(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 23 जनवरी 2010

देश प्रेम में आस्था

शरद ऋतु के महिना छल तिथि पुर्णमासिये के दिन छल़ आ तारिक सेहो ११ छल संग मंगल दिन सेहो छल। सब तरहे शुभ लग्न छल। हम बिमार अबस्थामे छलहुँ ताही द्वारे हम घरे पर रही। ठकन काका भोजन पर बैसले छलथि। हम दलान पर कुर्सी पर बैसल छलहुँ। बाबासँ रामायण आ महाभारतक संर्दभमे बात चित करैत छलो ! की ताबे में ऐगो जिपसी आबी के दलान के आगु में ठार भगेल हम दौर के देखय लेल गेलहुँ ओहीमे सँ चारि गो पुलिस हाथमे एगो पर्चि लके जिपसी के गेट से बाहर ऐला हमरा त बहुत डर भगेल जे हमरा पुलिस पकैर लेत ताही द्वुवरे हम ओतहि से धीरे धीरे ससरी के भागय लागलो की ताबे में ऐगो पुलिसबा हमरा पुछल्क ऐ लड़का ठकन ठाकुर का घर कौन हैं ? हम अपन मन में सोच्लो इ त हमरा काका के पकरैय लेल अयल हन हम पुलिस के दोसर के घर देखा देयत छियक आ ठकन काका के कहबैन जे ओ कतौ भैग जेता हम पुलिस के दोसर के घर देखा देलिय़ पुलिस ओहिठाम जेकs पुछ ताछ केलक आ १० मिनट के बाद फेर हमरे दलान पर आबिगेल आ बाबा से पुछलकैन जे ठकन ठाकुर को बुलाईये उसके नाम से वारन्ट आया हें! बाबा त अकचक्ति भगेला जे वारन्ट ककरा कहैत छै ! वारन्ट परचि जे छल से पुलिस हमरा बाबा के हाथ में पकरा देलकैन ! बाबा हमरा जोर से आबाज देलाइर्थि जे ऐमहर कनी आबह, इ वारन्ट पर्चि के पढ़ के सुनाबह , हम डराइर्ते डराइर्ते दलान पर ऐलो, वारन्ट पर्चि हम हाथ में लेलो देखलो इ अंग्रेजी में लिखल गेल अछि हम ओही के नही पैढ़ सकलो क्याकी हम ओही समय में दुसरी कक्षा में पढैते छलो ! ऐना त गाम घर में के ऐतेक अंग्रेजी पर ध्य्यान दैयत छैक ! ऐतबा में ठकन काका सेहो दलान पर आबी गेलाइर्थ आ पुलिस से कहलखिन जे हमही ठकन ठाकुर छी , सहाब हमरा कि कह चाहैत छी ? पुलिस हाथ में वारन्ट पर्चि के लsके सब के सामने पढैय लागल सब कियो धय्यान से सुनय लागल .......



To,


The Dear Public---


With due respects it is submitted that according to 1991 census your family was having 19 members out of which 11 are sons and 6 are daughters. Now Bihar Military Control Board, Patna needs urgently 4 of your sons. For the sake of the country and dedication towards the home land, as a true patriot, you are requested to surrender 4 of your sons for the service to the country.





Jai Hind Jai Bharat


BMC (B) Patna

पुलिसबा अंग्रेजी में सबटा धुरघार पढ़ने चली गेल मुदा ओकर मतलब गाम में कियोक नही बुझलक ! डैरते - डैरते ठकन काका पुलिस से कहलखिन सहाब हमरा मैथिली में बता दिय जे ऐकर मतलब कि होइत अछि ? पुलिस के मैथिली बाजल नही होइत छलये तयो ओ कोसिस के कs हिन्दीये में ठकन काका से वर्तालाप केलकैन ! पुलिस - आप के शादी के कितने वर्ष हुवा है ? ठकन काका २८ वर्ष पुलिस - आपने अपने घर की जनसंख्याँ पे कंट्रोल क्यों नही किये ? ठकन काका – सहाब हम अपन जनानी से कहलये जे तु छः महिन एक साल के लेल नैहर चली जो लेकिन ओ नही गेल , कहैत रहीगेल जे हमर माय बाबु बहुत गरीब अछी ! ओही मे हम की करब ? पुलिस - ठाकुर जी घबराने कि कोई बात नही है , आपके घर परिवार आज मंगल दिन से सदा के लिये मंगल मय रहेगा ! ठकन काका – सहाब जी से अहा कोना बुझैत छियेक ! पुलिस – ठाकुर जी मैं बिहार बिहार मिलेट्री संचालक पटना से आया हूँ ! कंट्रोल बोड़ के तरफ से आपके चार पुत्रो का बुलाबा हैं ! इन चारो को सिपाही फैज में नौकरी मिलेगा और तीन हजार रूपैया प्रतिमाहा के हिसाब से तंखा मिलेगा ! जिस से आपके बांकी बच्चे अछे से अछे स्कुल कालेज में पढ़ सकेगा और देश प्रेम में आस्था बनाये रखेगा ! ई बात सुनी के ठकन काका झटसन अपन बरका बेटा राम के कहलखिन जे दौर के भैरव स्थान से ताबे हलवाई के दुकान से उधारी पॉँच किलो मोती चुर के लडू लेने आउ आ पहिने भगवती के भोग लगाउ आय मंगल दिन सेहो छी भगवती सदा मंगल करती ! तखने चारू भाई राम , श्याम, घनश्याम आ बलराम बी एम पी केम्प - ६ मुजफ्फरपुर चली गेला ट्रेनिंग पर ! ऐमहर गाम में सातो भाई आ छबो बहिन धीरे धीरे स्कुल आ कालेज जाय लागला पढ़ लिख के सब कियो निक निक पोस्ट पर पहुच गेला ! कियो सीए त कियो डाक्टर आ इनजिनीयर , सब तरहे ठकन काका के नाम रोशन करैय लगला ! ठकन काका के चारू तरफ् से जान पहचान हुअ लगलैन , नेता मुखिया , पत्राकार , आ मिडिया बाला सब रोज कुन्नू नै कुन्न् बहाने हुन्का से पुछ ताछ करैय लेल आबैय लगलैन ! कियाकी ठकन काका के आय इन्कम लाखो , करोरो मेंs आबैय लगलेन ! ज्यो - ज्यो समय बितल गेल ताही अनुसार ठकन काका के सब बेटा आ बेटी के विवाहा दान होइत गेलैन ! कतेक में दहेज लके त कतेको मs बिना दहेज दके , सब तरहे सब काज धन्धा ठिक ठाक से चलैत छलैन ! ऐक दिन अचनक हुन्का घर पर ऐगे एमबुलेन्स आबिगेल सब लोक धीरे धीरे देखय लेल आब लागल , देख के सब चुपे चाप अपन घर दिस जाइर्ते रही जायत छल ! अही दृश्य के देखैक लेल ठकन काका सेहो गेला देखलखिन ओही में एगो लास जे हुन्कर माझिल बेटा श्याम के छलैन ! देख के ठकन काका बेहोश भगेला ! एमबुलेन्स के संग दुगो सिपाही और छल तकरा से सब कियो बात कारैय लागल , सिपाही कहलकैन जे हिनकर मौत कारगिलक लराई में भगेलाइन तै हम सब हिन्कर लास लके हिन्कर परिवार कए समरति करैय लेल आयल छी ! ठकन काका के समाज आ गाम घर में जतेक लोक सब छल सब कियो अंतिम संस्कार में भाग लेलैथ क्याकी ओ देश रक्षक शहीद पुत्र छला ! समय बितल गेल ठकन काका आब सेहो ७२ वर्ष के भगेल छला आ नैत आ नातीन के सेहो भरमार भगेल छलैऩ ! आइके समय मे हुनक परिवार के जनसंख्या ६८ सदश्य के भगेलेन तही उपलक्ष्य में आय १५ अगस्त के दिन , ठकन काका अपन सब परिवार के जतेक रिस्तेदारी नातेदारी सर समाज में जतेक भाइ बन्धु छल सब के ऐतबा नही सब नेता , मुखिया , शिक्षक गन आर जतेक आैफिसर सब छलैथ ! सब के आमंत्राण केने छलैथ , ठकन काका के मुख से ----- हम आई सब देश वासि के प्रति '' देश प्रेम में आस्थ '' बनाबैय या राखैय के लेल सब के प्राेतसाहन दैयत छी जे अपन देश अपन अधिकार अपन कर्त्वय अपन आत्म समान केवल देश प्रेम में आस्था रहला के बादे भेटैयत छैक ! जय हिन्द जय भारत , जय मैथिल जय मिथिला अहि अनुसारे सब नेता मुखिया, आर जतेक अभिवावक गन छलैथ सब कियो अपन अपन मुखारबिन्द से देश प्रेम में आस्था के लेल भाषन केलाइर्थ आ राष्ट्र् के मान बधेलाईथ आ देश भक्ति गीत से सेहा देश के सम्मान केलैथ ....


ला ला ----- ला ला


तिरंगा लहरे जो धीरे - धीरे


जय हिंद बोलू रे मैं धीरे - धीरे - २


सारे नेता जय हिंद बोले -


२हो हो ------ ला ला ------


तुम्ही मेरे देश का गौरव हो


तुम्ही मेरा देश का अभिमान हो


तुम्ही मेरा देश का भविष्य हो


तुम्ही मेरा देश का उज्जवल रूप हो


मेरे साथी हो तुम, मेरे सहारे हो तुम - २


बोले सारे बच्चे धीरे - धीरे


बोले सारे शिक्षक धीरे - धीरे हाँ - २


मेरा ये तिरंगा लहराता रहे


तिरंगा लहरे जो धीरे धीरे
हिंद जय बोलू रे मैं धीरे - धीरे - २


सारे नेता जय हिंद बोले - २


हो हो ----- ला ला


१८५७ से आजादी का नारा था


१९४२ को भारत छोरो आन्दोलन था


१९४७ को देश मेरा आजाद हुआ


सारे देश वासी मिलके नारा दिया


मेरा ये तिरंगा लहराता रहे


तिरंगा लहरे जो धीरे - धीरे,
जय हिंद बोलू रे मैं धीरे - धीरे - २


सारे नेता जय हिंद बोले - २








हो हो ----- ला ला


महात्मा गाँधी जैसे अहिंसा वादी थे

सुभाष - भगत जैसे क्रांति कारी थे


आम्बेडकर जैसे राईटर था


मोती और शास्त्री जैसे लीडर था


मेरा गौरव थे वो मेरा अभिमान थे वो - २


गाये गुणगान उनके धीरे - धीरे


गाये गुणगान वो भी धीरे - धीरे


मेरा ये तिरंगा लहराता रहे


तिरंगा लहरे जो धीरे - धीरे, जय हिंद बोलू रे मैं धीरे - धीरे - २


सारे नेता जय हिंद बोले - २

जय हिंद, जय भारत, जय मैथिली, जय मिथिला !!




मदन कुमार ठाकुर,
कोठिया पट्टीटोल,
झंझारपुर (मधुबनी)
बिहार - ८४७४०४,

मोबाईल +919312460150 ,91-9555076439
ईमेल - madanjagdamba@rediffmail.com
madanjagdamba@yahoo.com

शनिवार, 16 जनवरी 2010

मैथिलीक एक गोट आओर पत्रिका- नवारम्भ बजार में

पटना सं अजित कुमार आजाद जी केर संपादन में प्रकाशित एहि द्विमासिक पत्रिकाक प्रवेशांक केर सामग्री पर एक दृष्टिः-
1. समस्याक टाल पर मिथिला(संपादकीय)
2. ससरैत संस्कृति- प्रेमचंद मिश्र
3. प्रो. मायानंद मिश्रक निबन्ध साहित्य-डॉ. योगानंद झा
4. पाश्चात्य साहित्य आ हरिमोहन झाक व्यंग्य- विनोद कुमार झा
5. जीवकान्तःमैथिलीक वर्ड्सवर्थ- डॉ. धनाकर ठाकुर
6. भाषाक सुखाइत विरासत- पंचानन मिश्र
7. एक बेर फेर फेकू जाल महाराज जी(कथा)-विभा रानी
8. सतिया(कथा)- डॉ. अरविन्द अक्कू
9. धूमकेतु,डॉ. इन्द्रकांत झा,रामलोचन ठाकुर,शंभु नाथ ठाकुर, मेनका मल्लिक,अनमोल झा,रघुनाथ मुखिया, सच्चिदानंद सौरभ,अरविंद सोनू,योषितानंद लाल दास गोविन्द आ रामसेवक ठाकुरक कविता
10. महिला सशक्तिकरणःभारतीय संदर्भ-सुशीला झा
11. बोर्ड परीक्षाःशिक्षा पर राजनीति-कमल मोहन चुन्नू
12. सीताकुण्ड में पिण्डदान-नारायणजी
13. निराशोर्निर्ममो भूत्वा-त्रिलोकीबाबू त्रिकालज्ञ
14. जीवन जीबाक कला सिखबैछ रंगमंच-कुमार गगन
15. बाढ़िक विरुद्ध डमरुक तुमुलनाद-किसलय कृष्ण
16. बाबा विद्यापतिक नाम पर (प्रतिनिधिक रिपोर्ट)
17. फिल्मी परदा पर विद्यापतिक अवतरण-किसलय कृष्ण
18. अगिला बेर ओसामा-रासीमा चौधरी
19. कृष्णमोहन झाक पोथी एकटा हेरायल दुनियाक समीक्षा-मानेश्वर मनुज
20. मैथिलीक बेछप आंचलिक उपन्यास महाकल्प-डॉ. इन्द्रकांत झा
21. बानर महासभा(व्यंग्य)-बैद्यनाथ विमल
22. सम्मानित लोकनिकें बधाई

मैथिलीक एक गोट आओर पत्रिका- नवारम्भ बजार में

प्रवेशांक केर सामग्री पर एक दृष्टिः-
1. समस्याक टाल पर मिथिला(संपादकीय)
2. ससरैत संस्कृति- प्रेमचंद मिश्र
3. प्रो. मायानंद मिश्रक निबन्ध साहित्य-डॉ. योगानंद झा
4. पाश्चात्य साहित्य आ हरिमोहन झाक व्यंग्य- विनोद कुमार झा
5. जीवकान्तःमैथिलीक वर्ड्सवर्थ- डॉ. धनाकर ठाकुर
6. भाषाक सुखाइत विरासत- पंचानन मिश्र
7. एक बेर फेर फेकू जाल महाराज जी(कथा)-विभा रानी
8. सतिया(कथा)- डॉ. अरविन्द अक्कू
9. धूमकेतु,डॉ. इन्द्रकांत झा,रामलोचन ठाकुर,शंभु नाथ ठाकुर, मेनका मल्लिक,अनमोल झा,रघुनाथ मुखिया, सच्चिदानंद सौरभ,अरविंद सोनू,योषितानंद लाल दास गोविन्द,रामसेवक ठाकुरक कविता
10. महिला सशक्तिकरणःभारतीय संदर्भ-सुशीला झा
11. बोर्ड परीक्षाःशिक्षा पर राजनीति-कमल मोहन चुन्नू
12. सीताकुण्ड में पिण्डदान-नारायणजी
13. निराशोर्निर्ममो भूत्वा-त्रिलोकीबाबू त्रिकालज्ञ
14. जीवन जीबाक कला सिखबैछ रंगमंच-कुमार गगन
15. बाढ़िक विरुद्ध डमरुक तुमुलनाद-किसलय कृष्ण
16. बाबा विद्यापतिक नाम पर (प्रतिनिधिक रिपोर्ट)
17. फिल्मी परदा पर विद्यापतिक अवतरण-किसलय कृष्ण
18. अगिला बेर ओसामा-रासीमा चौधरी
19. कृष्णमोहन झाक पोथी एकटा हेरायल दुनियाक समीक्षा-मानेश्वर मनुज
20. मैथिलीक बेछप आंचलिक उपन्यास महाकल्प-डॉ. इन्द्रकांत झा
21. बानर महासभा(व्यंग्य)-बैद्यनाथ विमल
22. सम्मानित लोकनिकें बधाई

शुक्रवार, 15 जनवरी 2010

देखू आई खंडग्रास सूर्यग्रहण कोन ठाम कएक बजे

पटनाः12.05-3.25 बजे तक
दिल्लीः11.53-3.11 बजे,
चेन्नैः11.25-3.15 बजे,
कोलकाताः12.07-3.29 बजे,
अगरतलाः12.06-3.32 बजे
हैदराबादः1129-3.15बजे,
विशाखापत्तनमः 1144-3.22 बजे
भोपालः11.41-3.14 बजे,
भुवनेश्वरः 11.57-3.26 बजे,
कानपुरः 11.55-3.18 बजे
पुणेः11.18-3.06 बजे तक
बंगलौरः11.17-3.11 बजे,
लखनऊः 11.57-3.19
चंडीगढः11.58-3.08 बजे,
इम्फालः12.44-3.33 बजे,
अहमदाबादः 11.27-3.03
दिसपुरः12.21-3.32 बजे तक
ईटानगरः 12.26-3.33

बुधवार, 13 जनवरी 2010

आई सं शुरू भेल हरिद्वार महाकुंभ स्नान

14 जनवरी- मकर संक्रांति पर्व स्नान

15 जनवरी- मौनी अमावस्या सूर्य ग्रहण स्नान

20 जनवरी- बसन्त पंचमी पर्व स्नान

30 जनवरी- माघ पूर्णिमा पर्व स्नान

12 फरवरी- महाशिवरात्रि पर्व शाही स्नान

15 मार्च- सोमवती अमावस्या पर्व शाही स्नान

16 मार्च- नव संवत्सर आरंभ पर्व स्नान

24 मार्च- रामनवमी पर्व स्नान

30 मार्च- चैत्र पूर्णिमा पर्व स्नान

14 अप्रैल- मेष संक्रांति बैशाखी पर्व शाही स्नान

28 अप्रैल- बैशाखी पूर्णिमा पर्व अधिमास स्नान

http://www.krraman.blogspot.com/

http://www.maithilionline.blogspot.com/

शनिवार, 9 जनवरी 2010

लन्दन वाली कनियाँ



   ( हम थोर बहुत जे शिक्षा के अध्यन केलो से गाम से केलो , शिक्षा कोनो खास नही अछि जतेक अछि ओतबे में समांबेस अछि

परिवार ,समाज ,गाम - घर में ऐगो अलगे पहचान होयत अछि , जकरा हर मनुष्य अपन संस्कृति के तोर पर अध्यन आ पालन करैत अछि, चाहे मुर्ख होय या अमूल्य शिक्षा धरी ज्ञानी , देशी होय या कुनू विदेशी सब के लेल अपन-अपन संस्कृति के पहचान होयत अछि , जकर उदाहरण हम अपनेक सबहक सामने उपस्थित करैत छी , )




                     लन्दन वाली कनियाँ

(अनुराधा अपन बाबु जी से उदास स्वर में , ---)

बाबु जी भैया के गाम से लन्दन गेना तक़रीबन चारिम साल छी ,मुद्दा एखन तक कुनू खोज -खबैर नही अछि , सब साल भरदुतिया आ रक्षा बंधन के दिन उदास बैस परैत छी , मुद्दा भया के कुन्नु चिन्ते नही ?

बाबु जी अनुराधा से -

बुच्ची एतेक उदास जुनी होऊ एक न एक दिन अहांक भैया जरुर ओता , लन्दन अहिठंन से सात समुन्दर पर स्थित अछि , वक्त त लगवे करैत अछि आखिर कत जायत ओ हमर बंस के मान मर्यादा रखबे करत --

(बच्चा काका बाबु जी से बात करैत बजला - )

भैया , कोइलख गाम से अपन बड़का बउवा पर घटक बनी आयल छल ओ सब हमरा से बहुत निक जेका बात केलनी बुझाना गेल जे घटक सब निक आचार बिचार बाला सब छैथि , आ कनियाँ सेहो आर के कालेज से बी ए केने छैन , यदि अहांक आदेस होय त हुनका सब के अपन दलान दरबज्जा पर बजाबी ?

(बाबु जी काका से धर्य पूर्वक बात करैत -- )

सुनू बचे लाल , बोउवा हमरा जायत जायत बस ईहा कहैत गेल जे बाबु जी हमरा लन्दन में दू साल के कोर्श अछि ओकर बाद अहाँ जे कहब से हम करैक लेल तैयार भ जायब , वियाह आ शादी त आई-कैल के युग में आम बात अछि ,

       समय बितल गेल घटक पर घटक अबैत छल मुद्दा बड़का बोउवा के लेल धन्य सन, कुनू हाहेबरबादे नही गाम-घर के कुनू चिंता नही

एक दिन के बात अछि बाबु जी दरिभंगा कुन्नु खास काज के प्रयोजन से गेल छलैथि त ओतहि बाबु जी के स्कुलिया संगी साथी से मुलाकात भेलानी , बहुत देर के बाद बड़का बोउवा के विवाह दान के सेहो चर्चा चलल , सब आदमी बाबु जी से कही सुनी के जबरदस्ती गाछ लेलकैन, मज़बूरी बस बड़का बोउवा के विवाह बाबु जी से ठीक करा लेलकैन
अंत में बाबु जी के हाँ कहै परलैन

      गाम में सब कियो वियाहक तयारी में लगी गेल छल , कन्या गत के त और बेशी चिंता रहित छैक जे कतेक बर्याती आयात कतेको सर कुटुम सब राहत आ सर समाज सेहो सब राहत , ओही हिसाब से वियाहक तयारी करैत छलैथि , मुद्दा बड़का बोउवा के कुन्नु अता-पत्ता नही , कतय छैथि आ की करैत छैथि ?

         कन्या गत के तरफ से बेर बेर ई समाद आबैत छलैन जे अहाँ के लड़का कहिया धरी गम आबैत छैथि , जतेक जल्दी होय ओतेक जल्दी वियाह कन्या दान भ जय त ठीक होयत छैक
       बाबु जी के पास नै कुन्नु फोन नंबर आ ने कुन्नु अता पत्ता जे बड़का बउवा के खबैर करता
गाम में बाबु जी के सब कियो ताना मारैत छलैन जे फला के बेटा एहन छैन , त फला झा के इज्जत नहीं छैन , बेटा के वियाह्य ठीक क लेलैथि आ बेटा के आते - पते नहीं छैन , बाबु जी शर्म से मरेय मान सन लागैत छलथि
बस आशा ईहा छलैन जे कियो किमरोह से आवी के ई कहैं जे बड़का बोउवा आबी गेल बियाहक तयारी करू
दिन ,सप्ताह , महिना सब बितल जायत छल , मुद्दा भैया के कोनो खोज खबैर नै , कएक महिना बीत गेल कन्यागत सब अपन ई कथा के वापस क लेलकैन , ई कहिके जे हम अपन बेटी के वियाह अहि घर में नहीं करब , जकरा अपन परिवार ,समाज में मान मर्यादा के अपन संस्कृति के कुन्नु इज्जत नही छैन , हम दोसर थम कन्या दान क लेब , हमर बेटी सी- एम् सैंस कालेज से डिगरी केने अछि , ओकरा लेल अनेको आइ एस ऑफिसर भेटतैक

एहन - एहन बात सुईनी - सुईनी के बाबु जी के की हालत होयत छैन से त हमही सब जानैत छि , आखिर भैया किया नै गेलखिन जे गाम - घर के इज्जत ककरा कहैत अछि

दुखक पहर सन लागैत छल , दिन कटानायं सपना सन लागैत छल , प्रेम से बोल बचन सुनैक लेल कान समायक आश लागोने छल , जे दिन कहिया घुरत , देखलो कईक दिन के बाद हमरा दलान पर डाक पिन आयल छैथ
बाबु जी हमरा झट सन अबाज देलैथि - आ कहलैथि जे देखियो ककर ई टेल्ली ग्राम आयल अछि , हम झट सन डाक बाबु से टेल्ली ग्राम लके देखय लगलो
देखलो जे ई टेल्ली ग्राम बाबु जी के नाम से लन्दन से आयल अछि
हमरा अपना आप क ख़ुशी के भंडार भेट गेल , ख़ुशी के अंत नहीं छल , जे हम अपन मुँह से केना क कोन रुपे शब्द निकालब ? एक तरफ से भैया के टेल्ली ग्राम के ख़ुशी आ दोसर भैया से जुरल भात्र प्रेम के याद के आंखी से नोर पोछैत कनिते हम बाबु जी से कहलियनि जे , भैया के ई टेल्ली ग्राम आयल अछि , बाबु जी के ई बात सुनी के , आँखी के सामने ख़ुशी क बदल छा गेलानी , जे ओ कुन रुपे कोनाक के अपन मुँह से शब्द के बरशात करता
जे हमर बड़का बोउवा के टेल्ली ग्राम आयल अछि
टोल मोहल्ला सारा गाम सोर भ गेल जे बड़का बोउवा के टेल्ली ग्राम आयल अछि सब कियो सुनी के बहुत खुश्ही भेला , जे आब बड़का बोउवा जरुर अपन गाम आयत


( बाबु जी अनुराधा से --)

बुच्ची ई टेल्ली ग्राम पढ़ी के सुनाऊ जे बड़का बोउवा कहिया धरी गाम आबैत अछि ? ---

अनुराधा - अछ बाबु जी ठीक अछि सुनबैत छी ---


आदरनिय माय - बाबु जी एवं काका- काकी ---

चरण स्पर्श ----

और छोट बुवा - बुच्ची सब के प्यार आ स्नेह संग शुभ आशीर्वाद -----

हम अहिठं अपनेक सबहक आशीर्वाद से कुसल मंगल सं छी ,

आ माँ भगवती सं सदा कामना करैत छी , जे अहुँ सब कुसल

मंगल सं होयब ----

आगा बात समाचार सब ठिक अछि , हमर चिन्ता नहीं करब
हम अगिला महिना धरी अपन परिवारक संग फलाईट से पटना आयब आ पटना से गाम आयब , वाकी बात समाचार गाम एला के बाद करब ----


( अहाँ के बड़का बउवा )---

ई बात सुनी के जे हम अपन परिवारक संग अगिला महिना धरी गाम आबैत छी , सब कियो पहिने से जायदा मरेय मान सन भगेला , ई सोईची के जे बेटा हमर नालायक भगेल , अपन मान मर्यादा ,अपन संस्कृति के विसैरी गेल , विदेश में जाके बियाह केलक शर्म से हमर नक् कटी गेल , सपनो में नही ई शोच्लो जे बड़का बोउवा ई एहन काज करत , बियाहो केलक त सतसमुन्दर पर जाके जाकरा अपन संस्कृति नही, संस्कृति ककरा कहैत अछि से ज्ञान नही , बोली बच्चन के ताल - मेल नहीं , जाकरा सीता और सावित्री जेका मान मर्यादा नहीं , उटैय - बसैय के तौर तरीका नहीं , ससुर- भैशुर के मान सम्मान नै , पहिरे - सोहारिय के ढंग नहीं , ओ की अपन मथिली संस्कृति के रक्षा करत , ई बात सब कियो सोची -सोची के अपन जिनगी के आखिरी साँस लैत छल

समाय बितल जायत छल , की एक दिन अचानक बड़का बोउवा के फोन आयल की हम सब दरिभंगा तक आबिगेल छी, कुछीक घंटा में अपन गाम आबी जायब ---

गामक लोक सब कियो तैयार भगेल छल , ई देखैक लेले जे बड़का बोउवा लन्दन से कनियाँ आनैत छैथि , ओकर केहन रंग , केहन रूप , केहन अंग्रेजी बोल बच्चन आ केहन पहिरे सोहरै के संस्कार हतय ? से देखै लेलेल सब कियो दालान के आगू में ठाड़ छल
मुद्दा माय - बाबु , काका - काकी सब कियो नही सामने एलखिन देखैक लेलेल , कियाकि हुनका से पहिने हजारो लोग दालान के सामने ठाड़ छल , बड़का बोउवा के शर्म से निचा करैक लेल जे ई अहां की काज केलो समाज के नाम रोशन करैक बदला में बिदेशी क बियाह क अनलो ?

देखलो एतबा काल में एगो टेम्पू में से दू सालक एगो छोट बच्चा आ एगो दुराग्मानिया साड़ी सन पहिरने , हाथ में भरल हाथ लहठी चुरी , मांग में भरल सिनुर , आ माथ पर साडी लेने टेम्पू से बहार एली , देखि के सब कियो अकबक सन भगेला जे ई के आबिगेली , तबे में पछा से बड़का बोउवा सेहो एलैथ , सब के बेरा- बेरी से पैर छू के गोर लगल खिन आ एतेक भीड़ देखि के बड़का बोउवा झट सन बजला जे गाम में कुनह मेला लागल अछि की जे पूरा परपटा के लोक सब अहिठन ठाड़ छी ? तबे में किमरोह से एगो छोट का बच्चा बजल जे सब कियो अहिके कन्या के देखाई क लेल आयल अछि ---

( ई बात सुनी के लन्दन वाली कनिया अचम्भा में पारी गेली जे आब हम ककरा सब के की कहबै -- )

लन्दन वाली वाली कनिया बहुत बिलम्ब के बाद सोइच बिचारी के अपन मुहँ से आबाज निकैलते बजली -----

हमहूँ एगो आदर्श नारी छी , सीता यदि बड़ सुन्दर आ पतिवर्ता छली तयो हुनका अग्नि परीक्षा देबई परल छलैन, यदि हुनकर रहन - सहन आ बैवहार निक छलैन त हमहूँ ओही सं कम नै छी
अहाँ सब अपन- अपन संस्कृति के बचाबई में जनम गुजारी देत छी , अपन मात्री भाषा शिखई में जनम से अनेको बरस लगाबैत छी , लेकिन हम अहाँ के मात्री भाषा आ संस्कृति सिखाई में केवल मात्र चरिय साल गमेलो

और एतबा नही अहांक संस्कृति के सात समुन्दर पार रहितो हम मान - सम्मान देलो
हम लन्दन पोस्ट ग्रेजवट जरुर छी , मुद्दा अहाँ सबहक संस्कृति / कल्चर के सामने हम आई नस्त मस्तक छी , ओही कारने से हम आई अपनेक सबहक सामने सीता और साबित्री सन बनय चाहैत छी
लक्ष्मी आ सरस्वती ओताही निवास करैत छैथि जतय नारी के मान - सम्मान आदर के साथ भेटैत अछि , ओ अछि अहाँ के मिथिला
एतय हम बैदेही रूप में अपना - आप के देख चाहैत छी , जे हमहूँ एगो मिथिला के नारी छी ----

ई दिर्श्य देखि आ सुनी के , माय - बाबु ,काका -काकी सब कियो घर से बहार एला आ सब कियो बेरा - बेरी से लन्दन वाली कनिया के सामने हाथ जोरी का , आदर पुर्बक मिथिला के नारी जेका हुनको बिध क अनुसारे दुरागमन जेका लन्दन वाली कनिया के अपन घर के पुतोहू बनोलथी




( समाप्त )



लेखक - 

जगदम्बा ठाकुर
पट्टीटोल, कोठिया ,
भैरव स्थान , झांझरपुर
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