रहबय कोहबर कत्तेक दिन
बनिकय अजगर कत्तेक दिन
शादी तऽ एक संस्कार छी
जीबय असगर कत्तेक दिन
बिना काज के मान घटत नित
फूसिये दीदगर कत्तेक दिन
बैसल देहक काज कोन छै
एहने मोटगर कत्तेक दिन
आबहुँ जागू सुमन आलसी
खेबय नोनगर कत्तेक दिन
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बुधवार, 18 अप्रैल 2012
सोमवार, 16 अप्रैल 2012
गलती बारम्बार करू
गलती बारम्बार करू
अधलाहा सँ प्यार करू
दुर्गुण सँ के दूर जगत मे
निज-दुर्गुण स्वीकार करू
दाम समय के सब सँ बेसी
सदिखन किछु व्यापार करू
अपने नीचा, मोन पालकी
एहि पर कने विचार करू
बल भेटत स्थायी, पढ़िकय
ज्ञानो पर अधिकार करू
भाग्य बनत कर्मे टा फल सँ
आलस केँ धिक्कार करू
प्रेमक बाहर किछु नहि भेटत
प्रीति सुमन-श्रृंगार करू
रविवार, 15 अप्रैल 2012
चलू बैसिकय केँ कानय छी
चलू बैसिकय केँ कानय छी
असगरुआ जौं नहि नीक लागय
आओर लोक केँ आनय छी
समाधान आ कारण हमहीं
बात कियै नहि मानय छी
पैघ लोक के बात, सोचबय
के के एखन गुदानय छी
आस व्यर्थ छी बिना प्रयासक
फुसिये गप केँ तानय छी
नीक आओर अधलाह लोक केँ
कियै एक सँग सानय छी
लऽ कऽ चालनि सुमन हाथ मे
नीक लोक केँ छानय छी
सोमवार, 9 अप्रैल 2012
मोन कियै सिंहासन पर
घर मे आफत राशन पर
काज करय मे दाँती लागय
तामस झाड़ी बासन पर
लाज करू जे पाहुन जेकाँ
खाय छी कोना आसन पर
खोज-खबर नहि धिया-पुता के
बात सुनाबी शासन पर
बिना कमेने किछु नहि भेटत
जीयब खाली भाषण पर
कहू सोचिकय कहिया सुधरब
जखन उमरि निर्वासन पर
सुमन समय पर काज करू
आ सोचू निज अनुशासन पर
सोमवार, 2 अप्रैल 2012
लागल एहेन रिवाज बिसरलहुँ
सच पूछू तऽ लाज बिसरलहुँ
सिखलहुँ लूरि जीबय के जतय
कियै ओहेन समाज बिसरलहुँ
छूटल अरिपन, सोहर सब किछु
लागल एहेन रिवाज बिसरलहुँ
सासुर मे छल खूब रईसी
घर मे नखरा-नाज बिसरलहुँ
मन गाबय छल गीत मिलन के
सुर के सँग मे साज बिसरलहुँ
संस्कार के बात करी नित
जीबय के अन्दाज बिसरलहुँ
चुप रहलहुँ अन्याय देखिकय
सुमन हृदय आवाज बिसरलहुँ
रविवार, 1 अप्रैल 2012
तखने जीयब शान सँ
समय के सँग मे डेग बढ़ाबी तखने जीयब शान सँ
किछु ऊपर सँ रोज कमाबी तखने जीयब शान सँ
काका, काकी, पिसा, पिसी रिश्ता भेल पुरान यौ
कहुना हुनका दूर भगाबी तखने जीयब शान सँ
सठिया गेला बूढ़ लोक सब हुनका बातक मोल की
हुनको नवका पाठ पढ़ाबी तखने जीयब शान सँ
सासुर अप्पन कनिया, बच्चा एतबे टा पर ध्यान दियऽ
बाकी सब सँ पिण्ड छोड़ाबी तखने जीयब शान सँ
मातु-पिता के चश्मा टूटल कपड़ा छय सेहो फाटल
कनिया लय नित सोन गढ़ाबी तखने जीयब शान सँ
पिछड़ल लोक बसल मिथिला मे धिया-पुता सँ कहियो
अंगरेजी मे रीति सिखाबी तखने जीयब शान सँ
सुमन दहेजक निन्दा करियो बस बेटी वियाह मे
बेटा बेर मे खूब गनाबी तखने जीयब शान सँ
किछु ऊपर सँ रोज कमाबी तखने जीयब शान सँ
काका, काकी, पिसा, पिसी रिश्ता भेल पुरान यौ
कहुना हुनका दूर भगाबी तखने जीयब शान सँ
सठिया गेला बूढ़ लोक सब हुनका बातक मोल की
हुनको नवका पाठ पढ़ाबी तखने जीयब शान सँ
सासुर अप्पन कनिया, बच्चा एतबे टा पर ध्यान दियऽ
बाकी सब सँ पिण्ड छोड़ाबी तखने जीयब शान सँ
मातु-पिता के चश्मा टूटल कपड़ा छय सेहो फाटल
कनिया लय नित सोन गढ़ाबी तखने जीयब शान सँ
पिछड़ल लोक बसल मिथिला मे धिया-पुता सँ कहियो
अंगरेजी मे रीति सिखाबी तखने जीयब शान सँ
सुमन दहेजक निन्दा करियो बस बेटी वियाह मे
बेटा बेर मे खूब गनाबी तखने जीयब शान सँ
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