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शनिवार, 4 मार्च 2017

मैथिली फगुआ गीत

॥  होरी  ॥ 

उमुख  अनुपम आनन्द  वारि  । 
लायल   होरी   रंगक     विहारि  ॥ 


 जागल  जन -जन  अभिनव  तरंग  
हास्यक   श्रोते   बहि  रहल  बयंग 
निर्भय   विभोर  नाचथि   अनंग  
शंकोच  नीङ   नयनन सँ  गरि   ॥ 
                   लायल   होरी ------
डम्फा      मजीर    भंकृत     मृदंग  
ध्वनि श्रवण पावि  जन - मन  मतंग 
विजया     छानल      अदैत     रसो  
अगणित   लोटे   भरि    कंठ   ढारि ॥  
                    लायल   होरी ------
सब   रास    रंग  में   भेल    लिप्त  
तन   लाल  - लाल ,  मनमोद  तृप्त 
निरखत    नयनन   मुख चंद्र   चारु 
घनश्याम   आइ   घनपट  उधारि  ॥ 
                      लायल   होरी ------
सब जन  अजाति , जानजाति  एक 
नञि    राग - द्वेष     मर्याद -  टेक
उन्मत      भेल    नर -  नारि    वृंद  

कुंकुम    कोपल  मेलय   पछारि  ॥ 
                      लायल   होरी ------ 
अभक्ष्य  हास्य   मुख - गारि छम्य 
वैभव   अभाव   नयि   तकर  गम्य 
सुख - शांति  सुमन  केर  वृक्ष  रोपि  
चिन्ता - बट   चित  फेकल  उखारि ॥
                      लायल   होरी ------
अश्लील   युक्त   सब  गीत - नाद 
श्रवणे  हुलास ,  नयि  जन विषाद  
प्रेमक      वाती      उसकाय    उर्घ  
कामागिन  - कुण्ड  में  घीव  ढारि  ॥
                      लायल   होरी -----
ताम्बूल     तबक    आदर्श    थिक
अघरासव     सँ    अनुराग     पीक
ई स्वर्ण - पर्व , जन  मधुर मिलन
अपवर्ग    आई    आनल     उतारि  ॥
लायल   होरी ------
चउमुख    अनुपम  आनन्द   वारि  । 
लायल     होरी     रंगक     विहारि  ॥ 

रचना कार - 

रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

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