(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 28 मार्च 2012

कहू कि फूसि बजय छी?

गप्पे टा हम नीक करय छी, सबटा उनटा काज।
एहि कारण सँ टूटि रहल अछि मैथिल सकल समाज।
कहू कि फूसि बजय छी?

टाका देलहुँ, बेटी देलहुँ, केलहुँ कन्यादान।
ओहि टाका सँ फुटल फटाका खेलहुँ पान मखान।
दाता बनल भिखारी देखियो केहेन बनल अछि रीति,
कोना अयाची के बेटा सब माँगि देखाबथि शान।
कहू कि फूसि बजय छी?

माछ-मांस केर मैथिल प्रेमी मचल जगत मे शोर।
घर मे सम्हरि सम्हरि केँ खेता सानि सानि केँ झोर।
बरियाती मे झोर किनारा खाली माउसक बुट्टी,
मिथिला केर व्यवहार कोनाकय बनल एहेन कमजोर।
कहू कि फूसि बजय छी?

नहि सम्हरब तऽ सच मानू जे भेटत कष्ट अथाह।
जाति-पाति केँ छोड़िकय बेटी करती कतहु विवाह।
तखन सुमन के गोत्र-मूल केर करब कोना पहचान,
बचा सकी तऽ बचाबू मिथिला बनिकय अपन गवाह।
कहू कि फूसि बजय छी?

मंगलवार, 27 मार्च 2012

रेणु जी की धरती से झूमड़ झमकावन लागे रे..


रेणु जी की धरती से झूमड़ झमकावन लागे रे..
बताएं

पूर्णिया, जाप्र: मैथिली अहांक भाषा थिक। जं अहां अपन भाषा बिसरि जाएब तं संस्कृति बिसरि जाएब। ताहि हेतु नहि बिसरू खराम, हर, पांचा, मटकूर-मटकूरी, उखड़ि-समाठ आ नहि बिसरू अपन माटि। बिहार शताब्दी के वर्ष के मौके पर बीएमटी ला कालेज के सभाकक्ष में मैथिली अकादमी पटना और कालेज के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मैथिली कवि सम्मेलन में ये बातें अकादमी के अध्यक्ष कमलाकांत झा ने कही।
श्री झा ने कहा कि मैथिली मात्र रजनी-सजनीक भाषा नहि रहल अपितु रोजी-रोटीक भाषा भ गेल अछि। बोले भारत की प्रतिष्ठित आईएएस की परीक्षा में आठ छात्र इसबार मैथिली से सफलता हासिल किये हैं। लेकिन उन्होंने इस बात पर अफसोस भी जताया कि ये सारे छात्र मिथिलांचल के नहीं हैं। कहा कि सासाराम के छात्र संजय कुमार व हिमाचल प्रदेश की छात्रा ने भूगोल की परीक्षा भी मैथिली में दी। नालंदा के छात्र अमित कुमार ने इतिहास व मैथिली विषय से परीक्षा में सफलता हासिल की। कहा कि कोसी महासेतु बन जाने से मिथिलांचल एक हो गया है। जिस दिन इस पुल की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने रखी उसी दिन मैथिली को संविधान की अष्टम अनुसूची में दाखिल करने की घोषणा की गई। मिथिला के पांच विभूतियों की चर्चा करते हुए कहा कि एक विभूति पूर्णिया के भी थे। जिनके नाम से इस कालेज का नामकरण किया गया है। कहा कि ब्रजमोहन ठाकुर के प्रयास से पहली बार 1917 में कलकत्ता में प्राथमिक से लेकर स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू हुई।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए जयप्रकाश जनक ने रेणुजीक धरती सं झूमड़ झमकावन लागे रे, पूर्णिया नगर सुहावन लागे रे..गाकर लोगों को जहां पूर्णिया की धरती की गुणगान की वहीं हास्य कविता गेले छथि कविजी गाकर लोगों को लोटपोट कर दिया। इसके बाद बारी-बारी से कवियों ने काव्य पाठ किया। इससे पूर्व कार्यक्रम की शुरूआत पंडित लड्डू झा के शांति पाठ से हुई। मैथिली परंपरा के अनुसार कवियों व अतिथियों का स्वागत चादर और पाग देकर किया गया। अमलेंद्र शेखर पाठक के मंच संचालन में स्वागत भाषण जयकृष्ण मेहता द्वारा दिया गया जबकि स्वागत गान कंचन ने गया। गणेश वंदना की प्रस्तुति कुमार अमित द्वारा की गई। इस दौरान बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद थे। इस मौके पर जिप अध्यक्ष सीमा देवी, प्राचार्य वीरेंद्र मोहन ठाकुर, गणपति मिश्र, आनंद भारती आदि मंच पर मौजूद थे।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/bihar/4_4_9060020.html

रविवार, 25 मार्च 2012

सगर राति दीप जरय पर साहित्य अकादेमीक कब्जा/ सरकारी पाइपर भेल बभनभोज/ साहित्य अकादेमीक कथा रवीन्द्र दिल्लीमे समाप्त- रवीन्द्रक कथापर कोनो चर्चा नै भेल- ७६म सगर राति दीप जरय चेन्नैमे विभारानी लऽ गेली (रिपोर्ट प्रियंका झा)


-साहित्य अकादेमीक कथा रवीन्द्र दिल्लीमे समाप्त
-रवीन्द्रक कथापर कोनो चर्चा नै भेल
-रवीन्द्रनाथ टैगोरक१५०म जयन्तीपर साहित्य अकादेमीसँ फण्ड लेबा लेल मात्र नाम "कथा रवीन्द्र" राखल गेल
-समाप्ति कालमे संयोजककेँ गलतीक भान भेलन्हि, तखन रवीन्द्रनाथ टैगोरक एकटा कविताक  दू पाँतीक  हिन्दी अनुवाद देवशंकर नवीन पढ़लन्हि
-मात्र १८ टा कथाक पाठ भेल
-७६म सगरराति दीप जरय चेन्नैमे विभारानी लऽ गेली, ओना ई ७७म आयोजन होइतए मुदा किएक तँ साहित्य अकादेमीक फण्डसँ संचालित कथा रवीन्द्र प्रभास कुमार चौधरीक शुरु कएल "सगर राति दीप जरय" क भावनाक अपमान कऽ साहित्य अकादेमीक खिलौना बनि गेल तेँ एकरा "सगर राति दीप जरय"क मान्यता नै देल जा सकल।
-एकटा मैथिली न्यूज पोर्टलक महिला संचालकक पति दारू पीबि कऽ आएल रहथि आ भोजनकालोमे हुनकर मुँह भभकैत छलन्हि। ७५म सगर राति दीप जरयमे दारू पीबापर धनाकर ठाकुर जीक विरोधक बाद कथा रवीन्द्र  मे सेहो ऐ तरहक घटना भेलापर साहित्य जगतमे आक्रोश अछि।
-भोजनक उपरान्त कथास्थल खाली भऽ गेल आ अधिकांश वरिष्ठ कथाकार सूतल देखल गेलाह, प्रभास कुमार चौधरीक कथा लेल भरि रातिक जगरना एकटा मखौल बनि कऽ रहि गेल।
-आयोजक स्वयं ऐ गोष्ठीकेँ बभनभोजक संज्ञा देने रहथि आ अन्ततः सएह सिद्ध भेल।
-ई गोष्ठी सगर राति दीप जरयक अन्त आ साहित्य अकादेमीक गोष्ठीक प्रारम्भ रूपमे देखल जा रहल अछि। "सगर राति दीप जरय" आब साहित्य अकादेमी संपोषित भऽ गेल आ ओकर इशारापर हिन्दीक लोकक कब्जा भऽ गेल, जइमे हिन्दीक पोथीक लोकार्पणसँ लऽ कऽ रवीन्द्रक कविताक हिन्दी अनुवादक दू पाँतीक पाठ धरि सम्मिलित रहल।
-टी.ए., डी.ए. आदिक परम्पराक घृणित आरम्भ साहित्य अकादेमीक फण्डसँ भेल, आ ऐसँ सगर राति दीप जरयक अन्तक प्रारम्भ मानल जा रहल अछि। मुदा साहित्य अकादेमी द्वारा संपोषित कवि-सम्मेलन आ सेमीनारमे टी.ए., डी.ए. सभ कवि निबन्धकारकेँ देल जाइ छन्हि मुदा एतऽ किछुए गोटेकेँ ई सौभाग्य प्राप्त भेल।
-टी.ए., डी.ए. लेल विभारानीपर सेहो जोर देल गेल  मुदा ओ कहलन्हि जे हुनकर आयोजन व्यक्तिगत रहतन्हि तेँ टी.ए., डी.ए. देब हुनका लेल सम्भव नै, जँ कथाकार लोकनि चेन्नै बिना टी.ए. डी.ए. लेने नै जेता तँ ओ ऐ कार्यक्रमकेँ करबा लेल इच्छुक नै छथि। अजित आजाद कहलन्हि जे हुनका टी.ए., डी.ए.भेटतन्हि तखन ओ जेता। कमल मोहन चुन्नू अजित आजादक समर्थन केलन्हि। मुदा टी.ए., डी.ए. आदिक परम्पराक घृणित आरम्भक विरोध आशीष अनचिन्हार केलन्हि तखन जा कऽ मामिला सुलझल।
-विदेह मैथिली पोथी प्रदर्शनीक सभ मैथिली कथा गोष्ठी, सेमीनारमे होइ छल मुदा साहित्य अकादेमीक फण्डिंगक शुरुआतक बाद "कथा रवीन्द्र"मे विदेह मैथिली पोथी प्रदर्शनीक अनुमति नै देबाक पाछाँ फण्ड देनिहार साहित्य अकादेमीक सुविधाजनक दबाब भऽ सकैए, से साहित्यकार लोकनिक बीचमे चर्चा अछि।

[-साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी दिल्लीमे शुरू भेल/ १२ टा पोथीक लोकार्पण भेल जइमे ४ टा हिन्दीक पोथी छल !!
-कथा रवीन्द्र क रूपमे साहित्य अकादेमी द्वारा मैथिली कथा गोष्ठीक आरम्भ, संयोजक अछि मैलोरंग, देवशंकर नवीन आ प्रकाश
- मैलोरंग एकरा ७६म "सगर राति दीप जरय"क रूपमे आयोजित करबाक नियार केने छल मुदा "सगर राति दीप जरय" मे आइ धरि सरकारी साहित्यिक संस्थासँ फण्ड लेबाक कोनो प्रावधान नै रहै, से ई ७६म "सगर राति दीप जरय"क रूपमे मान्यता नै प्राप्त कऽ सकल।
-साहित्य अकादेमी द्वारा मैथिलीक ऐ स्वायत्त गोष्ठीकेँ तोड़बाक प्रयासक साहित्य जगतमे भर्त्सना कएल जा रहल अछि।
-आशीष चौधरी विदेह मैथिली पोथी प्रदर्शनी लेल पोथी जखन पसारऽ लगलाह तँ साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीक (कन्फूजन छल जे ई  ७६म "सगर राति दीप जरय"क आयोजन स्थल छी जे एतऽ एलाक बाद पता लागल जे ई साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीक रूपमे हैक कऽ लेल गेल अछि।)  एकटा संयोजक प्रकाश झा तकर अनुमति नै देलखिन्ह, जखन कि एकर सूचना दोसर संयोजक देवशंकर नवीनकेँ दऽ देल गेल छल। प्रकाश झा आशीष चौधरीकेँ कहलखिन्ह जे जँ मंगनीमे पोथी बाँटी तँ तकर अनुमति देल जा सकैए, मुदा तकर कोनो सम्भावनासँ आशीष चौधरी मना केलन्हि । तकर बाद आशीष चौधरी विदेहक सम्पादक गजेन्द्र ठाकुरक संग अपन पोथी लऽ कऽ ओतऽ सँ बहरा गेलाह। ऐ कारणसँ किछु मैथिली पोथीक लोकार्पण नै भेल (जे ओना ७६म "सगर राति दीप जरय"मे लोकार्पण लेल आएल छल साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी लेल नै।) ।  ई पहिल बेर अछि जखन कोनो मैथिली गोष्ठीमे मैथिली पोथी बेचबाक अनुमति नै देल गेल, हँ कन्नारोहट होइत रहैए जे मैथिलीमे पोथी नै बिकाइए। साहित्य जगतमे ऐ तरहक जातिवादी गोष्ठी द्वारा कएल जा रहल सरकारी फण्डक मैथिलीक नामपर दुरुपयोगपर चिन्ता व्यक्त कएल जा रहल अछि।
-गजेन्द्र ठाकुर फेसबुकपर लिखलन्हि- जगदीश प्रसाद मण्डल, बेचन ठाकुर, कपिलेश्वर राउत, राजदेव मण्डल, उमेश पासवान, अच्छेलालशास्त्री, दुर्गानन्द मण्डल आदि श्रेष्ठ कथाकार लोकनिकेँ एकटा पोस्टकार्डो नै देबाक आयोजन मण्डलक निर्णय अद्भुत अछि, ओना तै सँ ऐ लेखक सभक स्टेचरपर कोनो फर्क नै पड़तन्हि। भऽ सकैए ७५म गोष्ठीक आयोजक अशोक आ कमलमोहन चुन्नू वर्तमान आयोजककेँ हुनकर सभक पता सायास वा अनायास नै देने हेथिन्ह आ वर्तमान आयोजक केँ से सुविधाजनक लागल हेतन्हि। जगदीश प्रसाद मण्डलजीक आयोजनमे सभ धोआधोतीधारी आ चन्दन टीका पाग धारी भोज खा आएल छथि, मुदा बजेबा कालमे अपन आयोजनकेँ बभनभोज बनेबापर बिर्त छथि।..ओना ई आयोजन साहित्य अकादेमीक फण्डसँ आयोजित भऽ रहल अछि आ एकरा साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी मात्र मानल जाए। मैथिली साहित्यक इतिहासमे ७६ म सगर राति दीप जरयक रूपमे ऐ जातिवादी गोष्ठीकेँ मान्यता नै देल जा सकत। साहित्य अकादेमीक मैथिली विभागक जातिवादी चेहरा एक बेर फेर सोझाँ आएल अछि जखन ओ मैथिलीक एकमात्र स्वायत्त गोष्ठीकेँ तोड़ि देलक। पवन कुमार साह लिखलन्हि-काल्हि‍ धरि‍ सगर राति‍क आयोजक कोनो संस्‍था नै होइ छल। मुदा आब ई वंधन टूटि‍ गेल।
-साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीक पहिल सत्रमे विभूति आनन्द (छाहरि), मेनका मल्लिक (मलहम) आ प्रवीण भारद्वाजक (पुरुखारख) कथाक पाठ भेल।  
-साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठी अध्यक्षता गंगेश गुंजन कऽ रहल छथि।
-कथापर समीक्षा अशोक मेहता आ रमानन्द झा रमण केलन्हि। अशोक मेहता कहलन्हि जे विभूति आनन्दक कथामे किछु शब्दक प्रयोग खटकल। मेनका मल्लिकक भाषाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे एतेक दिनसँ बेगूसरायमे रहलाक बादो हुनकर भाषा अखनो दरभंगा, मधुबनीयेक अछि। प्रवीण भारद्वाजक कथाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे कथाकार नव छथि से तै हिसाबे हुनकर कथा नीक छन्हि।
-रमानन्द झा रमण विभूति आनन्दक कथामे हिन्दी शब्दक बाहुल्यपर चिन्ता व्यक्त केलन्हि। मेनका मल्लिकक कथाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे महिला लेखन आगाँ बढ़ल अछि। प्रवीण भारद्वाजक कथाक भाषाकेँ ओ नैबन्धिक कहलन्हि आ आशा केलन्हि जे आगाँ जा कऽ हुनकर भाषा ठीक भऽ जेतन्हि।
-तकर बाद श्रोताक बेर आएल, सौम्या झा विभूति आनन्दक कथाकेँ अपूर्ण कहलन्हि, मुदा हुनका ई कथा नीक लगलन्हि।  आशीष अनचिन्हार विभूति आनन्दसँ हुनकर कथाक एकटा टेक्निकल शब्द "अभद्र मिस कॉल"क  अर्थ पुछलन्हि तँ देवशंकर नवीन राजकमलक कोनो कथाक असन्दर्भित तथ्यपर २० मिनट धरि विभूति आनन्द जीक बचाव करैत रहला, अनन्तः विभूति आनन्द श्रोताक प्रश्नक उत्तर नै देलन्हि।
-दोसर सत्रमे विभा रानीक कथा सपनकेँ नै भरमाउ, विनीत उत्पलक कथा निमंत्रण, आ दुखमोचन झाक छुटैत संस्कारक पाठ भेल।  विभा रानीक कथा पर समीक्षा करैत मलंगिया एकरा बोल्ड कथा कहलन्हि, सारंगकुमार कथोपकथनकेँ छोट करबा लेल कहलन्हि, कमल कान्त झा एकरा अस्वभाविक कथा कहलन्हि आ कहलन्हि जे माए बेटाक अवहेलना नै कऽ सकैए, मुदा श्रीधरम कहलन्हि जे जँ बेटाक चरित्र बदलतै तँ मायोक चरित्र बदलतै। कमल मोहन चुन्नू कहलन्हि जे ई कथा घरबाहर मे प्रकाशित अछि। आयोजक कहलन्हि जे  विभा रानीक कथा सपनकेँ नै भरमाउ केँ ऐ गोष्ठीसँ बाहर कएल जा रहल अछि।
विनीत उत्पलक कथा निमंत्रण पर मलंगिया जीक विचार छल जे ई उमेरक हिसाबे प्रेमकथा अछि। सारंग कुमार एकरा महानगरीय कथा कहलन्हि मुदा एकर गढ़निकेँ मजगूत करबाक आवश्यकता अछि, कहलन्हि। श्रीधरम ऐ कथामे लेखकीय इमानदारी देखलन्हि मुदा एकर पुनर्लेखनक आवश्यकतापर जोर देलन्हि। हीरेन्द्रकेँ ई कथा गुलशन नन्दाक कथा मोन पाड़लकन्हि मुदा प्रदीप बिहारी हीरेन्द्रक गपसँ सहमत नै रहथि। ओ एकरा आइ काल्हिक खाढ़ीक कथा कहलन्हि।दुखमोचन झाक छुटैत संस्कारपर मलंगिया जी किछु नै बजला, ओ कहलन्हि जे ओ ई कथा नै सुनलन्हि। सारंग कुमार एकरा रेखाचित्र कहलन्हि। कमलकान्त झाकेँ ई संस्कारी कथा लगलन्हि। श्रीधरमकेँ आरम्भ नीक आ अन्त खराप लगलन्हि। शुभेन्दु शेखरकेँ जेनेरेशन गैप  सन लगलन्हि आ कमल मोहन चुन्नूकेँ ई यात्रा वृत्तान्त लगलन्हि। दोसर सत्रमे श्रोताक सहभागिता शून्य रहल।..आशीष अनचिन्हार]
प्रभाष कुमार चौधरीक छातीपर औंघाइत---रमानंद झा "रमण" (चित्र साभार आशीष अनचिन्हार)  

प्रभाष कुमार चौधरीक छातीपर सूतल मैथिलीक कुभंकर्ण---महेन्द्र मलंगिया  (चित्र साभार आशीष अनचिन्हार) 

प्रभाष कुमार चौधरीक छातीपर सूतल मैथिलीक कुभंकर्ण---विभूति आनंद (चित्र साभार आशीष अनचिन्हार)

"सगर राति दीप जरय"केर अन्त आ साहित्य अकादेमी कथा गोष्ठीक उदय (रिपोर्ट आशीष अनचिन्हार)


"सगर राति दीप जरय"केर अन्त आ साहित्य अकादेमी कथा गोष्ठीक उदय (रिपोर्ट आशीष अनचिन्हार) २१ जुलाइ २००७केँ सहरसा "सगर राति दीप जरय"मे जीवकांत जी मैथिलीकेँ राजरोगसँ ग्रसित हेबाक संकेत देने छलाह। आ तकरा बाद लेखक सभकेँ मैथिलीकेँ ऐ राजरोगसँ बचेबाक आग्रह रमानंद झा रमण केने छलाह। मुदा हमरा जनैत- ई मात्र सुग्गा-रटन्त भेल। कारण ई राजरोग आस्ते-आस्ते जीवकांत जी आ रमण जीक आँखिक सामने मैथिलीकेँ गछाड़ि लेलकै। मैथिलीक ई रोगक बेमरिआह स्वरूप आर बेसी फरिच्छ भऽ कऽ दिल्लीक धरतीपर "मैलोरंग" द्वारा संचालित आ साहित्य अकादेमीक पाइक बलें कुदैत "सगर राति दीप जरय" मैथिली भाषाकेँ मारि देलक। 

२४ मार्च २०१२केँ साँझ धरिलोक भ्रममे छल जे दिल्लीमे "सगर राति दीप जरए" केर आयोजन भऽ रहल छै। संयोजक देवशंकर नवीन माला उठेने रहथि, मुदा आगाँ प्रकाश आ फेर मैलोरंग नै जानि कतऽ सँ आबि गेलै, आ अतत्तः तखन भेलै जे बादमे पता चललै जे ओ सगर राति नै छल ओ तँ "मैलोरंग" द्वारा संचालित आ साहित्य अकादेमीक पाइसँ आयोजित मात्र कथा गोष्ठी छल। मैलोरंग एकरा ७६म "सगर राति दीप जरय"क रूपमे आयोजित करबाक नियार केने छल मुदा "सगर राति दीप जरय" मे आइ धरि सरकारी साहित्यिक संस्थासँ फण्ड लेबाक कोनो प्रावधान नै रहै, से ई ७६म "सगर राति दीप जरय"क क्रम टूटि गेलै आ तँए ई ७६ कथा गोष्ठीक रूपमे मान्यता नै प्राप्त कऽ सकल। पाइ साहित्य अकादेमीक लागल छलै एकर प्रमाण फोटो सभमे सहयोगक रूपे " साहित्य अकादेमी"क नाम देखाइ स्पष्ट रूपे पड़त। आ अकादेमीक पर्यवेक्षकक रूपमे देवेन्द्र कुमार देवेश आएल छलाह। साहित्य अकादेमी द्वारा मैथिलीक ऐ एकमात्र स्वायत्त गोष्ठीकेँ तोड़बाक प्रयासक साहित्य जगतमे भर्त्सना कएल जा रहल अछि। ओना हम स्पष्ट कही जे राजरोगकेँ हटेबाक बात करए बला रमानंद झा रमण सेहो ऐ कूकृत्यकेँ आँखिसँ देखलन्हि आ मौन सम्मति देलनि। आब चूँकि ई "सगर राति दीप जरए" नै छल तँए आगूक एकर विवेचन हम मात्र कथा गोष्ठीक रूपमे करब। चूँकि लोकमे भ्रम पैदा कएल गेल छलै जे ई "सगर राति दीप जरए" अछि तँए विदेह दिससँ पोथीक स्टाल लगाएल जा रहल छल कथा स्थलपर, मुदा ओही समय "मैलोरंग"केर कर्ता-धर्ता प्रकाश झा द्वारा ऐपर रोक लगा देल गेलै। प्रकाश जी कहलखिन्ह जे जँ फ्रीमे बँटबै तखने स्टाल संभव हएत। मुदा हुनक विचारकेँ स्टाल व्यवस्थापक आशीष चौधरी द्वारा नकारि देल गेल। आ एकर विरोधमे विदेहक संपादक गजेन्द्र ठाकुर कथास्थलसँ निकलि गेलाह। ऐकथा गोष्ठीक शुरूआतमे ओना हम अपने फेसबूकपर घोषणा केने रही जे गजल आ हाइकूक पोस्टर प्रदर्शनी करब सगर रातिमे, मुदा जखन ओ सगर रात छलैहे नै तखन हम सभ कतए करब आ ताहिपर विदेह पोथी स्टालक विरोधक बाद! हमरा लोकनि एकर विरोध करैत ऐ पोस्टर प्रदर्शनीकेँ स्थगित कऽ देलौं। ऐ कथा गोष्ठीक आरंभ बारह गोट पोथीक विमोचनसँ भेल। जइमे कुल पाँच हिन्दी-उर्दूक पोथी छल आ सातटा मैथिलीक। 

ई कथा गोष्ठी आठ सत्रमे बाँटल छल। अध्यक्ष छलाह गंगेश गुंजन आ संचालक छलाह अजित कुमार अजाद। 

साहित्य अकादेमीक कथा गोष्ठीक पहिल सत्रमे विभूति आनन्द (छाहरि), मेनका मल्लिक(मलहम) आ प्रवीण भारद्वाजक (पुरुखारख) कथाक पाठ भेल। कथापर समीक्षा अशोक मेहता आ रमानन्द झा रमण केलन्हि। अशोक मेहता कहलन्हि जे विभूति आनन्दक कथामे किछु शब्दक प्रयोग खटकल। मेनका मल्लिकक भाषाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे एतेक दिनसँ बेगूसरायमे रहलाक बादो हुनकर भाषा अखनो दरभंगा, मधुबनीयेक अछि। प्रवीण भारद्वाजक कथाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे कथाकार नव छथि से तै हिसाबे हुनकर कथा नीक छन्हि। रमानन्द झा रमण विभूति आनन्दक कथामे हिन्दी शब्दक बाहुल्यपर चिन्ता व्यक्त केलन्हि। मेनका मल्लिकक कथाक सन्दर्भमे ओ कहलन्हि जे महिला लेखन आगाँ बढ़ल अछि। प्रवीण भारद्वाजक कथाक भाषाकेँ ओ नैबन्धिक कहलन्हि आ आशा केलन्हि जे आगाँ जा कऽ हुनकर भाषा ठीक भऽ जेतन्हि। तकर बाद श्रोताक बेर आएल, सौम्या झा विभूति आनन्दक कथाकेँ अपूर्ण, ओइ इलाकासँ कटल लगलन्ह् मुदा ओ कहलन्हि जे हुनका ई कथा नीक लगलन्हि मुदा ऐमे कमी छै, देवशंकर नवीन विभूति आनन्दक पक्षमे बीच बचावमे (!!!) एलाह मुदा सौम्या झा अपन बातपर अडिग रहलीह। आशीष अनचिन्हार विभूति आनन्दसँ हुनकर कथाक एकटा टेक्निकल शब्द "अभद्र मिस कॉल"क अर्थ पुछलन्हि तँ देवशंकर नवीन राजकमलक कोनो कथाक असन्दर्भित तथ्यपर २० मिनट धरि विभूति आनन्दक पक्षमे बीच बचाव करैत रहला (!!!), अनन्तः विभूति आनन्द श्रोताक प्रश्नक उत्तर नै देलन्हि। दोसर सत्रमे विभा रानीक कथा सपनकेँ नै भरमाउ, विनीत उत्पलक कथा निमंत्रण, आ दुखमोचन झाक छुटैत संस्कारक पाठ भेल। विभा रानीक कथा पर समीक्षा करैत मलंगिया एकरा बोल्ड कथा कहलन्हि, सारंग कुमार कथोपकथनकेँ छोट करबा लेल कहलन्हि, कमल कान्त झा एकरा अस्वभाविक कथा कहलन्हि आ कहलन्हि जे माए बेटाक अवहेलना नै कऽ सकैए, मुदा श्रीधरम कहलन्हि जे जँ बेटाक चरित्र बदलतै तँ मायोक चरित्र बदलतै। कमल मोहन चुन्नू कहलन्हि जे ई कथा घरबाहर मे प्रकाशित अछि। आयोजक कहलन्हि जे विभा रानीक कथा सपनकेँ नै भरमाउ केँ ऐ गोष्ठीसँ बाहर कएल जा रहल अछि। विनीत उत्पलक कथा निमंत्रण पर मलंगिया जीक विचार छल जे ई उमेरक हिसाबे प्रेमकथा अछि। सारंग कुमार एकरा महानगरीय कथा कहलन्हि मुदा एकर गढ़निकेँ मजगूत करबाक आवश्यकता अछि, कहलन्हि। श्रीधरम ऐ कथामे लेखकीय ईमानदारी देखलन्हि मुदा एकर पुनर्लेखनक आवश्यकतापर जोर देलन्हि। हीरेन्द्रकेँ ई कथा गुलशन नन्दाक कथा मोन पाड़लकन्हि मुदा प्रदीप बिहारी हीरेन्द्रक गपसँ सहमत नै रहथि। ओ एकरा आइ काल्हिक खाढ़ीक कथा कहलन्हि।दुखमोचन झाक छुटैत संस्कारपर मलंगिया जी किछु नै बजला, ओ कहलन्हि जे ओ ई कथा नै सुनलन्हि। सारंग कुमार एकरा रेखाचित्र कहलन्हि। कमलकान्त झाकेँ ई संस्कारी कथा लगलन्हि। श्रीधरमकेँ आरम्भ नीक आ अन्त खराप लगलन्हि। शुभेन्दु शेखरकेँ जेनेरेशन गैप सन लगलन्हि आ कमल मोहन चुन्नूकेँ ई यात्रा वृत्तान्त लगलन्हि। दोसर सत्रमे श्रोताक सहभागिया शून्य जकाँ रहल। 


दोसर सत्रक बाद भोजन भेल। भोजनमे भात-दालि तरकारी, भुजिया-पापड़, दही आ चिन्नी बेसी बला रसगुल्ला छल। आ भोजनक बाद शून्यकाल। शून्यकाल केर माने जे भोजन करू आ कथा स्थलकेँ शून्य करू। मुदा अधिकाशं छलाहे आ किछु जेनाकी विभूति आनंद शून्यमे विलीन भऽ गेल छला। शून्य कालक दौरान हीरेन्द्र कुमार झा द्वारा मैथिलीमे बाल साहित्यकेर विकासक बात राखल गेल। ओ जोर देलन्हि जे बाल साहित्य मुफ्तमे बाँटल जेबाक चाही। किछु गोटेँ ऐ बातपर जोर देलन्हि जे भविष्यमे जे सगर राति हएत ओइमे सँ कोनो एकटा आयोजन पूरा-पूरी बालकथा पर हेबाक चाही। मुदा आशचर्यक विखय ई रहल जे देवशंकर नवीन" इंटरनेट पर विदेहक माध्यमे आबैत बाल साहित्यकेँ बिसरि गेलह जखन की ओ इंटरनेटक गतिविधिसँ परिचित छथि। ओही क्रममे आशीष अनचिन्हार द्वारा हीरेन्द्र जीकेँ मुफ्त डाउनलोड प्रक्रिया बताएल गेल। मुदा नतीजा वएह- जनैत-बुझैत इंटरनेटपर सुलभ बाल साहित्यकेँ एकटा सुनियोजित तरीकासँ कात कएल गेल। बात जखन हरेक विधामे बाल साहित्य लिखबा पर आएल तखन पहिल बेर आशीष अनचिन्हार द्वारा मैथिलीमे "बाल गजल" केर परिकल्पना देल गेल। मुदा एकटा बात रोचक जे बाल साहित्यकेर चर्चा पुरस्कारक बात पर अटकि गेलै। किनको ई दुख छलन्हि जे आब हमर सबहक उम्र बीति गेल तखन ई शुरू भेल। तँ किनको ई दुख छलन्हि जे अमुक अपन कनियाँ केर नामसँ व्योंतमे लागल छथि। ऐ बहसक दौरान अविनाश जी ऐ बातपर जोर देलन्हि जे "बाल कथा"क तर्ज पर "व्यस्क कथा" सेहो हेबाक चाही। ओना जे पटना सगर रातिमे सहभागी हेताह से अविनाश जीसँ नीक जकाँ परिचित हेताह से उम्मेद अछि। 
धनाकर जीक रंगीन जलपर रिपोर्ट कएक ठाम आएल अछि(विदेह फेसबुक आ घर बाहरमे सेहो)। 

शून्यकालक बाद तेसर स्तर शुरू भेल- ई विशुद्भ रूपे विहनि कथापर आधारित छल। ऐमे मुन्ना जी चश्मा, सेवक आ कट्टरपंथी नामक तीन टा विहनि कथा पढलन्हि। अरविन्द ठाकुर दूगोट विहनि कथा-दाम आ अगम-अगोचर पढलन्हि। प्रदीप बिहारी बूड़ि नामक विहनि कथा पढ़लन्हि। ऐ सत्रक मुख्य बात ई रहल जे मुन्ना जी लघुकथा नै बल्कि विहनि कथा कहबा पर जोर देलन्हि मुदा हुनकर उन्टा अशोक मेहता कहलन्हि जे लघुकथा नाम ठीक छै। ऐ सत्रमे मुन्ना जी सगर रातिकेर कोनो एकटा आयोजन विहनि कथापर करबा पर जोर देलन्हि। श्रोतामेसँ आशीष अनचिन्हार मुन्ना जीक विहनिकथा "चश्मा"केँ आधुनिक जीवनमे पनपैत नकली संवेदनाकेँ देखार करैत कथा कहलन्हि। ऐसँ पहिने देवशंकर नवीन जी समाजमे पसरैत असंवेदनाकेँ रेखांकित केने छलाह अपन वक्त्व्यमे। अनचिन्हार संवेदनाक एहू पक्षपर नवीन जीकेँ धेआन देओलखिन्ह। ऐ विहनि कथा सभपर अनेक टिप्पणी सभ आएल। मुदा वएह जे नीक लागल, बड्ड नीक आदि फर्मेटमे। 


चारिम सत्रमे हीरेन्द्र कुमार झाक दीर्घकथा " एकटा छल गाम" आ पंकज सत्यम केर कथा " एकटा विक्षिप्तक चिट्ठी" आएल। एकटा छल गाम पर चुन्नू जी कहलखिन्ह जे कथा बेसी नमरल अछि मुदा कथ्य नीक अछि। श्री धरम जी चुन्नू जीक आलोचनासँ सहमत छलाह। संगे संग चुन्नू जी कहलखिन्ह जे ऐमे गामक चिंता नीक जकाँ आएल अछि। आ श्रीधरम कहलखिन्ह जे दलित उभार जँ ऐकथामे अबितै तँ आर नीक रहितै। श्रोता वर्गसँ आशीष अनचिन्हार द्वारा कमल मोहन चुन्नू जीकेँ कहल गेलन्हि जे या तँ ओ जगदीश प्रसाद मंडलक कथा नै पढने छथि वा बिसरि गेल छथि। जँ चुन्नू जी जगदीश मंडल जीक कथामे अबैत गामक चिंताक बाटे हीरेन्द्र जीक गामक चिन्ता देखथि तँ ओ आरो नीक जकाँ आलोचना कऽ सकै छलाह। हमर ऐ बात पर आयोजकक एकटा परम ब्राम्हणवादी सदस्य कहलाह जे अहाँ जगदीश मंडल जीक कथाक उदाहरण दिअ हम देबए लेल तैयार छलहुँ मुदा संचालक ओइ ब्राम्हणवादी सदस्यकेँ बतकुट्टौलि करबासँ रोकि देलन्हि। ऐ सत्रक आन आलोचक सभ प्रदीप बिहारी, अविनाश, रमण कुमार सिंह आदि छलाह। 


पाँचम सत्रमे दीनबंधु जीक कथा "अपराधी", विनयमोहन जगदीश जी "संकल्पक बल" आ आशीष अनचिन्हारक "काटल कथा" पढ़ल गेल।आशीष अनचिन्हारक कथा पर चुन्नू जी कहलाह जे शिल्प क तौर पर ई असफल कथा अछि संगे संग कोन बात कतए छै से स्पष्ट नै छै। पाठक कन्फ्यूज्ड भऽ जाइत छथि। ऐबातकेँ आर बिस्तार दैत कमलेश किशोर झा कहलखिन्ह जे ऐ कथामे सेन्ट्रल प्वांइट केर अभाव छै। मुकेश झा कहलखिन्ह जे अनचिन्हार जीकेँ कोनो डाक्टर नै कहने छथिन्ह जे अहाँ कथा लीखू। तेनाहिते आशीष झा( पति कुमुद सिंह) कहलखिन्ह जे हमरा आधा बुझाएल आधा नै बुझाएल ई कथा छल की रिपोर्ट से नै पता। विनयमोहन जगदीश जी पर चुन्नु जी कहलखिन्ह जे कथामे नमार बेसी छै। ई लोकनि दीनबंधु जीक कथाक सेहो आलोचना केलन्हि मुदा चलंत स्टाइलमे। 

छठम सत्रमे काश्यप कमल जीक दीर्घकथा- भोट, कमलेश किशोर झाक -गुदरिया पढल गेल। लिस्टमे तँ कौशल झाक न्याय नामक कथा सेहो छल मुदा पढ़बा काल धरि ओ स्थल पर नै छलाह। भोट कथा पर मुन्ना जीक कहब छलन्हि जे हँसीसँ सूतल लोककेँ जगा देलक ई कथा। कमलेश जीक कथा सेहो नीक छल मुदा वएह चलंत आलोचना। 

सातम सत्रमे अशोक कुमार मेहता-"बाइट", कमलकांत झा -"विद्दति" आ महेन्द्र मलंगिया जीक कथा- लंच (वाचन प्रकाश झा) आएल। हीरेन्द्र झा मेहता जीक कथाकेँ कमजोर गढ़निक मानलन्हि। कमलकांत जीक कथाकेँ सुन्दर वर्णनात्मक खास कऽ बस बला प्रसंग केँ नीक कहलखिन्ह। मलंगिया जीक कथाकेँ नीक तँ कहलखिन्ह मुदा इहो कहलखिन्ह जे अंत एकर कमजोर छै। चुन्नू जी बाइट कथाक गढ़निकेँ कमजोर मानलन्हि आ कमलकांत आ मलंगिया जीक कथाकेँ अपराधिक पृष्ठभूमि बला मानलन्हि। 

आठम सत्र अध्यक्षीय भाषण आ हुनक शीर्षक हीन मौखिक कथासँ समाप्त भेल। एतेक भेलाकेँ बाद अगिला सगर राति ( के जानए जे फेर कथा गोष्ठी)क संयोजक केर खोज शुरू भेल। पहिल प्रस्ताव अरविन्द ठाकुर सुपौल लेल देलखिन्ह आ दोसर विभारानी चेन्नै लेल। आ तेसर प्रस्ताव दिल्लीसँ भवेश नंदन जीक छलन्हि। सभसँ राय पूछल गलै। बहुत गोटेँ चेन्नैक पक्षमे एलाह। अंततः ७६म "सगर राति दीप जरय"क विभारानीकेँ रूपमे एकटा महिला संयोजक सगर रातिके भेटल|

बुधवार, 14 मार्च 2012

रेल बॅज्ट 2012-13 मे लागू काईल गेल नव ट्रेन

रेल बॅज्ट 2012-13 मे लागू काईल गेल नव ट्रेन

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1.माख्या - लोकमान्य तिलक टर्मिनस एसी एक्सप्रेस ( कटिहार , मुगलसराय , इटारसी के रास्ते वीकली )
2 . सिकंदराबाद - शालीमार एसी एक्सप्रेस ( वीकली - विजयवाड़ा के रास्ते )
3 . बांद्रा टर्मिनस - भुज एसी एक्सप्रेस ( सप्ताह में तीन दिन )
4 . दिल्ली सराय रोहिल्ला - ऊधमपुर एसी एक्सप्रेस ( अंबाला , जालंधर के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
5 . कोयंबटूर - बीकानेर एसी एक्सप्रेस ( रोहा वसई रोड , अहमदाबाद , जोधपुर के रास्ते साप्ताहिक )
6 . काकीनाडा - सिकंदराबाद एसी एक्सप्रेस ( सप्ताह में तीन दिन )
7 . यशवंतपुर - कोचुवेली एसी एक्सप्रेस ( साप्ताहिक )
8 . चेन्नै बेंगलुरु एसी डबल डेकर एक्सप्रेस ( दैनिक )
9 . हबीबगंज - इंदौर एसी डबल डेकर एक्सप्रेस ( दैनिक )
10 . हावड़ा - न्यू जलपाईगुड़ी शताब्दी एक्सप्रेस ( माल्दा टाउन के रास्ते सप्ताह में 6 दिन )
11 . कामाख्या - तेजपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ( दैनिक )
12 . तिरुचिरापल्ली - तिरूनेलवेली इंटरसिटी एक्सप्रेस ( मदुरै विरूद्धनगर के रास्ते दैनिक )
13 . जबलपुर - सिंगरौली इंटरसिटी एक्सप्रेस ( न्यू कटनी जंक्शन के रास्ते - दैनिक )
14 . बीदर - सिकंदराबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस ( सप्ताह में छह दिन )
15 . कानपुर - इलाहाबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस ( दैनिक )
16 . छपरा - मडुआडीह इंटरसिटी एक्सप्रेस ( फेफना , रसरा मऊ औडिहार के रास्ते दैनिक )
17 . रांची - दुमका इंटरसिटी एक्सप्रेस ( देवघर के रास्ते दैनिक )
18 . बारबील - चक्रधरपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ( डोंगोपासी झिंकपानी के रास्ते दैनिक )
19 . सिकंदराबाद - बेलमपल्ली इंटरसिटी एक्सप्रेस ( काजीपेट के रास्ते दैनिक )
20 . न्यू जल्पाईगुडी - न्यू कूचबिहार इंटरसिटी एक्सप्रेस ( सप्ताह में पांच दिन )
21 . अहमदाबाद - अजमेर इंटरसिटी एक्सप्रेस दैनिक
22 . दादर टर्मिनस - तिरूनेलवेली एक्सप्रेस ( रोहा कोयंबटूर इरोड के रास्ते साप्ताहिक )
23 . विशाखापटटनम - चेन्नै एक्सप्रेस ( साप्ताहिक )
24 . विशाखापटटनम - साईनगर शिरडी एक्सप्रेस ( विजयवाड़ा मनमाड के रास्ते )
25 . इंदौर - यशवंतपुर एक्सप्रेस ( इटारसी , नारखेड़ , अमरावती , अकोला और काचेगुडा के रास्ते साप्ताहिक )
26 . अजमेर - हरिद्वार एक्सप्रेस ( दिल्ली के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
27. अमरावती - पुणे एक्सप्रेस ( अकोला , पूर्णा और लातूर के रास्ते सप्ताह में दो दिन )
28. काचेगुडा - मदुरै एक्सप्रेस ( धर्मावरम , पकाला और जोलारपेटटई के रास्ते साप्ताहिक )
29. बीकानेर - पुरी एक्सप्रेस ( जयपुर , कोटा , कटनी , मुरूवाडा , झारसुगुडा और संभलपुर के रास्ते साप्ताहिक )
30. सिकंदराबाद - दरभंगा एक्सप्रेस ( बल्लाडशाह , झारसुगुडा , राउरकेला , रांची , झाझा के रास्ते सप्ताह में दो दिन )
31. बिलासपुर - पटना एक्सप्रेस ( आसनसोल , झाझा के रास्ते साप्ताहिक )
32. हावड़ा - रक्सौल एक्सप्रेस ( आसनसोल , झाझा और बरौनी के रास्ते सप्ताह में दो दिन )
33. भुवनेश्वर - भवानी पटना लिंक एक्सप्रेस ( विजयानगरम के रास्ते दैनिक )
34. पुरी - यशवंतपुर गरीब रथ एक्सप्रेस ( विशाखापटटनम , गुंटूर के रास्ते साप्ताहिक )
35. साईनगर शिरडी - पंढरपुर एक्सप्रेस ( कुर्दूवाड़ी के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
36. भुवनेश्वर - तिरुपति एक्सप्रेस ( विशाखापट्टनम , गुंटूर के रास्ते साप्ताहिक )
37. विशाखापट्टनम लोकमान्य तिलक टर्मिनस एक्सप्रेस ( टीटलागढ़ , रायपुर के रास्ते साप्ताहिक )
38. हावड़ा - लालकुआं एक्सप्रेस ( मुगलसराय , वाराणसी लखनऊ के रास्ते साप्ताहिक )
39. कोलकाता - जयनगर एक्सप्रेस ( आसनसोल , झाझा और बरौनी के रास्ते साप्ताहिक )
40. डिब्रूगढ़ - कोलकाता एक्सप्रेस ( साप्ताहिक )
41. फिरोजपुर - श्रीगंगानगर एक्सप्रेस (फजील्का अबोहर के रास्ते दैनिक )
42. जयपुर - सिकंदराबाद एक्सप्रेस ( नागदा , भोपाल , नारखेड़ , अमरावती और अकोला के रास्ते साप्ताहिक
43. ओखा - जयपुर एक्सप्रेस ( पालनपुर , अजमेर के रास्ते साप्ताहिक )
44. आदिलाबाद - हजूरसाहिब नांदेड़ एक्सप्रेस ( मुदखेड़ के रास्ते दैनिक )
45. शालीमार - चेन्नै एक्सप्रेस साप्ताहिक
46. मैसूर साईनगर शिरडी एक्सप्रेस ( बेंगलुरु , धर्मावरम बेल्लारी के रास्ते साप्ताहिक )
47. वलसाड़ जोधपुर एक्सप्रेस ( पालनपुर , मारवाड़ के रास्ते साप्ताहिक )
48. पोरबंदर - सिकंदराबाद एक्सप्रेस ( वीरमगाम , वसई रोड के रास्ते साप्ताहिक )
49. बांद्रा टर्मिनस - दिल्ली सराय रोहिल्ला एक्सप्रेस ( पालनपुर , फुलेरा के रास्ते साप्ताहिक )
50. हापा - मडगांव एक्सप्रेस ( वसई रोड , रोहा के रास्ते साप्ताहिक )
5 1 . बैरकपुर - आजमगढ़ एक्सप्रेस ( झाझा , बलिया , मऊ के रास्ते साप्ताहिक )
52 बीकानेर - बांद्रा एक्सप्रेस ( जोधपुर , मारवाड़ , अहमदबाद के रास्ते साप्ताहिक )
53 . अहमदाबाद - गोरखपुर एक्सप्रेस ( पालनपुर , जयपुर , मथुरा , फर्खारुबाद कानपुर के रास्ते साप्ताहिक )
54 . दुर्ग - जगदलपुर एक्सप्रेस ( टीटलागढ़ के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
55 . मन्नारगुड़ी - तिरुपति एक्सप्रेस ( तिरूवारूर , विलुपुरम , कटपडी के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
56. गांधीधाम - बांद्रा एक्सप्रेस ( मोरबी के रास्ते साप्ताहिक )
57. कोटा - हनुमानगढ़ एक्सप्रेस ( जयपुर , देगाना , बीकानेर के रास्ते दैनिक )
58 . झांसी - मुंबई एक्सप्रेस ( ग्वालियर , मक्सी , नागदा के रास्ते साप्ताहिक )
59 . सिकंदराबाद - नागपुर एक्सप्रेस ( काजीपेट के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
60 . कानपुर - अमृतसर एक्सप्रेस ( फर्रुखाबाद , बरेली के रास्ते साप्ताहिक )
61 . छपरा - लखनऊ एक्सप्रेस ( मसरख , थावे , पडरौना के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
62. करीमनगर - तिरुपति एक्सप्रेस ( पेदापल्ली के रास्ते साप्ताहिक )
63. आनंदविहार - हाल्दिया एक्सप्रेस ( मुगलसराय , गोमोह , पुरुलिया के रास्ते साप्ताहिक )
64 इंदौर - रीवा एक्सप्रेस ( बीना के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
65 . 12405-12406 भुसावल हजरत निजामुददीन और 12409-12410 रायगढ़ निजामुद्दीन गोंडवाना एक्सप्रेस को डीलिंक कर जबलपुर - हजरत निजामुद्दीन के बीच स्वतंत्र रूप से गाड़ी का चलाना।
66 . दरभंगा - अजमेर एक्सप्रेस ( रक्सौल , सीतापुर , बरेली , कासगंज और मथुरा के रास्ते साप्ताहिक )
67 . सोलापुर - यशवंतपुर एक्सप्रेस ( गुलबर्गा के रास्ते सप्ताह में तीन दिन )
68 . चेन्नै - पुरी एक्सप्रेस साप्ताहिक
69 . हैदराबाद - अजमेर एक्सप्रेस ( मनमाड , इटारसी , रतलाम के रास्ते साप्ताहिक )
70. आसनसोल - चेन्नै एक्सप्रेस ( पुरुलिया , संभलपुर , विजयानगरम के रास्ते साप्ताहिक )
71 . शालीमार - भुज ( बिलासपुर , कटनी , भोपाल के रास्ते साप्ताहिक )
72. अमृतसर - हुजूर साहेब नांदेड एक्सप्रेस साप्ताहिक
73 . सांत्रागाछी अजमेर एक्सप्रेस ( खड़गपुर , चांडिल , बरकाकाना , कटनी और कोटा के रास्ते साप्ताहिक )
74 .मालदा टाउन - सूरत एक्सप्रेस ( रामपुर हाट , आसनसोल और नागपुर के रास्ते साप्ताहिक )
75. द्वारका - सोमनाथ एक्सप्रेस ( दैनिक )

पढ़ें : रेल बजटः 39 ट्रेनों का रूट बढ़ा, 23 ट्रेनों के फेरे

पैसेंजर ट्रेनें :

1 . गोडरमा - नवाडीह पैसेंजर ( छह दि )
2 . श्रीगंगानगर - सूरतगढ पैसेंजर ( दैनिक )
3. येरागुंटला नोसाम - ननगनपल्ली पैसेंजर ( दैनिक )
4 . विष्णुपुरम - काटपाडी पैसेंजर ( दैनिक )
5. गुनुपुर - पलासा ( परलाखेमुंडी के रास्ते पैसेंजर दैनिक )
6 . अजमेर - पुष्कर पैसेंजर ( पांच दिन )
7 . कोटा - झालावाड सिटी पैसेंजर ( दैनिक )
8 . बरेली कासगंज पैसेंजर ( दैनिक )
9 . आनंदनगर - बाराहानी पैसेंजर ( दैनिक )
10 . रांगिया - तेजपुर पैसेंजर ( दैनिक )
11 . मैसूर - श्रवणबेलगोला पैसेंजर ( दैनिक )
12 . जोधपुर - बिलाडा पैसेंजर ( दैनिक )
13 . विष्णुपुरम - मइलादुतुरई पैसेंजर ( दैनिक )
14 . रोहतक - पानीपत पैसेंजर ( दैनिक )
15 . मिरज - कुर्दुवाडी पैसेंजर ( दैनिक )
16 . फुलेरा - रेवाडी पैसेंजर ( दैनिक )
17 . मैसूर - चामराजनगर पैसेंजर ( दैनिक )
18 . गोरखपुर सिवान पैसेंजर ( कप्तानगंज थावे के रास्ते दैनिक )
19 . 5175151752 रीवा - बिलासपुर पैसेंजर और 51753-51754 रीवा - चिरीमिरी पैसेंजर को डीलिंक करके रीवा बिलासपुर और रीवा चिरीमिरी के बीच स्वतंत्र रूप से पैसेंजर गाड़ियां चलाना।
20 . मैसूर - बिरूर पैसेंजर ( अरसीकेरे के रास्ते दैनिक )
21 . झांसी - टीकमगढ पैसेंजर ( ललितपुर के रास्ते )

बुधवार, 7 मार्च 2012

कक्का हमर उचक्का ( होली पर हास्य कविता)

कक्का हमर उचक्का ।

होली पर हास्य कविता





ओंघराइत पोंघराइत हरबड़ाइत धड़फराइत धांई दिस

बान्हे पर खसलाह कक्का हमर उचक्का

होरी मे बरजोरी देखी मुस्की मारैत

काकी मारलखिन दू-चारि मुक्का।।



धिया-पूता हरियर पीयर रंग सॅं भिजौलकनि

बड़की काकी हॅसी क घिची देलखिन धोतीक ढे़का

पिचकारी मे रंग भरने दौगलाह हमर कक्का

अछैर पिछैर के बान्हे पर खसलाह कक्का हमर उचक्का।।



होरी खेलबाक नएका ई बसंती उमंग

ततेक गोटे रंग लगौलकनि मुॅंह भेलैन बदरंग

काकी के देखैत मातर कक्का बजलाह

आई होरी खेलाएब हम अहींक संग।।



कक्का के देखैत मातर काकी निछोहे परेलीह आ बजलीह

होरी ने खेलाएब हम कोनो अनठीयाक संग

जल्दी बाजू के छी अहॉं नहि त मुॅंह छछारि देब

घोरने छी आई हम करिक्का रंग।।



भाउजी हम छी अहॉक दुलरूआ दिअर

होरी खेला भेल छी हम लाल पिअर

आई त भैयओ नहि किछू बजताह जल्दी होरी खेलाउ

एहेन मजा फेर भेटत नेक्सट ईअर।।



सुहर्दे मुॅंहे मानि जाउ यै भाउजी

नहि त करब हम कनि बरजोरी

होरी मे त अहॉ जबान बुझाइत छी

लगैत छी सोलह सालक छाउंड़ी।।



आस्ते बाजू अहॉक भैया सुनि लेताह

कहता किशन भए गेल केहेन उच्का

केम्हरो सॅ हरबड़ाएल धड़फराएल औताह

छिनी क फेक देताह हमर पिनी हुक्का।।



आई ने मानब हम यै भाउजी

फुॅसियाहिक नहि करू एक्को टा बहन्ना

आई दिउर के भाउजी लगैत अछि कुमारि छांउड़ी

रंग अबीर लगा भिजा देब हम अहॉक नएका चोली।।



ठीक छै रंग लगाउ होरी मे करू बरजोरी

आई बुरहबो लगैत छथि दुलरूआ दिअर

ई सुनि पुतहू के भाउजी बुझि होरी खेलाई लेल

बान्हे पर दौगल अएलाह कक्का हमर उचक्का।।

लेखक :- किशन कारीगर

मंगलवार, 6 मार्च 2012

निबंध प्रतियोगिता

निबंध प्रतियोगिता


दिल्ली सँ प्रकाशित मासिक मैथिलि पत्रिका मिथिलांचल पत्रिका के द्वारा कक्षा ८ सँ ल के बी.ए/बी.एस.सी/ बी.कॉम/इंजीनियरिंग /चिकित्सा विज्ञानं के छात्र हेतु एकटा निबंध प्रतियोगिता रखल गेल अछि .
निबंध के विषय :- "मातृभाषाक माध्यम सँ विज्ञानं एवं प्रोद्योगिकी के शिक्षा कतेक सार्थक अछि "
जाही में प्रतिभागी हेतु नियम :-
१. कक्षा ९ सँ - स्नातक तक के छात्र भाग लय सकैत छथि
२. उम्र सीमा - १२ वर्ष -२२ वर्ष
३.रचना मौलिक हेबाक चाही एवं स्व लिखित हेबाक चाही
४.आलेख मैथिलि भाषा में हेबाक चाही
५.रचना पठेबक अंतिम तिथि - २५ मार्च २०१२
६. प्रतिभागी लोकनि अप्पन आलेख mithilanchalpatrika@gmail.com
या B-2/333 Tara Nagar, Old Palam Road Sec-15 Dwarka New Delhi-110078. पर पठाबी
७. आलेखक संग अप्पन परिचय एवं पत्राचारक पता अबश्य पठाबी
८. विशेष जानकारी हेतु संपर्क करी Mob -9990065181  /  9312460150  / 09762126759.

निर्णयाक मण्डली में छैथि :- १.डॉ. कैलाश कुमार मिश्र २.डॉ. प्रेम मोहन मिश्र ३. श्री गजेन्द्र ठाकुर ४. डॉ. शशिधर कुमार
पुरस्कार :- निबंध प्रतियोगिता में चयनित प्रतिभागी के समुचित पुरस्कार राशी एवं प्रमाणपत्र पठौल जाएत

भबदीय
डॉ. किशन कारीगर
(संपादक ) मिथिलांचल पत्रिका

शनिवार, 3 मार्च 2012

मैथिली - मिथिला - मैथिल!


 मैथिली - मिथिला - मैथिल! 



नाम हमर छी मैथिल भैया, मिथिला हमर गाम यौ,
मैथिली भाषी हम सभ सगरो पसरल जग ओ जहान यौ!

एहि धरतीके पावन केलीह जगज्जननी सिया जानकी
जनक समान विदेहराज केँ पाहुन बनलैथ रामजी!
पुण्य भूमि मिथिलामें अयलाह एक पर एक विद्वान्‌ यौ,
मैथिली भाषी हम सभ सगरो, ...
नाम हमर छी मैथिल भैया, ...

कवि विद्यापति जन्म लेलनि रचैत साहित्यिक नव आइना
आनक देक्सी छोड़ू यौ जनगण गाबू निज देसिल वयना
एहि धरतीपर जन्म लेलनि जे जगके देखावथि राह यौ!
मैथिली भाषी हम सभ सगरो...
नाम हमर छी मैथिल भैया...

यैह थीक मिथिला जेकर बीज सँ राजनीति के ज्ञान बनल
लोहिया जेपी कर्पूरी ओ सूरज मिथिला दीपक शान बनल
देव-पितर-ऋषि-मुनिजन ज्ञानी कयलनि जग कल्याण यौ!
मैथिली भाषी हम सभ सगरो...
नाम हमर छी मैथिल भैया...

दिव्य संपदा केवल वाञ्छित नहि चाही जगछूल ढौआ
त्याग समर्पण नींब बनल वैह बेटा बनैछ कहैछ बौआ
आइ स्वार्थ में डूबि छै ढहल मिथिला किला महान यौ
मैथिली भाषी हम सभ सगरो...
नाम हमर छी मैथिल भैया...




शुक्रवार, 2 मार्च 2012

बसन्त ऋतुके



प्रकृतिके सुन्दर लीला - बसन्त ऋतुके आगमन आ बाग-बगिया सँ - बारी-झारी सँ - कलम-गाछीसँ - खेत-खरिहानसँ - चर-चाँचरसँ कोयलीके कू-कू कानमें पड़ैछ, आवाज एहेन सुरम्य - एहेन मीठ जे स्वतः मनमें मिश्री घोरैछ। जेम्हर देखू तेम्हर मादकता आ सरसता छलैक रहल अछि एहि सुन्दर सुहावन मौसममें। मिथिला के कण-कण मगन भेल रहैछ। मगन होयबाक बहुत रास कारण छैक। एहि मासके मधुमास सेहो कहल जाइछ - आममें मज्जड़ लागि गेल छैक आ रस टपैक रहल छैक, मौह सन कठोर काठके गाछ सेहो एहि मास फुलायल छैक आ फूलसँ रस एक सुन्दर भावभिनी सुगंधसँ सराबोर टपैक रहल अछि - समूचा वातावरण में जेना कामदेव किछु विशेष छटा पसैर देने होइथ, रति संग विचरण करैत समूचा संसारके अपन विशेष पुष्पवाणसँ बेध के कामित-कल्पित सुधारसमें डूबा देने होइथ। ऊपर सँ होलीके खुमारी - रंग-अबीर आ भांगक मद पसरि रहल अछि। मुनिगामें फूल - लिचीमें मज्जर - नेबो में मज्जर - सुन्दर-सुहावन फूल चारू दिस खिलल - सभ गाछ-वृक्ष नवपल्लवसँ लदब शुरु भऽ गेल अछि। वातावरणमें प्रकृति एहेन सुगंध पसारने आ ताहिपर सँ पछवा हवा के झोंक - ठोड़ धिपल, रक्त-संचार तीव्र, आँखि लड़लड़, प्रेयसी ओजसँ भरल चारुकात देखाय लागलि छथि। सजनीके कोनो वस्तु नीक नहि लागि रहल छन्हि - बस एकटकी सजनाके बाट जोहय लगलीह छथि। लोक के कि कहू - चरा-चुनमुनी-जीव-जन्तु सभ अपन बिपरीतलिंगीके तरफ आकर्षित होइत मानू प्रकृति द्वारा प्रदत्त विशिष्ट प्रजननशक्तिसँ लवरेज केवल किछु क्षण प्रेममें डूबय चाहि रहल अछि। हाय रे बसन्त! बसन्तके पूर्वैयाके शीतलता तऽ आरो मारूख! जनलेवा! बस स्नेहीजन अपन खोंतामें गुप्तवास-सहवास लेल आतूर छथि। कोयली के कुहू-कुहू एहि मस्त वातावरणमें प्राकृतिक संगीतके धुन भरैछ। अपन धुनसँ प्रेमी-प्रेयसीकेँ मानू किछु विशेष दिव्य संदेश प्रदान कय रहल हो। यैह मासमें कोयली सेहो अपन डीम पाड़ैछ। लेकिन फगुवाके धुनकीके इलाज लेल प्रकृति नीमक टूस्सी - मुनिगाके फूल सेवन लेल कहैछ तऽ मिथिलाके निछच्छ गाममें भाँग सेवनके विशेष परंपरा चलैछ। हर तरहें तीव्र रक्त संचारकेँ अपन नियंत्रणमें राखय लेल विवेकी मनुष्य तत्पर रहैछ। एहि मासक दुपहरिया आ अर्द्धरात्रि विशेष रूपसँ ऊफान पर रहैछ - चारू कात जखन सभ किछु शान्त रहैछ ताहि घड़ी प्रेमी-प्रेयसी एक-दोसरके स्मृतिमें डूबल ओ सजल नेत्र सँ एक-दोसरक दिव्यताके दर्शन लेल व्याकुल रहैछ। हवाके रुइख एहेन जे असगरे घूमैत किछु नजैर पर चैढ गेल तँ मदमस्तीमें आँखि भैर जैछ। खेत आ गाछी भ्रमण के विशेष चलन मिथिलाके बसन्तक अलगे शान - भ्रमित घूमैत युवा लेल अलगे ध्यान के परिचायक एहि मासकेँ होलीके रंग आ रगड़ संग रभस मात्र ओरिया सकैत अछि। होलीके आगमन जौँ -जौँ नजदीक भेल जा रहल अछि - बसन्त तौँ-तौँ परवान चढल जा रहल अछि। गीतक बोल फगुआ के रस घोरैछ आ चैतावर सऽ शमन करैछ। एहेन में कोयली जँ अर्द्धरात्रिकाल कुहकय तऽ प्रेयसीकेँ तामस चढब उचिते कहल गेल छैक। तामसो एहेन जे भिनसर होइते ओकर खोता उजड़बा देतीह। हाय रे प्रकृति! हाय रे बसन्त! हार रे रस-मद भरल मधुमास! आ, हाय रे कोयलियाके कुहुकब!

लेकिन चिन्ता नहि करू हे सन्त-ज्ञानीजन! पहिले तऽ होली दिन भीतरका अहंरूपी हिरण्यकशिपुके मारैत आत्मारूपी प्रह्लादके रक्षार्थ प्रभुजी स्वयं नरसिंहरूपमें खंभा फाड़िके प्रकट हेताह आ तदोपरान्त खेलल जायत दानवकेर खून सँ होली आ रिझायल जायत प्रह्लादकेँ - आ फेर सभके अवलम्ब राम स्वयं अवतरित हेताह चैतक नवमी अर्थात्‌ रामनवमी!

स्मरण करब हम सभ - सीताराम चरित अति पावन - मधुर सरस अरु अति मनभावन!