर मदन मामा कऽ के नै चर्चा करैत यऽ ,
मुदा हे हमरा पर मामा कऽ किछ बिसेष धियान
रहैत छैन,
अहिना घुमैत -घुमैत एक दिन मामा आंगन गोलव ,
मुकेश - मामा गोर लगै छि
मामा - नीके रह बौवाऽ ,आबह बैसहऽ
मुकेश - मामा मामी ठीक छाइथ की ने
(तात मामी घर सऽ निकलैत )
मामी - मुकेश बौवा ....
मुकेश -मामी गोर लगै छि
मामी - भगबान नीके राखेत
मामी- (मामा कऽ ) -यौ सुनै छिये,जव ने दादा पोखैर सऽ
माछ मारी क ऽ नेने आव ने, कतेक दिन पर आय
मुकेश बौवा एलात ह ,
मामा - हऽ जय छि
मामा बिदा तऽ भेला मुदा मामा कऽ माछ पकरल तऽ
अबै नै छान,
दादा पोखैर लग जहन गोलात तऽ देखलात की दू गोरे
आपस में मारी कऽ रहल छल ,
मामा - रे की भेलौ, कथी ले मारी करै छऽ
एक गोरे - यौ मदन बाबु कनी अहि पंचैती कऽ दिय ने
मामा - कथी के पंचैती रे ,कनी फरिया कऽ बज नऽ
दोसर गोरे - मदन बाबु हम दुनु गोरे मिल कऽ माछ
पकरलव , इ कहै यऽ पूरा हम लेबौ ,हम कत जेबै यो ,
एक गोरे - तू दोसर दिन लिह ,आय हमर कनिया
भोरे सऽ मसला पिसने छै,
दोसर गोरे - आरोंव तोरी के ,जेना हिनके टाऽ कनिया
छान , आ हमरा कनिया ले तऽ परोसी माछ अनतै ,
एक गोरे - तोहर कनिया , रे कायलो देखलियो तोहर
कनिया के,इनार पर बैस कऽ नहात, पूरा पिठिया
ओहिना छ्लव देखात,
दोसर गोरे - सार तू हमरा गायर दमा
(दुनु में मारी हूव लागल , मामा देखलात आब तऽ
बरिया मौका यऽ )
मामा - हवऽ जै माछ ले तू सब लराई करै छऽ ओय
माछ कऽ निमोनिया छै , जऽ खेलऽ तऽ गेलऽ
एक गोरे - सही में यौ
मामा - देखै नै छहकऽ , केना सास लै छै ,फेकऽ एकराऽ
(मामा माछऽ लऽ कऽ जंगल में फेक देलखिन ,आ ओत सऽ
खिसैक गेलात, ओहो दुनु गोरे एक दोसरक मुह तकैत
चली गेल )
ओकरा सब कऽ गेला कऽ बाद मामा आबी क माछ उठेला
आ अपन घर एलात , मामी कऽ माछऽ दऽ , हमरा
खिस्सा कहलाइत ....मुदा माछक तिमन बरऽ रसगर छल
एखनो धरी मोन परौत यऽ ,अहू सब कऽ जऽ कनियो
मौका भेट जा , तऽ एक बेर हमर मामा क ऽ माछऽ
खायले जरुर आयब .............
गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449

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