(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 30 सितंबर 2013

अपनेक ----
समस्त परिवार सदर  आमंत्रित  छी 



           दिल्ली में अक्टूबर' - नवंबर  अवीते  विद्यापति पर्व समारोह की धूम मच जैत  अछि , दिल्ली  एन सी आर के कोन- कोन में विद्यापति पर्व समारोह वा  मिथिला महोत्सव बहुत  धूम - धाम के संग  मनायल  जय़त अछि . अहि समय  में "विद्यापति पर्व समारोह - 2013 " भजनपुरा और करावल नगर के नजदीक लोनी में दिनांक 1 अक्टूबर 2013 को मनायल  जारहल अछि .

इ  ध्यान में रखइ के  कि अगिला  दिन 2 अक्टूबर कऐ  महात्मा गाँधी के जन्मदिनक अवकाश रहैक के  कारन  1 अक्टूबर के  मैथिल लोग  भरी  रैत  विद्यापति पर्व समारोहक  और मिथिला महोत्सवक  पूरा आनंद  उठाबैथी  बिना  कोनो  चिंता- फिकर के  |



धन्यवाद !

अपनेक  दर्शनक  अभिलाषी   ---
विद्यापति पर्व समारोह !
आयोजक : मिथिला सेवा समिति (पंजी), लोनी गाजियाबाद।

स्थान - ई ब्लाक पार्क, लाला बाग़, पुलिस चौकी के सामने, लोनी, गाजियाबाद।
नजदीक - करावल नगर , दिल्ली ,


नजदीकी मेट्रो :- शास्त्री पार्क मेट्रो स्टेशन।

रविवार, 8 सितंबर 2013

दहेज़ और ओकर कुप्रथा के निवारण


दहेज़ और ओकर कुप्रथा के निवारण

जखन कतौ दहेज़ पर सार्वजनिक चर्चा होइत अछी त देखबा में अबैत अछी जे सब केओ अपन मत शक्तिशाली ढंग सँ दहेज़ के विरोधे में राखैत छैथ | मुदा अश्चार्यक बात छैक जे दहेज़-प्रथा घटै के बदला में बढिए रहल छैक | एकर कारन इ छैक जे आरम्भे सँ हम सब अहि प्रथा के नै त ठीक जकां बुझै के प्रयास कैलियै आ ने ओकर सही निवारण कै सकलियै | फलतः जे प्रथा समाज में एक नीक उद्देश्य सँ आरम्भ कैल गेल छल से विकृत भ का दानव के रूप ल क हमरा सभक सोझां में मुह बौने ठाढ़ अछी | और हमर इ शशक्त मत अछि जे जावत तक हम सब एही प्रथा के ठीक जकां संबोधित नै करबैक तावत तक एही प्रथा के सही संसोधन नहीं कैल जा सकैत अछी | केवल वार्ता, जुलूस, और आन्दोलन सब एक अरन्यरोदने साबित भ सकैत अछी जाकर प्रमाण इ जे घत्बा के बदला इ प्रथा दिन-दिन बढिए रहल अछि |
प्राचीन समय सँ हिन्दू समाज में दहेज़ प्रथा कहियो नहीं छलैक | 'दहेज़' शब्द तक हमरा संस्कृत के उपज नहीं लागैत अछि | जतेक पौराणिक ग्रन्थ छैक कोनो में दहेज़ के वर्णन नै छैक | इ प्रथा आरम्भ भेल ब्रिटिश सरकार के कानून सँ और शनै शनै विकृत रूप धारण कै लेलक | सन १७९३ में लार्ड कार्नवालिस के समय में "परमानेंट सेटलमेंट ऑफ़ बंगाल" के नियम पारित भेलैक, जाकर फल इ भेलैक जे लोग सब के भूमि के स्वामी बनै के अधिकार भेट गलैक | एही सँ पूर्व सरकार पूरा भूमि के मालिक छलैक और लोग सब मात्र ओहि भूमि पर बसैत छल एवं ओकर उपयोग करैत छल | एही कानून सँ एक और विकृत परंपरा, जमींदारी, के प्रादुर्भाव भेलैक | एकरा बाद अंग्रेज सब एक और कानून पारित किलक जाही सँ स्त्री के संपत्ति के अधिकार सँ वंचित कै देल गेल| एकर फलस्वरूप लोग अपना बेटी के भेंट के रूप में धन, कैंचा, सोना, इत्यादी विदा काल में देबै लग्लै जाही पर केवल आ केवल स्त्री के अधिकार छलैक | कालांतर में इ व्यवस्था दहेज़ के रूप में प्रचलित भ गलैक | एखनो तक एही में कोनो दोष नहीं आयल रहैक और एक प्रकार सँ ई व्यवस्था स्त्री के बहुत हद तक आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करैत छलैक | 
मुदा जेना जेना लोग पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करैत गेल और भौतिकवाद के प्रचार-प्रसार होइत गेलै, तेना तेना वर-पक्ष के तरफ सँ दहेज़ के मांग बढ़ल गेलै | अहि दिशा में भारत सरकार सेहो कम दोषी नहीं अछि | अहि प्रथा के ठीक करै हेतु भारतीय सन्दर्भ में समाधान नहीं खोजि क हमर नेता लोगनि ऊंट जक पश्चिम दिस मूड़ी उठा क पश्चिमी संधर्भ में हल निकालै के प्रयास में छोट रास्ता अप्नौलनि और दहेज़ के सोझे गैर-कानूनी बना देलखिन| फेर सँ ओहे संकट स्त्री संग लागु भ गलैक जे अंग्रेज के समय छलैक | स्त्री त पहिने सा संपत्ति के अधिकार सँ वंचित छली, आब वो स्त्री-धन सँ सेहो वंचित होमय लगली | आब दहेज़ अपन असली रूप में उजागर भेल | वर एवं वर-पक्ष के ई बात स्वाभाविक रूप सँ कचोटे लगलैन जे एक स्त्री खली हाथ हुनका घर अबैन आ अपन पति के संपत्ति में आधा के साह्भागी बनी जाय | फलस्वरूप दहेज़ के आब मांग उठे लागल और दिनों-दिन जोर पकरे लागल | दहेज़ के रूप आब विकृत होमय लागल | 
पुनः सर्वोच्य न्यायालय के एक नियम पारित भेल जकर अनुसार स्त्री के अपन पैत्रिक संपत्ति में बराबर के अधिकार भेट गेलै | बिना ई सोचने जे एकर समाज पर की असर परतैक, अनेको नियम बिना सोचने-बुझने पारित भेल गेल | फलाफल भेलैक जे दहेज़ प्रथा समाप्त होई के बदला उग्रतर होइत गेल और अंततः दानव के रूप ल लेलक |
हाले में एक और कानून संसद द्वारा पारित भ रहल अछि जकर अनुसार स्त्री के नै सिर्फ अपन पति के संपत्ति में बल्कि अपन पति के पुस्तैनी संपत्ति में सेहो हिस्सा भेटतै, डाइवोर्स लेला पर | कियो व्यक्ति अंदाज लगा सकैत छैथ जे एकर दूरगामी परिणाम समाज पर की परतैक ? कनेक कल्पना कै के देखिऔ | एकटा लड़का विवाह क क एक लड़की के अपना घर आनैत छैथ | तीन साल तक ( जे की न्यूनतम अवधि मानल गेल अछि नवका क़ानून में डाइवोर्स के लेल) ओ लड़की घर में कोहराम मच्बै छैथ | तकर बाद डाइवोर्स फाइल करैत छैथ ( जे महिला के फाइल केला सा आसानी सँ भेट जतैक) और अलग भ क अपन पति और हुनक पुरूखा के लगभग आधा संपत्ति ल क चलि दैत छैथ | जों कियो वर व वर के पिता गंभीरता सँ अहि पर विचार करैथ, त एहेन सम्भावना के देखैत की ओ अपन बालक के विवाह बिना मोट दहेज़ लेने करता? की एहेन कानून सब सँ दहेज़ के दानव और भयानक नै बनतै ? कतेक लोग हेता जे सब बात जनैत अपन आ अपन परिवार के भविष्य दाऊ पर लगेता ? हम अपन विवाह में एकौ रूपया तिलक व दहेज़ नै लेलौ | एते तक जे हम अपन विवाह के खर्च संपूर्ण रूप सँ अपने केलौ | मुदा आब हमरो एकै टा बालक अछि | और हम आई-काल्हि के हालत देख क गंभीर सोच में पड़ल छि जे अपन पुत्रक विवाह बिना मोट दहेज़ लेने केना क दबैक कोनो एहन लड़की सँ जे खली हाथ आबय और हमर संपत्ति के स्वामिनी बनी जाय ? और जहिया ओकर मोन होई तहिया हमारा बेटा सँ डाइवोर्स ल क हमर मेहनत सँ अरजल संपत्ति आधा बैंट क ल लिया | की अहि तरहक कानून दहेज़ के और प्रश्रय नै दैत छैक? सब सँ आग्रह अछि जे भावना में नै धरातल पर उतरि क सोचैथ | 
आब कानी समग्र रूप सँ हिन्दू विवाह अधिनियम, दहेज़ उन्मूलन कानून एवं स्त्री के संपत्ति के अधिकार पर ध्यान दिऔ | अगर कोनो स्त्री चाहे त अपन पैत्रिक संपत्ति में सँ अपन हिस्सा आसानी सँ ल सकैत अछि | अपन पति एवं ओकर पुस्तैनी संपत्ति में सेहो हिस्सा ल सकैत अछि | लेकिन कोनो स्त्री सँ कोनो पुरुष कोनो हाल में किछु नै हासिल क सकैत छैथ | बहुत घटना एहन होमय लगलैक अछि जाही में देखल गलैक अछि जे किछु स्त्री केवल धन के लोभ में विवाह के अपन पेशा बना लेलक अछि | संगे भाई-बहिन के सम्बन्ध में जे माधुर्य छलैक सेहो बहुत ठाम खट्टा भेल जा रहल अछि | अगर अहिना कानून बनैत रहल आ भाषण चलैत रहल त जल्दिये ओहो दिन निश्चय आयत जहिया रक्षाबंधन और भरदुतिया के पावैन सेहो उठि जायत |

गुरुवार, 5 सितंबर 2013

प्रिय दमुमि राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय,




सितम्बर ५, २०१३.

प्रिय दमुमि राष्ट्रीय अध्यक्ष महोदय,

हमरा लोकनि दहेज मुक्त मिथिला नाम परिकल्पनाकेँ सफलतापूर्वक स्थापित कयला उपरान्त अपनेक सक्षम नेतृत्वमें बेहतरी दिसि उन्मुख छी, एहि सँ हमरा लगायत सभक हृदयमें चारू कात प्रसन्नता दृष्टिगोचर भऽ रहल अछि। विगतमें सेहो हमरा लोकनि हरेक समाजमें एक जागरण अभियान रूपमें दहेज विरुद्ध स्वैच्छिक संकल्प सभाक आयोजन लेल प्रतिबद्ध रही, आब जखन हमरा लोकनिक ई संस्था समस्त भारतमें कार्य करबाक लेल पंजीकृत भऽ चुकल अछि तखन मिथिलावासी होइथ वा मिथिलेतरवासी, सभक समाजमें छोट-छोट सभा द्वारा संकल्प अभियान केँ सक्रियतापूर्वक चलेबाक आवश्यकताक पूर्ति सहजता संग वैह समाजक सक्रिय सहयोग सँ कैल जा सकैत छैक, बस हमरा लोकनि केवल लीड धरि दी। जेना महाराष्ट्रक समिति उर्जावान् लोककेर समूह सँ भरल अछि आ आगामी गणेश चतुर्थीमें पुन: समुचित बैनर सहित हमरा लोकनि जन-जागृति करय लेल जा रहल छी... तऽ एहेन में हमर प्रस्ताव ईहो अछि जे किऐक नऽ छोट-छोट संकल्प सभाक आयोजन हर जुडल सदस्य द्वारा मुंबई सहित अन्यत्र सेहो कैल जाय? एकर प्रारूप अत्यन्त सहज आ मर्मस्पर्शी होयत, केवल कोनो एक सदस्य द्वारा एक छुट्टीक दिन एक छोट सभा मार्फत कम से कम ५०-१०० परिवारक लोककेँ आमन्त्रित करैत स्वैच्छिक संकल्प करबैत दहेज विरुद्ध संकल्प ली:

१. हम माँगरूपी दहेज नहि लेब नहि देब।

२. अपन धियापुताक विवाह पर्यन्तमें माँगरूपी दहेज नहि लेब नहि देब।

३. एहेन कोनो वैवाहिक कार्यक्रम जाहिमें माँगरूपी दहेजक लेन-देन कैल गेल अछि ताहिमें सहभागी सेहो नहि होयब।

आ एहि तरहें संस्थाक सदस्यता प्रदान करैत हमरा लोकनि आगू बढैत चलब। यैह अवधारणाक अनुरूप दहेज मुक्त मिथिला अपन योगदान समाजकेँ प्रदान करैत असीम सफलता सेहो पायत आ समाजमें दहेजरूपी दानवक प्रतिकार बड पैघ स्तरतक कय सकत से आशा अछि।

कृपया अपने आ समस्त राष्ट्रीय व क्षेत्रीय कार्यकारिणी हमर एहि छोट प्रस्तावपर विचार दैत अमल करबाक लेल मुहिमकेँ गतिशीलता प्रदान करब से आत्मविश्वास अछि।

अपनेक विश्वासी,

प्रवीण नारायण चौधरी


https://www.facebook.com/groups/dahejmuktmithila/doc/374593335884737/