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मंगलवार, 19 अप्रैल 2011

किछु त हम करब

किछु त हम करब

अवस्था भेल हमर आब बेसी
टूघैर टूघैर हम चालब
अहाँ आगू आगू हम पाछू पाछू मुदा

अपना माटि पानि लेल किछु त हम करब
नुनु बौआ अहाँ आऊ दाय अहूँ आऊ
दुनू गोटे मिली जल्दी सँमैथिली
में किछु खिस्सा सुनाऊनान्ही टा में
बजलौहं एखनो बाजू मातृभाषा में
बाजू अहाँ निधोख
कनि अहाँ बाजू कनेक हम बाजब
नहि बाजब त कोना बुझहत लोक परदेश
जायत मातर किछु लोग बिसैर जायत छित
मातृभाषा केंअहिं बिसैर जायब त
आजुक नेना कोना बुझहतकहें मीठगर
स्वाद होयत अछि मातृभाषा कें
अप्पन माटि पानि अप्पन भाषा संस्कृतिपूर्वज के
दए गेल एकटा अनमोल धरोहर
एही धरोहर के हम बंचा के राखबअपना माटी पानि लेल
किछु त हम करब कोना होयत
अप्पन माटिक आर्थिक विकास
सभ मिली एकटा बैसार करू
कनेक सोचू सभहक अछि एकटा इ दायित्व
किछु बिचार हम कहब किछु त अहूँ कहू
हमरा अहाँक किछु कर्तब्य बनैत अछि
एही परम कर्तब्य सँ मुहँ नहि मोडू
स्नेह रखू हृदय में सभ के गला लगाऊअपना माटी पानि सँ
लोक के जोडू समाजक लोक अपने में फुट्बैल करैत
छथिमनसुख देशी त धनसुख परदेशी
एक्के समाज में रहि ऐना
जुनि करू एकजुट हेबाक प्रयास आओर बेसी करू
एक भए एक दोसरक दुःख दर्द बुझहबअनको लेल
किएक ने कतेको दुःख सहबआई एकटा एहने समाजक निर्माण करब
जीबैत जिनगी किछु त हम करब
हाम्रो अछि एकटा सेहनता
एक ठाम बैसीसभ लोक अपन भाषा में बाजब
औरदा अछि आब कम मुदा जीबैत जिनगी
अपना माटी पानि लेल किछु त हम करब

लेखक - किशन कारीगर

2 टिप्‍पणियां:

  1. भाई आपके पोस्ट पर पहली बार आया हूं।बहुत ही अच्छा लगा।दोस्ती की नींव पड़ ही गयी। आना जाना लगा रहेगा। मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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