(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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सोमवार, 13 अप्रैल 2015

अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन-२०१५ भव्यतापूर्वक संपन्न

अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन-२०१५ भव्यतापूर्वक संपन्न

   मैथिली जिन्दाबाद!
  अप्रैल १२, २०१५. -
विराटनगर मे आयोजित एक दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन - २०१५ समारोहपूर्वक संपन्न कैल गेल। एहि सम्मेलन मे मैथिली भाषा ओ मिथिला संस्कृतिक कवि एवं अभियानी लोकनीक ४ पीढीक प्रत्यक्ष सहभागिता देखल गेल। खुल्ला आमंत्रण मे आयोजित एहि कार्यक्रम मे भारत ओ नेपाल सँ करीब १३० मैथिली कवि तथा ५० केर आसपास अभियानी लोकनिक उपस्थिति छल। नेपालक काठमांडु, रौतहट, जनकपुर, लहान, राजविराज, विराटनगर आदि सँ अनेको कवि लोकनिक सहभागिता रहल, तहिना भारतक सहरसा, दरभंगा, मधुबनी, राँची, पुर्णिया, दिल्ली, कानपुर, कोलकाता, अररिया सँ सहभागी भेला। कार्यक्रमक सीधा प्रसारण लाइव स्ट्रीमिंग द्वारा यूट्युब, स्काइप, जूम तथा मैथिली जिन्दाबाद केर वेब पेज सँ कैल गेल छल। अन्य देश यथा सउदी अरब, कतार आ भारतक विभिन्न भाग सँ स्रष्टा लोकनिक अनलाइन प्रस्तुति सेहो कैल गेल छल। एहि कार्यक्रमक देखबाक ओ सुनबाक आनन्द इन्टरनेट द्वारा प्राप्त केलनि।
     ज्ञात हो जे मैथिली भाषा मे स्रष्टा केवल आरक्षित जाति या वर्ग धरि नहि अछि आ अपन मातृभाषा सँ प्रेम हरेक मैथिलीभाषी मे बरोबरि अछि - एहि बात लेल ई समारोह - अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली सम्मेलन 'स्वत: प्रमाणम् परत: प्रमाणम्' बनि संसारक समक्ष एकटा अनुपम उदाहरण प्रस्तुत केलक। केकरो मातृभाषा पर कदापि कोनो एक जाति भले ओ कतबो उच्च-बौद्धिक स्तरक कियैक नहि मानल जाय तेकर निजी वा आरक्षित भाषा नहि बनि सकैत अछि ई बात काल्हिक मैथिलीभाषी स्रष्टाक सर्वजातीय महाकुम्भ द्वारा पुन: स्थापित भेल।
    प्राज्ञ रमेश रंजन, प्रज्ञा परिषद् सदस्य, नेपाल संगीत तथा नाट्य प्रज्ञा प्रतिष्ठान, काठमांडु तथा सुप्रसिद्ध मैथिली गीतकार सियाराम झा सरस केर संयुक्त प्रमुख आतिथ्य तथा मैथिली सेवा समितिक अध्यक्षा डा. एस. एन. झा केर अध्यक्षता मे संपन्न एहि समारोहक प्रथम सत्र मे 'मैथिलीक वर्तमान अवस्था - राज्यक योगदान आ उपेक्षा' विषय पर केन्द्रित रहल। एहि सत्र मे लगभग ६५ वक्ता द्वारा विचार प्रस्तुति करैत ई स्पष्ट कैल गेल जे राज्य पर निर्भरता मैथिली भाषा लेल खतरनाक सिद्ध होयत, तैँ अखण्ड सनातनी सिद्धान्त अनुसार एहि भाषाकेँ सुरक्षित आ संवर्धित रखबाक लेल 'स्वयंसेवा आ स्वसंरक्षण'क सिद्धान्त मात्र कारगर होयत।
     दोसर सत्र मे देश-विदेश सँ पधारल कविक सहभागिता संग मुदा समयक चाप मे कवि-गोष्ठी केर आयोजन कैल गेल छल। एहि सत्रक अध्यक्षता सहरसा सँ आयल मैथिली कवि शिरोमणि अरविन्द मिश्र निरज कएलनि आ हुनकहि सुपुत्री मैथिलीक सुप्रसिद्ध युवा-पीढीक कवियित्री श्वाती साकम्भरीक सुन्दर सनक प्रस्तुतिक संग शुरु भेल छल। सभ कविक सहभागिता करेबाक प्रयास करितो दरभंगा, सहरसा, काठमांडु आ राँचीक वरिष्ठ कवि लोकनिक प्रस्तुति नहि करायल जा सकल। युवा पीढी लेल खास प्राथमिकता देबाक आ सब केँ समेटबाक सिद्धान्त पर आयोजित एहि कार्यक्रम मे बेसी रास सहभागिता युवा-युवती केँ देल गेल। दरभंगा सँ आयल सुप्रसिद्ध हास्य कवि जय प्रकाश जनक द्वारा करीब ४ महत्त्वपूर्ण प्रस्तुति दैत उपस्थित दर्शक केँ बेर-बेर हँसबाक लेल मजबूर कैल गेल। ताहि समय कार्यक्रमक विशिष्ट अतिथि भारतीय राजदूतावासक विराटनगर कैम्प अफिसकेर प्रमुख श्री पी के चालिया कार्यक्रम मे उपस्थित भऽ चुकल छलाह, ओहो जनकक कविता सुनि भरपुर आनन्द उठौलनि। तहिना बहुभाषिक कवि-गोष्ठी सेहो नाममात्र लेल कैल जा सकल, जाहि मे एक नेपाली भाषाक कविता अनेको सम्मान सँ सम्मानित विभूति श्री सुमन पोखरेल द्वारा आ तहिना उर्दूक मशहूर शायर अलानीन मियाँ बेचैन केर गजल आ शेरो-शायरी उर्दू मे प्रस्तुत कैल गेल छल। भागलपुर आ पटना विश्वविद्यालयक संग मिथिला विश्वविद्यालय सँ शोधार्थी छात्र लोकनिक नीक उपस्थिति एहि सत्र मे देखल जा सकल। मिथिलाक वर्तमान समाजिक अवस्था आ इतिहासगानक अतिरिक्त क्रान्तिक आवाज सँ भरल रहल ई सत्र आ खास बात यैह जे अधिकतम उपस्थित कवि लोकनि केँ समेटल जा सकल छल।
      पुन: तेसर सत्र मे मैथिली गजलक सुन्दर प्रस्तुति संग कार्यक्रमक प्रमुख अतिथि आ प्रसिद्ध गीतकार सियाराम झा सरस द्वारा कैल गेल छल। हिनक अतिरिक्त पवन नारायण, सुनील पवन, दिया चौधरी, प्रीति झा, धीरेन्द्र प्रेमर्षि, सुभाषचन्द्र झा, देवांशी चौधरी, भावना चौधरी, अम्बिका चौधरी तथा प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा विभिन्न स्वादक मैथिली गीत प्रस्तुत कैल गेल। अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन-२०१५ द्वारा घोषित सम्मान पत्र सहरसा मे पत्रकारिता करैत मैथिली भाषा ओ मिथिला संस्कृति प्रति समर्पित योगदान करनिहार कन्हैयाजी, कुमार आशीष आ सुभाषचंद्र झा केँ भारतीय राजदूतावास अधिकारी श्री पी के चालियाक हाथ सँ सम्मान देल गेल। एहि कार्यक्रम मे सहभागी लोकनि केँ प्रशस्ति पत्र प्रदान कैल गेल। एहि कार्यक्रमक मध्य मे मैथिली जिन्दाबाद डट कम - समाचार पोर्टलक उद्घाटन कैल गेल छल। तहिना मिथिला डायरेक्ट्री २०१५ केर विमोचन मंचासीन अतिथि लोकनि द्वारा कैल गेल छल। संगहि काञ्चीनाथ झा किरणकेँ समर्पित मिथिलाक्षर किरण फोन्ट्स केर विमोचन मैथिली फाउन्डेशनक संस्थापक कौशल कुमारक उपस्थिति मे रमेश रंजन व धीरेन्द्र प्रेमर्षि द्वारा कैल गेल छल।
        दिल्ली सँ विशिष्ट अतिथि अमरनाथ झा, संजीव सिन्हा, विमलजी मिश्र, अखिलेश मिश्र, सुनील पवन - कानपुर सँ विशिष्ट अतिथि मिथिलाँचल महासभाक संस्थापक श्री रविनाथ मिश्र, अध्यक्ष अमित झा आ प्रवक्ता अनिल झा, सहरसा सँ शिक्षाविद् अभिमन्यु खाँ, समाजसेवी सुमन समाज, अभियानी अमित आनन्द, कुन्दन मिश्र, दिलीप कुमार चौधरी, आदि, सुपौल सँ विशिष्ट अतिथि तथा मैथिली कविता-कथा-नाटक केर सर्वविदित स्रष्टा अरविन्द कुमार ठाकुर, मधुबनी सँ सदरे आलम गौहर, दीपनारायण विद्यार्थी, दरभंगा सँ डा. मंजर सुलेमान, उदय शंकर मिश्र, राम कुमार, चन्द्रेश, परवा, बुढाभाइ आदि, पुर्णिया सँ गिरिन्द्रनाथ, चिन्मय ना. सिंह, अररिया सँ सुधीरनाथ मिश्र, कोलकाता सँ कवि-कथाकार-अभियानी उमाकान्त झा बक्शी आ अखिल भारतीय मिथिला पार्टीक महासचिव रत्नेश्वर झा, काठमांडु सँ आयोजनक प्रेरक-संरक्षक धीरेन्द्र प्रेमर्षि, लहान सँ अर्जुन प्रसाद गुप्ता 'दर्दीला', प्रिन्स कृष्णा सिंह, नारायण मधुशाला, राजविराज सँ कवियित्री साधना झा, विद्यानन्द बेदर्दी, निराजन झा, केशव कर्ण आ प्रा. अमरकान्त झा, जनकपुर सँ प्रेम नारायण झा, विराटनगर सँ वसुन्धरा झा आ अन्य कतेको गणमान्यक उपस्थिति रहल छल। तहिना विदेश सँ अनलाइन बिन्देश्वर ठाकुर, अब्दुल रज्जाक, अशरफ राइन, बेचन महतो, भोगेन्द्र राज साह 'विराज', मनोज साण्डिल्य आदिक उपस्थिति आ प्रस्तुति देल गेल छल। एहि कार्यक्रम केँ लाखों इन्टरनेट यूजर मैथिल घरे बैसल आनन्द लैत रहला आ फेसबुक द्वारा स्वस्फूर्त फोटो आ समाचार शेयर करबाक लाइन लागल रहल।
            कार्यक्रमक समीक्षात्मक प्रस्तुति मे प्रमुख अतिथि सियाराम झा सरस तथा रमेश रंजन द्वय कहलनि जे कवि सम्मेलन मे प्रस्तोताक संख्या छाइनकय समावेश कैल जेबाक चाही, आ समस्त नव-पीढीक कवि-स्रष्टा लोकनि हेतु प्रशिक्षण-कार्यक्रमक संचालन सेहो हेबाक चाही। लेकिन उत्साहित युवाक हर डेग केँ हम बुजुर्ग पीढी प्रोत्साहित करैत कमी-कमजोरी केँ दूर करबाक लेल मार्गदर्शक केर भूमिका निर्वाह करी। कार्यक्रम मे नेपाली भाषाक प्राज्ञ दधिराज सुवेदी मैथिली भाषा एकमात्र संयुक्त आधार नेपाल आ भारत बीच रहबाक बात कहलनि। तहिना करुणा झा, स्वागताध्यक्ष अपन छोट स्वागत मन्तव्य मे दहेज मुक्त मिथिला नित्य छोट-छोट डेग उठबैत आबि रहबाक भावना रखैत आगन्तुक अतिथि लोकनिक भव्यापूर्ण स्वागत केलनि। कार्यक्रमक संचालन किसलय कृष्ण ओ कार्यक्रम संयोजक प्रवीण नारायण चौधरी संयुक्त रूपे केलनि। बेसी सँ बेसी वक्ता-कवि आदिक सहभागिता करबितो कतेको नामी-गिरामी आ आवश्यक प्रस्तुति छूटि जेबाक त्रुटि सेहो भेल, जेकरा भविष्य मे क्रमश: सुधारोन्मुख बनेबाक बात आयोजक दहेज मुक्त मिथिलाक समस्त सदस्य स्वीकार केलनि
विराटनगर, 
प्रवीण नारायण चौधरी

शनिवार, 19 जुलाई 2014

मिथिला राज्य किऐक?

मिथिला राज्य किऐक?

   
 भारत स्वतंत्र भेलाक बाद संघीय गणतांत्रिक राष्ट्र बनल, केन्द्र तथा राज्य सरकार द्वारा संविधान केर शासन सँ देश संचालित हेबाक निर्णय भेलैक। मिथिला भारतक अभिन्न हिस्सा आदिकालीन इतिहास, पूर्ण संस्कृति, संपन्न आ विकसित भाषा, लोकसंस्कृति, विशिष्ट पहिचान सहित केर क्षेत्र रहल अछि। इतिहास मे 'मिथिलादेश, बज्जिप्रदेश, तिरहुत, विदेहराज्य, आदि' नाम सँ सुविख्यात मिथिला केँ राज्य (प्रान्त) रूप मे मान्यता पेबाक माँग लगभग १९०५ ई. सँ कैल जाइत रहल अछि। अन्ततोगत्वा १९१२ ई. बिहार नाम सँ एक प्रान्त विभिन्न संस्कृति केँ एकत्रित रूप मे ब्रिटीश भारत मे बनल जाहि मे मिथिला क्षेत्र केँ सेहो गाँथि देल गेल।

एक तरफ बर्बर अंग्रेजी हुकुमत सँ परतंत्र भारत स्वाधीनताक संग्राम लडि रहल छल तऽ दोसर दिशि भारतीय दर्शन, मूल्य, मान्यता आ पहिचानक विशिष्टताकेँ नष्ट करबाक लेल भिन्न‍-भिन्न तरहक शासनादेश पारित होइत छल। एहि बीच मिथिलाक आदिकालीन इतिहास पर मध्यकालीन भारतक मगध सम्राज्य केर वर्चस्व केँ थोपैत बंग प्रान्त सँ इतर बिहार प्रान्त जाहि मे मिथिला, मगध, कोसल (उडीसा), झारखंड, भोजपुर केँ इकट्ठा राखल गेल। राजनैतिक रूप सँ चेतनशील जनमानस बिहार सँ अलग उडीसा आर झारखंड पाबि चुकल अछि, मुदा निरंतर संघर्षरत मिथिला विद्वान् समाज द्वारा उठायल गेल पृथक मिथिला राज्य केर माँग आइ धरि अधर मे लटकल अछि।

बिहार निर्माणक सौ वर्ष पूरा भऽ चुकल अछि। मिथिला लिपि विलुप्त, मैथिली भाषा मृत्युक कगार पर, मिथिला क्षेत्रीय पौराणिक धरोहर मटियामेट, लोकसंस्कृति पर पलायनक खतरनाक जहरीला दंश सँ लहुलुहान मिथिलावासी अपनहि सँ अपन पहिचान बदलबाक घृणित अवस्था मे प्रवेश पाबि चुकल अछि। जाहि मैथिली भाषाक ओज विश्व केर अन्य भाषा केँ सेहो समुचित मार्गदर्शन केलक, आइ वैह मैथिली विपन्न सृजनशीलता सँ रुग्ण अछि। बहुत देरी सँ भारतीय संविधान द्वारा एहि भाषा केँ सम्मान देल गेल, मुदा एहि नाममात्र सम्मान सँ क्रियात्मक योगदान हाल धरि नगण्य राखि केवल मिथिलाक पहिचान केँ नष्ट करबाक खतरनाक षड्यन्त्र बुझाइत अछि, हर तरहें मानू 'बिहारी उपनिवेशवाद' केँ जबरदस्ती मिथिला पर लादल गेल हो। समय-समय पर राजनीतिक विचार-विमर्शमे मिथिला राज्य केर निर्माण सन्दर्भ उपरोक्त चिन्ता केँ मनन कैल गेल अछि, मुदा हर बेर मिथिलाक विरुद्ध निर्णय सँ अवस्था जस केँ तस बनल अछि, बरु दिन-ब-दिन आरो बेसी चिन्तनीय बनल जा रहल अछि।

१९४७ ई. मे भारतक स्वतंत्रता प्राप्ति भेला पर स्वशासन मे प्रवेश राष्ट्र केर नीति-निर्माता राज्य गठन हेतु विचार-विमर्श शुरु केलनि। भाषा तथा भौगोलिक पहिचान केर आधार पर राज्य बनेबाक निर्णय बहुत पहिनहि सँ रहल, एहि आधार मे आरो नव नीति जेना राज्यक निर्माण जँ लोकहित मे होइ, राष्ट्रक अखण्डता पर असर नहि पडैक, जनभावना अनुरूप नव राज्य बनय; मोटामोटी एहि नीति संग नया राज्य केर निर्माणक निर्णय कैल गेल छल। भारतक विभिन्न भाग मे राज्य बनेबाक लेल आन्दोलन सबहक परिणाम जे सरकार द्वारा राज्य पुनर्गठन आयोग केर गठन कैल गेल। नव अधिनियम पास कैल गेल। किछु नव राज्य सेहो बनायल गेल। मुदा मिथिलाक माँग केँ 'जनभावना अनुरूप' नहि कहि १९५६ मे नकारल गेल। नकारबाक लेल एक महत्त्वपूर्ण कारण इहो छल जे 'मैथिली भाषा' केँ भारतीय भाषाक मान्यता प्राप्त सूची मे ताहि दिन स्थान नहि छल, माँग मात्र उच्च शिक्षित वर्ग द्वारा उठाओल गेल छल, नहि कि आम जनमानसक एहेन कोनो इच्छा अछि, बिहार मे रहितो एहि क्षेत्रक विशेष ध्यान राखल जा सकैत छैक, आदि आधार पर मिथिला राज्य अस्वीकारल गेल छल।

परिणाम सोझाँ अछि जे मिथिलावासी मैथिलीभाषी मैथिल आइ बिहारी बनि अपनहि भूमि सँ पलायन करय लेल मजबूर छथि आर मिथिलाक समस्त लोकसंस्कृति विलोपान्मुख बनि गेल अछि। लोकपलायनक विस्फोट एहि क्षेत्र लेल अभिशाप प्रमाणित भऽ चुकल अछि। एहि जहरक प्रभाव लगभग मिथिलाक मृत्यु तय कय देने अछि।

जँ मिथिला राज्य केर गठन नहि होयत तऽ एकरा बचेनाय असंभव अछि, कारण बिहार मे आर्थिक उपेक्षा सँ लैत आधारभूत संरचनाक विकास सेहो पूर्णरूपेण ठप्प पडि गेल अछि, बिहारक समस्त बजट विनियोजन मात्र पटना आ दक्षिणी बिहारक क्षेत्र मे केन्द्रित अछि। मिथिला क्षेत्र मे जेहो मिल, उद्योग, व्यवसाय आर आर्थिक आधार सब छल तेकरा क्रमश: क्षय कैल जा चुकल अछि, जे जातीय सौहार्द्रता सँ सामाजिक विकास केर स्वस्फूर्त संरचना सब छल ओ सब बिहारी जातिवादी राजनीति केर भुमरी मे चौपट भऽ चुकल अछि। आइ मिथिला लोकविहीन आ आपसी ईर्ष्या-द्वेष सँ भरल समाज संग अपन भविष्य लेल कुहैर-कुहैर कानि रहल अछि।

मिथिला राज्य एकमात्र समाधान, कारण स्वशासनक अधिकार भारतीय गणतंत्र केर संविधान द्वारा न्यायसंगत मानल गेल छैक। मिथिला क्षेत्रक भरपूर विकास लेल मिथिलाक अपन सरकार, अपन कोष, अपन योजना आ मिथिलाक अपनहि लोकनेता बनैत कल्याण कय सकैत अछि। आउ, सिलसिलेवार नजरि दी किछु महत्त्वपूर्ण विन्दु पर:

१. राज्य पुनर्गठन आयग जे भारत सरकार द्वारा गठित छलए करीब ६० साल पूर्व अपन रिपोर्ट मे कहलकैक जे मैथिली भाषा संविधानक अष्टम् अनुसूची मे दर्ज नहि अछि ताहि हेतु मिथिला राज्यक निर्माण संभव नहि अछि।

२. २२ दिसम्बर, २००३ केँ मैथिली संविधानक अष्टम् अनुसूची मे स्थान प्राप्त कएलक, तकर बाद मिथिला राज्य केर निर्माणक मार्ग संवैधानिक रूप मे प्रशस्त भऽ चुकल अछि।

३. मैथिली भाषा-भाषी जनसंख्या जकर संख्या भाषाई आधार पर बनल राज्य यथा कश्मीरी, मणिपुरी, पंजाबी, आसामी, मलयाली, कन्नड सँ बहुत बेसी अछि।

४. हमरा सबसँ बेसी भाषा बजनिहार केवल हिन्दी, उर्दू, तेलगु, मराठी, तमिल तथा बंगला भाषाभाषी अछि। एहि हिसाब सऽ संपूर्ण देश मे सातम बहुसंख्यक भाषाभाषी समूह हम सब छी। भारतीय संविधान केर अन्तर्गत प्रदत्त अधिकारक तहत त्वरित कार्रबाई कय हमरा सब अलग राज्य केर अधिकारी छी, परन्तु हमरा सबकेँ एहि अधिकार सँ वंचित राखल गेल अछि।

५. मिथिला राज्य केर पक्ष मे एकटा और महत्त्वपूर्ण विन्दु मैथिली भाषाकेँ विशिष्ट वर्णमाला अछि जे तिलकेश्वरस्थान महादेव मन्दिर २०३ AD मे वर्णित अछि। ई देश केर कुनु भाषा सँ पुरान भाषा अछि, परन्तु हिन्दी (देवनागरी) आ बंगला मिथिलाक्षर सँ बादक वर्णमाला अछि।

६. आधुनिक प्रजातांत्रिक देश केर पहिल शर्त कल्याणकारी राज्यक रूप छैक, तकर आधार प्राथमिक शिक्षा जे मातृभाषा मे हेबाक चाही। आधुनिक भारतक ओ राज्य जकर प्राथमिक शिक्षा अपन मातृभाषाक माध्यम मे छैक से सब रूपे विकसित राज्यक श्रेणीमे आबि गेल अछि। परन्तु मिथिलाक अन्दर जतय प्राथमिक शिक्षाक माध्यम हिन्दी अछि ओतय स्कूलक ड्राप-आउट देशे नहि अपितु संसार मे सबसँ बेसी अछि। ओहि ड्राप-आउट (बीच मे पढाई छोडनिहार) केँ रोकबा लेल राज्य सरकार आ केन्द्र सरकार आर्थिक प्रोत्साहन दऽ रहल छैक। लेकिन कोनो सरकार लग एकर स्थायी इलाज जे प्राथमिक शिक्षा अपन मातृभाषा मे हेबाक चाही तकर योजना नहि अछि। एकर उदाहरण बिहार सरकार द्वारा एक लाख शिक्षक केर नियुक्तिक सन्दर्भ विधान परिषद् मे शिक्षा मंत्री द्वारा निर्लज्जतापूर्वक देल स्वीकारोक्ति अछि जे मैथिली शिक्षक केर नियुक्तिक प्रावधान सरकार लग नहि अछि।

७. किछु भ्रान्ति जे भाषाई आधारपर मिथिला राज्यक गठन सँ जे हिन्दीभाषी छथि से कमजोर हेतैक, से सम्पूर्ण रूपेण भ्रामित करयवला सोच अछि। किऐक तऽ देशक आबादीक एकटा पैघ हिस्सा अगर निरक्षर आ अविकसित रहत तऽ वैश्विक शक्ति बनेक भारतक अवधारणा हास्यास्पद भऽ जायत। ठीक एकर उनटा मिथिला राज्यक गठन सँ ओकर प्राथमिक शिक्षा केर माध्यम मातृभाषा बनत, जाहि सँ मिथिलाक विकासक संग देशक विकास हेतैक।

८. आजादी केर लगभग ७० वर्ष भऽ गेल मुदा मिथिला मे एकोटा बडका औद्योगिक युनिट नहि लागल, उनटे ब्रिटिश कालक सम्पूर्ण उद्योग-धंधा बन्द कय देल गेल जकर दुष्प्रभाव ई भेल जे मिथिला सस्ता आ अकुशल श्रमिक आपूर्तिक क्षेत्र मे परिणति पाबि गेल। एहि तरहें एतुका जोन-बोनिहारकेँ देशक विभिन्न भागमे प्रवासक दौरान सब तरहक अपमान, गारि आ गंभीर शोषण केर सामना करय पडैत छैक।

९. कृषि क्षेत्र केँ एकटा व्यापक षड्यंत्रक तहत बर्बाद कएल गेल। मिथिलाक कृषिक सन्दर्भ मे राज्य सरकार आ केन्द्र सरकार केर योजना बनौनिहार एतुका प्राकृतिक-भौगोलिक अवस्था केँ नजरअन्दाज कएलन्हि। सडक तथा रेल मार्गक निर्माण एवं बाढि नियंत्रण केर नाम पर मिथिलाक मूल पूँजी जलस्रोत जे विभिन्न हिमाली नदी सँ प्राप्त होएत रहल तेकर सबहक प्राकृतिक बहाव केँ तोडि-मोडि स्वस्फूर्त जल-सिंचन, जल-भंडारण आदि केँ ध्वस्त कय देल गेल।

१०. जलस्रोतक समुचित दोहन नहि कय अदूरदर्शी योजना सँ जनहित केँ बड पैघ अप्रत्यक्ष नोकसानी देल गेल। आइ मिथिला मे भूमिगत जलस्तर तक घटि गेल अछि, मिथिला सँ मत्स्य-कृषि गायब भऽ चुकल अछि, पनबिजली, सिंचाई, सेहो सुव्यवस्थापित नहि अछि। एहि सँ जनजीवन दूरगामी प्रभाव सँ प्रभावित भेल अछि। यदाकदा प्रकृति विरुद्ध कार्य भेलाक दुष्परिणाम बाँध टूटनाय सँ जल-प्रलय केर रूप मे महाविनाशकारी बाढि तथा बाढिजनित विभिन्न प्रकोप सँ जनसमुदाय क्षति केँ भोगैत छथि।

११. १९म शताब्दी धरि मिथिला चाउरक सबसँ पैघ उत्पादक आ निर्यातक केन्द्र छल। मात्र मयानमार (वर्मा) मिथिला सँ बेसी धान उपजबैवला देश छल। तकरा एकटा सुनियोजित षड्यंत्रक तहत बर्बाद कएल गेल।

१२. आइ एतेक वृहद जनसंख्याक पालन-पोषणक आधार नहिये कृषि अछि आ नहिये उद्योग अछि। एतेक पैघ जनसंख्या पलायन लेल मजबूर अछि। अकुशल श्रमिक द्वारा भेजल गेल पैसा पर जीवन-यापन करैक लेल मजबूर अछि।

१३. एकर एकमात्र कारण राजनेता तथा अफसरशाहीक औपनिवेशिक सोच आ क्रियाकलाप अछि जकर एकटा उदाहरण मिथिलाक बैंकिंग प्रणाली अछि। क्रेडिट डिपोजिट रेशियो मे मिथिलांचलक बैंक मे जमा कएल पैसा मिथिलाक विकास मे नहि लागि कऽ मुम्बई आ दिल्लीक स्टाक एक्सचेन्ज मे जाइत अछि। एकर अर्थ अविकसित गरीब मिथिलाक लोकक पाइ विकसित राज्यक आगाँक विकास लेल खर्च कएल जाइत अछि। ई एहन निर्धन क्षेत्रक निवासीक घोर शोषणक उदाहरण अछि।

१४. मिथिलाँचलक अवाम एखन तक कोनो उग्रवाद, अतिवाद आ माओवाद सँ प्रभावित नहि भेल अछि। कि भारत सरकार एहि शांतिवादी-सहिष्णुवादी समुदायकेँ निरन्तर आर्थक शोषण सँ उग्र आन्दोलनक रास्ता पर जेबाक लेल मजबूर कय रहल अछि?

१५. सुगौली संधि (१८१६) मे मिथिलाँचलक हृदयकेँ दू फाड कऽ देलक, हलाँकि हालहि नेपाल गणतंत्र मे परिणति पाबि नव संविधान बनेबाक प्रक्रिया अन्तर्गत संघीयताक स्थापना लेल प्रयासरत अछि आ ओतहु मिथिला राज्य केर स्थापनाक माँग वर्तमान संविधान सभा द्वारा विचाराधीन अछि।

१६. पछिला संसदक विभिन्न सेशन मे ०६.१२.२०१० सँ १३.१२.२०१० तक १९२ घंटाक धरना कार्यक्रम संपन्न भेल अछि आ हाल धरि हरेक सेशनक प्रथम दिन रूटीन धरना द्वारा मिथिला राज्य केर माँग निरन्तरता मे राखल जा रहल अछि।

१७. पन्द्रहम लोकसभा अन्तर्गत दरभंगा सँ सांसद कीर्ति झा आजाद द्वारा मिथिला राज्यक माँग लेल प्राइवेट मेम्बर बिल "बिहार झारखंड रिआर्गेनाइजेशन बिल" सेहो संसदक पटल पर राखल जा चुकल अछि।

१८. सोलहम लोकसभा जे देश भरि द्वारा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद केर विशाल समर्थन प्राप्त केलक अछि ताहि मे ५ लोकसभा सदस्य द्वारा मैथिली भाषा मे शपथ-ग्रहण करैत मिथिला राज्यक माँग केँ अग्रसर कैल गेल अछि आ दर्जनों सांसद एहि लेल अपन समर्थन स्वीकारोक्ति देने छथि।

सूचनार्थ:अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति विभिन्न मैथिली भाषा-भाषीक संगठनक समुच्चय अछि। ई तमाम राजनैतिक दल तथा समाजिक संगठन कय मिथिला राज्यक एजेन्डा पर कार्य करैक लेल आग्रह करैत अछि।

Pravin Narayan Choudhary


बुधवार, 18 जून 2014

दिल्ली मे मैथिली पठन-पाठन केँ मान्यता

दिल्ली मे मैथिली पठन-पाठन केँ मान्यता
     शिक्षारूपी तपस्याक फल 'अनुशासन' होइत छैक। अनुशासनक सर्वोत्तम आ प्राकृतिक शिक्षा मातृभाषा मे सर्वोत्कृष्ट होइत छैक। भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक तथा अनुसंधान परिषद् द्वारा जाहि शिक्षा पद्धति सँ विद्यालय मे पठन-पाठन कैल जाइछ ताहि मे सर्वप्रथम 'भाषा' ज्ञान अबैत छैक, क्रमश: गणित, विज्ञान, समाजिक शिक्षा, कला (ललितकला, संगीत, गायन, नृत्य, आदि) शिक्षा, स्वास्थ्य आ शारीरिक शिक्षा प्रारंभिक अवस्था केर विषय-वस्तु होइत छैक।
दिल्ली विद्यापति सेवा संघ केर प्रयास दिल्ली शिक्षा बोर्ड, दिल्ली विधानसभा, भारतीय राष्ट्रीय शैक्षणिक तथा अनुसंधान परिषद् सहित सम्बन्धित जनसमुदाय तथा जनप्रतिनिधि सबहक संग 'भारतीय संविधान द्वारा प्रदत्त नागरिक न्याय' पेबाक लेल आइ दिल्ली क्षेत्र मे रहि रहल लाखों मैथिल (मैथिलीभाषी) लेल विद्यालय मे मैथिली विषय पढेबाक माँग पूरा करौलनि। कोनो माँग केँ पूरा करबाक लेल बहुत रास आधार सेहो पूरा करय पडैत छैक। जेना, मैथिली मे पढाई केकरा लेल.... कतय... कतेक संख्या... संवैधानिक आधार कि.... भाषा-विज्ञान तथा शिक्षण-प्रशिक्षण विषय सामग्री बनेनिहार विज्ञ टोलीक निर्णय कि.... विभिन्न समय मे विधायिका केर एहि दिशा मे कि कहब भेल, कि कहियो न्यायपालिका द्वारा कोनो रूलिंग देल गेल, इत्यादि। हम जानबाक प्रयास केलहुँ जे उपरोक्त संस्थान अखिल भारतीय मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति केर सुनिश्चित अगुवाई, मार्गदर्शन आ सहयोग सँ कोना-कोना एतेक पैघ माँग केँ पूरा करौलनि, एहि संवादक संग किछु रास फोटो-कपी दऽ रहल छी जाहि सँ पाठककेँ सेहो हमरहि दृष्टि सँ समस्त आधार आ विज्ञ जानकारी ग्रहण करबाक पूरा अवसर भेटय।
संछिप्त मे, भारतीय गणराज्य जतय संविधान केर शासन अछि, ओ एहि लेल सर्वथा न्याय दैत अछि अनुच्छेद ३५०ए मे, सबकेँ मातृभाषा मे शिक्षा पेबाक अधिकार अछि। यैह आधार पर बिहार जतय मूल मिथिला अछि ताहि मे मैथिली माध्यम सँ मैथिलीभाषीकेँ पठन-पाठन लेल इन्तजाम करबाक कानूनी संघर्ष डा. जयकान्त मिश्र द्वारा उच्च आ सर्वोच्च न्यायालय सब ठाम जीतल गेल, तथापि बिहार सरकार आइ धरि कोनो खास व्यवस्थापन नहि मिला सकल अछि, बस कय रहल छी आ करबाक अछि कहैत मात्र अन्ठबैत जा रहल अछि। तहिना भिन्न-भिन्न समय मे भाषा-विज्ञान तथा विषय-वस्तु निर्माण समिति द्वारा सेहो मातृभाषा केर शिक्षा माध्यम सर्वोत्तम रहल कहल गेल अछि। भारतक अन्य-अन्य राज्य मे सेहो जे कियो मातृभाषी अपन मातृभाषाक माध्यम सँ अपन धिया-पुता केँ शिक्षा लेल विद्यालय केर व्यवस्था करौने छथि वा विद्यार्थीक संख्या अनुरूप शिक्षक केर इन्तजाम करौने छथि। एहि मामिला मे मैथिल भारतीय संविधानक मान्यता प्राप्त भाषा रहितो अपन स्वयंकेर पछता बुद्धि केर कारण पछुआयल छथि। हालहि २००३ मे संविधानक आठम अनुसूची मे एकरा सम्मानित केलाक बाद चारूकात सुरफुरी जरुर छैक मुदा जे गुदगुदी हेबाक चाही से जेना अधमरू बनि गेल छैक।
मैथिली मे पठन-पाठन हेतु पाठ्य-सामग्रीक विकास दोसर चुनौतीपूर्ण कार्य छैक। जँ हिन्दी पुस्तक केँ अनुवाद करैत मैथिली पढेबैक तऽ भाषाक ज्ञान हेतैक, मुदा मिथिला आ मैथिल अस्मिताक जानकारी केर सर्वथा अभावे रहि जेतैक जाहि सँ अपन आत्मसम्मान बढेबाक मातृभाषाक योगदान वला नीति विफल रहि जेतैक। अत: जरुरत एहि बातक छैक जे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक प्रतिनिधि अनुप चौधरी तथा मनोज झा द्वारा पटना मे अनशन केलाक उपरान्त राज्य शिक्षा निदेशालय जाहि बातक समझौता केलकैक तेकर पाछू संघर्ष बढबैत पटना मे सेहो मैथिली केँ स्थापित करैत पाठ्य-सामग्री विकास कैल जाय। दिल्ली मे एहि माँग केँ पूरा होइते बनारस, नागपुर, मुंबई, चेन्नइ, पंजाब, राजस्थान, कलकत्ता, आसाम सहित समस्त देश मे मैथिली केँ स्थापित कैल जा सकतैक। तहिना केन्द्रिय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा सेहो मैथिली विषय केँ मान्यता देबाक कार्य शीघ्र हेतैक। ई मानल बात छैक, जखनहि अपन भाषा, अपन भेष, अपन मूल्य, अपन सिद्धान्त सँ लोक परिचित होइत अछि तखनहि ओकर आत्मसम्मान सेहो अभिवृद्धि पबैत छैक।
दिल्ली विद्यापति सेवा संघ केँ एतेक पैघ सफलता लेल धन्यवाद देनाय प्रत्येक मैथिलक फर्ज बुझा रहल अछि। अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति आ दिल्ली भरि मे पंजीकृत सैकडों संघ-संस्था संग सहकार्य करैत आगामी सर्वे मे प्रत्येक मैथिलीभाषी परिवार द्वारा अपन बाल-बालिका केँ मैथिली विषय पढेबाक लेल अनुरोध पत्र उत्तरी दिल्ली नगर निगम केर हरेक विद्यालय मे जमा हेबाक चाही। एहि सँ लाखों लोक हेतु रोजगार सेहो बढतैक। लेखक, विचारक, टंकक, मुद्रक, छापा, शिक्षक, आदि केर बड पैघ वैकेन्सी (रोजगार सूचना) निकलतैक। मैथिली रजनी-सजनी केर भाषा सँ रोजी-रोटीक भाषा बनतैक, ई मिथिलावासी लेल बड पैघ कल्याणक विषय होयत।
जय मैथिली! जय मिथिला!!

शनिवार, 8 फ़रवरी 2014

मिथिला - पहिने आ आब: एक छोट समीक्षा

         मिथिला - पहिने आ आब: एक छोट समीक्षा


       पहिने मिथिलामे नदी सब बान्हल नहि रहैक, एकर पाइन नव-नव पाँक-माइट आ नव अनाज-उत्पत्तिक जोगार संग बेसी रास खेत मे पहुँचि जाय, तहिना सैकडों तरहक मत्स्य (माछ), घोंघा, सितुआ, सिगहार, सेमार, काउछ आ तरह-तरहकेर नव जीवन-आधारक प्रवेशसँ समूचा मिथिलाक पोखैर, डबरा, चभच्चा आदिकेँ भरने रहैत छलैक। लोक गद्दर चाउर सँ लैत बिरनफूल-बासमतीतककेर उत्पादन करैत माछ-काउछ-घोंघीझोर सँ सेहो सन्तुष्टि पबैत छल। सवा कट्ठा एक परिवारक भरण-पोषण लेल काफी होइक। आब ओहि पाइनकेँ बान्हसँ बान्हि सीधा गंगाजी आ फेर सीधा गंगासागर समुद्रमे खसायल जाइछ। पाइनसँ संस्कार बनैत छैक। ई कहबी सुनैत रही - ओ सच भऽ गेलैक अछि। आब सगरो बाहरी कमाईसँ जीवन-निर्वाहक हवा चलि रहल छैक। गाममे रहनिहार बेवकूफ कहाय लागल छैक। आब आध्यात्मिकताक ठामपर भौतिकता सवारी कसैत छैक। आधुनिक मिथिलाक निर्माणमे गंभीर शोध आ बड पैघ परिवर्तनक जरुरत छैक। 
  
      मिथिलामे नदी ऊपर बाँध बनाबय के योजना कोना बनल? उपलब्ध जानकारी आ शोधपत्र सँ ज्ञात होइत अछि जे ब्रिटिश ईन्डिया सरकार मिथिला क्षेत्रकेँ जलमग्न आ बाढिग्रस्त मानैत एक मेगा प्रोजेक्ट तैयार केलक जेकरा लोक 'वैभेल प्रोजेक्ट' केर नामसँ जानैत अछि। लेकिन जाबत एहि परियोजनापर काज शुरु होइत ताबत भारत स्वतंत्र भेल आ भारतीय नेतृत्व स्वराज्य पबैत तात्कालीन राजनीतिक उग्रपाँति (यानि पंजाब ओ बंगाल) सबकेँ तुष्टीकरणमे हत्त-पत्त वैह वैभेल प्रोजेक्ट लेल छूटायल बजेट बिहार मे खर्चा नहि कय भाखडा नांगल ओ दामोदर घाटी परियोजनाकेँ स्वीकृति दैत उपेक्षाक सबसँ पहिल डाँग हमरा लोकनिपर बरसेलक। अफसोस जे एहि तरहक डाँगक प्रतिकार पर्यन्त मिथिलावासी या बिहारवासी नेतृत्त्व पाँति कोनो खास नहि केलनि। जरुर बिहारक पहिल मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण बाबु एहि लेल बिहारक प्रभावशाली नेता डा. राजेन्द्र प्रसादकेँ पत्र लिखलनि, मुदा ताहि समय धरि राजेन्द्र बाबु आर एकटा विशिष्ट समूह सरदार बल्लभभाई पटेलकेर पक्षमे रहबाक चलते संस्थापन पक्ष यानि नेहरुजी सँ दूर रहबाक चलते मात्र अफसोस प्रकट करैत एहि लेल सीधा प्रधानमंत्री नेहरुसँ पत्राचार करबाक अनुरोध करैत बात अन्ठा देलनि। 
  
      लेकिन बात धीरे-धीरे चर्चाक विषय बनल आ ओहि वैभेल परियोजनाक नामपर वगैर कोनो तरहक विशेष शोध या विचार केने भारत सरकार कोसी बाँध परियोजना अनैत लगभग वैह तर्ज सँ आ कोसी प्रोजेक्टकेर स्थापना करैत सब नदीपर बाँध बान्हि लोककेँ फुसलाबैत-बहलाबैत मिथिलाक बर्बादीक एक पटकथा तैयार करैत काज शुरु करौलनि। एम्हर बाँध परियोजनासँ एक सऽ एक ठीकेदार - जमींदार सब अठन्नी अपना लेल अठन्नी काज लेल सूत्रपर ब्रह्मलूट मचौलक आ अन्ततोगत्वा मिथिलाक भविष्य ५६ फाटकवला कोसी बराजक स्वीचपर लटका देल गेल। जँ समीक्षा कैल जाय आ खर्चाक शुरुसँ अन्त धरि जोडल जाय तऽ ई बात स्पष्ट होयत जे आम जनमानसकेर कल्याण मात्र कागज मे आ राजनीति करबा लेल ब्रह्मलूटक एक नीक साधन एहि बाँध परियोजनामे रहल। हम एकर विस्तृत प्रभाव मिथिलाक शनै:-शनै: मृत्युक दिशामे गमनरूपमे सेहो देखैत छी। नहिये पनबिजली, नहिये सिंचाई लेल उपयुक्त नहर, नहिये पोखैर व छोट-छोट नदीकेँ निरन्तर पाइन भेटबाक जोगार, नहिये मत्स्य-मखानक विस्तृत कृषि आ नहिये मिथिलावासीक लेल मिथिलामे कोनो तरहक स्वरोजगारक नव बाट - एतय तक जे पहिले रहल सेहो बर्बाद होइत लोक पलायन करय लेल मजबूर आ आन राज्यमे जाय सस्ता मजदूरी करैत अपन बाल-बच्चाकेँ पोसय लेल मजबूर निरीह मैथिल बिहारी बनि आसाम, पंजाब, बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात आदि राज्यमे माइर-गाइर खाइतो जीवन चलबैत अछि। 

पहिले पलायनक मात्रा न्यून छल, लेकिन जेना-जेना बिहारक सूरज जातिवादिताक भुमडीमे फँसैत गेल, तहिना-तहिना सक्षम व समृद्धवर्ग सेहो गाम छोडि अपन पूँजी समेत मिथिलासँ पलायन करबाक बाट निकालय लगलाह। गाम आरो विपन्न बनि गेल। लोक बोनि-मजदूरी करय लेल पर्यन्त लजाय लागल। खेत - खरिहान सब मशानमे परिणति पाबय लागल। पतझड केर मौसम मिथिलामे अपन कहर बिहारी राजनीतिक कूचाइलसँ चारू कात कनकन शीतलता पसारय लागल। यैह कारण छैक जे २०१३ मे आब मिथिलाक युवा तुरिया सेहो अपन सोराज बिना किछु संभव नहि अछि से सोचि मिथिला राज्य आन्दोलन तीव्र केलक।
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Pravin Narayan Choudhary 

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

बुधियार छौंडा आ राजनीति

बुधियार छौंडा आ राजनीति

              फूलचन्द्र शर्मा 'श्रोत्रिय' - प्रेमसँ पुकारल जाइत रहल फूलबा! खचरक आइड जे धियापुताक नंगटइक कारण विशेषण भेटैत छैक ताहिसँ विभूषित। विद्यालयमे पहिल घंटीसँ अन्तिम घंटीतक खुरापाती दिमागसँ किछु टेनामनी करिते टा छल। कखनहु कियो तऽ कखनहु कियो ओकर शिकायत मास्टरसाहेबकेँ कहैत छलन्हि आ २ छडी मारैत ओकरा दोबारा फेर ओ गलती करबाक लेल नहि कहि कक्षामे पठा देल जाइत छलैक। लेकिन ओ छौंडा चोटभुस्सूक बनि गेल छल, तैयो दिमाग ओकरा बुझबैत रहैक जे वैह गलती नहि लेकिन दोसर तँ कैले जा सकैत छैक... कि हेतैक, २ छडी आरो सही, लेकिन गलती पर गलती करैत रहि गेल फूलबा। एवम् क्रमसँ ओ जखन मैट्रीकमे गेल तऽ एक दिन ओकरा विद्यालयकेर सबसँ बेसी लोकप्रिय मास्टरसाहेब बजाकय कहलखिन जे देख फूलबा, भले बदमस्तीमे मुदा तोहर दिमाग कम नहि छौक। तोँ जँ चाहमे तऽ ओतबा बुधियार बनि सकैत छेँ! ई बात ओकरा बुझबामे सेट कऽ गेलैक। ओ तहिये हँसैत मास्टरसाहेबकेँ देखैत रहल चुप्पे मुदा मोने-मन धरि शप्पथ खा लेलक जे आब बुधियार बनबाक नवका प्रयोग जरुर करत। देखा चाही जे बुधियार बनि कय कि होइत छैक!


हौ बाबु! ओ तऽ सही मे तेना बुधियार बनि गेल जे आब ओकरा बिना कक्षा सून्न लागय लगैक। सब मास्टरसाहेब भालचन्द्र बाबु (लोकप्रिय मास्टरसाहेब)केँ बेर-बेर धन्यवाद देथिन जे अपने जहियासऽ ओकरा गुरुमंत्र देलियैक तहिया सऽ तऽ फूलबा मानू जे एकदम आदर्श विद्यार्थी बनि गेल अछि। कतेक बेर फूलबाक सोझाँमे सेहो प्रशंसा करबासँ लोक नहि चूकैत छल। चारूकात तूती बाजय लागल - बुधियार फूलबा, बुधियार फूलबा..... एम्हर फूलबा धरि मोने-मोन बदमाशे छल आ सोचैत छल जे देखियौ, मात्र नाटक पर तऽ लोकक ई हाल छैक जे बुधियार-बुधियार के रट्टा मारैत रहैत अछि। कनेक आरो प्रयोग बढा दैत छी। देखा चाही जे बुधियारक सीमा कि होइत छैक। ओ आब मोनिटर बनिकय कक्षाक सब विद्यार्थी सबहक नेता बनि गेल। एक-एक विद्यार्थीकेर समस्याकेँ अपन जिज्ञासा सँ बुझैत ओकर समाधान निकालबाक भरपूर चेष्टा करय लागल। केकरो लाइब्रेरीसँ किताब दियाबैक, तँ केकरो पुअर ब्वाइज फंडसँ परीक्षा फीस दियाबैक.... होइत-होइत फूलबा आब भैर विद्यालय केर एकछत्र नेता बनि गेल छल। हलाँकि विद्यालयमे ओकर ई रुतबा कनिये दिन रहलैक ताबत ओ टेस्ट परीक्षा पास करैत फाइनलकेर तैयारी लेल बहरा चुकल छल.... लेकिन ओकर बुधियारी आ राजनीति दुनू ताबे तक खूब प्रसिद्धि पाबि गेल छलैक। लोक प्रशंसा करैक, लेकिन फूलबा मोने-मोन हँसैत रहैत छल। ओकरा तऽ एखनहु बदमाशिये बुझाइत छलैक, कारण ओ बुधियार तऽ बस देखबय लेल बनि गेल छल, भीतर तऽ ओ खचरइ ओहिना छलैक, बरु ओकरा एना लगैक जे आब ओकर ओ खच्चरपन जुआन भऽ गेल छलैक। ओकरामे बहुत रास नव प्रयोगक यानि बुधियार बनबाक देखाबटीक चलते आरो परिपक्वता बढि गेल छलैक। 

आब ओ कालेजमे पहुँचि गेल आ शहरक कालेज जतय अलग-अलग गामसँ छात्र-छात्रा सब आयल छलैक ततय ओकरा एना लगलैक जे कियो चिन्हि नहि रहल अछि.... से फेर शुरु तँ बदमाशिये सँ करय पडत। कारण एतय के-कतेक बुधियार अछि तेकर पहिचान होयबामे कनेक समय लागि जायत। लेकिन बदमस्ती करैत शुरु करब तऽ बड जल्दी पोपुलर भऽ जायब। ओ सोचैत-सोचैत निर्णय केलक जे आब ओ धियापुतावला बदमस्ती करब से नहि शोभा देत... तऽ आब जे फर्स्ट ईयरवला बदमस्ती होइत छैक.... यानि फिल्म फूल आ काँटा मे जेना अजय देवगन करैत छैक तेना करब आ कलेजिया छात्रा सबसंग हिरोपनी देखबैत शुरु करब। खूब स्टाइलमे कपडा पहिरब। बापक देलहा पाइसँ पहिने एगो हिरो रेन्जर साइकिल कीनब। बूटवाला जुत्ता आ जीन्स पहिरब। कहियो-कहियो मंगलहबो मोटरसाइकिल लेकिन वैह चढि कलेज जायब.... आदि। सहीमे फूलबा कनिये दिनमे कालेजमे सेहो प्रसिद्ध लफुआ बनि गेल। लफुवइ मे लेकिन ओकरा राजनीतिक जीवन खतरामे बुझेलैक.... तखन ओ तुरन्त दोसर रूप यानि विद्यालयकेर अनुभवसँ क्लासमे अपन लफुवे मित-मितनी सबहक झमेलाकेँ संबोधन करैत प्रोफेसर साहेब सब पर इम्प्रेशन आ क्रमश: अपन प्रभावशाली कुशाग्रतासँ जल्दिये ओ कालेजमे सेहो नेता बनि गेल। विद्यार्थीवाला कोनो संगठनमे ज्वाइन केलक आ फेर सीढी-दर-सीढी चढैत ओकर राजनीति चमैक गेलैक। मुदा ओ मोने-मोन आइयो बदमस्तीमे रमल छल। 

फूलबा ग्रेजुएशनकेर डिग्री लेलक आ ओकरा युवा नेता मानि एगो पार्टी (नवका) ओकरा चुनाव लडय लेल गछलकैक। फूलबा आब मुंगेरीलालवाला सपनामे अपन आँखि मिचमिचबैत बुझू जे कनाह बनि गेल छल। धरि ओ आब अपना केँ विधायक बनेबाक लेल पूर्णरूपेण तैयारीमे बदमाशी-बुधियारीक ब्लेन्ड जे ओ स्कूल-कालेजमे अपनौने छल से प्रयोग करबाक प्लान बनेलक। ओकरा लेकिन आब किछु बेसी मेहनत करय पडि रहल छलैक, कारण आब ओ सिविक-सोसाइटीकेँ फेस करय जा रहल छल आ ओकर इमैच्योरिटी ओकरा कतहु-कतहु गडबडा दैत छलैक। बा-मोस्किल ओ अपन युनिक ब्लेन्डकेर प्रयोग करय लेल आतूर बनि गेल। ओ ताइक-ताइक कय पुरनका स्थापित नेता सबहक डाटा सब डिकोड करय लागल। खने ओ विकासक डाटा तँ खने ओ निर्वाचनक डाटा सब पर काज करय आ दिन-राइत बदमस्ती-बुधियारीक ब्लेन्डसँ अपन खुरापात-होशियारी देखबय लागल। सिविक सोसाइटीमे सेहो ओकर विभिन्न घोषणाक असैर पडय लगलैक। आमसभाक चुनावमे ओ अपन भाग्य अजमेलक। ओहि ठाम लेकिन ओ पहिल बेर पास नहि भेल धरि तेसर स्थानमे रहल। लेकिन ओकर हिम्मत बनल रहलैक। बाबु, भैया सब ओकरा बोल-भरोस दैत रहल आ बेर-बेर प्रयाससँ एक दिन ओ नेता बनत से कहि ओकरा धैर्य रखबाक लेल कहल जाइत रहलैक। लेकिन फूलबाक मोने-मन हँसी लगैत रहलैक आ ओ अपन भितरिया बदमस्ती मुदा देखौटी होशियारी सँ क्षेत्रक सेवा रोजगार उपलब्ध करेबा आ सूचना केन्द्र खोलि सार्वजनिक हितक कार्य करैत रहबाक प्रण लेलक। फूलबाक भविष्य पर ध्यान छैक, ओ ऐगला चुनाव मे नहि प्रथम तँ दोसर जरुर आयत आ ताहि सँ ऐगला बेर ओ प्रथम पक्का बनत। तेकर बाद ओ अपन बदमस्ती-बुधियारीक ब्लेन्ड आधारित नव राज्य गठन करबा धरि अपन जीवनक लक्ष्य मानैत अछि। लेकिन ओ ततेक सोचैत अछि जे अपनो सोचलहबा कहियो कार्यरूपमे नहि अबैत छैक आ बेर भेलापर ओ बेसीकाल असफल बनैत अछि। धरि फूलबा हिम्मत नहि हारल अछि। 

क्रमश:......

      फूलबा सेहो ऐगला चुनावक इन्तजार कय रहल अछि आ हमर पाठक सेहो ताबत इन्तजार करता। लेकिन अपन प्रतिक्रिया धरि जरुर लिखता से अनुरोध अछि। हाँ, संयोगसँ फूलबा मिथिला राज्यक आन्दोलनमे सेहो जुडबाक योजना बना रहल अछि, ई बात लेखककेँ कानमे कहलकैन अछि। 

शनिवार, 3 मार्च 2012

मैथिली - मिथिला - मैथिल!


 मैथिली - मिथिला - मैथिल! 



नाम हमर छी मैथिल भैया, मिथिला हमर गाम यौ,
मैथिली भाषी हम सभ सगरो पसरल जग ओ जहान यौ!

एहि धरतीके पावन केलीह जगज्जननी सिया जानकी
जनक समान विदेहराज केँ पाहुन बनलैथ रामजी!
पुण्य भूमि मिथिलामें अयलाह एक पर एक विद्वान्‌ यौ,
मैथिली भाषी हम सभ सगरो, ...
नाम हमर छी मैथिल भैया, ...

कवि विद्यापति जन्म लेलनि रचैत साहित्यिक नव आइना
आनक देक्सी छोड़ू यौ जनगण गाबू निज देसिल वयना
एहि धरतीपर जन्म लेलनि जे जगके देखावथि राह यौ!
मैथिली भाषी हम सभ सगरो...
नाम हमर छी मैथिल भैया...

यैह थीक मिथिला जेकर बीज सँ राजनीति के ज्ञान बनल
लोहिया जेपी कर्पूरी ओ सूरज मिथिला दीपक शान बनल
देव-पितर-ऋषि-मुनिजन ज्ञानी कयलनि जग कल्याण यौ!
मैथिली भाषी हम सभ सगरो...
नाम हमर छी मैथिल भैया...

दिव्य संपदा केवल वाञ्छित नहि चाही जगछूल ढौआ
त्याग समर्पण नींब बनल वैह बेटा बनैछ कहैछ बौआ
आइ स्वार्थ में डूबि छै ढहल मिथिला किला महान यौ
मैथिली भाषी हम सभ सगरो...
नाम हमर छी मैथिल भैया...




शुक्रवार, 2 मार्च 2012

बसन्त ऋतुके



प्रकृतिके सुन्दर लीला - बसन्त ऋतुके आगमन आ बाग-बगिया सँ - बारी-झारी सँ - कलम-गाछीसँ - खेत-खरिहानसँ - चर-चाँचरसँ कोयलीके कू-कू कानमें पड़ैछ, आवाज एहेन सुरम्य - एहेन मीठ जे स्वतः मनमें मिश्री घोरैछ। जेम्हर देखू तेम्हर मादकता आ सरसता छलैक रहल अछि एहि सुन्दर सुहावन मौसममें। मिथिला के कण-कण मगन भेल रहैछ। मगन होयबाक बहुत रास कारण छैक। एहि मासके मधुमास सेहो कहल जाइछ - आममें मज्जड़ लागि गेल छैक आ रस टपैक रहल छैक, मौह सन कठोर काठके गाछ सेहो एहि मास फुलायल छैक आ फूलसँ रस एक सुन्दर भावभिनी सुगंधसँ सराबोर टपैक रहल अछि - समूचा वातावरण में जेना कामदेव किछु विशेष छटा पसैर देने होइथ, रति संग विचरण करैत समूचा संसारके अपन विशेष पुष्पवाणसँ बेध के कामित-कल्पित सुधारसमें डूबा देने होइथ। ऊपर सँ होलीके खुमारी - रंग-अबीर आ भांगक मद पसरि रहल अछि। मुनिगामें फूल - लिचीमें मज्जर - नेबो में मज्जर - सुन्दर-सुहावन फूल चारू दिस खिलल - सभ गाछ-वृक्ष नवपल्लवसँ लदब शुरु भऽ गेल अछि। वातावरणमें प्रकृति एहेन सुगंध पसारने आ ताहिपर सँ पछवा हवा के झोंक - ठोड़ धिपल, रक्त-संचार तीव्र, आँखि लड़लड़, प्रेयसी ओजसँ भरल चारुकात देखाय लागलि छथि। सजनीके कोनो वस्तु नीक नहि लागि रहल छन्हि - बस एकटकी सजनाके बाट जोहय लगलीह छथि। लोक के कि कहू - चरा-चुनमुनी-जीव-जन्तु सभ अपन बिपरीतलिंगीके तरफ आकर्षित होइत मानू प्रकृति द्वारा प्रदत्त विशिष्ट प्रजननशक्तिसँ लवरेज केवल किछु क्षण प्रेममें डूबय चाहि रहल अछि। हाय रे बसन्त! बसन्तके पूर्वैयाके शीतलता तऽ आरो मारूख! जनलेवा! बस स्नेहीजन अपन खोंतामें गुप्तवास-सहवास लेल आतूर छथि। कोयली के कुहू-कुहू एहि मस्त वातावरणमें प्राकृतिक संगीतके धुन भरैछ। अपन धुनसँ प्रेमी-प्रेयसीकेँ मानू किछु विशेष दिव्य संदेश प्रदान कय रहल हो। यैह मासमें कोयली सेहो अपन डीम पाड़ैछ। लेकिन फगुवाके धुनकीके इलाज लेल प्रकृति नीमक टूस्सी - मुनिगाके फूल सेवन लेल कहैछ तऽ मिथिलाके निछच्छ गाममें भाँग सेवनके विशेष परंपरा चलैछ। हर तरहें तीव्र रक्त संचारकेँ अपन नियंत्रणमें राखय लेल विवेकी मनुष्य तत्पर रहैछ। एहि मासक दुपहरिया आ अर्द्धरात्रि विशेष रूपसँ ऊफान पर रहैछ - चारू कात जखन सभ किछु शान्त रहैछ ताहि घड़ी प्रेमी-प्रेयसी एक-दोसरके स्मृतिमें डूबल ओ सजल नेत्र सँ एक-दोसरक दिव्यताके दर्शन लेल व्याकुल रहैछ। हवाके रुइख एहेन जे असगरे घूमैत किछु नजैर पर चैढ गेल तँ मदमस्तीमें आँखि भैर जैछ। खेत आ गाछी भ्रमण के विशेष चलन मिथिलाके बसन्तक अलगे शान - भ्रमित घूमैत युवा लेल अलगे ध्यान के परिचायक एहि मासकेँ होलीके रंग आ रगड़ संग रभस मात्र ओरिया सकैत अछि। होलीके आगमन जौँ -जौँ नजदीक भेल जा रहल अछि - बसन्त तौँ-तौँ परवान चढल जा रहल अछि। गीतक बोल फगुआ के रस घोरैछ आ चैतावर सऽ शमन करैछ। एहेन में कोयली जँ अर्द्धरात्रिकाल कुहकय तऽ प्रेयसीकेँ तामस चढब उचिते कहल गेल छैक। तामसो एहेन जे भिनसर होइते ओकर खोता उजड़बा देतीह। हाय रे प्रकृति! हाय रे बसन्त! हार रे रस-मद भरल मधुमास! आ, हाय रे कोयलियाके कुहुकब!

लेकिन चिन्ता नहि करू हे सन्त-ज्ञानीजन! पहिले तऽ होली दिन भीतरका अहंरूपी हिरण्यकशिपुके मारैत आत्मारूपी प्रह्लादके रक्षार्थ प्रभुजी स्वयं नरसिंहरूपमें खंभा फाड़िके प्रकट हेताह आ तदोपरान्त खेलल जायत दानवकेर खून सँ होली आ रिझायल जायत प्रह्लादकेँ - आ फेर सभके अवलम्ब राम स्वयं अवतरित हेताह चैतक नवमी अर्थात्‌ रामनवमी!

स्मरण करब हम सभ - सीताराम चरित अति पावन - मधुर सरस अरु अति मनभावन!

शनिवार, 18 फ़रवरी 2012

चर्चाके लाभ दूरगामी असर छोड़ैछ!

Pravin Narayan Choudhary
चर्चाके लाभ दूरगामी असर छोड़ैछ! हरेक १० गोटा के बात पढला-सुनला सऽ ई सुनय लेल भेटैत छैक जे दहेज के विरोध तऽ कइयेको वर्ष सऽ भऽ रहल छैक, कतेको सुपर हिट चलचित्र बनलैक, कतेको नाटक बनलैक, कतेको कथा-उपन्यास लिखेलैक, कतेको समाज-परिवारमें संकल्प लियेलैक... मुदा फेर जखन बियाहके बेर अबैत छैक तऽ सभटा नियम-आदर्श-संकल्प ताखपर राखि के लोभ आ लालचमें लोक फंसैत छथि आ दहेजरूपी दानव अपन अट्टहास एहि करबटे वा ओहि करबटे लैते रहैत अछि। लोक निर्लज्ज बनि जाइत छथि। आदि-आदि। सीधा देखब तऽ अवश्य उपरोक्त बात सत्य प्रतीत होयत। दहेज के व्यवस्था अप्राकृतिक नहि छैक। प्राकृतिक अधिकार के संवरण थिकैक आ ताहि घड़ी दहेज के प्रतिकार नहि बल्कि सत्कार मात्र होइत छैक। लेकिन दहेज के विरोध तखन उठैत छैक जखन माँगरूपी दहेज लादल जाइत छैक। आ माँग के न्याय कि? बेटावाला के ई दावी जे हमर बेटा बड़ होशियार, बहुत पैघ हाकिम बहुत पैघ ओहदेदार, एकर हिस्सामें जमीन के रसदार, गाममें इज्जत के मारामार, कर-कुटुम्ब के सेहो भरमार, तखन कोना ने दहेजक व्यवहार? एतेक बात सोचैत समय बेटावालाके बिसरा जाइत छैन जे बेटीवाला के संगमें सेहो छैक लाचारी आ बेटीके सेहो अस्तित्व छैक। हुनकहु में कला-कौशल-बुद्धिमानी-होशियारी आदि छैक। हुनकहु खानदान आ विवेकशीलता आबयवाला समय में बेटावाला के खानदान-कुल-शील के निर्वाह करयमें सहायक बनतैक। लेकिन नहि... एतेक सोचब सभके वश के बात नहि छैक। बस मोट में अपन समस्यापर नजैर रहैत छैक आ अहाँ मरैत छी तऽ मरू। तखन कि चर्चा-परिचर्चा सऽ कोनो सुधार नहि भेलैक? एतेक जागृतिमूलक प्रयास सऽ‍ कतहु जागृति नहि एलैक??? एलैक आ खूब एलैक। आइ गाम-गाम बेटी सभ पढाई के प्रथम अधिकार बुझैत छैक। अभिभावक सेहो लाजे पाछू बेटीके पढाबय लेल आतुर रहैत छथि। दहेज के बात दोसर श्रेणीमें चलि गेलैक अछि। हलाँकि इ बात शायद ५०% में मात्र अयलैक अछि, बाकी ५०% आइयो बेटीके अधिकारके दमन करैत दहेज के चिन्तामें डूबल रहैत छथि। ई नहि सोचैत छथि जे जौँ बेटी पैढ-लिख लेत तऽ संसार ओकर अनुसारे चलतैक। ओ केकरहु सऽ पाछाँ नहि रहत। अपन रोजगार करैत एहेन संसार बनाओत जे मिथिलाके दंभी दृश्य नहि बल्कि असल मजबूत नींब आ ताहिपर बनल सुन्दर महल के प्रदर्शन करत। आइ मिथिला यदि विपन्न अछि तऽ बस एहि लेल जे एतुका बेटीपर अत्याचार कैल गेल, शिक्षा सऽ वंचित राखल गेल, गार्गी, मैत्रेयी, भारती आदि के संख्या में भारी कमी आयल... बस केवल एक चिन्ता जे विवाह कोना हेतैक... एतबी में डूबल अभिभावक सदिखन अपना के जुवा खेलैत वर तकैयामें मस्त रखलैथ आ बेटीके विवाह याने गंगा-स्नान - आफियत! एहि मानसिकता के संग आगू बढैत रहलैथ जे मिथिलाके घोर विपन्न बनौलक। लेकिन आब परिवर्तन के वयार चैल चुकल छैक। आब तऽ इहो सुनयमें आ देखयमें अबैत अछि जे घरवाला घरवाली के स्थान लय रहल छथि। भले धुआँवाला चुल्हा नहि फूकय पड़ैन, लेकिन गैस चुल्हापर लाइटर खटखटा रहल छथि आ छोलनी-करछुल भाँजि रहल छथि - मेमसाहेब लेल चाय सऽ लऽ के खाना आ धियापुता के हग्गीज तक चेन्ज कय रहल छथि। बेटी केकरहु सऽ कम नहि रहल आब। बेटाके आवारागर्दी के सेहो बेटी नकैर रहल छथि। ई सभ चर्चा-परिचर्चा आ जागृतिके पसारयवाला अभियानके असर थिकैक। एहने असर लेल दहेज मुक्त मिथिला अग्रसर छैक। आउ एहि मुहिममें अहुँ सभ अपन योगदान दियौक। अपन-अपन स्तर सऽ लोक के जागृतिमें असरदार बनू।

शनिवार, 4 फ़रवरी 2012

तोरा बिन सब सून!


तोरा बिन सब सून!

ऊपर निला अम्बर, आइ कारी तों बनि जो!
घुमि-घुमि पूरा दुनिया तों एतय बरिस जो!!

ऐ जोड़ा बरद नव फार लागल हरो जोति जो!
अंघौश-मंघौश फेंकि खेत में तों चौकियो चलो!

गे अनमोलिया! गामवाली बारी सँ बिहैनो अनो!
संगमें दुइ-चारि बोनिहरनी के रोपनी लेल बजो!

रोपे मोंन सँ मिलि गाबि-गाबि जे शीश बड़ फरो!
हर अन्नमें जीवन धनके ईश आशीष कूटि भरो!

गेल दिन दस तँ आबि फेरो खेतो कमो - कमठो!
अर्जाल-खर्जाल सँ खेत भरत तऽ अन्न कि फरो!

प्रिय मेघा तों बस समय-समय एतबी के बरसो!
जे धान हमर खेतक लहरय हरियाली से चमको!

हे शीतल शीत तों शीशमें शशि-अमृत रसके भरो!
जे चरित मोरा तोरा मीत सन दुनिया के सुधरो!

रवि दिन-दिन बल ज्योति सँ शक्ति शुभ रंग भरो!
निज नयन जुड़य इ हेरि-हेरि हरियर हरि हर करो!

हेमन्त आबि के आश धरी स्वच्छन्द नभमें तरो!
गम-गम गमकय उमंग सँ बस एहने आश बंधो!

जौँ तोँ नहि तऽ हम कि - कि दुनिया वा किछुओ!
बस तोरहि सँ सभ जीव अछि आ जान भी जियो!

बिन कृषि कोनो नहि काज के सुर ताल बने कहियो!
भले आन किछु के बाद में समुचित दरकार बनो!

हरिः हरः!
रचना:-
प्रवीन नारायण चौधरी

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

सौराठ फेर चाही - किऐक?

सौराठ फेर चाही - किऐक?

१. दहेज मुक्त विवाह प्रोत्साहन लेल, नहि कि अपन बेटा के बेचैत ओकर भविष्य के एक अहंकारी परिवारके अहंकारी कनियांके हाथ निलामी लेल।

२. मिथिला के महान्‌ परंपरा जाहिठाम नहि सिर्फ वैवाहिक सम्बन्ध आ अधिकार निरीक्षण वा पंजियन होइत छलैक, लोक स्वतन्त्र वातावरणमें वर के चुनाव करैत छलैक बल्कि मिथिलाके लेल नव विकास के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण चर्चा-परिचर्चा सेहो होइत छलैक। आब विद्वत्‌ सभाके रूपमें एकर संरक्षण होइक चाही।

३. हर क्षेत्रके विकास में पर्यटन आ ऐतिहासिक महत्त्वके संरक्षण अत्यन्त आवश्यक छैक, तखनहि ताहि क्षेत्र के अस्मिता के जोगायल जा सकैत छैक। नहि तऽ क्रमशः सभ महत्त्व अपन महत्ता के मरैत छोड़ि देतैक आ तेकर बाद भविष्य में समुद्र के जगह हिमालय के कल्पना केवल आभास कैल जा सकैत छैक। अतः सौराठ पर्यटन के केन्द्र बनैक चाही आ एहि लेल समस्त मैथिलकेँ प्रण लेबाक चाही। मधुबनी सऽ सटल दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पुर्णियां, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, चंपारण आ समस्त मिथिला क्षेत्रमें नीक पर्यटन के विकास के संभावना छैक। एहि सभके लेल प्रथम विकास सौराठ सभके लेल दरबाजा खोलि सकैत छैक आ एहि लेल पुनः मिथिला के सशक्त समाज के प्रतिबद्ध बनबाक जरुरी अछि।

४. गुजरात में सोमनाथ महादेव स्वयं सौराठ में आबि बसलाह - एकर बहुत पैघ धार्मिक माहात्म्य सेहो छैक। लेकिन एहि लेल नहि तऽ कोनो चेतना क्षेत्रीय लोक में छन्हि जे एहि जगह के धार्मिक पर्यटन लेल विकास कैल जाय आ नहिये कोनो सरकारी पहल भऽ रहल छैक... आखिर सरकार बिना हमरा-अहाँके जगने किऐक जागत... ताहि हेतु सेहो सौराठ के सभागाछीके विकास अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करतैक।

५. दरभंगा राज क्षेत्र आ एहि संस्था द्वारा निर्मित अनेको जगह प्राचिन आ भव्य कलाकृति सभकेँ संरक्षण के संगहि अनेको एहेन महत्त्वपूर्ण धरोहर छैक जाहिके संरक्षण लेल स्वयं स्थानीय नागरिक पहिले जागैथ - प्रवासित भेल मैथिल आइ दुनिया में सगरो पसरल छथि आ क्रमशः अपन अतीत के सेहो ठुकराबैत छथि... एतेक तक जे गोसाउनि-कुलदेवता पूजन तक उठि गेल अछि... :( आ एहि सभसँ मिथिलाके गौरवमय अतीत स्वयं पिछड़ल जा रहल अछि। अतः सभागाछीके ताला खुलला सऽ एहि सभमें उल्लेखणीय परिवर्तन आ प्रवर्धन के गुंजाईश बढतैक आ मिथिलाके स्वरूप बदलतैक से विश्वास अछि।

अपने लोकनि सँ बेर-बेर निवेदन जे एहि विन्दुपर गंभीरतापूर्वक विचार करी आ मिथिलाके शुद्ध संस्करण निर्माण में सहायक बनी। विकास सेहो स्वतः पटरी पर आयत एहि विश्वास के संग समस्त जनमानसमें शुभकामना अछि।

नमः पार्वती पतये हर हर महादेव!

हरिः हरः!

सहयोगाकांक्षी:
दहेज मुक्त मिथिला परिवार
सौराठ सभागाछी, मधुबनी।