(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

गुरुवार, 23 जनवरी 2014

मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय

          सब स पहिने दिल्ली कार्यक्रम के ले तमाम मिरानीसे सेनानी के हार्दिक शुभकामना, मिथिला राज्य के लेल प्रयास जाहि स्तर पर मिरानीसे द्वारा सम्भव अछि शायद कोनो दोसर मंच सा सम्भव नहीं अछि, पिछला एक दू साल में जे कोनो कार्यक्रम, जन जागरण और धरना प्रदर्शन वा नेतागण नेतागण संग भेट वार्ता काबिलेतारीफ छल।

      आई मिथिला नहीं सम्पूर्ण देश और विदेशो में भी अलग मिथिला राज्य के मांग (मिरानीसे) द्वारा जे उठाओल जा रहल अछि से चर्चित अछि, संगहि एक टा बात (जे गंभीर अछि) जन समर्थन, और एक आवाज पर इकठ्ठा भेनाई महत्वपूर्ण अछि (उदाहरण : - जाई जगह जगह पर अपन मिरनिसे कार्यकर्ता प्रदर्शन करबाक लेल इकठ्ठा भेल डेल्ही पुलिस द्वारा हटा देल गेल और देश के सब स महत्वपूर्ण जगह पर १४४ के बाबजूद दिल्ली c. m द्वारा अपन समर्थक संग दू दिन तक भांगरा के कार्यक्रम भेल से पूरा देश देखलक और संगहि पुलिस और तमाम केंद्र सरकार के मंत्रीगण सेहो सहभागी भेल, कारण - धरना कोनो पार्टी प्रायोजित छल ताई लेल केंद्र सरकार सेहो अपन वोट के खातिर उपयुक्त कार्यवाई करय में हमेशा बचय के कोशिश कयलक) मतलब साफ अछि जे अगर धरना प्रदर्शन राजनीतिक होयत त सरकारो गम्भीरता स एक्शन लई छै ओना अगर कोनो आम धरना होयत ता याद आबैत अछि (बाबा रामदेव के रामलीला). अलग मिथिला राज्यक मांग शायद ही कोनो पार्टी एखुनका परिदृश्य में पूर्ण रूपेण समर्थन करत।
            भाजपा सांसद कीर्ति झा जी द्वारा समर्थन स्वागत योग्य अछि, 

एक टा सुझाव/निवेदन/जनाकांक्षा … जे किया नै मिरनिसे के एक राजनीतिक रूप देल जाय लगभग सब पदाधिकारी (मिरानीसे के) एक जन प्रतिनीधि के हिसाब सा कार्यरत छि और संगहि राजनीतिक परिवेश स छि ज्यादा तकलीफ नहि होयबाक चाही कारन राजनीतिक पार्टी के अपन एजेंडा होयबाक चाही जे मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय के पूरा करबाक लेल भेल अछि (अलग मिथिला राज्य) ई प्रमुख मुद्दा होयबाक चाही जन समर्थन जरूर जरूर भेटत। जमीनी स्तर पर हर मैथिल के अई संग्राम में सहभागिता लेल उत्साहित करबाक जरुरत अछि संगहि मिथिलांचल के हरेक गाव और शहर में सदस्यता अभियान चलेबाक जरुरत अछि.
         
           ओना बिना राजनीतिक भेने सेहो सफलता भेटइ छै मुदा शनैः शनैः (एक बात और अगर झारखण्ड, विदर्भ, तेलंगाना, पूर्वांचल या और कोनो राज्यक मांग गैर राजनीतिक होईत त शायद अहि पर कार्यवाई सम्भव नहीं छल, झारखण्ड, तेलंगाना बनी गेल शीघ्रहि विदर्भ और उ.प में सेहो छोट - छोट राज्य बनी जायत कियाक ता हर पार्टी अपन नफा नुकसान देखति कार्यवाई करैत अछि से त आहाँ सभ लोकनि ज्यादा समझदार/जानकार छी). 

अंत में - उपरोक्त विचार किछु ग्रामीण जनमानस और हमर अपन अछि हमर विचार स अगर किनको तकलीफ या ठेस पहुँचनि त हैम क्षमाप्रार्थी छी। — 

सोमवार, 20 जनवरी 2014

बस एक मात्र संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में.

जय मिथिला 
जय मिरानिसे
        

बस एक मात्र संकल्प ध्यान में , मिथिला राज्य होई संबिधान में.

   मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा आयोजित राष्ट्रिय संगोष्ठी में अपन उपस्थिति देनिहार हर मिथिला प्रेमी भाई बहिन के बहुत धन्यवाद। अपने सब के उपस्थिति इतिहास बनेलक। आगू और सक्रिय सहयोग के अपेक्षा मिरानिसे राखैत अछि।
कार्यक्रम के दू सत्र में नियोजित कैल गेल छल। प्रथम सत्र मिरानिसे के सांगठनिक संबोधन स सम्बंधित छल। 


मुंबई,गोहाटी,नेपाल और मिथिला क्षेत्र स आयल मिरानिसे के सदस्य अपन बात रखला। सब के केवल एक आवाज-हमरा चाही मिथिला राज। मिरानिसे स सहयोग केनिहार जे बहुत भाई किछु अपरिहार्य व्यस्तता के कारण नै आबि सकला हुनको आभासी उपस्थिति रहल।

   द्वितीय सत्र मिथिला राज्य के मुद्दा पर राजनीतिक एकीकरण लेल राखल गेल छल। दलगत भावना स ऊपर उठि के मिथिला राज्य लेल अपन प्रतिबद्धता सुनिश्चित करबाक समय मिरानिसे हर दल स सम्बद्ध राजिनितिग्य के देलक। इ कठोर सत्य अछि जे आमंत्रित वक्ता में स केवल बीजेपी के सांसद और विधायक गण न केवल अपन उपस्थिति दर्ज करेला बल्कि पुरजोर तरीका स मिथिला राज्य मांग के समर्थन केला। कांग्रेस ,राजद ,जेडीयू स गछ्ला बादो वक्ता नै आयला। निर्दलीय सदस्य पप्पू यादव सेहो सत्र के संबोधित केला। एहेन सांकेतिक घटना के बादो मिरानिसे अपन सूत्र वाक्य - समर्थन द रहल व्यक्ति के समर्थन आ विरोध क रहल व्यक्ति के विरोध - स एखन धरि सटल अछि।

   
 आदरणीय प्रभात झा जी आन्दोलन के लेल हर तरहक सहयोग देबाक वचन देला। भाई कीर्ति झा आज़ाद त मिथिला राज्य के लेल सदैव अपना स्तर स कार्य क रहला है। पुनः अपन जोशगर उदबोधन स नव उर्जा के संचरण केला। भाई गोपाल ठाकुर( विधायक बेनीपुर) ,भाई संजय सरावगी( विधायक दरभंगा शहरी) और भाई संजीव झा ( पूर्व विधायक सहरसा) सब तरहक सहयोग के वचन देला और कार्यक्रम के अंत तक रहि मिरानिसे के मान बढौला।

     

शेफालिका जी और कुमुद जी द्वारा सेहो मिथिला राज्य के समर्थन कैल गेल।
कार्यक्रम के दौरान मैथिली पुस्तक प्रदर्शनी के सेहो व्यवस्था छल। मिरानिसे के नवीन वेबसाइट mrns.in के सेहो लोकार्पण भेल। मधुबनी जिला परिषद् सदस्य भारत भूषण जी, बिजय झा भोला भाई आ मो. कलीम भाई द्वारा मिथिला राज्य के समर्थन कैल गेल।
कार्यक्रम के औपचारिक शुरुआत जय जय भैरवि के सामूहिक गायन और समाप्ति वन्दे मातरम द्वारा कैल गेल।

पुनः सब के कोटिशः धन्यवाद। जय मिथिला जय मिरानिसे

गुरुवार, 16 जनवरी 2014

मैथिलीक विकासक बाधा


मैथिलीक  विकासक  बाधा थिक
आजुक युवाशक्ति मिथिलाक
पढ़ि लिख कए बनि  जाइ छथि
डाक्टर आ कलक्टर
मुदा नहि पढ़ि लिख सकैत छथि
मिथिलाक दू आखर ।

घरसँ निकलैत
ओ कहथिन "चलो स्टेशन"
लागैत छनि शंकोच
कहैमे की "चलू स्टेशन"
जेता जखन गामक चौकपर
लागत जेना
बसि रहला मैथिलीक कोखिपर।

सदिखन दूगोट समभाषी
बाजत अपने भाषा
परञ्च दू गोट  मैथिल
जतबैलेल अपन प्रशनेल्टी
मैथिली  तियागि कए
बजए लगता सिस्टमेटी
अपन माएक भाषासँ
प्रेस्टीजपर लागैत छनि बट्टा
लोग की कहतनि
संस्कारीसँ भs गेला मरचट्टा
संस्कारीसँ भs गेला मरचट्टा ।

@ जगदानन्द झा 'मनु'

मंगलवार, 14 जनवरी 2014

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर बहब!

मकर संक्रान्ति - तिला संक्राइत - मिथिला लेल तिल-चाउर बहब!

मकर संक्रान्तिके शुभ अवसरपर समस्त जनमानस लेल शुभकामना!
      

मकर संक्रान्ति के त्योहार मोक्ष लेल प्रतिबद्धता हेतु होइछ - निःस्वार्थ सेवा - निष्काम कर्म करैत मुक्ति पाबैक लेल शपथ-ग्रहण - संकल्प हेतु एहि पावनिक महत्त्व छैक।

जेना माय के हाथ तिल-चाउर खाइत हम सभ मैथिल माय के ई पुछला पर जे ‘तिल-चाउर बहमें ने..?’ हम सभ इ कहैत गछैत छी जे ‘हाँ माय! बहबौ!’ आ इ क्रम तीन बेर दोहराबैत छी - एकर बहुत पैघ महत्त्व होइछ। पृथ्वीपर तिनू दृश्य स्वरूप जल, थल ओ नभ जे प्रत्यक्ष अछि, एहि तिनूमें हम सभ अपन माय के वचन दैत तिल-चाउर ग्रहण करैत छी। एक-एक तिल आ एक-एक चाउरके कणमें हमरा लोकनिक इ शपथ-प्रण युगों-युगोंतक हमरा लोकनिक आत्म-रूपके संग रहैछ। बेसी जीवन आ बेसी दार्शनिक बात छोड़ू... कम से कम एहि जीवनमें माय के समक्ष जे प्रण लेलहुँ तेकरा कम से कम पूरा करी, पूरा करय लेल जरुर प्रतिबद्ध बनी।

आउ, एहि शुभ दिनक किछु आध्यात्मिक महत्त्वपर मनन करी:  
१. मकर संक्रान्ति मानव जीवन के असल उद्देश्य के पुनर्स्मरण हेतु होइछ जाहि सँ मानव लेल समुचित मार्गपर अग्रसर होयबाक प्रेरणा के पुनर्संचरण हेतु सेहो होइछ। धर्म, अर्थ, काम आ मोक्ष के पुरुषार्थ कहल गेल अछि - जे जीवन केर आधारभूत मौलिक माँग या आवश्यकता केर द्योतक होइछ। एहि सभमें मोक्ष या मुक्ति सर्वोच्च पुरुषार्थ होइछ। श्रीकृष्ण गीताके ८.२४ आ ८.२५ में दू मुख्य मार्गकेर चर्चा केने छथि - उत्तरायण मार्ग आ दक्षिणायण मार्ग। एहि दू मार्गकेँ क्रमशः ईशकेर मार्ग आ पितरकेर मार्ग सेहो कहल गेल छैक। अन्य नाम अर्चिरादि मार्ग आ धुम्रादि मार्ग अर्थात्‌ प्रकाशगामिनी आ अंधकारगामिनी मार्ग क्रमशः सेहो कहल जैछ।

उत्तरायण मार्ग ओहि आत्माके गमन लेल कहल गेल छैक जे निष्काम कर्म करैत अपन शरीर केर उपयोग कयने रहैछ। तहिना जे काम्य-कर्म में अपन शरीरकेँ लगबैछ, ताहि आत्माकेँ शरीर परित्याग उपरान्त दक्षिणायण मार्ग सऽ गमनकेर माहात्म्य छैक। उत्तरायण मार्गमे गमन केँ मतलब ईश्वर-परमात्मामे विलीन होयब, जखन कि दक्षिणायणमे गमन केँ मतलब कर्म-बन्धनकेर चलते पुनः जीवनमे प्रविष्टि सँ होइछ। मकर संक्रान्ति एहि मुक्तिक मार्ग जे श्रीकृष्ण द्वारा गीतामे व्याख्या कैल गेल अछि ताहि केँ पुनर्स्मरण कराबय लेल होइछ।  

२. सूर्यक उत्तरगामी होयब शुरु करयवाला दिन - जेकरा उत्तरायण कहल जैछ। अन्य लोकक लेल ६ महीना उत्तरायण आ बाकीक ६ महीना दक्षिणायण कहैछ।

३. पुराण के मुताबिक, एहि दिन सूर्य अपन पुत्र शनिदेवकेर घर प्रवेश करैत छथि, जे मकर राशिक स्वामी छथि। चूँकि पिता आ पुत्र केँ अन्य समय ढंग सऽ भेंटघांट नहि भऽ सकल रहैत छन्हि, तैं पिता सूर्य औझका दिन विशेष रूप सऽ अपन पुत्र शनिदेव सऽ भेटय लेल निर्धारित केने छथि। ओ वास्तवमें एक मास के लेल पुत्र शनिदेवके गृह में प्रवेश करैत छथि। अतः यैह दिन विशेष रूप सऽ स्मरण कैल जैछ पिता-पुत्रके मिलन लेल।

माहात्म्य: सूर्यदेव कर्म केर परिचायक आधिदेवता छथि, तऽ शनिदेव कर्मफल केर परिचायक आधिदेवता! मकर संक्रान्ति एहेन दिवसकेर रूपमे होइछ जहिया हम सभ निर्णय करैत छी हमरा सभकेँ कोन मार्ग पर चलबाक अछि - सूर्य-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल निष्काम-कर्म (प्रकाशगामिनी) या फेर शनि-देव द्वारा प्रतिनिधित्व कैल काम्य-कर्म (अन्धकारगामिनी)।

४. यैह दिन भगवान्‌ विष्णु सदाक लेल असुरक बढल त्रासकेँ ओकरा सभकेँ मारिकय खत्म कयलाह आ सभक मुण्डकेँ मंदार पर्वतमे गाड़ि देलाह।

माहात्म्य: नकारात्मकताक अन्त हेतु एहि दिनकेर विशेष महत्त्व होइछ आ तदोपरान्त सकारात्मकताक संग जीवनक प्रतिवर्ष एक नव शुरुआत देबाक दिवस थीक मकर संक्रान्ति।

५. महाराज भागिरथ यैह दिन अत्यन्त कठोर तपसँ गंगाजीकेँ पृथ्वीपर अवतरित करैत अपन पुरखा ६०,००० महाराज सगरक पुत्र जिनका कपिल मुनिक आश्रमपर श्रापक चलतबे भस्म कय देल गेल छलन्हि - तिनकर शापविमोचन एवं मोक्ष हेतु मकर-संक्रान्तिक दिन गंगाजल सँ आजुक गंगासागर जतय अछि ताहि ठामपर तर्पण केने छलाह आ हिनक तपस्याकेँ फलित कयलाक बाद गंगाजी सागरमें समाहित भऽ गेल छलीह। गंगाजी पाताललोक तक भागिरथकेर तपस्याक फलस्वरूप हुनकर पुरुखाकेँ तृप्तिक लेल जाइत अन्ततः सागरमें समाहित भेल छलीह। आइयो एहि जगह गंगासागरमे आजुक दिन विशाल मेला लगैछ, जाहिठाम गंगाजी सागरमे विलीन होइत छथि, हजारों हिन्दू पवित्र सागरमे डुबकी लगाबैछ आ अपन पुरुखाकेँ तृप्ति-मुक्ति हेतु तर्पण करैछ।

माहात्म्य: भागिरथ केर प्रयास आध्यात्मिक संघर्षक द्योतक अछि। गंगा ज्ञानक धाराक द्योतक छथि। नहि ज्ञानेन सदृशम्‌ पवित्रमिह उद्यते! पुरुखाक पीढी-दर-पीढी मुक्ति पबैत छथि जखन एक व्यक्ति अथक प्रयास, आध्यात्मिक चेतना एवं तपस्या सऽ ज्ञान प्राप्त करैछ।

६. आजुक दिनकेर एक आरो अत्यन्त महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ भेटैछ जखन महाभारतक सुप्रतिष्ठित भीष्म पितामह एहि दिवस अपन इच्छा-मृत्युक वरदान पूरा करय लेल इच्छा व्यक्त कयलाह। हुनक पिता हुनका इच्छामृत्युकेर वरदान देने छलखिन, ओ एहि पुण्य दिवस तक स्वयंकेँ तीरकेर शय्यापर रखलाह आ मकर संक्रान्तिकेँ आगमनपर अपन पार्थिव शरीर छोड़ि स्वर्गारोहण कयलाह। कहल जैछ जे उत्तरायणमें शरीर त्याग करैछ ओ पुनर्जन्मकेर बंधन सँ मुक्ति पबैछ। अतः आजुक दिन विशेष मानल जैछ अन्य दुनिया-गमन करबाक लेल।

माहात्म्य: मृत्यु उत्तरायणके राह अंगीकार कयलापर होयबाक चाही - मुक्ति मार्गमें। ओहि सऽ पहिले नहि! आत्माकेर स्वतंत्रता लेल ई जरुरी अछि। एहिठाम उत्तरायणक तात्पर्य अन्तर्ज्योतिक जागरण सऽ अछि - प्रकाशगामिनी होयबाक सऽ अछि।

एहि शुभ दिनक अनेको तरहक आन-आन माहात्म्य सब अछि आ एहि लेल विशेष रुचि राखनिहार लेल स्वाध्याय समान महत्त्वपूर्ण साधन सेहो यैह संसारमे एखनहु उपलब्ध अछि। केवल शुभकामना - लाइ-मुरही-चुल्लौड़-तिलवा आ तदोपरान्त खिच्चैड़-चोखा-घी-अचाड़-पापड़-दही-तरुआ-बघरुआक भौतिकवादी दुनिया मे डुबकी लगबैत रहब तऽ मिथिलाक महत्ता अवश्य दिन-प्रति-दिन घटैत जायत आ पुनः दोसर मदनोपाध्याय या लक्ष्मीनाथ गोसाईंक पदार्पण संभव नहि भऽ सकत।

अतः हे मैथिल, आजुक एहि पुण्य तिथिपर किऐक नहि हम सभ एक संकल्प ली जे मिथिलाकेँ उत्तरायणमे प्रवेश हेतु हम सभ एकजूट बनब आ अवश्य निष्काम कर्म सऽ मिथिला-मायकेर तिल-चाउरकेँ भार-वहन करबे टा करब। जेना श्री कृष्ण अर्जुन संग कौरवकेर अहं समाप्त करय लेल धर्मयुद्ध वास्ते प्रेरणा देलाह, तहिना मिथिलाक सुन्दर इतिहास, साहित्य, संगीत, शैली, भाषा, विद्वता एवं हर ओ सकारात्मकता जेकरा बदौलत मिथिला कहियो आनो-आनो लेल शिक्षाक गढ छल तेकरा विपन्न होइ सऽ जोगाबी। जीवन भेटल अछि, खेबो करू... मुदा खेलाके बाद बहबो करियौक। मातृभूमि आ मातृभाषाक लेल रक्षक बनू। मिथिला मायकेर तरफ सँ तिल-चाउर हमहुँ खा रहल छी, जा धरि जीवन रहत ता धरि बहब, फेरो जन्म लेबय पड़त सेहो मंजूर - आ फेरो बहब तऽ मिथिलाक लेल बही यैह शुभकामनाक संग, मकर संक्रान्ति सँग जे नव वर्षक शुरुआत आइ भेल अछि ताहि अवसर पर फेर समस्त मैथिल एवं मानव समुदाय लेल मंगलकेर कामना करैत छी।

जय मैथिली! जय मिथिला!

ॐ तत्सत्‌!



प्रवीण चौधरी ‘किशोर’