(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

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शनिवार, 21 जनवरी 2012

ओढ़ी चादर गरदेन मस्लंग,

ढाढस बन्ही सुतल छि हमहूं,
ओढ़ी चादर गरदेन मस्लंग,
आ गप के बेरा उठालौ हमहूं
द क गोली पिसुवा भंग.

ज्ञानी छि नै ककरो स कम,
नै बुझी हम दोसरक ढंग,
हम बुधियरबा हमरा की कहब,
हमारा स काबिल अई आहा के संग?

सुनु सिर्फ जे हमही कही,
नै त क देब आहा के तंग,
आ दल बना क रखने छि हम,
करय लेल बस आहा स जंग.

आहा कोना करब जखन नै,
पार लागल कायल हमरा संग,
आ कोशिश करब त चिन्ह लिया जै,
हम बक्थोथर केहन दबंग.

नई किछु करब नई करा देब,
इ अईछ हमर अपन रंग,
आहा के आगा कोना बढ़ दी,
जिनगी बीतल नेता के संग.

रचना:-
पंकज झा