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मंगलवार, 14 जून 2011

मिथिला दर्शन भाग - ४

सीतामढी

बिहार के तिरहुत प्रमंडल में बसल सीतामढ़ी मिथिला के एकटा पैघ शहर आ जिला सेहो थीक।११ दिसम्बर १९७२ में मुजफ्फरपुर से अलग भाए के ई एकटा स्वतंत्र जिला बनल।
बिहार के उत्तर आ गंगा के मैदानी भाग में बसल एही जिला नेपाल के सीमा से सटल अछि। जगत जननी मैया सीता के जन्मस्थली एही जिला अछि। एतोका मुख्य भाषा बज्जिका अछि मुदा हिंदी आ उर्दू भी प्रमुखता से बाजल जाय ये। एतोका संस्कृति के झलक रामायण में सेहो भेटत अछि।

इतिहास -

एही जिला के स्थान हिन्दू धर्म में बहुत पैघ अछि। त्रेता जुग में राजा जनक के बेटी आ भगवान् राम के अर्धांगिनी देवी सीता के जन्म एही जिला के पुनौरा गाम में भेल रहे। एहन कहल जाय ये की सीता जी के जन्म स्थल पर हुनकर वियाह के बाद राजा जनक  भगवान् राम आ सीता जी के मूर्ति लगाउल रहे। करीब पाँच सौ साल पहिने अयोध्या के एकटा संत बीरबल दास एही मूर्ति के खोजलक जकर बाद नियमित रूप से एकर पूजा पाठ शुरू भेल। एही स्थान आय जानकी कुंड के नाम से जानल जाए ये।

भूगोल -

गंगाक उत्तरी मैदान में बसल सीतामढ़ी जिला के समुन्द्रतल से औसत ऊंचाई लगभग ६७ मीटर अछि। २२९४ वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल बला एही जिला के सीमा नेपाल से सटल ये। अंतरराष्ट्रीय सीमा के कुल लम्बाई १० किलोमीटर अछि। एकर दक्षिण में मुजफ्फरपुर, पशिम में पूर्वी चंपारण, आ पूरब में शिवहर,दरभंगा आ मधुबनी जिला अछि। खूब उपजाऊ आ समतल जमीन रहलो के कारण ई बिहार आ भारत के एकटा पिछड़ा जिला अछि कियाकि हरेक साल एकरा भंयंकर बाढ़ के त्रासदी के झेलय पड़य ये। सीतामढ़ी में औसत वर्षा ११०० मिलीमीटर से १३०० मिलीमीटर तक होए ये आ औसत तापमान ३२ से ४१ डिग्री तक होए ये।

जनसंख्या आ शिक्षा -

२००१ के जनगणना के अनुसार एही जिला के जनसँख्या २६६९८८७ अछि जे राज्य के कुल जनसँख्या के ३.२२% अछि। साक्षरता के दर एता मात्र ३८.४६% अछि।

प्रशासनिक विभाग -

सीतामढ़ी में तीन टा अनुमंडल, १७ टा प्रखंड आ १७ टा राजस्व सर्किल ये। सीतामढ़ी नगर परिषद् के अलावा एही जिला में ४ टा नगर पंचायत अछि। जिला के २७३  पंचायत में ८३५ टा गाम अछि।
अनुमंडल - सीतामढ़ी सदर, पुपरी, आ बेलसंड
प्रखंड -  बथनाहा, परिहार, नानपुर, बाजपट्टी, बैरगनिया, बेलसंड, रीगा, सुरसंड, पुपरी, सोनबरसा, डुमरा, रुन्नी सैदपुर, मेजरगंज, पुरनिया, सुप्पी, परसौनी, बोखरा, आ चौरौत अछि
प्रमुख नदी - बागमती, लखनदेई आ अधवारा समूह प्रमुख अछि

पर्यटन स्थल -

जानकी मंदिर - सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से डेढ़ किलोमीटर दूर बनल एही मंदिर जगत जननी मैया सीता के जन्म स्थल अछि, एही मंदिर के राजा जनक जे सीता के पिताजी रहथिन बनेलक रहे। एही मंदिर में भगवान् राम के संगे माता सीता आ लक्ष्मण के मूर्ति सेहो ये। जानकी मंदिर के नाम से प्रसिद्द एही मंदिर मिथिला ही नाञ मुदा समस्त भारत के लेल धार्मिक स्थान अछि

जानकी कुंड -  सीतामढ़ी से ५ किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा गाम में बनल जानकी मंदिर में पश्चिम में एही कुंड ये कहल जाय ये की इन्द्र देव के खुश करय के लेल राजा जनक खुद अपन हाथ से हल चलेलक रहे जाहि काल में देवी सीता माटि में गड़ल भेटल रहे। जानकी मंदिर के साथ-साथ एही कुंड के बहुत महत्व अछि।

हलेश्वर स्थान -  जिला से ३ किलोमीटर उत्तर पश्चिम में बसल एही स्थान पर राजा जनक अपन पुत्रेष्टि यज्ञ के संपन्न केलाs के बाद एता शंकर भगवान् के एकटा मंदिर बनेलक रहे जे हलेश्वर स्थान के नाम से प्रसिद्ध अछि।

पंथ पाकड़ -  सीतामढ़ी जिला से ७ किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में बहुत पुरान एकटा पाकैड़ के गाछ छल, कहल जाय ये की ई गाछ रामायण काल से एता ये। एहन मानल जाय ये की देवी सीता के जनकपुर से अयोध्या लाय जाय के काल में भगवान् राम हुनका पालकी से उतरि के एही गाछ के तोर में विश्राम के लेल रुकल रहे

बगही मठ -  सीतामढ़ी से ७ किलोमीटर उत्तर पश्चिम में बसल बगही मठ हिन्दू धर्म के पूजा-पाठ आ यज्ञ के लेल बहुत प्रसिद्ध अछि, एही मठ में १०८ टा कमरा बनल ये जे यज्ञ आ यजमान  के रहय के लेल बनाएल गेल ये।

देवकुली(ढेकुली) -  एहन मानल जाए ये की पांडव के पत्नी द्रोपदी के जन्म एही थम भेल रहे। सीतामढ़ी से १९ किलोमीटर पश्चिम में बसल ढेकुली गाम में एही लेल ते प्रसिद्ध छेबे करय संगे संग एही ठाम शंकर भगवान् के एकटा बहुताहिं प्राचीन मंदिर सेहो छल, महाशिवरात्रि के दिन एहिठाम बड़ा भयंकर मेला लगय ये।

बोधायन सर -  संस्कृत के महा व्य्करनाचर्या पाणिनी के गुरु महर्षि बोधायन एही ठाम बैसी की कैकटा काव्य के रचना केलेंन ये। लगभग ४० साल पहिने मिथिला के महान संत आ जगत गुरु महर्षि देवराहा बाबा एही ठाम एकटा बोधायन मंदिर के निर्माण कैलक रहे जाहि के बाद से एही जगह प्रसिद्ध भए गेल।

शुकेश्वर स्थान -  जिला से २६ किलोमीटर दूर एही जगह हिन्दू धर्म के महान संत सुखदेव मुनि के पूजा अर्चना के स्थान अछि। संगही एहिठाम शंकर भगवान् जे की शुकेश्वरनाथ कहाबै ये के विशाल मंदिर सेहो ये।

गोरौल शरीफ -  सीतामढ़ी से २६ किलोमीटर दूर ई जगह मुसलमान के लेल बिहार में बिहारशरीफ आ फुलवारीशरीफ के बाद सबसे बेसी लोकप्रिय आ पवित्र स्थल अछि। एही जगह में मुसलमान के एकटा पैघ पीर के मजार अछि, एही ठाम समस्त समुदाय के लोग अपन अपन मनोकामना लाय के जाय ये पूरा भए के आबय ये।

सभागाछी ससौला - सीतामढ़ी से २० किलोमीटर पश्चिम में बसल एही ठाम हरेक साल मैथिल ब्रह्मण से सम्मलेन होए ये, हरेक साल एही ठाम ब्राह्मण सबहक वियाह होए ये, कहल जाय ये की एहिठाम मिथिला के दूर दराज के क्षेत्र से ब्राह्मण लोकिन अपन वर आ कन्या के लए के आबय ये आ सामूहिक रूप से वियाह समपन्न करय ये।

पुपरी -   एहिठाम शंकर भगवान् के रूप बाबा नागेश्वर नाथ के मंदिर अछि, एहन कहल जाय ये की एही ठाम खुद भगवान् शंकर अपन नागेश्वर रूप में स्थपित भेल रहे।

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