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गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

दियावाती

|| दियावाती || 


चारूकात  चकमक  दीप  जरैया 
जहिना      पसरल    भोर   रे  | 
लक्ष्मी ठारि हँसै छथि  खल-खल 
देखू     अंगना     मोर       रे  || 
पसरल  दीया   कतारे  सभतरि 
परहित    काज   करैया     यौ | 
अपन     गाते  सतत   जराकय 
जग   में  ज्योति  भरैया   यौ || 
अधम - अन्हरिया भागल चटदय 
धरमक    भरल   इजोर        रे  || 
                       लक्ष्मी  ठारि--  देखू   अंगना --
नीपल   आँगन  ,अड़िपन ढोरल 
चौमुख बारि कलश पर साजल  | 
 छितरल  चहुँ दिश  आमक पल्लव 
सिन्दूर    ठोप  पिठारे   लागल  || 
आँगन  अनुपम रचि  मिथिलानी 
लाले      पहिर     पटोर          रे || 
                   लक्ष्मी ठारि-- देखू   अंगना --
एक  दंत   मुख  वक्रतुण्ड  छवि  
गौरी      नन्दन      आबू      ने  | 
दुख    दारिद्रक    हारणी   हे  माँ 
ममता    आबि    देखाबू       ने  || 
अति आनंदक लहरि में टपटप देखल 
"रमणक "    आँखि   में  नोर   रे ||
                           लक्ष्मी ठारि-- देखू   अंगना --

रचित - 

रेवती रमण झा " रमण" 

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