(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 18 अक्तूबर 2017

दीयावाती

|| दीयावाती ||

मनुहारी       अति    दिव्य 
सघन  वर  दीपक माला  | 
बाल     वृन्द  बहु  ललित 
चारु    चित चंचल बाला || 
आयल  उतरि  अपवर्ग धरा 
रे, चित   चकित चहुँ ओर  | 
फुल झरी झरि रहल लुभावन  
मन       आनंन्द    विभोर  || 
हुक्का   लोली  बीचे  अड़िपन 
 चमकि  उठल  अच्छी अंगना | 
 मृगनयनी  चहुँ चारु दीया लय 
रून - झुन   बाजल  कंगना || 
सिद्धि  विनायक मंगल दाता  
भक्ति    भाव       स्वीकारु  | 
अन - धन  देवी लक्ष्मी मैया 
"रमणक " दोष  बिसारू || 
लेखक - 
रेवती रमण  झा "रमण" 


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