(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010

प्रिये पाठक

प्रिये पाठक


आदर करैत छी जन - जन सं ,
प्रिये पाठक छी अतिथि हमर
हम निर्भर करैत छी ओही पर ,
जे संतुष्टि लक्ष्य अछि हमर
         आदर करैत छी जन - जन सं ,
         प्रिये पाठक छी अतिथि हमर

मधुर वचन जीवनक श्रेय अछी ,
प्रेम स्नेह जग - संसार में
बोली - वचन सुख सँ सम्रिध्ह ,
आत्मरक्षा के अधिकार में
       आदर करैत छी जन - जन सं ,
       प्रिये पाठक छी अतिथि हमर

फुरसैतक कमी सब के संग अछी ,
बेश्त आई ई संसार अछी
मिथिय्या जिनगी छोरी चलल ,
आस्तित्व रहस्य ई अधिकार में
       आदर करैत छी जन - जन सं ,
       प्रिये पाठक छी अतिथि हमर

होर परस्पर आई लागल ,
आगू बढाइये के प्यास जागल
अप्पन पद सेवा के खातिर ,
जग में आई अधिकार भेटल
        आदर करैत छी जन - जन सं ,
        प्रिये पाठक छी अतिथि हमर

 प्रेम - भाव भाई चारा के संग ,
मानव अहि सँ प्यासल आई
एक - दोसर के पार लगाऊ ,
जन - जन से ई नारा हमर
        आदर करैत छी जन - जन सं ,
        प्रिये पाठक छी अतिथि हमर













(मदन कुमार ठाकुर )

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