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मंगलवार, 15 जून 2010

मक्ष्छर चलिसा



दोहा

अति आबस्यक जानी के होके अति लचार ,
बरनो मच्छर सक्‍ल गुणों दुख दायक ब्यबहार ।
बिना मसहरि दिन हूँ सुनहू सकल नर्रनार ,
मक्ष्छर चलिसा लिखक पढ़उ सोइच बिचैर ।।

चोपाई

जय मच्छर भगवान उजागर ।
जय अनगिनित हे रोग के सागर ।।

नदियाँ पोखैर गंगा सागर ।
सबठाम रहते छी अही उजा गर ।।

नीम हकिम के अही रखबारे ।
डाक्टर के भेलो अतिश्य प्यारे ।।

मलेरिया के छी अहा दाता ।
छी खटमल के प्यारे भ्राता ।।

जरी बुट्टी से काज नऽ बनल ।
अंग्रेजी दबाइर् जलदी फीट करल ।।

आउल आउट गुडनाइर्ट अपनेलो ।
फेर अपन अहा जान बचेलो ।।

दिन दुखि सब धुप में जरैत छैथ ।
रैतो में बेचैन रहैत छैथ ।।

संझ – भोर अहा राग सुनाबी ।
गूं गूं के नाम कमाबी ।।

राजा छैथ या रंक फकिरा ।
सब के केलो अपनेही मत धिरा ।।

रूप कुरूप न अहा मानलो ।
छोटका - बऱका नै अहा जनलो ।।

नर छैथ या स्वर्गाक नारी ।
सब के समक्ष बनलो अहा भारी।।

भिन्न भिन्न जे रोग सुनेला ।
डाकटर कुमार फेर शर्मेला ।।

सब दफ्‍तर में आदर पेलो ।
बिना इजाजत के अहा घुस गेलो ।।

चाट परल जिन्गी से गेलो ।
कनैत खिजैत परिवार गमलो ।।

जय - जय हे मक्ष्छर भगवाना ।
माफ करू सबटा जुर्माना ।।

छी अहा नाथ साथ हम चेरा ।
जल्दी उजारारू अहा अपनेही डेरा ।।

दोहा



निश बंसर शंकर करण मालिन महा अति कुर |
अपन दल बल सहित बशु कहि जा दुर ||


मदन कुमार ठाकुर

पट्टीटोल (कोठिया), भैरव स्थान ,
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार ,८४७४०४