(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

मंगलवार, 24 जनवरी 2012

समाज के किछ एहेन वर्ग अछि जाही जिनगी में अइयो कोसो दूर छैथ -

समय बदलल, व्यवस्था बदलल, बदलै के बहुत किछ बदली गेल मुदा नहीं बदलल त समाज के किछ एहेन वर्ग के स्थिति. हमरा आहाक समाज में एक टा एहने वर्ग अछि जकर जिनगी टोकरी बनाबाई में सिमटी क रही गेल अछि। प्रायः मिथिलांचल के सब गाम के अंतिम छोर पर पीढ़ी दर पीढ़ी इ सब झोपड़ी बना क कोनो तरहे अपन गुजर बसर करैत छैथ प्राय: सड़क के कात में बसई वाला अहि वर्ग के लोग के छोट-छोट झोपड़ी स हिनक दीनता साफ-साफ झलकैत अछि, अशिक्षा के घोर कमी अछि अखनो धरी हिनक बच्चा स्कूल नहीं देखलखिन अछि। हिनक स्थिति देखला स सहज अंदाज लगोल जा सकैत अछि विकास के बयार अखनी धरी हिनक झोपड़ी तक नहीं पहुचलैन अछि। मिथिलांचल के हर शुभ आ अशुभ कार्य के अलावा घरेलू उपयोग में आवै वाला छिट्टा, ढकिया, डगरा, कोनिया, टोकरी आदि बांस स बनल ब‌र्त्तन मुख्य रुप स अहि वर्ग द्वारा बनायल जायत अछि। अहि ब‌र्त्तन के निर्माण में जाही हिसाब स मेहनत आ लागत अछि आ जाही प्रकार स आमदनी होयत अछि ओही स आन जरुरत त दुरक गप्प पेटो भरनाई मुश्किल अछि। हिनक सबहक मुख्य व्यवसाय बांस के ब‌र्त्तन बनेनै आ सूअर पालन अछि, जे कि पुश्तैनी धंधा अछि। सरकार के तरफ स भले किछ दावा केल जाई मुदा हकीकत इ अछि जे सरकारी योजना सब स इ वर्ग कोसो दूर छैथ कुल मिला क अगर देखल जाई त अइयो इ वर्ग समाज के सबस पिछला पायदान पर अछि।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें