(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 9 दिसंबर 2017

हमर मिथिला



|| हमर  मिथिला || 



हम  त  मैथिल  छी , मिथिला लय जान दैत  छी  | 
एहि   अन्हरिया   में  , पूनम   के  चान  दैत   छी || 
जागू - जागू  यौ   मैथिल  भोर  भय गेल 
 हमर मिथिला केहन अछि  शोर भय गेल 
सूतल      संध्या   के    जागल   विहान     दैत   छी |
हम   त  मैथिल  छी , मिथिला लय  जान दैत  छी  ||
एहि बातक  गुमान , हमर मिथिला  धाम
जतय  के  बेटी  सीता , लेने  अयली  राम
मिथिला    नव     जाग्रति   अभियान   दैत      छी  |
हम   त  मैथिल  छी , मिथिला लय  जान दैत  छी  ||
जतय   सीनूर   पीठारे     ढोरल  अड़िपन
गीत गाओल  गोसाउनिक  मुदित भेल मन
शुभ     मंडप       में     पागे    चुमान    दैत       छी  |
हम   त  मैथिल  छी , मिथिला  लय  जान दैत  छी  ||
कवि  कोकिल  विद्यापति  चंदा झा छलैथ
गार्गी   मंडन   लखिमा    अनेको       भेलैथ
"रमण  " पग  - पग पर  पाने  मखान  दैत  छी  |
हम   त  मैथिल  छी , मिथिला लय  जान दैत  छी  ||
रचनाकार -
रेवती रमन झा "रमण "
मो -  9997313751 





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