बुधवार, 30 जून 2010
मंगलवार, 29 जून 2010
बंगाली बाबा
लेखक - मुकेश मिश्रा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoC6Z64QBjIjjmffqhKjVOhrw-KEUEi33wn33ElLU-JF5PJ1tT9jdmhFh3HKWXuaqsUfzeahNPS97eJDBcbHvzHXnfnswzdRNhn1Crc3c5c8w-bWkAfkUKM0Sq8FQessVSK0_v7cf-0YI/s320/M.jpg)
बंगाली बाबा
हमर गामक बंगाली बाबा कऽ के नै जनैत यऽ
बंगाली बाबा अपन आधा ज्निगी पढ़ाइये
में बितौला , परबा -लिखबा के उपरान्तो,
हिनका में ओं स्वभाब नै छल जे बिचार
एगो बिद्वता में हैत यऽ ,सब कऽ हिन् भाबना
सऽ देखैत छलखिन ,और अपन बिद्वांक प्रसंसा
करैत रहै छला ,धोखो सऽ जऽ कियो पढ़ल-लिखल
सजनऽ हुनका आगा परि गेलैन ,तऽ फेर जामैत
दस बीसटा लोक नै आबी जय ता धरी वो अपन
ब्याकरण कऽ तानड्ब सऽ सब कऽ ह्कोचित कऽ के
छोरैत छला ,
एक दिन कोट कऽ किछ काज सऽ, झंझारपुर बिदा भेला ,
कमला बलान पर जा कऽ नाव में बैसला ,...
किछ देर आगा गेलात,की अपन अहंकार भरल
मुह सऽ नाव बला कऽ पुछला ....
बंगाली - हवऽ तोरा ब्याकरण अबै छऽ
नाव बला - नै मालिक हमरा नै आबै यऽ
बंगाली - धू -धू तोहर सब कऽ याह लीला छव
(नाव बला चुपचाप सबटा सुनैत छल , मेघ में
बादल से लागल जायत छल,)
बंगाली -हवऽ भूगोल -नागरिक अबै छऽ
नाव बला - नै मालिक
बंगाली - तहन तऽ तोहर पूरा ज्निगी बेकार छव
(नाव बला सबऽ किछ चुपचाप सुनैत छल, अचानक
हबा कऽ तेज सऽ नाव बिच भवर में फैस गेल ,)
नाव बला - मालिक हेलल अबै यऽ
बंगाली - हमरा हेलल नै अबै यऽ
नाव बला - तहन तऽ अपन ब्याकरण,भूगोल ,नागरिक
कऽ मदत के लेल बजा लिय , कियाकि नाव भवर में फैस
गेल , किछ देर में डूबी जायत ,
(एतेक कहि कऽ नाव बला नाव सऽ कुदी गेल ,बंगाली बाबा
मुह तकिते रही गेलएत,)
तहन बंगाली बाबा कऽ समझ में एलन जे आदमी कऽ एगो
बिद्या में निपुण रहला सऽ किछ नै हैय छै, बिद्या कऽ संग -
संग किछ औरो गियान रहनाय अति आबस्यक छैय,
गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449
सोमवार, 28 जून 2010
मास्टर जी
लेखक - मुकेश मिश्रा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi7ykHY6M6F5Hbx-FDSQ6O8l9cxpY-mHc5aior1o9mbu7y79U4ziZ1NVWay8lfOqZrtDUI8qRhrTTciKXJ_-hdvCChA_NLq3p6H6UtUKiYKRjLV2mIAjpOYCHK8Gie4AQfJecQUGfDMRV8/s320/M.jpg)
मास्टर जी
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjGtXJjLn-ayC9HXgQJHq6uiukHzBAA7aGtglOtRaEEGGC6BTVDMllzogx0gWGGhHxC7zctwV6_17rZ4gyRsR1RCnYQN5gr2jZA3DZcTnXl8557tY_b_W6rLBavkzSIkZp1Bu6QkdAdrx0/s320/ga.jpg)
हमरा गाम में एगो मास्टर जी छला,
दूर-दूर गाम तकऽ प्रसिद्ध छला ,
गपऽ हकबा मऽ माहिर ,ककरो किछ कही
कऽ हुथी दैत छला ,
एक दिन टहलैत मदन जी कतौ जय छला ,
अचानक सामने मास्टर जी आबी गेलिखिन!
मदन जी - गोर लगै छि मास्टर जी
मास्टर- नीके रहू , कत रहै छि आय कायल
मदन जी- नोएडा में सेक्टर -44 सदरपुर छलेरा
में रहैत छि
मास्टर- की करैत छ
मदन जी- आग्रबाल अतुल लग ऽ सिये कऽ काज करै छि
मास्टर- हऽ .. अहि सऽ बेसी तू करबे की करबऽ
दोसर दिन अहिना गंगा खेत दिस जायत छला ,
सामने मास्टर जी के देखैत बजला ,
गंगा - गोर लगै छि मास्टर जी
मास्टर - नीके रहऽ ,कतऽ रहै छ
गंगा - दिल्ली में रहै छि
मास्टर - हवऽ कीछ कैरतो छ
गंगा - सेक्टर 62 a -16, में माली के काज करै छिऽ
मास्टर -हऽ .. तऽ अय सऽ बेसी तू करबे की करबऽ
अहिना एक दिन हमरो भेटला .......
मुकेश - गोर लगै छि मास्टर जी
मास्टर - नीके रहऽ की करै छ आय -कायल
मुकेश - गीत नाद लिखैत छि ,सब स्रोता कऽ
मनोरंजन करबैत छिऽ
मास्टर - ह.. त अय स बेसी तू करबे की करबऽ
अहिना समाय बितैत गेल ,किछ समाय उपरांत
बाद मास्टर जी क कनिया क देहांत भ गेलाइन
हम किछ काज बस उम्हर स गुजरैत छ्लव
मास्टर जी क देखलव ,किछ परेसान आगू बरी
पुछलव -मास्टर जी एतेक परेसान किया छि
मास्टर जी - की कहू मुकेश जी जहिया स असगर
भेलव तहिया स बर परेसान छि ,कतव जोगार देखियो
ने ,कतेक दिन असगर जीबन बितायब ,
(हमरा तऽ बुझु एगो मौका भेटल ,मास्टर जी कऽ बात मोन परलऽ )
हम झट सऽ ठार भलव ,मुस्कैत बजलव ,......
हऽ ....तऽ अय सऽ बैसी आहा कैये की सकैत छि
गीटाकार- मुकेश मिश्रा
9990379449
email – mukesh.mishra@rediffmail.com
परदेश में
लेखक - मुकेश मिश्रा ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgadNHJFnMh1jrakMHklh9e4idPCKvnMaJxzC4F1EYrhH1pLMUFOGXGJPQT209V2rmyo7mZFXyetfHEZkXSJ2B6qHNgN5pI12FhHahZGVgvilrMx2M60PwKfwQDRBrnMLux86O1eiAG_UE/s320/M.jpg)
परदेश में
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgadNHJFnMh1jrakMHklh9e4idPCKvnMaJxzC4F1EYrhH1pLMUFOGXGJPQT209V2rmyo7mZFXyetfHEZkXSJ2B6qHNgN5pI12FhHahZGVgvilrMx2M60PwKfwQDRBrnMLux86O1eiAG_UE/s320/M.jpg)
परदेश में
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh_ijR_FAQT0vI8zz8bWDVcdIyivcUbRjevrcI4-nGNDeaavF-3_aho3RfwenVDD48m-Bbt-amV_k8q0DbCidCpd_zqcWAy54VVeBFQ413bjDKP4dqcAdoyVYYmBpENydw3sQ_8l-dbKck/s320/12.jpg)
बर - सनम बेमन स छि हम परदेश में ,
की करु नोकरी धेने एकटा सेठ में
कनिया- एतय आहाक बौआ पलैत अछी हमर पेट में
आगि लागल बज्र खसल धान बला खेत में
बर - की करु नोकरी धेने एकटा सेठ में
सनम बेमन स छि हम परदेश में ,
कनिया - बीघा के बीघा में आयल दहार यौ
खेत रहितो भेल छै जीवन पहार यौ
बर - अबै छि फागुन में चेन लेने भेट में
की करु नोकरी धेने एकटा सेठ में
कनिया- गहुम के हालत खराबे खराब छै
गामक किसान त करैत बाप बाप छै
खेती ग्रहस्थी में साधनक अभाब छै
बिजली के नाम पर बस पोल ठार छै
बोडिंग गराउ आऊ पाइन दियौ खेत में
नाही त चली जायत इ रौदिक चपेट में
बर - की करु नोकरी धेने एकटा सेठ में
कनिया -एतय आहाक बौआ पलैत अछी हमर पेट में
बर - पत्र पढैत बात मोन केर छुबी गेल
करू की आखी स नोर बस चुबी गेल
सोचैत छि सुख दुःख गमायब हम साथ में
होली में मिली जायब गाम केर रंग में
जोरीक रहब हम आब साथ साथ में
की करु नोकरी धेने एकटा सेठ में
सनम बेमन स छि हम परदेश में ,
गीत -- मुकेश मिश्रा
9990379449
e mail - mukesh.mishra@rediffmail.com
शुक्रवार, 25 जून 2010
गुरुवार, 24 जून 2010
भारत भूमि महान
लेखक - मुकेश मिश्रा
मार्ग कठिन अछी आत्मबल सबल अछि
पाठकक स्नेहे स मनोबल बढल आछी !
हम तऽनिमित छि मिथिलाक पुत्र केर ,
दीन राति बाटैत छि मैथिलिक सूत्र केर !!
मिथिला राज्य चाही बस एक अछि अभिलाषा ,
अपन गामक सहयोग स जरुर पुरत इ आशा !!!
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjawG1QoP5U0ZnLWHeDAovXfiZ_uz6Gr9LajRsT3ePQwuFKsG0SjxW2mHZA7x9RVQCzTTQQX8_8MSyJ2mF_pA2faV2Bt4T698-cdArX1r2yA3Wu1Zi0vH3PQiwv4News5nbKOYqnTLfumw/s320/ganapati_bappa_5.jpg)
भारत भूमि महान
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
भाल मुकुट हिमगिरी बीराजय , बन उपवन तन -मन के साजय,
जलनिधि पायर पखारथी सदिखन ,कय कल -कल स्वर गान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम !!
दिनकर प्रथम किरन दय उर पर ,गाबय कोकिल सातहु सुर पर ,
शीतल बिंदु इंदु झहराबथी , तारागन मुस्कान
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
ब्रम्हापुत्र ,गंडक आ गंगा , सरयुग ,कोशी ,यमुना ,तमसा ,
वक्षस्थल पर खेलथी सदिखन कमला और बलान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
शंकर ,व्यास ,मंडन आ दधिची,बिद्या बारीधी पुण्र बिभूति
देलनि रंग बीरंगक पोथी गीता ,वेद ,पुरान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
गाँधी ,बुद्ध ,सुभाष ,भगत केर ,जंथी के नही एही जगत केर
सीता ,साबित्री सन कर्मठ ,मनु सनक सन्तान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449
भाल मुकुट हिमगिरी बीराजय , बन उपवन तन -मन के साजय,
जलनिधि पायर पखारथी सदिखन ,कय कल -कल स्वर गान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम !!
दिनकर प्रथम किरन दय उर पर ,गाबय कोकिल सातहु सुर पर ,
शीतल बिंदु इंदु झहराबथी , तारागन मुस्कान
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
ब्रम्हापुत्र ,गंडक आ गंगा , सरयुग ,कोशी ,यमुना ,तमसा ,
वक्षस्थल पर खेलथी सदिखन कमला और बलान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
शंकर ,व्यास ,मंडन आ दधिची,बिद्या बारीधी पुण्र बिभूति
देलनि रंग बीरंगक पोथी गीता ,वेद ,पुरान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
गाँधी ,बुद्ध ,सुभाष ,भगत केर ,जंथी के नही एही जगत केर
सीता ,साबित्री सन कर्मठ ,मनु सनक सन्तान !
हमर हे भारत भूमि महान , आहा केर लाखक लाख प्रणाम
गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449
बुधवार, 23 जून 2010
झरोखा
लेखक - मुकेश मिश्रा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhNdx0pAHm-UcNHdGNJJ9mGS6X0ETVmkMcJVaS4xAUV5Ve4om94B_8DPkZ-8KQGoZiu9l8fVUAmbXvZT1JfPf0tR8OIvniwIO4ZMhYsmyrAf1kx9nnf7p4CkC8Wh-rX6G6ARgu5ylLjMW4/s320/M.jpg)
झरोखा
पलक झुका कर सलाम करते है,
अपने दिल की दुवा आपके नाम करते है
कबूल हो तो मुस्कुरा देना,हम मुकेश मिश्रा,
ये झरोखा आप के नाम करते है
पलक झुका कर सलाम करते है,
अपने दिल की दुवा आपके नाम करते है
कबूल हो तो मुस्कुरा देना,हम मुकेश मिश्रा,
ये झरोखा आप के नाम करते है
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgjfcnVoFc6sbtnH8pqej902iRKpsZ_X5F3VCbTy4lQkOLvjTRQxfQ9l3PTH6_se7N3g2UtXJBeDOnhTU-EPGWPIi3lsncwuEEv7DIQDEyxMiLXIpYWgrW1eAdtZV4xNmTjzehhB8P0_7s/s320/asin07.jpg)
दुनियाँ में रह के सपनों में खो जाव
किसी को अपना बना लो या किसी का हो जाव
अगर कुछ भी नही होता तो तकिया लो अऔर
सो जाव ,
बुझी हुयी समा फिर से जल सकती है
तूफान में गिरी कस्ती किनारे लग सकती है
मायूस ना होना कभी जिन्दगी में ..
ये किस्मत है कभी भी बदल सकती है
दिल ने कहा दोस्त को sms करो ,
फिर ख्याल आया की दिल तो पागल है ,
फिर सोचा दिल दिल अगर पागल है तो क्या हुवा ..
मेरा दोस्त कैन सा नौरमल है
वादियों से सूरज निकल आया है,
फ़िजावो ने नया रंग चाह है
खामोश हो अब तो मुस्कराव,आपकी
मुश्कान देखने हमारा sms आया है
गम वी जो आशु ला दे,ख़ुशी वो जो गम भुला दे
हमे तो चाहिए आपकी इतनी सी दोस्ती, जो
हमारे याद करने पर एक फोन कर दे
लिखे जो खत मैंने उसकी याद में,
पूरा पढ़ लिया पापा ने रात में
सुबह जब हुवा तो जुते इतने परे की
तेरे नाम वाला बाल गजनी में बदल गया
जब भी हम मैसेज करते है,लोग कहता है
इनको तो आदत है पैसा उराने की,मगर वो
नदान किया जाने, ये भी एक आदत है
रिश्ते निभाने की
बरे अरमानो से बनबाया है,
इसे रौशनी से सजाया है
जरा खिरकी खोल के देख लेना,आपको
good night कहने चाँद को भेजबाया है
गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449
मंगलवार, 22 जून 2010
बुधन पंडित जी
लेखक - मुकेश मिश्रा![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhT9fK_n6ny2Jt_cZw6WHC7q7UYayFDBps9kh7n_BP6d3mD6sqhOZVS5xuMMklqXMiOs7sPj-DZlAMW0Wu0dR3L-Rx7GEiFx-Y7WN9fAbzXASa-DcBR781_wuVq99jJ9GKD4VoRCtAs3fM/s320/M.jpg)
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhT9fK_n6ny2Jt_cZw6WHC7q7UYayFDBps9kh7n_BP6d3mD6sqhOZVS5xuMMklqXMiOs7sPj-DZlAMW0Wu0dR3L-Rx7GEiFx-Y7WN9fAbzXASa-DcBR781_wuVq99jJ9GKD4VoRCtAs3fM/s320/M.jpg)
बुधन पंडित जी
हमरा गाम में एगो बुधन पंडित जी छला,
बर तमशाह,कुनु धिया -पुता ज कखनो
कीछ कही देलखान,त फेर जुनी पुछु
मुदा तमशाह रहितो ..........
बर नामि छला, सत्यनारायन पूजा, बीभाह,
मुंडन,उपनयन,सब प्रयोजन में हिनका बजयल जात छ्ल, अहि प्रकारे दूर गाम से न्योता ऐलान, जे हमरा बचीयाक
बीभाह थीक से अपने एतिये,
पंडित जी तौयार भेला,और अपना गामक हजमा के सेहो संग ल लेला
दुनु गोटे से पहुचला ओही ठाम,........
धूम-धाम स बिबाहक तैयारी भ रहल छल,
दूर गाम से एला स पंडित जी थाकी गेल छला ,
आराम खातिर कीछ देर दलान पर चली गेला
गामक अगति छोरा जेना,मदन जी, चन्दन जी,
और अपन गाम घर स जुरल चारी पाच गो
अबिबाहित नबयुबक सब पंडित जी लग पहुचल
ओय में से एक जन अपन हाथ आगा बर्बैत,बजला
पंडित जी हमर बिबाह कहिया हेते
अगिला साल भ जेतो जो
ओ हाथ हटलैन की दोसर हाथ पहुचल
पंडित जी हमर बिबाह कहिया हेते
अगिला साल भ जेतो जो
ओ हाथ हटलैन की तेसर हाथ पहुचल
पंडित जी हमर बिबाह कहिया हेते
तोहर अहि साल भ जेतो जो
अहिना एगो हाथ हटें की दोसर,फेर तेसर ,
पंडित जी तबाह भ गेला
तामस आब लगलान,माथ घुरिया लगलेन,
मुदा तामस क बर्दास्त करेत बजलाह
आन गाम आयल छि ,एत कोना ऊट पतांग करब
अहि प्रकारे तामस क बर्दास्त करेत,छोरा सब क
अगिला साल पछिला साल कहैत बिभाहक समाय
दैत जाथिन,अहिना हैत हैत एगो लम्बा चोरा हाथ
पंडित जी के सामने एलैन, पंडित जी जाही ,हाथ पकरला
देखला एगो जनाना कम स कम एक कुंटल बीस किलो क
जनाना हाथ बर्बैत बजली ,पंडित जी हमर बीभाह
कहिया हेते.. पंडित जी क तामस बर्दास्त नै भेलैन ,
पंडित जी झट स उठला आ पट स जनाना क पटैक
छाती पर बैस गेला आर बजला ...............
अय छोरा सब के बिबाह अगिला पिछला साल त
भयै जेतै,मुदा हे मौगी तोहर बिबाह एखने हेतौ
एखने हेतौ तोहर बिबाह , एखने हेतौ तोहर बिबाह
गीतकार- मुकेश मिश्रा
9990379449
सोमवार, 21 जून 2010
बेबफा प्यार
बेबफा प्यार
लेखक - मुकेश मिश्रा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgVXU6NdZ32aEZmyZtzUf_Op1p62JS62WrzEsmVwnSPHDBziSE4eGM3mBzTghewPSSRkthyphenhyphenGLfqi-TrX3DL2dekN0D7qSbPs5vmWD_p5tweQxdI_njJ2w2P3uRPHFax0RQXLgC2f2knrU8/s320/M.jpg)
मैंने प्यार किया तुझसे , दिल की गहरायी से
वो हरजाई ऐसी निकली, मार डाला तनहायी से
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9gL1awCDXwH-hpcm3F6hPBS0AcSg8jtI421IiQWpVnGscYybRn5DWElW3sOWv3BGMI0JpW60m1ipbUCcMzEXRpFHJhE7wcoV2FzEI1CrDh2aQ2J6-rghgycwA199SS2IZDTXwdEa4Noc/s320/asin07.jpg)
माय भूल से कर बैठा प्यार
समझ नही आया उस नागिन का प्यार
जिन्दगी रह गयी मझदार में
दिल के टुकरे हुये हजार
जब आखे खुला उनकी इंतजार में देखा ...
वह मग्न है दुसरो के प्यार में
भूल गया था मै की वह दौलतमंद की बेटी है
मै मरता रहा और वो महलो में लेटी रही
इसीलिए कहता हु यारो ........
मत करना प्यार दौलतमंद की बेटी से
मार डालेगी अँखीयो की गोली से
गीतकार - मुकेश मिश्रा
9990379449
कोजगरा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMaZtdmkCMo4up3WRTd2I3WzY4kOVln9pb-m2eaTKT2usoreG0xxA8X-JgqY3T2bSmaCgP1iQq2V4o-000m58ucJuOXAf65O46L0iECHVOnV80C6l5J171P0juAee4b3KdoV7ydW73Ne8/s320/M.jpg)
लेखक - मुकेश मिश्रा
अहि रायतो क लाख -लाख अभिन्दन
अहि दिनों क लाख -लाख अभिन्दन
अपन गाम घर और अपन गाम घर स जुरल सब भाय क
गीत कार व एक्टर मुकेश मिश्रा के तरफ स
सेहो लाख -लाख अभिन्दन
कोजगरा
गणु घर आंगन चमकाबौथ, सजबौथ अपन दलान
नहु - नहु बात फटैय छैन चिबा रहल छैथ पान
आयल मुकेश जी पुछलक काका .......
मदन जी के छि काइल कोजगरा, कुन नाच मंगबैय छि
मुह मोरी क कहला मुकेशबा,सेहो नय बुझल खुलासा
तहन पहिले से करारी केने छाथ एक पछहतर टाका ,
आ एगो मोटर गारी से ज नै लेता देता त हेबे कर्तान झगरा
हेबे कर्तान झगरा रौऊ मुकेशबा हेबे कर्तान झगरा
कतबो करता खोयचातानी, देबअ परतान टिभी जपानी
सोन सनक मदनजी हमर, नोकरी छैय सरकारी
तैय जमाय के नैय कोना देथिन एगो गारी
संगे संग टोकना लोटा अरिया थारी,
देब कुन भेलै इ भारी ....
नै कोना देथिन समैध बोरा भरल मखान
तहन ने रात भैर ओगेर क परसब अपन दलान
आंगन में बूङी अरिपन द सुभे गीत गाबी रहल छैथ
कोंटा दिश ताकि रहल छैथ, जे किया नै भार आयल ह
एतेक राइत बीत गेलै ह, किया नै भार आयल ह
धरफर धरफर लोक करै य परसू गणु मखान .....
गीतकार- मुकेश मिश्रा
9990379449
रविवार, 20 जून 2010
दफन
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj9792fRczzQKGgpaWcVTwLmclzzp8QWcjvlO2URz-ac-3tWOqoYsOJ01bBZq15w5B_l094yNrYOWbGmt_SYnn00oQ20YXKmQeat5mH5EOHQ15HiCsYprekQ0YcVcvjDCTheeeCFisODjY/s320/love.jpg)
लेखक - मुकेश मिश्रा
दफन
ऐक बार मेरे मुल्क में एसा हुवा चलन
वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
पहली थी बारी गाँधी की
गाँधी जी आ गये
जब सुट बूट देखे तो वो तिलमिला गये
जब कहि मिलती नही मुल्क में खादी
तो कहने लगे .....
चलता हु भूल आया हु लाठी
वो सो गये समाधि में फिर तानकर कफन
वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
दूजी थी बारी चाचा नेहरू की .......
नेहरु जी आ गये
जब देखे बिगरे बच्चो तो वो भी तिलमिला गये
वो कह न सके सर्म के मारे पहले होश ढूंड लू
कहने लगे आता हु पहले रोज ढूंड लू
अब तक ना ढूंड पाए ,ऐसी लगी चुभन
वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
तीजी थी बारी लाल की......
गये लाल जी भी आ
जब मुछ कटे देखे तो वो भी तिलमिला गये
कहने लगे ऐसा सितम सह नही सकता
संग मुछ कटो के माय रह नही सकता
ना लौटने की उन्होंने भी ली कसमे
और कहने लगे तीनो मिलकर ......
अरे मुल्क बालो कहो, सुधर जाते क्यों नही
जिस तरह गुजरा वो दिन उधर जाते क्यों नही
तुम्हे साफ साफ शब्दों में समझा चूका हु
सब भुला कर ना कहना की वो आते क्यों नही
जब देखा उन्होंने ये उजरा हुवा चमन
वो फिर से लगे मरने और हो गये दफन वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
SONG WRITER-MUKESH MISHRA
CON..9990379449
दफन
ऐक बार मेरे मुल्क में एसा हुवा चलन
वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
पहली थी बारी गाँधी की
गाँधी जी आ गये
जब सुट बूट देखे तो वो तिलमिला गये
जब कहि मिलती नही मुल्क में खादी
तो कहने लगे .....
चलता हु भूल आया हु लाठी
वो सो गये समाधि में फिर तानकर कफन
वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
दूजी थी बारी चाचा नेहरू की .......
नेहरु जी आ गये
जब देखे बिगरे बच्चो तो वो भी तिलमिला गये
वो कह न सके सर्म के मारे पहले होश ढूंड लू
कहने लगे आता हु पहले रोज ढूंड लू
अब तक ना ढूंड पाए ,ऐसी लगी चुभन
वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
तीजी थी बारी लाल की......
गये लाल जी भी आ
जब मुछ कटे देखे तो वो भी तिलमिला गये
कहने लगे ऐसा सितम सह नही सकता
संग मुछ कटो के माय रह नही सकता
ना लौटने की उन्होंने भी ली कसमे
और कहने लगे तीनो मिलकर ......
अरे मुल्क बालो कहो, सुधर जाते क्यों नही
जिस तरह गुजरा वो दिन उधर जाते क्यों नही
तुम्हे साफ साफ शब्दों में समझा चूका हु
सब भुला कर ना कहना की वो आते क्यों नही
जब देखा उन्होंने ये उजरा हुवा चमन
वो फिर से लगे मरने और हो गये दफन वो वापसी होने लगे जो हो चुके थे दफन
SONG WRITER-MUKESH MISHRA
CON..9990379449
एक नकपिची लरकी ....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEj_2TKetJCncRsGAM-KChqPJECsNW26uiaOkYVXzjh8k6qTCHvOWh5sj6Kd5QIKMV-GnE69QTEHgo2qyUUGnWFqg7gOEuHMtMSYiLtFnvB1aKTzJJcn4qlA88TxQoB63IISihhT3x2cCZU/s320/Image004.jpg)
लेखक - मुकेश मिश्रा एक नकपिची लरकी .... 9990379449
एक नकपिची लरकी थी ,एक लरके पे मरती थी
चोरी -चोरी छत पे आ कर,रोज मिला करती थी
मिलते -मिलते फस गई ,उसको वो लरका पट गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
किसी न किसी बहाने रोज हमसे लरती थी
छोटी सी नन्ही सी नादान सा वो दिखती थी
लरते- लरते, रोते -रोते बाहोंमे शमा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मुझे देखने रोज सबेरे ही उठ जाती थी
देख के नको पे अंगुली की इसारा करती थी
हेलो टाटा बाय-बाय कह के सासों में शमा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरे घर में एक दिन टीबी देखने आयी थी
मेरे बहो में बैठ कर मेरे गालो को चूमी थी
सादी करुगी तुझी से हसते-हसते कह गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
एक दिन छत पे खेलने वो आयी थी
मुझे देख वहा कोई जनत ही पायी थी
खेलना छोर पीछे से मेरे कन्धो पे लटक गई
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरे मुबायल पे किसी अजनबी लरकी की फोन आयी थी
पीछे से आकर अपने कान को मेरे फोन में सटायी थी
गुसे से फोन छीन कर निचे फेक गई
एक नकपिची लरकी थी...............
एक सहेली शालू थी पर वो बहुत चालू थी
दोनों ने मिलकर एक दिन मुझे बनाया भालू थी
आय लब यु कह दो शालू ने बता गई
एक नकपिची लरकी थी...............
दुसरे ही दिन माय ने आय लब यु कह दिया
शर्म के मरे उनका बुरा हाल हो गया
हस्ते मुस्कुराते आख मर के वो वहा से चली गई
एक नकपिची लरकी थी...............
अचानक स्कूल में आ गई गर्मी की छुटी
वो चली गई दीदी के पास बांध के दो जुटी
जाते जाते फोन करुगी मुझे वो बता गई
एक नकपिची लरकी थी...............
सुबह-सुबह मिसकॉल आया माय समझा मेहमान आया
माय ने इधर से फोन लगाया रूह में मेरे जान आया
रखती हु दीदी आयी ,फोन को वो काट गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
दुसरे दिन फोन पे कहि एक लरका मुझे देखता है
माय ने कहा देखनेदो;कुछ करता तो नही
मार ही दंगी फोन पे गुनगुना गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
किसी बहाने माय ने उसे वहा से बुला लिया
देख कर माय उसे दिल में लगी आग बुझा लिया
बच के रहना हम से गुसे में बता गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
रूठ गयी वो हमसे कैसे उसे मनावू
भाभी से पुछा कैसे उसे पावू
भाभी ने हम दोनों को आपस में मिला गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
स्टेसन तक छोरने हम भी साथ गये थे
उसकी खामोसी देख सरमा हम गये थे
गारी में बैठ के हमे अकेला छोर गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गाव जाने से पहले अपनी सहेली संगीता को कुछ बता गयी
कह देना तुम उन्हें माय सदी उसी से करूंगी
दिल की अरमा जुवा पे ला गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गाव जा कर उसकी ममी ने एक चाल चल दी
फोन कर के बिटु माँ को हमे बदनाम कर दी
दिल में लगा चोट नींद भी भाग गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
सबेरे ही फोन पे उसने हम से पुछा किया हुवा
मई ने कहा हम से अच्छा लरका तुम्हे मिलेगा
चार कैमरा तुम्हारे सदी में ले जवुगा
धूम -धाम से तुम्हारी सदी की लडू भी खाऊगा
उसने बोली और किया देखोगे ..
माय ने कहा ..तुम्हारी सादी देखूगा उसने बोली..मेरी मरी हुयी मुह देखोगे
यू कह के फोन को वो काट गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मुझे लगा मुझसे बहुत प्यार करती है वो
मेरे बगैर जिन्दा ना रह सकती है वो
माय भी बेसुमार प्यार उसे करने लगा
खुवाबो में रोज उसे देखने लगा
दिल में हलचल मचा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
चोरी चोरी मै उसका तस्बीर खीचने लगा
पूरी तस्बीर खीच के तोफा में उसे दे आया
धन्यबाद कह के हस के वो चिली गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
यु ही समाय बीतने लगा हम दोनों प्यार में डूबते गये
एक दुसरे को दखने में ही समाय बीतते गये
हवा की डोर ने हम दोनों को बांध गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
किसी लायला मजनू से कम नही मेरा ये मुहब्त
उसे देखने में ही समय बीत गया मिली नही फुर्सत
आखो में झिलमिल सी रोशनी वो दे गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
उसके प्यार में माय इस कदर डूब गया
उसे छोर कहि जाने का मन नही किया
प्यार की एक जोत दिल में जगा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
उसके माँ पापा दादा दादी सब को माय भा गया
सादी होगा मेरा इससे माय सरमा गया
दिल में इंतजार का ललक छोर गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गाव से मेरे दादा जी मेरे पास आये थे
अपने प्यार की दस्ता उन्हें सुनाये थे
करलेना उसी से सादी ये बात कह गये
एक नकपिची लरकी थी...............
सब को अच्छा लगा पर उसे अच्छा ना लगा
मेरे सिबा एक और लरका उसे चाहने लगा
मुझे पसंद नही ये लरका मेरे बारे में बता गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
पता लगाया आखिर ये लरका है कौन
पता चला उसी के साथ पढ़ती है टीयुसन
मुझे छोर उस लरका में समा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
घर के गेट लगा कर सामने वो बैठती थी
पढाय के बहाने उससे प्यार की बाते करती थी
मेरा हाथ छोर उसका हाथ पकर गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरा प्यार भुलाकर उससे वो प्यार करने लगी
बचपन की इस डोर को पल में वो तोर गयी
कैसे जीयु उसके बिन कुछ ना बता गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
वो तो मुझे भूल गयी पर माय कैसे भूल पौउगा
जब तक जिन्दा रहूँगा उसी को माय चाहुगा
मेरे दिए तोफा भी फेक गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
खत्म कर दी सारी जज्बात की कहानी
कैसे कहू माय यारो थी वो मेरी सपना रानी
तीर मार के वो मुझे कब्र पे सुला गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
प्यार तो इस्वर का दिया बरदान होता है
जो ना इसे समझा वो नदान होता है
मेरे यादो को छोर उसकी यादो में समा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरे दिल को छोर उस के दिल में घर बसा गयी
दुवा करुगा उसे वो मिल जय जिसमे वो रमा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गुल को गुलाब बना देता गुलाब को कमल बना देता
आपकी ऐक मुस्कान पे कितना गजल लिख देता
सपना जी आप मेरा साथ छोरती नही तो आपके
नाम से बिहार में भी ऐक ताजमहल बना देता,
(कुछ बाते)
१.प्यार इस्वर का बरदान होता है
२.तरप प्यार का पहचान होता है
३.पार्थना ,तपसिया,पूजा ,खोना को प्यार कहते है
४.दो दिलो का मीलन प्यार का रूप है
५.प्यार एक से होता है
६.कृष्ण ने राधा से सादी नही की ,पर दुनिया उनके प्यार को पूजता है
७.प्यार में रोवो मत हिमत रखो
८.अपने प्यार पे भरोसा रखो
mukesh.mishra@rediffmail.com
९९९०३७९४४९,
एक नकपिची लरकी थी ,एक लरके पे मरती थी
चोरी -चोरी छत पे आ कर,रोज मिला करती थी
मिलते -मिलते फस गई ,उसको वो लरका पट गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
किसी न किसी बहाने रोज हमसे लरती थी
छोटी सी नन्ही सी नादान सा वो दिखती थी
लरते- लरते, रोते -रोते बाहोंमे शमा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मुझे देखने रोज सबेरे ही उठ जाती थी
देख के नको पे अंगुली की इसारा करती थी
हेलो टाटा बाय-बाय कह के सासों में शमा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरे घर में एक दिन टीबी देखने आयी थी
मेरे बहो में बैठ कर मेरे गालो को चूमी थी
सादी करुगी तुझी से हसते-हसते कह गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
एक दिन छत पे खेलने वो आयी थी
मुझे देख वहा कोई जनत ही पायी थी
खेलना छोर पीछे से मेरे कन्धो पे लटक गई
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरे मुबायल पे किसी अजनबी लरकी की फोन आयी थी
पीछे से आकर अपने कान को मेरे फोन में सटायी थी
गुसे से फोन छीन कर निचे फेक गई
एक नकपिची लरकी थी...............
एक सहेली शालू थी पर वो बहुत चालू थी
दोनों ने मिलकर एक दिन मुझे बनाया भालू थी
आय लब यु कह दो शालू ने बता गई
एक नकपिची लरकी थी...............
दुसरे ही दिन माय ने आय लब यु कह दिया
शर्म के मरे उनका बुरा हाल हो गया
हस्ते मुस्कुराते आख मर के वो वहा से चली गई
एक नकपिची लरकी थी...............
अचानक स्कूल में आ गई गर्मी की छुटी
वो चली गई दीदी के पास बांध के दो जुटी
जाते जाते फोन करुगी मुझे वो बता गई
एक नकपिची लरकी थी...............
सुबह-सुबह मिसकॉल आया माय समझा मेहमान आया
माय ने इधर से फोन लगाया रूह में मेरे जान आया
रखती हु दीदी आयी ,फोन को वो काट गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
दुसरे दिन फोन पे कहि एक लरका मुझे देखता है
माय ने कहा देखनेदो;कुछ करता तो नही
मार ही दंगी फोन पे गुनगुना गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
किसी बहाने माय ने उसे वहा से बुला लिया
देख कर माय उसे दिल में लगी आग बुझा लिया
बच के रहना हम से गुसे में बता गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
रूठ गयी वो हमसे कैसे उसे मनावू
भाभी से पुछा कैसे उसे पावू
भाभी ने हम दोनों को आपस में मिला गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
स्टेसन तक छोरने हम भी साथ गये थे
उसकी खामोसी देख सरमा हम गये थे
गारी में बैठ के हमे अकेला छोर गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गाव जाने से पहले अपनी सहेली संगीता को कुछ बता गयी
कह देना तुम उन्हें माय सदी उसी से करूंगी
दिल की अरमा जुवा पे ला गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गाव जा कर उसकी ममी ने एक चाल चल दी
फोन कर के बिटु माँ को हमे बदनाम कर दी
दिल में लगा चोट नींद भी भाग गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
सबेरे ही फोन पे उसने हम से पुछा किया हुवा
मई ने कहा हम से अच्छा लरका तुम्हे मिलेगा
चार कैमरा तुम्हारे सदी में ले जवुगा
धूम -धाम से तुम्हारी सदी की लडू भी खाऊगा
उसने बोली और किया देखोगे ..
माय ने कहा ..तुम्हारी सादी देखूगा उसने बोली..मेरी मरी हुयी मुह देखोगे
यू कह के फोन को वो काट गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मुझे लगा मुझसे बहुत प्यार करती है वो
मेरे बगैर जिन्दा ना रह सकती है वो
माय भी बेसुमार प्यार उसे करने लगा
खुवाबो में रोज उसे देखने लगा
दिल में हलचल मचा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
चोरी चोरी मै उसका तस्बीर खीचने लगा
पूरी तस्बीर खीच के तोफा में उसे दे आया
धन्यबाद कह के हस के वो चिली गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
यु ही समाय बीतने लगा हम दोनों प्यार में डूबते गये
एक दुसरे को दखने में ही समाय बीतते गये
हवा की डोर ने हम दोनों को बांध गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
किसी लायला मजनू से कम नही मेरा ये मुहब्त
उसे देखने में ही समय बीत गया मिली नही फुर्सत
आखो में झिलमिल सी रोशनी वो दे गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
उसके प्यार में माय इस कदर डूब गया
उसे छोर कहि जाने का मन नही किया
प्यार की एक जोत दिल में जगा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
उसके माँ पापा दादा दादी सब को माय भा गया
सादी होगा मेरा इससे माय सरमा गया
दिल में इंतजार का ललक छोर गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गाव से मेरे दादा जी मेरे पास आये थे
अपने प्यार की दस्ता उन्हें सुनाये थे
करलेना उसी से सादी ये बात कह गये
एक नकपिची लरकी थी...............
सब को अच्छा लगा पर उसे अच्छा ना लगा
मेरे सिबा एक और लरका उसे चाहने लगा
मुझे पसंद नही ये लरका मेरे बारे में बता गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
पता लगाया आखिर ये लरका है कौन
पता चला उसी के साथ पढ़ती है टीयुसन
मुझे छोर उस लरका में समा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
घर के गेट लगा कर सामने वो बैठती थी
पढाय के बहाने उससे प्यार की बाते करती थी
मेरा हाथ छोर उसका हाथ पकर गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरा प्यार भुलाकर उससे वो प्यार करने लगी
बचपन की इस डोर को पल में वो तोर गयी
कैसे जीयु उसके बिन कुछ ना बता गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
वो तो मुझे भूल गयी पर माय कैसे भूल पौउगा
जब तक जिन्दा रहूँगा उसी को माय चाहुगा
मेरे दिए तोफा भी फेक गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
खत्म कर दी सारी जज्बात की कहानी
कैसे कहू माय यारो थी वो मेरी सपना रानी
तीर मार के वो मुझे कब्र पे सुला गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
प्यार तो इस्वर का दिया बरदान होता है
जो ना इसे समझा वो नदान होता है
मेरे यादो को छोर उसकी यादो में समा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
मेरे दिल को छोर उस के दिल में घर बसा गयी
दुवा करुगा उसे वो मिल जय जिसमे वो रमा गयी
एक नकपिची लरकी थी...............
गुल को गुलाब बना देता गुलाब को कमल बना देता
आपकी ऐक मुस्कान पे कितना गजल लिख देता
सपना जी आप मेरा साथ छोरती नही तो आपके
नाम से बिहार में भी ऐक ताजमहल बना देता,
(कुछ बाते)
१.प्यार इस्वर का बरदान होता है
२.तरप प्यार का पहचान होता है
३.पार्थना ,तपसिया,पूजा ,खोना को प्यार कहते है
४.दो दिलो का मीलन प्यार का रूप है
५.प्यार एक से होता है
६.कृष्ण ने राधा से सादी नही की ,पर दुनिया उनके प्यार को पूजता है
७.प्यार में रोवो मत हिमत रखो
८.अपने प्यार पे भरोसा रखो
mukesh.mishra@rediffmail.com
९९९०३७९४४९,
मंगलवार, 15 जून 2010
मक्ष्छर चलिसा
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjVOUA8rq6uR7w4N1mhvCIe5KKAlWhwVv3Ae68opqgYD80UkrbfnXTnJPyhPMPwoALgxH1Jy2VN5pc9T2Vho8sAKtJ3fbQuivAYvsI0v8fJSQEnlCv6be7gU-0eQp_KnSdP2HbtmwkTtzOJ/s320/clip_image002.jpg)
दोहा
अति आबस्यक जानी के होके अति लचार ,
बरनो मच्छर सक्ल गुणों दुख दायक ब्यबहार ।
बिना मसहरि दिन हूँ सुनहू सकल नर्रनार ,
मक्ष्छर चलिसा लिखक पढ़उ सोइच बिचैर ।।
चोपाई
जय मच्छर भगवान उजागर ।
जय अनगिनित हे रोग के सागर ।।
नदियाँ पोखैर गंगा सागर ।
सबठाम रहते छी अही उजा गर ।।
नीम हकिम के अही रखबारे ।
डाक्टर के भेलो अतिश्य प्यारे ।।
मलेरिया के छी अहा दाता ।
छी खटमल के प्यारे भ्राता ।।
जरी बुट्टी से काज नऽ बनल ।
अंग्रेजी दबाइर् जलदी फीट करल ।।
आउल आउट गुडनाइर्ट अपनेलो ।
फेर अपन अहा जान बचेलो ।।
दिन दुखि सब धुप में जरैत छैथ ।
रैतो में बेचैन रहैत छैथ ।।
संझ – भोर अहा राग सुनाबी ।
गूं गूं के नाम कमाबी ।।
राजा छैथ या रंक फकिरा ।
सब के केलो अपनेही मत धिरा ।।
रूप कुरूप न अहा मानलो ।
छोटका - बऱका नै अहा जनलो ।।
नर छैथ या स्वर्गाक नारी ।
सब के समक्ष बनलो अहा भारी।।
भिन्न भिन्न जे रोग सुनेला ।
डाकटर कुमार फेर शर्मेला ।।
सब दफ्तर में आदर पेलो ।
बिना इजाजत के अहा घुस गेलो ।।
चाट परल जिन्गी से गेलो ।
कनैत खिजैत परिवार गमलो ।।
जय - जय हे मक्ष्छर भगवाना ।
माफ करू सबटा जुर्माना ।।
छी अहा नाथ साथ हम चेरा ।
जल्दी उजारारू अहा अपनेही डेरा ।।
दोहा
निश बंसर शंकर करण मालिन महा अति कुर |
अपन दल बल सहित बशु कहि जा दुर ||
मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल (कोठिया), भैरव स्थान ,
झंझारपुर , मधुबनी , बिहार ,८४७४०४
शनिवार, 12 जून 2010
कोई दोस्त ऐसा बनाया जाये,
कोई दोस्त ऐसा बनाया जाये,
जिसके आसुओं को पलकों में छुपाया जाए,
रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा,
की अगर वो रहे उदास
तो हमसे भी न
मुस्कुराया जाए ,
आपाने अपनी आँखों में नूर छुपा रखा है,
होश वालो को दीवाना बना रखा है,
नाज़ कैसे न करू आपकी दोस्ती पर,
मुज जैसे नाचीज को खास बना रखा है...
फूल सुख जाते है एक वक्त के बाद,
लोग बदल जाते है एक वक़्त के बाद,
अपनी दोस्ती भी टूटेगी एक वक़्त के बाद,
लेकिन वोह वक़्त आयेगा मेरी मौत के बाद...
हम दोस्ती में हद ए गुज़र जायेंगे ,
यह जिंदगी आपके नाम कर जायेंगे,
आप रोया करेंगे हमे याद करके,
आपके दामन में इतना प्यार छोड़ जायेंगे
SHAILESH NAILWAL
SHAILESH NAILWAL
9990113919
मंगलवार, 8 जून 2010
बहुत गलत बात अछि
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjXpubIdY8unLlg977LaMzz12TVEhQecbOuV2nhflHBCjxW6bdPL5DgA88WEJFSWwK6clnwTv5Ag2GIc97lv3KyA_v6-qGXUMCI7p9G3Vzw5_LzHWx_-sIojGZrDcDp7WvJyAo5kCA9Kwfa/s320/madan.jpg)
दूध में पैन के , दुश्मनी में आईंन के , गाम में डैन के ,
बहुत गलत बात अछि --------
बर्बाद करै में मुस के , नोकरी मे घुस के , बनिया में मखीचूस के ,
बहुत गलत बात अछि --------
भाई में बैमान के , कर्म में अभिमान के , मनुष्य में सैतान के ,
बहुत गलत बात अछि --------
नशा में दारू के , आदमी में भारू के , मिया - बीबी संग झारू के ,
बहुत गलत बात अछि --------
मेला में जेवर के , डैविटिज में मिठाई घेवर के , बदमाशी में देवर के ,
बहुत गलत बात अछि --------
पूजा -पाट बिना पीपल के ,श्रधकर्म बिना पीतल के , बरी -भात बिना जूरी शीतल के ,
बहुत - गलत बात अछि ---------------
नारी गर्दन बिना अठन्नी के, समान बेचनाय बिना पन्नी के , पेंटिंग बिना मधुबनी के ,
बहुत - गलत बात अछि ---------------
डिगरी बिना ईग्न्नु के , खिसा -पिहानी बिना गन्नू के , लेन - देन में भीख मग्न्नु के
बहुत - गलत बात अछि ---------------
आदमी में दुराचारी के , फल में मह्कारी के , इंडिया में बेरोजगारी के ,
बहुत गलत बात अछि --------
समाज में काम चोर के , आदमी में सुईद खोर के , लराई में लातखोर के ,
बहुत गलत बात अछि --------
ब्यबसय में मन मर्जी के , सिग्नेचर में फर्जी के , फोज में बिना बर्दी के ,
बहुत गलत बात अछि --------
बस में जेब कत्तर के , हर बात में अक्तर के , गंदगी में बत्तर के ,
बहुत गलत बात अछि --------
सरक पर भीख माँगा के , सहर में लफंगा के , शरीर में बिना अंगा के
बहुत गलत बात अछि --------
चलें में मटकैत के , जंगली एरिया में डकैत के , गाम में लठैत ,
बहुत गलत बात अछि --------
नशा में सिकरेट के , हर बात में डारेकट के , आदत में क्रिकेट के ,
बहुत गलत बात अछि --------
इंडिया में बिना टेक्स के , दफ्तर में बिना फेक्स के , फॉरनर में सेक्स के ,
बहुत गलत बात अछि --------
विराद्धा अबस्था में बिना लाठी के , चिता पर बिना काठी के , सीरियल में बिना मराठी के ,
बहुत गलत बात अछि -----
शरक पर क्च्चरा के , बारादरी में झगरा के , कागज - पत्तर में लफरा के ,
बहुत गलत बात अछि -----
गाम में बिना भोज के , मजदूरी में बिना रोज के , साइंस में बिना खोज के ,
बहुत गलत बात अछि -----
यात्रा बिना मंगल के , प्रोग्राम बिना दंगल के , व्रत में अंजल के ,
बहुत गलत बात अछि -----
विदियार्थी बिना मास्टर के , हॉस्पिटल बिना डाक्टर के , फिल्म बिना डारेक्टर के ,
बहुत गलत बात अछि -----
उग्रवादी बिना तालिवान के , कुस्ती बिना पहलवान के , अतिथि के बिना जलपान के,
बहुत गलत बात अछि -----
मनोरंजन बिना खेल के , बिजनेस बिना सेल के , कैदी बिना जेल के ,
बहुत गलत बात अछि -----
रेड लाइट बिना अक्सिडेंट के , हॉस्पिटल बिना पेशेंट के , दाँत बिना पेप्सोडेंट के ,
बहुत गलत बात अछि -----
जनौऊ संस्कार बिना बरुवा के , मैथिल भोजन करेनाय बिना तरुवा के , आराम केनाय बिना गेरुवा के ,
बहुत गलत बात अछि ---------
अध्ययन बिना कम्पूटर के , पंखा बिना रेगुलेटर के , नियूज बिना प्रेशरिपोटर के ,
बहुत गलत बात अछि ---------
भगवन पूजा बिना माला के , घर छोरी बिना ताला के , सासुर जेनाय बिना साला के ,
बहुत गलत बात अछि ---------
शहर में बिना लाइट के , लराई में बिना फाइट के , जींस पेंट बिना टाईट के ,
बहुत गलत बात अछि -----
नागरिकता बिना मतदान के , जिनगी बिना कन्यादान के , परोपकर बिना रक्तदान के ,
बहुत गलत बात अछि -----------
महाभारत में शोक्न्नी के , शहर में बिना पत्त्नी के , आ रचना में बिना टिप्पणी के ,
बहुत गलत बात अछि -----
मदन कुमार ठाकुर
पट्टीटोल ,
भैरव स्थान ,
झंझारपुर ,मधुबनी ,
बिहार - ८४७४०४
mo- 9312460150
गुरुवार, 3 जून 2010
जून,2010 केर पाबनि-तिहार
4 जून-कालाष्टमी व्रत
5 जून-शीतलाष्टमी
6 जून-नवमी
8-अपरा/अचला एकादशी
9 जून-मधुसूदन द्वादशी
10 जून-वट सावित्री व्रत आरंभ। प्रदोष व्रत। शिवरात्रि व्रत।
11 जून-फलहारिनी कालिका पूजा
12 जून-शनिदेव अमावस्या,ज्येष्ट अमावस्या,वटसावित्री अमावस्या,पीपल पूजन,
13 जून-दस दिनक गंगा दशहरा-स्नान प्रारंभ
15-मिथुन संक्रांति तृतीया
16 जून-विनायक चतुर्थी,पंचमी
17 जून-विंध्यवासिनी पूजन,षष्टी
19 जून-दुर्गाष्टमी व्रत,श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत
21 जून-निर्जला एकादशी। आचार्य श्रीराम शर्मा के पुण्यतिथि,सौर वर्षाकाल प्रारंभ
23-प्रदोष
24-त्रयोदशी,आद्याशक्ति के महापूजा के विशेष योग
25 जून- पूर्णिमा व्रत। सत्यनारायण पूजा-कथा
26-ज्येष्ट/वटसावित्री/देवस्नान पूर्णिमा
30-गणेश चतुर्थी
5 जून-शीतलाष्टमी
6 जून-नवमी
8-अपरा/अचला एकादशी
9 जून-मधुसूदन द्वादशी
10 जून-वट सावित्री व्रत आरंभ। प्रदोष व्रत। शिवरात्रि व्रत।
11 जून-फलहारिनी कालिका पूजा
12 जून-शनिदेव अमावस्या,ज्येष्ट अमावस्या,वटसावित्री अमावस्या,पीपल पूजन,
13 जून-दस दिनक गंगा दशहरा-स्नान प्रारंभ
15-मिथुन संक्रांति तृतीया
16 जून-विनायक चतुर्थी,पंचमी
17 जून-विंध्यवासिनी पूजन,षष्टी
19 जून-दुर्गाष्टमी व्रत,श्रीअन्नपूर्णाष्टमी व्रत
21 जून-निर्जला एकादशी। आचार्य श्रीराम शर्मा के पुण्यतिथि,सौर वर्षाकाल प्रारंभ
23-प्रदोष
24-त्रयोदशी,आद्याशक्ति के महापूजा के विशेष योग
25 जून- पूर्णिमा व्रत। सत्यनारायण पूजा-कथा
26-ज्येष्ट/वटसावित्री/देवस्नान पूर्णिमा
30-गणेश चतुर्थी
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