किछु त हम करब
अवस्था भेल हमर आब बेसी
टूघैर टूघैर हम चालब
अहाँ आगू आगू हम पाछू पाछू मुदा
अपना माटि पानि लेल किछु त हम करब
नुनु बौआ अहाँ आऊ दाय अहूँ आऊ
दुनू गोटे मिली जल्दी सँमैथिली
में किछु खिस्सा सुनाऊनान्ही टा में
बजलौहं एखनो बाजू मातृभाषा में
बाजू अहाँ निधोख
कनि अहाँ बाजू कनेक हम बाजब
नहि बाजब त कोना बुझहत लोक परदेश
जायत मातर किछु लोग बिसैर जायत छित
मातृभाषा केंअहिं बिसैर जायब त
आजुक नेना कोना बुझहतकहें मीठगर
स्वाद होयत अछि मातृभाषा कें
अप्पन माटि पानि अप्पन भाषा संस्कृतिपूर्वज के
दए गेल एकटा अनमोल धरोहर
एही धरोहर के हम बंचा के राखबअपना माटी पानि लेल
किछु त हम करब कोना होयत
अप्पन माटिक आर्थिक विकास
सभ मिली एकटा बैसार करू
कनेक सोचू सभहक अछि एकटा इ दायित्व
किछु बिचार हम कहब किछु त अहूँ कहू
हमरा अहाँक किछु कर्तब्य बनैत अछि
एही परम कर्तब्य सँ मुहँ नहि मोडू
स्नेह रखू हृदय में सभ के गला लगाऊअपना माटी पानि सँ
लोक के जोडू समाजक लोक अपने में फुट्बैल करैत
छथिमनसुख देशी त धनसुख परदेशी
एक्के समाज में रहि ऐना
जुनि करू एकजुट हेबाक प्रयास आओर बेसी करू
एक भए एक दोसरक दुःख दर्द बुझहबअनको लेल
किएक ने कतेको दुःख सहबआई एकटा एहने समाजक निर्माण करब
जीबैत जिनगी किछु त हम करब
हाम्रो अछि एकटा सेहनता
एक ठाम बैसीसभ लोक अपन भाषा में बाजब
औरदा अछि आब कम मुदा जीबैत जिनगी
अपना माटी पानि लेल किछु त हम करब
लेखक - किशन कारीगर
मंगलवार, 19 अप्रैल 2011
शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011
दहेज़ मुक्त मिथिला
दहेज़ मुक्त मिथिला
जन - जन के अबैत अछि आबाज ,
दहेज़ मिटाओ यो मिथिला के राज
गुजराल बुढ पूरानक बात ,
नव युवक रखैया आई अपन आगाज
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -
जुग बितल आयल नव जमाना ,
संस्कृति बचाऊ सब मारैया ताना
कोट - कचहरी वियाह करैया ,
कन्यादान के आब बुझैया
नव युवक मंगैया आब अपन जबाब
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -
अहिना चलत ज ई जोड़ - जमाना ,
की - की नै करत नव युबक अपन बहाना
बात मानू सब खाऊ मिल किरियो ,
बेटा - बेटी में लेब नै दू टा कोरियो
नब युवक के देखू आयल राज
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -
गाम - गाम में रह्त ई शान ,
बेटा नै बेचीलैथी छैथि निक इंशान
दोसरक घर के भीख ज़ोउ मांगब ,
भीख मांगा के नाम से जानब
नव युबक बात पर राखु आब नाज
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -
छी परदेशी या कउनु सहरी ,
सुनू पुकार आई मिथिला के
जों संस्कृति छोरी गेला ओ ,
संतान कहओता ओ दोगला के
नव युबक बात के नै मनाब खाराप
दहेज़ मुक्त मिथिला बनाऊ आब -
madan kumar thakur
रविवार, 3 अप्रैल 2011
भिन भिनौज।
भिन भिनौज।
आई अपने भैयारी मे कए रहल छी कटवा-कटौज
भ रहल छी अपने भैयारी मे भिन भिनौज
बाबू जी अनैत छलाह किछू नीक निकौत
त दुनू भाई करैत छलहूॅ खूम घोंघाउज।।
एक्के थारी में बैसी के खाइत छलहूॅ
मुदा एहेन बॅटवारा नहि देखल
ओ नहि हमरा देखैत अछि हम नहि ओकरा
कनेक नासमझीपन आब भिन भिनौज सेहो करेलक।।
बाबू जी केर मोन दुखित भेलैन केकरो आब आस नहि
ओ कहैत छै हम नहि देखबैए भैयाक पार छै
हम कहैत छियैक हम किया देखबैए छोटका के पार छै
मरै बेर मे आब बुरहबा के एक लोटा पानि देनिहार कियो ने।।
छोटकी पुतहू झॉउ झॉउ क रहल अछि
त सैझलियो कोनो दसा बॉकी नहि रखने अछि
ई कटवा कटौज आई अपने मे भए रहल अछि
एहेन भिन भिनौज देखि बुरहबा शोक संतापे मरि रहल अछि।।
झर झर बहि रहल अछि बुरहबाक ऑखि सॅ नोर
एसकरे कुहैर रहल छथि मुदा केकरा करताह सोर
सब किछू एक रंगे बॉटि देलाक बादो
पुतहू मुॅह चमकबैत अछि त बेटा खिसियाअैत अछि भोरे भोर।।
हमरा सुखचेन सॅ मरअ दियअ ने
सभ सॅ बुरहबा नेहोरा कए रहल छथि
मुदा जल्दी मरि जाउ घरक गारजीयन ई बुरहबा
सभ मिली हुनका गंगा लाभ करा रहल छथि।।
गंगा लाभ करैते मातर थरा थरा के मरि गेलाह
ओही दुनू कपूतक बाप ओ अभागल बुरहबा
ई सुनि आई किशन बहा रहल अछि नोर
कठियारी जेबाक लेल केकरा करत सोर।।
हाई रे आधुनिक बेटा पुतहू ई की
जीबैत जिनगी माए बापक सत्कार नहि करैत छी
मुदा हुनका मरलाक बाद ई की
पॉच गाम ल पूरी जिलेबीक भोज किएक करैत छी।।
केकरा सॅ कहू ओई बुरहबाक दुःख तकलीफ
अपटी खेत मे चलि गेल प्राण हुनकर
एहेन नहि देखल ई कटवा कटौज
कारीगर करैत अछि नेहारा नहि करू एहेन भिन भिनौज।।
लेखक:- किशन कारीगर ।
आई अपने भैयारी मे कए रहल छी कटवा-कटौज
भ रहल छी अपने भैयारी मे भिन भिनौज
बाबू जी अनैत छलाह किछू नीक निकौत
त दुनू भाई करैत छलहूॅ खूम घोंघाउज।।
एक्के थारी में बैसी के खाइत छलहूॅ
मुदा एहेन बॅटवारा नहि देखल
ओ नहि हमरा देखैत अछि हम नहि ओकरा
कनेक नासमझीपन आब भिन भिनौज सेहो करेलक।।
बाबू जी केर मोन दुखित भेलैन केकरो आब आस नहि
ओ कहैत छै हम नहि देखबैए भैयाक पार छै
हम कहैत छियैक हम किया देखबैए छोटका के पार छै
मरै बेर मे आब बुरहबा के एक लोटा पानि देनिहार कियो ने।।
छोटकी पुतहू झॉउ झॉउ क रहल अछि
त सैझलियो कोनो दसा बॉकी नहि रखने अछि
ई कटवा कटौज आई अपने मे भए रहल अछि
एहेन भिन भिनौज देखि बुरहबा शोक संतापे मरि रहल अछि।।
झर झर बहि रहल अछि बुरहबाक ऑखि सॅ नोर
एसकरे कुहैर रहल छथि मुदा केकरा करताह सोर
सब किछू एक रंगे बॉटि देलाक बादो
पुतहू मुॅह चमकबैत अछि त बेटा खिसियाअैत अछि भोरे भोर।।
हमरा सुखचेन सॅ मरअ दियअ ने
सभ सॅ बुरहबा नेहोरा कए रहल छथि
मुदा जल्दी मरि जाउ घरक गारजीयन ई बुरहबा
सभ मिली हुनका गंगा लाभ करा रहल छथि।।
गंगा लाभ करैते मातर थरा थरा के मरि गेलाह
ओही दुनू कपूतक बाप ओ अभागल बुरहबा
ई सुनि आई किशन बहा रहल अछि नोर
कठियारी जेबाक लेल केकरा करत सोर।।
हाई रे आधुनिक बेटा पुतहू ई की
जीबैत जिनगी माए बापक सत्कार नहि करैत छी
मुदा हुनका मरलाक बाद ई की
पॉच गाम ल पूरी जिलेबीक भोज किएक करैत छी।।
केकरा सॅ कहू ओई बुरहबाक दुःख तकलीफ
अपटी खेत मे चलि गेल प्राण हुनकर
एहेन नहि देखल ई कटवा कटौज
कारीगर करैत अछि नेहारा नहि करू एहेन भिन भिनौज।।
लेखक:- किशन कारीगर ।
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