(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

लागल एहेन रिवाज बिसरलहुँ

अप्पन अप्पन काज बिसरलहुँ
सच पूछू तऽ लाज बिसरलहुँ

सिखलहुँ लूरि जीबय के जतय
कियै ओहेन समाज बिसरलहुँ

छूटल अरिपन, सोहर सब किछु
लागल एहेन रिवाज बिसरलहुँ

सासुर मे छल खूब रईसी
घर मे नखरा-नाज बिसरलहुँ

मन गाबय छल गीत मिलन के
सुर के सँग मे साज बिसरलहुँ

संस्कार के बात करी नित
जीबय के अन्दाज बिसरलहुँ

चुप रहलहुँ अन्याय देखिकय
सुमन हृदय आवाज बिसरलहुँ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें