(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

की हमहूँ रहबै कुमार ?

यौ पाठक गण की कहू अपन मिथिला राज्य चौपट भ' गेल ( से कोना यौ ) एक त कमला कोशीक दहार आ दोसर दहेज़ प्रथाक व्यवहार ! कमला कोशी लेलक पेटक आहार त दहेज़ प्रथा केलक आर्थिक लाचार ! कन्यादान से कतेक पिता लोकनि सेहो भेला बीमार आ कतेको बर छथि ओही बाधा सँ सेहो कुमार आ बीमार ! ओही सभ बात के लs क' हम नब युबक संघक बाधा कs ल'क' पाठक गणक समक्ष अपन गाम घर पर हाजिर छी.......

की हमहूँ रहबै कुमार ?

जय गणेश मंगल गणेश, सदिखन रटलो मंत्र उचार !
सभ बाधाक हरय बाला, कते गेलो अहाँ छोड़ि संसार !!
अपना लेल अगल - बगल मे, हमरा लेल किए दूर व्यवहार !
आब कहू यो गणपति महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार...? !!

बरख बीत गेल देखते देखते, जन्म कुंडली मे थर्टी ! (३०)
दहेजक आस मे हम नै बैसब, हमरो उम्र भो जेत सिक्सटी !! (६०)
गाम - गाम मे जे के बाजब, बाबू हमर छथि दुराचार !
आब कहू यो बाबू - काका, की हमहूँ रहबै कुमार... ?!!

ब्रह्म बाबा के सभ दिन गछ्लो, लगाबू अहि लगन मे बेरापार !
ओही खुशी मे अहाँ के देब, हम अपन गाय के दूधक धार !!
हे कुसेश्वर हे सिंघेश्वर, अहाँक महिमा अछि अपरम पार !
अहि लगन मे पार लगाबू, हम आनब दूध दही आ केराक भार !!
आब कहू यो भोले दानी, की हमहूँ रहबै कुमार ....?...

सौराठ सभा मे जे के बैसलों, सातों दिन आ सातो राति !
कियो नै पुछलक नाम आ गाम, की भेल अपनेक गोत्र मूल बिधान !!
घर मे आबी के खाट पकरलो, नै भेल आब हमर कुनू जोगार !
आब कहू यो बाबा - नाना, की हमहूँ रहबै कुमार --?!!

दौर - दौर जे पंडित पुर्हित, सभ दिन पूछी राय बिचार !
पंडित जी के मुहँ से फुटलैन ई बकार ..........
जेठ अषाढ़ त बितैते अछि, अघन से परैत अछि अतिचार !!
आब कहू यो पंडित पुर्हित, की हमहूँ रहबै कुमार ....?.

नै पढ़लो हम आइये - बीए, छी हमहूँ यो मिडिल पास !
डॉक्टर भइया - मास्टर भइया, ओहो काटलैथ एक दिन घास !!
ओही खान्दानक छी यो हमहूँ, जून करू आब हमर धिकार !
आब कहू यो बाबू - भैया, की हमहूँ रहबै कुमार ?!!

गोर - कारी सभ के सब दिन रखबै, लुल्ही - लंगरी से घर के सजेबई !
बौकी पगली के दरभंगा में देखेबाई, कन्ही कोतरी से करब जिन्दगी साकार !!
आब कहू यो संगी - साथी, की हमहूँ रहबै कुमार ..?........

अघन के लगन देख हम झूमी उठलो, जेना करैत अछि नाग फुफकार !
लगन बीत गेल माघ फागुन के, गुजैर रहल अछि जेठ अषाढ़ !!
अंतिम लगन ओहिना बितत, नैया डूबत हमरो बिच धार !
आब कहू यो मैथिल आर मिथिलाक पाठक गन,
की हमहू रहबै कुमार --?-!!

नब युवक के बातक रखलो मान, शादी.कॉम में लिखेलो अपन नाम !
नै कुनू भेटल कतो से मेल, लागैत अछि जे ईहो भेल फैल !!
कतेक दिन करब मेलक इंतजार........
आब कहू यो कम्पूटर महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार --?!!

भोरे उठी गेलो खेत खलिहान, उम्हरे से केना एलो कमला स्नान
देखलो दुई चैर आदमी के, बात करैत छल कन्यादान !
पीड़ी छुई हम भगवती के, पहुँच गेलो हम अपन दालान !!
हाथ जोरी हम सबके, विनती केलो बारम् बार !
आब कहूँ यो घटक महाराज, की हमहूँ रहबै कुमार --?

मदन कुमार ठाकुर,
पट्टीटोला, कोठिया (भैरव स्थान )
झंझारपुर (मधुबनी)बिहार - ८४७४०४।
मो-९३१२४६०१५०

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