(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 25 दिसंबर 2013

आखिर मैथिल कियाक मिथिलासन दूर ?

 आखिर मैथिल  कियाक मिथिलासन दूर  ? 

     कखनो काल इ बात के बरा कचोट होइत अइछ जे आखिर मिथिलाक सेलेब्रिटी सब मैथिलि मिथिलाक नाम स दूर किया रहs चाहैत छैथ? आन आन भाषा भाषी जेना बंगाली, मराठी, पंजाबी, तेलगु, तमिल, आसामी, ओडिया एवं प्रकारे सब प्रान्त के सेलिब्रिटी सदेव अपन भाषा आ अपन संस्कृति के सम्मान लेल आगा रहैत छैथ. अतय तक कि भोजपुरी के लेल मनोज तिवारी तक के समर्पण आ योगदान अविश्मरणीय छैन. मुदा मैथिलि के? तकर कारण कि? शायद इ त नई कि मैथिल सेलेब्रिटी आई तक मैथिलि के कारण सेलिब्रिटी नई बनला. ताई ओ मैथिलि के स्नेह रखितो मैथिलि के महत्व नई दई छैथ. तखन त जिम्मेदार हम मैथिल छी.

किछु दिन पहिने इ बात सामने आयल जे मिथिला क्षेत्र के सिनेमा हॉल मैथिलि सिनेमा लगेबा तक स मना का दई छैथ. आ भोजपुरी लेल तुरंत तैयार. इ कारण त बहुत दुखद आ चिंता योग्य अइछ.

कि इ सत्य छई कि मैथिलि सिनेमा पर टैक्स और भोजपुरी टैक्स फ्री? अगर एहन बात छई त इ चिंतन बहुत गम्भीर.

मैथिलि सिनेमा के लेल पूंजी निवेश स पूंजीपति मैथिल किया कात होई छैथ?

कि मिथिला में मैथिल के मोन स मैथिलि के प्रति स्नेह कम भ रहल अइछ? आखिर किया? कारण की? अगर अई में सच्चाई छई त माँ मैथिलि के अस्तित्व के खतराक घंटी बुझी.

कतौ कतौ इहो सुनय में आयल जे मैथिल कलाकार सब के मैथिलि के नाम पर गुमराह कायल जाइत अइछ. हुनक सहयोग लय किछु व्यक्तिगत लोक अपन निजी स्वार्थ शिद्ध सेहो करैत छैथ..

जे किछु हो सायद इ अंतिम मोका के दौर गुजैर रहल जे सब मैथिल जागौथ, सब अपन अस्मिता के रक्षा लेल आगा आबौथ, ठगना सब के चिन्ह सार्थक काज में योगदान करैथ, कियाक की आब नई जागब त पहचान मिटा जायत.

मिथिला राज्य निर्माण सेना के १९ जनवरी २०१४ के कोंस्टीटूशन क्लब, देल्ही में मैथिलि मिथिलाक अस्मिताक पर चिंतन लेल महा सभा के आयोजन में माँ मैथिलि के प्रति हम सब अपन कर्त्तव्य निर्वाहन लेल जरुर पहुंची.....अपनेक उपस्थिति आ सहयोग निश्चित माँ मैथिलि के सम्मान के लेल एक टा सकारात्मक दिशा देत.

मुम्बई 

मंगलवार, 24 दिसंबर 2013

मुंबई मैथिलकेर दहेज विरुद्ध एकजुटता


मुंबई मैथिलकेर दहेज विरुद्ध एकजुटता

   
         दहेज मुक्त मिथिला - महाराष्ट्रा द्वारा ,  22-12-2013  मुंबई केर नालसोपाडामे एक महत्त्वपूर्ण बैसार राखल गेल छल।  एहि संस्था द्वारा लैंगिक विभेद अन्त करबाक लेल, बेटीक शिक्षा अनिवार्यरूपे करबैत आत्मनिर्भर बनेबाक लेल आ माँगरूपी दहेज नहि लेबाक-देबाक लेल जोर-शोरसँ प्रचार-प्रसार कैल जाइत अछि। संगहि मिथिलाक विभिन्न धरोहर सबहक संरक्षण लेल वर्तमान सरकारी उदासीनता आ राजनैतिक उपेक्षाक चलतबे स्वस्फूर्त स्वयंसेवासँ लोकमानस द्वारा अपनहि कैल जायत तखनहि मिथिला फेर अपन समृद्धि ओ उत्कर्ष प्राप्त करत - एहेन कठोर प्रतिबद्धताक संग ठाम-ठाम जागृतिमूलक कार्यक्रम ओ समारोह द्वारा अलख जगेबाक काज करैत आबि रहल ई संस्था हालहि महाराष्ट्रमे गठित राज्य समितिक सक्रियतासँ मुँबईवासी मैथिल बीच अभियान तीव्र गतिसँ स्थान पाबि रहल अछि। लोक एहि अभियानकेँ हृदयसँ लगबैत आत्मगौरवक बोध करैत अपन वृत्ति स्वच्छ रखबाक संकल्प लऽ रहल छथि आ एहि संस्थाक अभियान संग अपनाकेँ जोडि रहल छथि। 
     "मात्र ४ महीनाक छोट अन्तरालमे २ महत्त्वपूर्ण शाखा खोलि चुकल दहेज मुक्त मिथिला अपन लक्ष्य हर बेटी लेल शिक्षा आ दहेज प्रथाक अन्त लेल विभिन्न योजना बनबैत आगू बढि रहल अछि।" कहैत छथि संस्थाक महाराष्ट्र अध्यक्ष संजय मिश्रा। ज्ञातब्य हो जे २८-०७-२०१३ केर पहिल बैसारसँ ई संस्थाक महाराष्ट्र ईकाइ गठन भेल छल। एहिमे फेसबुकसँ जुडल बहुते रास मिथिला-मैथिली चिन्तक अपन सुन्दर सूझ-बूझसँ धरातलपर अभियान संचालन करबाक संकल्प लेने छलाह। "मिथिलाक हेराइत गौरवकेँ फेर वापसी करबायब, एहि लेल दृढ संकल्पित छी। समाजक हरेक वर्गमे समानता, मैथिली भाषाक मधुर-मिठाससँ परिचय आ मिथिलाक विकास लेल मिथिला राज्य प्रति सदैव समर्पित रहब।" ई विचार रखैत छथि दहेज मुक्त मिथिला प्रवक्ता राम नरेश शर्मा जे अनेको मैथिली-मिथिला अभियानकेर संचालक-सहयोगी सेहो छथि। संस्था लेल समर्पित दीपक खाँ, लालबाबु शर्मा, रंजित झा, करुणेश निशेष, वी. एन. झा आ नमो नारायण मिश्र सहित सैकडों अभियानी हाल धरि जुडिकय अभियानकेँ व्यापकता प्रदान कय रहल छथि। "एहि अभियानक पवित्रता देखि - नारी प्रति समुचित सम्मानक बात सुनि समाजक हर वर्ग चाहे मैथिल वा मराठी, सब कियो हृदयसँ स्वागत कय रहल छथि। हम धर्म-कर्मसँ जुडल रहैत मानव समाज लेल एहि पवित्र उद्देश्य लेल निरन्तर काज करब आ निश्चितरूपेण मिथिलाक गौरव दहेज मुक्त समाज बनेलासँ हेतैक।" अपन विचार रखैत छथि संस्थाक संरक्षक पंडित धर्मानन्द गुरुजी। 



    दहेज मुक्त मिथिला जेकर स्थापना ३ मार्च, २०११ ई. मे फेसबुक पर उपस्थित मैथिल युवासमूह द्वारा कैल गेल छल - संस्थापक सदस्य व राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज झा स्वयं मुंबईमे रहैत छथि आ मिथिला लेल हर अभियानमे अपन तन, मन आ धन सँ योगदान देबाक हिनक विशिष्ट प्रतिभासँ मिथिला समाज, मराठी समाज सब आह्लादित अछि। "समूचा भारतमे ई अभियान पसरय ताहि लेल आह्वान करैत छी। हमर मिथिलाक पौराणिक कालसँ वर्तमान काल धरि एक अलग पूर्ण संस्कृति-सभ्यताक रूपमे रहल अछि। संसारमे के नहि जनैत अछि जे सीता मिथिलाक बेटीरूपमे पृथ्वीपर अवतार लेने छलीह। जनक समान विदेह कहौनिहार हमरा लोकनिक राजा होइत रहलाह अछि। मूर्त-अमूर्त आइयो हमरा सबहक राजा जनकहि छथि। भारतक संविधानसँ मैथिली एतेक देरी सँ मान्यता पौलक, नहि जानि राज्यरूपमे स्वशासन करबाक अधिकार संविधानसँ कहिया भेटत। लेकिन स्वयंसेवासँ विकास करबाक लेल हम सब सक्षम छी आ से करैत रहब।" उद्गार प्रकट करैत राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज समस्त भारतक मैथिलसँ एहेन प्रतिबद्धता निर्माण लेल आह्वान करैत छथि।
   काल्हि मैथिली अधिकार दिवसपर आयोजित नालसोपाराक बैसारमे ओहि ठामक नगर सेवक श्री भरत मकवाना केर प्रमुख आतिथ्य रहल छल। तहिना गायत्री परिवार केर अधिकारी सेहो अपन उपस्थिति रखलैन। हिनका लोकनि द्वारा हर तरहें संस्थाकेँ सहयोग करैत समाजसँ गन्दगी सफाई अभियान लेल निरंतर सहयोग देबाक घोषणा कैल गेल। तहिना मैथिल समाजक अनुपम उपस्थिति जाहिमे अनुप सत्यनारायण झा, धर्मेन्द्र झा, कृष्णकान्त झा अन्वेषक, इन्दिरा देवी, पुनीता शर्मा सहित दर्जनों लोककेर उपस्थिति रहल छल। 

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

बुधियार छौंडा आ राजनीति

बुधियार छौंडा आ राजनीति

              फूलचन्द्र शर्मा 'श्रोत्रिय' - प्रेमसँ पुकारल जाइत रहल फूलबा! खचरक आइड जे धियापुताक नंगटइक कारण विशेषण भेटैत छैक ताहिसँ विभूषित। विद्यालयमे पहिल घंटीसँ अन्तिम घंटीतक खुरापाती दिमागसँ किछु टेनामनी करिते टा छल। कखनहु कियो तऽ कखनहु कियो ओकर शिकायत मास्टरसाहेबकेँ कहैत छलन्हि आ २ छडी मारैत ओकरा दोबारा फेर ओ गलती करबाक लेल नहि कहि कक्षामे पठा देल जाइत छलैक। लेकिन ओ छौंडा चोटभुस्सूक बनि गेल छल, तैयो दिमाग ओकरा बुझबैत रहैक जे वैह गलती नहि लेकिन दोसर तँ कैले जा सकैत छैक... कि हेतैक, २ छडी आरो सही, लेकिन गलती पर गलती करैत रहि गेल फूलबा। एवम् क्रमसँ ओ जखन मैट्रीकमे गेल तऽ एक दिन ओकरा विद्यालयकेर सबसँ बेसी लोकप्रिय मास्टरसाहेब बजाकय कहलखिन जे देख फूलबा, भले बदमस्तीमे मुदा तोहर दिमाग कम नहि छौक। तोँ जँ चाहमे तऽ ओतबा बुधियार बनि सकैत छेँ! ई बात ओकरा बुझबामे सेट कऽ गेलैक। ओ तहिये हँसैत मास्टरसाहेबकेँ देखैत रहल चुप्पे मुदा मोने-मन धरि शप्पथ खा लेलक जे आब बुधियार बनबाक नवका प्रयोग जरुर करत। देखा चाही जे बुधियार बनि कय कि होइत छैक!


हौ बाबु! ओ तऽ सही मे तेना बुधियार बनि गेल जे आब ओकरा बिना कक्षा सून्न लागय लगैक। सब मास्टरसाहेब भालचन्द्र बाबु (लोकप्रिय मास्टरसाहेब)केँ बेर-बेर धन्यवाद देथिन जे अपने जहियासऽ ओकरा गुरुमंत्र देलियैक तहिया सऽ तऽ फूलबा मानू जे एकदम आदर्श विद्यार्थी बनि गेल अछि। कतेक बेर फूलबाक सोझाँमे सेहो प्रशंसा करबासँ लोक नहि चूकैत छल। चारूकात तूती बाजय लागल - बुधियार फूलबा, बुधियार फूलबा..... एम्हर फूलबा धरि मोने-मोन बदमाशे छल आ सोचैत छल जे देखियौ, मात्र नाटक पर तऽ लोकक ई हाल छैक जे बुधियार-बुधियार के रट्टा मारैत रहैत अछि। कनेक आरो प्रयोग बढा दैत छी। देखा चाही जे बुधियारक सीमा कि होइत छैक। ओ आब मोनिटर बनिकय कक्षाक सब विद्यार्थी सबहक नेता बनि गेल। एक-एक विद्यार्थीकेर समस्याकेँ अपन जिज्ञासा सँ बुझैत ओकर समाधान निकालबाक भरपूर चेष्टा करय लागल। केकरो लाइब्रेरीसँ किताब दियाबैक, तँ केकरो पुअर ब्वाइज फंडसँ परीक्षा फीस दियाबैक.... होइत-होइत फूलबा आब भैर विद्यालय केर एकछत्र नेता बनि गेल छल। हलाँकि विद्यालयमे ओकर ई रुतबा कनिये दिन रहलैक ताबत ओ टेस्ट परीक्षा पास करैत फाइनलकेर तैयारी लेल बहरा चुकल छल.... लेकिन ओकर बुधियारी आ राजनीति दुनू ताबे तक खूब प्रसिद्धि पाबि गेल छलैक। लोक प्रशंसा करैक, लेकिन फूलबा मोने-मोन हँसैत रहैत छल। ओकरा तऽ एखनहु बदमाशिये बुझाइत छलैक, कारण ओ बुधियार तऽ बस देखबय लेल बनि गेल छल, भीतर तऽ ओ खचरइ ओहिना छलैक, बरु ओकरा एना लगैक जे आब ओकर ओ खच्चरपन जुआन भऽ गेल छलैक। ओकरामे बहुत रास नव प्रयोगक यानि बुधियार बनबाक देखाबटीक चलते आरो परिपक्वता बढि गेल छलैक। 

आब ओ कालेजमे पहुँचि गेल आ शहरक कालेज जतय अलग-अलग गामसँ छात्र-छात्रा सब आयल छलैक ततय ओकरा एना लगलैक जे कियो चिन्हि नहि रहल अछि.... से फेर शुरु तँ बदमाशिये सँ करय पडत। कारण एतय के-कतेक बुधियार अछि तेकर पहिचान होयबामे कनेक समय लागि जायत। लेकिन बदमस्ती करैत शुरु करब तऽ बड जल्दी पोपुलर भऽ जायब। ओ सोचैत-सोचैत निर्णय केलक जे आब ओ धियापुतावला बदमस्ती करब से नहि शोभा देत... तऽ आब जे फर्स्ट ईयरवला बदमस्ती होइत छैक.... यानि फिल्म फूल आ काँटा मे जेना अजय देवगन करैत छैक तेना करब आ कलेजिया छात्रा सबसंग हिरोपनी देखबैत शुरु करब। खूब स्टाइलमे कपडा पहिरब। बापक देलहा पाइसँ पहिने एगो हिरो रेन्जर साइकिल कीनब। बूटवाला जुत्ता आ जीन्स पहिरब। कहियो-कहियो मंगलहबो मोटरसाइकिल लेकिन वैह चढि कलेज जायब.... आदि। सहीमे फूलबा कनिये दिनमे कालेजमे सेहो प्रसिद्ध लफुआ बनि गेल। लफुवइ मे लेकिन ओकरा राजनीतिक जीवन खतरामे बुझेलैक.... तखन ओ तुरन्त दोसर रूप यानि विद्यालयकेर अनुभवसँ क्लासमे अपन लफुवे मित-मितनी सबहक झमेलाकेँ संबोधन करैत प्रोफेसर साहेब सब पर इम्प्रेशन आ क्रमश: अपन प्रभावशाली कुशाग्रतासँ जल्दिये ओ कालेजमे सेहो नेता बनि गेल। विद्यार्थीवाला कोनो संगठनमे ज्वाइन केलक आ फेर सीढी-दर-सीढी चढैत ओकर राजनीति चमैक गेलैक। मुदा ओ मोने-मोन आइयो बदमस्तीमे रमल छल। 

फूलबा ग्रेजुएशनकेर डिग्री लेलक आ ओकरा युवा नेता मानि एगो पार्टी (नवका) ओकरा चुनाव लडय लेल गछलकैक। फूलबा आब मुंगेरीलालवाला सपनामे अपन आँखि मिचमिचबैत बुझू जे कनाह बनि गेल छल। धरि ओ आब अपना केँ विधायक बनेबाक लेल पूर्णरूपेण तैयारीमे बदमाशी-बुधियारीक ब्लेन्ड जे ओ स्कूल-कालेजमे अपनौने छल से प्रयोग करबाक प्लान बनेलक। ओकरा लेकिन आब किछु बेसी मेहनत करय पडि रहल छलैक, कारण आब ओ सिविक-सोसाइटीकेँ फेस करय जा रहल छल आ ओकर इमैच्योरिटी ओकरा कतहु-कतहु गडबडा दैत छलैक। बा-मोस्किल ओ अपन युनिक ब्लेन्डकेर प्रयोग करय लेल आतूर बनि गेल। ओ ताइक-ताइक कय पुरनका स्थापित नेता सबहक डाटा सब डिकोड करय लागल। खने ओ विकासक डाटा तँ खने ओ निर्वाचनक डाटा सब पर काज करय आ दिन-राइत बदमस्ती-बुधियारीक ब्लेन्डसँ अपन खुरापात-होशियारी देखबय लागल। सिविक सोसाइटीमे सेहो ओकर विभिन्न घोषणाक असैर पडय लगलैक। आमसभाक चुनावमे ओ अपन भाग्य अजमेलक। ओहि ठाम लेकिन ओ पहिल बेर पास नहि भेल धरि तेसर स्थानमे रहल। लेकिन ओकर हिम्मत बनल रहलैक। बाबु, भैया सब ओकरा बोल-भरोस दैत रहल आ बेर-बेर प्रयाससँ एक दिन ओ नेता बनत से कहि ओकरा धैर्य रखबाक लेल कहल जाइत रहलैक। लेकिन फूलबाक मोने-मन हँसी लगैत रहलैक आ ओ अपन भितरिया बदमस्ती मुदा देखौटी होशियारी सँ क्षेत्रक सेवा रोजगार उपलब्ध करेबा आ सूचना केन्द्र खोलि सार्वजनिक हितक कार्य करैत रहबाक प्रण लेलक। फूलबाक भविष्य पर ध्यान छैक, ओ ऐगला चुनाव मे नहि प्रथम तँ दोसर जरुर आयत आ ताहि सँ ऐगला बेर ओ प्रथम पक्का बनत। तेकर बाद ओ अपन बदमस्ती-बुधियारीक ब्लेन्ड आधारित नव राज्य गठन करबा धरि अपन जीवनक लक्ष्य मानैत अछि। लेकिन ओ ततेक सोचैत अछि जे अपनो सोचलहबा कहियो कार्यरूपमे नहि अबैत छैक आ बेर भेलापर ओ बेसीकाल असफल बनैत अछि। धरि फूलबा हिम्मत नहि हारल अछि। 

क्रमश:......

      फूलबा सेहो ऐगला चुनावक इन्तजार कय रहल अछि आ हमर पाठक सेहो ताबत इन्तजार करता। लेकिन अपन प्रतिक्रिया धरि जरुर लिखता से अनुरोध अछि। हाँ, संयोगसँ फूलबा मिथिला राज्यक आन्दोलनमे सेहो जुडबाक योजना बना रहल अछि, ई बात लेखककेँ कानमे कहलकैन अछि। 

बुधवार, 11 दिसंबर 2013

बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

Mithila Against BIHAR

 बीते 100 सालोँ मे मिथिला के प्रति बिहार का रवैया :

1. बिहार मेँ दो एयरपोर्ट गया और पटना मेँ, पूर्णियामे नाम
मात्र का एयरपोर्ट। जब बिहार मे किसी जगह एयरपोर्ट
नहीँ था उस समय दरभंगा मे था पर आज ? पटना एयरपोर्ट
पर उतरने वाले अधिकतर यात्री उत्तरी मिथिला केँ होते हैँ पर
उत्तरी मिथिला मे एक भी एयरपोर्ट नही जहां से लोग
यात्रा कर सकेँ, क्योँ ?

2. बिहार के राज्य गीत और राज्य प्रार्थना मेँ
   मिथिला को कोइ जगह नहीँ क्या मिथिला,बिहार मेँ नहीँ है ?

3. बिहार के गया और मोतिहारी मेँ नये केद्रीय
विश्वविद्यालय बनेँगेँ, क्या पूर्णिया/ मुजफ्फरपुर इस लायक
नहीँ हैँ ?

4. बिहार सरकार ने आजतक भारत सरकार से मिथिला मे
बाढ़ की समस्या को नेपाल के समक्ष उठाने
को नही कहा है, क्योँ ? उत्तरी मिथिला मेँ बाढ़ का निदान
नहीँ हो सका है, क्योँ ?

5. आजतक कोशी पर डैम नहीँ बन सका है अगर ये डैम बन
जाता तो मिथिला बिहार को 24 घंटे बिजली उपलब्ध
कराता! क्या ये नहीँ बनना चाहिये ?

6. बिहार के पटना, गया और हाजीपुर मेँ लो फ्लोर बसेँ
चलेँगी क्या दरभंगा/ भागलपुर/कटिहार इस लायक नहीँ हैँ ?

7. मैथिली बिहार की प्रमुख भाषा है, मैथिली बिहार
की एकमात्र क्षेत्रीय भाषा है जो भारतीय संविधान
की अष्टम अनुसूचीमे शामिल है तो फिर आज तक इसे बिहार
की दूसरी राजभाषा का दर्जा क्योँ नहीँ ? यहां ये
बताना जरुरी है की मैथिली नेपाल की द्वितीय
राष्ट्रभाषा है!

8. बिहार सरकार भोजपुरी फिल्मोँ को कर मेँ छूट देती हैँ पर
मैथिली फिल्मोँ को नहीँ, क्योँ ?

9. मिथिला मेँ आजतक प्रारंभिक शिक्षा मैथिली मेँ
देनी नहीँ शुरु की गयी,क्योँ ?

10. बिहार सरकार उर्दू, बांग्ला के
शिक्षकोँ की नियुक्ति कर रहीँ पर मैथिली के
शिक्षकोँ की नहीँ, क्योँ ?

11.  जो IIIT दरभंगा के लिए था उसे नीतीश कुमार छीन कर
बिहटा स्थानांतरित कराये, क्योँ ? 

12. 2008 के कोसी पीड़ितोँ को आजतक न्याय नहीँ मिल
सका है, क्योँ ? 

13. मिथिला क्षेत्र मे नये उद्योग धंधे लगाने की बात
तो छोड़िये जितने भी पुराने जूट मिल, पेपर मिल, चीनी मिल
आदि थे वे सारे क्योँ बंद हो गये ?

14. नीतीश कुमार मिथिला क्षेत्र मेँ होने वाले हर इक
सभा मेँ ये कहते हैँ की मिथिला के विकास के बिना बिहार
का विकास नहीँ हो सकता तो फिर उन्होँने मिथिला के
विकास के लिए अब तक क्या किया ?

   कितने कारण गिनाऊ, बिहार के मिथिला के प्रति उदासीन
के ? अब तो बिहार पर विश्वास ही नहीँ है, बीते 100
सालोँ मे धोखा, धोखा और सिर्फ धोखा!
 
     अब आप बताइये बिहारी मित्रोँ क्योँ न करु पृथक
मिथिला राज्य की मांग ?"

सोमवार, 2 दिसंबर 2013

जन्तर-मन्तरपर ५ दिसम्बर अयबाक अपील सन्दर्भमे:   




मिथिला लेल प्राइवेट मेम्बरकेर बिल - संसदमे!

जाहि लेल ५ दिसम्बर बेसी संख्यामे जुटबाक अनुरोध कैल जा रहल अछि तेकर भूमिका स्पष्ट करब जरुरी बुझाइछ। 

सरकार द्वारा कानून बनेबाक लेल जे विधेयक बहस करबा लेल संसदमे राखल जाइछ तेकरा गवर्नमेन्ट बिल कहल जाइछ (वेस्टमिन्स्टर सिस्टम - जेकरा भारतीय संविधानसेहो अनुसरण करैछ) आ जे कैबिनेटसँ इतर सरकारक सहयोगी वा विरोधी पक्षक सदस्य द्वारा राखल जाइछ तेकरा प्राइवेट मेम्बर बिल मानल जाइछ। १९४७ केर तुरन्त बाद जखन मिथिला राज्यक माँग भारतीय संसदमे पास नहि भेल आ फेर राज्य गठन आयोग द्वारा सेहो १९५६ मे आरो-आरो नव राज्य गठन होयबा समय सेहो एकरा नकारल गेल तेकर बादसँ आधिकारिक बहस भारतीय संसदमे एहिपर नहि भेल अछि। ताहि लेल दरभंगासँ भाजपा संसद कीर्ति झा आजाद एहि विषयपर गंभीरतापूर्ण संज्ञान लैत बौद्धिकतासँ भरल ऐतिहासिकता आ उपलब्ध दस्तावेज सबकेँ समेटने अपना दिशिसँ मिथिलाक अस्मिताक रक्षा लेल डेग उठौलनि आ एहि क्रममे हुनका द्वारा प्रस्तुत बिल "बिहार झारखंड पुनर्संयोजन विधेयक २०१३" (The Bihar Jharkhand Reorganization Bill, 2013) संसदमे बहस लेल प्रस्तावित कैल गेल अछि। विधान अनुरूप कोनो बिलपर बहस लेल राष्ट्रपतिक मंजूरी आवश्यक रहनाय आ फेर समुचित तारीख दैत एहिपर बहस केनाय आ यदि सदन एकरा मंजूर करैत अछि तँ संविधानमे प्रविष्टि केनाय - यैह होइछ प्राइवेट मेम्बर बिल।

जेना ई बुझल अछि जे मिथिला राज्यक माँग भारतक स्वतंत्रता व ताहू सँ पूर्वहिसँ कैल जा रहल अछि - कारण बस एकटा जे "मिथिला अपना-आपमे परिपूर्ण इतिहास, भूगोल, संस्कृति, भाषा, साहित्य, संसाधन, समाजिकता आ सब आधारपर राज्य बनबाक लेल औचित्यपूर्ण अछि" आ भारतीय गणतंत्रमे राज्य बनबाक जे आधार छैक तेकरा पूरा करैत अछि.... दुर्भाग्यवश अंग्रेजक समयमे प्रान्त गठन करबा समय मिथिला लेल पूरा अध्ययनक बावजूद बस किछेक खयाली कल्पनासँ एकरा मिश्रितरूपमे 'बिहार' राज्य संग राखि देल गेल छल, मुदा बिहारसँ पहिले उडीसाक मुक्ति (१९३६) आ फेर झारखंडक मुक्ति (२०००) मे कैल गेल यद्यपि मिथिलाक माँग ताहू सबसँ पुरान रहितो एहिठामक लोकसंस्कृतिक संपन्नता आ लोकमानसक सहिष्णुताकेँ कमजोरी मानि बस सब दिन संग रहबाक लेल अनुशंसा कैल गेल... परञ्च जे विकास करबाक चाही से नहि कैल गेल, जे पोषण करबाक चाही सेहो नहि कैल गेल... उल्टा जेहो पूर्वाधार एहिठाम विकसित छल तेकरो धीरे-धीरे मटियामेट कय देल गेल। बिहारक शासनमे सब दिन मिथिला क्षेत्र उपेक्षित रहि गेल। एक तऽ प्रकृतिक प्रकोप जे बाढिक संग-संग सूखाक दंश, ऊपरसँ कोनो वैज्ञानिक वा विकसित प्रबंधन नहि कय बस दमन आ उपेक्षाक चाप थोपि मिथिलाक लोकमानसकेँ आन-आन राज्य जाय सस्ता मजदूरी आ चाकरीसँ जीवन-यापन करबाक लेल बाध्य कैल गेल। परिणामस्वरूप एहि ठामक विकसित आ सुसभ्य परंपरा सब सेहो ध्वस्त भेल, लोकसंस्कृतिक मृत्यु होमय लागल आ आब मिथिला मात्र रामायणक पन्नामे नहि रहि जाय से डर बौद्धिक स्तरपर स्पष्ट होमय लागल। तखन तऽ जे विधायक (जनप्रतिनिधि) एहिठामसँ चुनाइत छथि आ केन्द्र व राज्यमे जाइत छथि हुनकहि पर भार रहल जे मिथिलाकेँ कोना संरक्षित राखि सकता - लेकिन जाहि तरहक नीतिसँ मिथिलाकेँ विकास लेल सोचल गेल ताहिसँ उपेक्षा आ पिछडापण नित्यदिन बढिते गेल। हालत बेकाबू अछि, लोकपलायन चरमपर अछि, शिक्षा, उद्योग, कृषि, प्रशासन सब किछु चौपट देखाइत अछि। बिना राज्य बनने कोनो तरहक सुधारक गुंजाइश न्यून बुझाइछ।

हलाँकि भारतमे लगभग ३०० सँ ऊपर प्राइवेट मेम्बर बिल आइ धरि आयल, ताहिमे सँ बिना बहस केने कतेक रास गट्टरमे फेका गेल तऽ लगभग १४ टा विधानक रूपमे सेहो स्वीकृति पौलक। एहि बिलक भविष्य जे किछु होउ से फलदाता बुझैथ, लेकिन एक सशक्त-जागरुक चेतनशील मैथिलक ई कर्तब्य बुझापछ जे अपन राजनैतिक अधिकार लेल एना हाथ-पर-हाथ धेने नहि बैसैथ आ अपन अधिकार लेल आवाज धरि जरुर उठबैथ। यदि भारतीय गणतंत्रमे मिथिलाक मृत्यु तय छैक तऽ भारतक भविष्यनिर्माता सब जानैथ, लेकिन एक "मैथिल" लेल अपन भागक कर्तब्य निर्वाह करबाक जरुरत देखैत अपील कैल जा रहल अछि जे जरुर बेसी सऽ बेसी संख्यामे जन्तर-मन्तरपर ओहि बिलकेर समर्थन लेल राजनैतिक समर्थन जुटेबाक उद्देश्यसँ आ मिथिला राज्य संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा राखल गेल धरनामे सद्भाव-सौहार्द्रसंग सहभागिता लेल सेहो हम सब पहुँची। अपन अधिकार लेल संघर्ष करहे टा पडैत छैक, बैसल कतहु सँ कोनो सम्मान वा स्वाभिमान प्राप्त नहि भऽ सकैत छैक, ई आत्मसात करैत हम सब एकजुटता प्रदर्शन करी।

याद रहय - ५ दिसम्बर, २०१३, स्थान जन्तर-मन्तर, समय दिनक १० बजेसँ।

शनिवार, 30 नवंबर 2013

चलो जन्तर-मन्तर पर! ५ दिसम्बर, २०१३



चलो जन्तर-मन्तर पर! 

५ दिसम्बर, २०१३   

      (जन्तर-मन्तरपर विशाल धरना प्रदर्शन - मिथिला राज्यके समर्थनमें - संसदमें रखे गये बिलपर सकारात्मक बहसके लिये राजनीतिक शक्तियोंसे सामूहिक अनुरोध के लिये।)

वैसे तो मिथिला राज्यका माँग स्वतंत्रता पूर्वसे ही किया जा रहा है, स्वतंत्रता उपरान्त भी यह माँग देशकी प्रथम संविधान सभाके सत्रोंसे लेकर राज्य पुनर्गठन आयोग तक मंथनका विषय बननेके बावजूद राजनीतिपूर्वक किसी न किसी बहानेमे नकारा गया और मैथिली सहित मिथिलाके भविष्यको पहचानविहीनताकी रोगसे आक्रान्त किया गया जो निसंदेह किसी गणतंत्रात्मक प्रजातांत्रीक मुल्कके सर्वथा-हितमे नहीं हो सकता है। फलस्वरूप अब मिथिलाका वो स्वर्णिम समय दुबारा भारतको शास्त्र-महाशास्त्रके साथ आध्यात्मिक दर्शनकी पराकाष्ठापर पहुँचा सके, हाँ आज इतना तो जरुर है कि मिथिलाके मिट्टी और पानीसे सींचित व्यक्तित्व न केवल राष्ट्रमे बल्कि समूचे ग्लोबपर अपनी उपस्थिति ऊपरसे नीचेतक हर पद व स्थानपर महिमामंडित करते हैं, लेकिन मूलसे बिपरीत आज सामुदायिक कल्याण निमित्त नहीं होता - बस व्यक्तिगत विकास केवल लक्ष्य बनकर पहचानविहीनताके रोगसे मिथिला-संस्कृति विलोपान्मुख बनते जा रहा है। ऐसेमें यदि अब स्वतंत्रताका लगभग ७ दशक बीतने लगनेपर भी मिथिलाको स्वराज्यसे संवैधानिक सम्मान नहीं दिया गया तो मिथिलाका मरणके साथ भारतकी एक विलक्षण संस्कृतिका खात्मा तय है।

           भारतमे विभिन्न नये राज्य बनानेकी परिकल्पना आज भी निरंतर चर्चामें रहता ही है। संसदसे सडकतक इस विषयपर नित्य विरोधसभा और संघर्ष कर रही है यहाँकी जनता, खास करके जिनका पहचान समाप्तिकी दिशामे बढ रहा है और उपनिवेशी पहचानकी बोझसे अधिकारसंपन्नताकी जगह विपन्नता प्रवेश पा रहा है वहाँपर नये राज्योंकी सृजना अनिवार्य प्रतीत होता है। बिहार अन्तर्गत मिथिला हर तरहसे पिछड गया, ना बाढसे मुक्ति मिल सका, ना पूर्वाधारमें किसी तरहका विकास, ना उद्योग, ना शिक्षा, ना कृषिमें क्रान्ति या आत्मनिर्भरता, ना भूसंरक्षण या विकास, ना जल-प्रबंधन और ना ही किसी तरहका लोक-संस्कृतिकी संवर्धन वा प्रवर्धन हुआ। बस नामके लिये सिर्फ मिथिलादेश अब मिथिलाँचल जैसा संकीर्ण भौगोलिक सांकेतिक नामसे बचा हुआ है। राजनीति और राजनेताके लिये मिथिलाका पिछडापण मुद्दा तो बना हुआ है लेकिन वो सारा केवल कमीशनखोरी, दलाली, ठीकेदारी, लूट-खसोट और अपनी राजनैतिक लक्ष्यतक पहुँचने भर के लिये। मिथिला भारतीय गणतंत्रमें मानो दूधकट्टू संतान जैसा एक विचित्र पहचान 'बिहारी' पकडकर मैथिली जैसे सुमधुर भाषासे नितान्त दूर 'बिहारी-हिन्दी'की भँवरमें फँसकर रह गया है।


                जिस बलसे मिथिला कभी मिथिलादेश कहा जाता रहा, जिस तपसे जहाँकी धरासे साक्षात् जगज्जननी स्वयं सिया धियारूपमे अवतार लीं, जहाँ राजनीति, न्याय, सांख्य, तंत्र, मिमांसा, रत्नाकर आदि सदा हवामें ही घुला रहा... उस मिथिलाको पुनर्जीवन प्रदान करने के लिये स्वराज्य देना भारतीय गणतंत्रकी मानवृद्धि जैसा होगा ‍- अत: मिथिला राज्यकी माँगवाली विधेयक काफी अरसेके बाद फिरसे भारतीय संसदमें बहसके लिये आ रही है। किसी एक नेता या किसी खास दलका प्रयास भले इसके लिये ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो, लेकिन जरुरत तो सभी पक्षों और राष्ट्रीय सहमतिका है जो इस माँगकी गंभीरताको समझते हुए वगैर किसी तरहका विद्वेषी और विभेदकारी आपसी फूट-फूटानेवाली राजनीति किये न्यायपूर्ण ढंगसे मिथिला राज्यको संविधान द्वारा मान्यता प्रदान करे। इसमें कहीं दो मत नहीं है कि नेतृत्वकी भूमिकामें जितने भी संस्था, व्यक्ति, समूह, आदि भले हैं, पर मुद्दा तो एकमात्र 'मिथिला राज्य' ही है और इसके लिये एकजुटता प्रदर्शनके समयमें हम सब मात्र मिथिला राज्यका समर्थक भर हैं और मिथिलाकी गूम हो रही अस्मिताकी संरक्षणके लिये, मिथिलाकी चौतरफा विकासके लिये, मिथिलाकी खत्म हो रही लोक-संस्कृति और लोक-पलायनको नियंत्रित रखने के लिये अपनी उपस्थिति जरुर दिल्लीके जन्तर-मन्तरपर और भी अधिक लोगोंको समेटते हुए जरुर दें। तारीख ५ दिसम्बर, समय १० बजेसे, स्थान जन्तर-मन्तर, संसद मार्ग, नयी दिल्ली!


मिथिलावासी एक हो! एक हो!! एक हो!!

एकमात्र संकल्प ध्यानमे!
मिथिला राज्य हो संविधानमे!!

भीख नहि अधिकार चाही!
हमरा मिथिला राज्य चाही!!

जय मिथिला! जय जय मिथिला!!

बुधवार, 27 नवंबर 2013

२६म् अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन मे उठल आवाज देवय पडत मिथिला राज्य

२६म् अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली सम्मेलन मे उठल आवाज
देवय पडत मिथिला राज्य
               अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद्क २६म् अन्तर्राष्ट्रिय सम्मेलन में अलग मिथिला राज्य कऽ माँग जोरदार रुप में उठल । सम्मेलन में मैथिली भाषा के मजबुत करबा कऽ लेल सम्पूर्ण मैथिली भाषी के एक जुट भऽ आगु बढेबा के लेल आह्वान कएल गेल । अई सम्मेलन में भारत तथा नेपाल कऽ प्रतिनिधि सब के उपस्थिति छल । मुख्य अतिथी कृष्णानन्द झा कहलनि भाषा के आधार पर अलग राज्य भेटनाई मुस्किल अछि, अलग राज्य कऽ बास्ते सम्पूर्ण मापदंड के पुरा करय परत, जेकर आवश्यकता अछि । मिथिला के संस्कृति के जा धरि अन्य प्रान्त कऽ संस्कृति के संग समन्वय स्थापित नहि होइत, ता धरि, अलग राज्य बनेनाई संभव नहि अछि । जखन अपन भाषा के अन्य राज्य कऽ संग जोडल जायत तखने देश के ४० प्रतिशत आबादी स्वतः जुडि जायत ।
अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद अध्यक्ष डा. कमलकान्त झा कहलनि जे मिथिला राज्य के माग उठल तऽ सरकार मैथिली भाषा के मान्यता देलनि । मिथिला राज्य कऽ मान्यता के वास्ते देशक सब प्रान्त कऽ लोक के आगु आबय परत । संगे ओ झारखण्ड सरकार सँ मैथिली भाषा के राज्य के द्वितीय राजभाषा के रुप में शामिल करबा कऽ माग जेहो केलनि । झारखण्ड मे मैथिली के द्वितीय राजभाषा में शामिल करबा कऽ लेल काँग्रेस के पूर्व मन्त्री कृष्णानन्द झा सँ सहयोग सेहो मागलनि । कृष्णानन्द झा अपन पुरा सहयोग देबा कऽ प्रतिबद्धता सेहो जाहिर केलनि । सम्मेलन के उद्घाटन पूर्व मंत्री कृष्णानन्द झा, अन्तर्राष्ट्रिय मैथिली परिषद कऽ अध्यष डा. कमलकान्त झा, नेपाल कऽ परिषद क अध्यक्ष करुणा झा, संस्थापक अध्यष डा. घनाकर ठाकुर, भूवनेश्वर प्रसाद गुरमैता, बैद्यनाथ मिथिला संस्कृति मंच के अध्यक्ष ओम प्रकाश मिश्र संयुक्त रुप में दीप प्रज्वलित कऽ उद्घाटन केलनि ।

नेपालक मैथिली परिषद कऽ अध्यक्ष करुणा झा कहलनि मैथिली भाषा तथा मिथिला राज्य कऽ मान्यता के लेल आन्दोलन के दौरान पाँच लोग शहीद हो गये जिनमें एक महिला भी । लेकिन इसके बाद भी नेपाल में जोर शोर से मिथिला राज्य के माग उठी रहल अछि । ओ कहलनि – अपना भाषा आ संस्कृति के पंति सब कियो के गम्भीर होब परत । मिथिला राज्य क लेल समाज के सब वर्ग के लोग के साथ लऽ कऽ चलय परत । संगे ओ अन्तर्राष्ट्रिय मैथिल महिला परिषद के गठन करबा कऽ वास्ते जोर देलनि जाई सँ अई अभियान में महिला सब के जोडय कऽ आगु बढला सँ ई अभियान बेसी प्रभावकारी होयत ।

कार्यक्रम के आयोजना बैद्यनाथ मिथिला संस्कृति मंचद्वारा कएल गेल छल । आई दु दिवसीय समारोहमें दोसर दिन पहिल सत्र में जीवकान्त झा आ मायानन्द मिश्र के श्रद्धाञ्जली सभा तथा दोसर सत्र में रंगारंग सांस्कृतिक सन्ध्या में देश विदेशक कलाकार सब द्वारा कएल गेल । अई मौका पर भूतपूर्व डिआईजी के.डी. सिंह, प्रदेश महासचिव रविन्द्र चौधरी, जमशेदपुर के श्यामल सुमन तथा सैकडो मिथिलाबासी के उपस्थिति रहल । धन्यवाद ज्ञापन बैद्यनाथ मिथिला संस्कृति मंच के अध्यक्ष ई. ओमप्रकाश मिश्र जी केलनि । अस्तु ।।


 – करुणा झा
 नेपाल 

गुरुवार, 21 नवंबर 2013

आब नै चुप रहव - चल्लू डेल्ही

मिथिला राज्य निर्माण सेना केर द्वारा २४ नवम्बर क दिन के २ बजे कॉफ़ी हाउस दिल्ली स हरीश रावत के घर तक जत्था मार्च करत और हरीश रावत के घर के सामने हरीश रावत के पुतला दहन करत तथा अपन विरोध दर्ज करत | सब मैथिल भाई बहिन और मिथिला संस्था स आग्रह जे बेसी स बेसी संख्या में आबि क अपन घोर विरोध दर्ज करी | दिल्ली में रहै वाला सब मैथिल स आग्रह जल्दी स संपर्क करू और अई आंदोलन में अपन सहयोग करू | राजेश झा-08607817171 संजय कुमार- 09910644894 कमलेश मिश्र - 9560437000 , मदन ठाकुर -9312460150  , 
ई एहन  शब्द बजल कोनो -? 
   


























चमचागिरी आ चाटुकारिता के एकटा सीमा होइत अछि , हद भा गेल सीता मैया के सेहो ई विदेशी मूल के कहि रहल अछि , सर्वविदित अछि अदौकाल सं जकर प्रमाणिक इतिहास अछि जे माँ सीताक जन्म सीतामढ़ी जिला अंतर्गत पुनौरा धाम मे भेल अछि , तिनका विदेशी मूल के कही एकर तुलना सोनिया गाँधी से क रहल छथि ई पाखान्द्शिरोमानी हरीश रावत , रावत जी ज क इतिहास पदु आ अपन वक्तव्य के वापस लिय , सरिपहुं ई हरेक मैथिलक मुहं पर थापर समान थिक जे हमर धरोहर माँ समान सीता मैया के सोनिया सन महिला सं तुलना कायल गेल अछि | एकरा हम व्यक्तिगत रूपेण अपन संस्था मिथिला राज्य निर्माण सेना के तरफ सं घोर निंदा करैत छी , अगर अहाँ सब हमरे जकाँ लागैत अछि त आऊ coffe हाउस रवि दिन २ बजे अपरान्ह आ एही कुकृत्य के लेल हरीश रावत के पुतला दहन कायल जाय आ हिनका ई वक्तव्य के वापस लेबा पर मजबूर करू |

एहन चमचा शिरोमणि के की कायल जाय ,
कालिख पोअति चुगला बनायल जाय ,
आऊ सब मिलि एकर पुतला दहन करी ,
मैथिल होयबाक किछु त स्वाभिमान करी ,
जा तक रहत एहन एहन लोक जेना की रावत ,
मैथिलि अपमानित होइत रहत ....... तावत
आऊ सब मिलि देखाऊ अपन त|गत | 




हरिश रावत तोहर ओकात कि छउ तकर थाह तोरा 24 के पता चलतउ । माता सिताके अपमानित कैला के बाद रावण एहन प्रतापि राजाके नाश भ गेल तु कोन खेत के मूली छे रे रावत...24 november ke din ke 2 bje Coffee house,CP Delhi enay nay bisru.....CP s harish Rawat ke ghar tak march kel jet ekar bad putla Dahan-

हिन्दू धर्म के ठेकेदार और ठीकेदारी लेने वाली संगठने चुप क्यूँ हैं l क्या उन्हें काठ मर गया है, या संज्ञा सुन्यता मे है ?

आखिर राम की राजनीति चमकाने वाले और इलेक्शन के समय ८४ कोशी यात्रा करनेवालों की जड़ता कब टूटेगी ?

माता सीता का यह अपमान, कब तक सहेगा हिंदुस्तान ?
 ऐसे नेता देश को क्या विकास के राह पर ले कर जाएंगे जिनको इतिहास पता ही नहीं है, सीता माता विदेशी कैसे?????
जब सीता माता थी तब इंडिया, भारत, हिंदुस्तान, या नेपाल ही नहीं बना था, उस समय तो मिथिला राज्य हुआ करता था, क्या सही में अज्ञानी नेताओ के संख्या जयादा होगया है इस देश में ?

कांग्रेस के हरीश रावत ने आज मुझे अर्थात बिहार खास कर मिथिला की बेटी को विदेशी कहा है। तिरहुत सरकार लक्ष्‍मेश्‍वर सिंह ने कांग्रेस को पहला दान देकर सही में रावत जैसे लोगों को देशभक्‍त बना दिया।

Gopal Jha हरीश को इतिहास की जानकारी लेनी होगी की जहां माता सीता का जन्म हुआ वह स्थान आज भी भारत में है सत्ता के नशे में झूठ बोलने से सच नहीं हो जाती माता सीता का जन्म सीतामढ़ी में है और मैं सीतामढ़ी वासी होने के नाते इस बयान का घोर निंदा करता हूँ

ई कांग्रेस त मैथिला के खा गेलभाई 1.अंग्रेज मिथिलाक दू भाग मे बटलक ,आजादि के बाद cong. सरकार अङि मुद्दा पर चूप रहल..2.नेपाल स हर साल जे पईन छोरल जोईत अछि जहि स मिथिला मे हर साल भंयकर बाईढ आवैत अछि cong.के देन छि 3.आब राबत कहैत अछि जे सिता माता बिदेसी छलिह..
आब  कहु  कि -२  सुनई लेल  बांकी  अच्छी - ? 
आब नै  चुप रहव - चल्लू डेल्ही 

सोमवार, 18 नवंबर 2013

साम- चकेबा पर्व - नोएडा



साम- चकेबा  पर्व - नोएडा 


के  शुभ  अबसर  पर शिव शक्ति  सोसैटी (सेक्टर ७१ नॉएडा )  दुवारI साम- चकेबा  पर्व के  आयोजन , मुन्ना शर्मा आ विशम्भर ठाकुर जी  के  अध्यक्षता   में  कैल  गेल  छल ,  जाही  में  विशेस  मुख्य  अतिथि  सबके  दोपटा से  सम्मानित  कैल गेलनि ,

श्री महेश शर्मा (विधायक- नॉएडा ) नेपाल सन - प्रवीण नारायण चौधरी (अन्तर रास्ट्रीय दहेज़ मुक्त मिथिला ) मैथिला राजय निर्माण सेना-  के  सह सहयोगी राजेश झा जी  , मिथिला वाशी सोसाइटी के महा सचिव - संजय झा , मदन ठाकुर  दहेज़ मुक्त मिथिला (देल्ही -प्रभारी ) अनिल झा जी , खेला नन्द झा ,  जिनकर  मुख्य  उदेश  छल बिहार  मिथिलांचल के  बिकाश और  मिथिलाक  परम परा और  धरोहर  के  सयम  रखनए अहि साम - चकेबा पर्व के  संचलन  श्री महेश शर्मा (विधायक- नॉएडा )के दुरा दीप प्रजुलित आ पात्रिका बिमोचन संग  साम -चकेबा  मूर्ति  के  अपन  ठेहुन से  तोरैत उपरांत  मिथिलाक  परम-  परा के  निर्वाह   करैत  अपन  मुखार -बिंदी  से  मिथिलाक  अनेको  धरोहर  के  बखान  केलैथि ओही  के  बात   आमोद झा मुजिकल  ग्रुप के  जरिया सांस्कृतिक  कार्य-  करम  के  सुरुवात  के गेल  जाही  में  मुख्य  गायिका कुमकुम मिश्रा , कल्पना जी  के संग  अनेको  गायक - गायिका  सब उपस्थित भेल छला ,

संस्कृत कार्य  करम  के  बाद   बिधि  पुरबका बिंदा बन और  चुगला  के  जरयाल गेल  और समदोन  गबैत आ फेर  अगिला साल  साम- चकेबा के अबेय के गीत  गबैत  सब  माय  -  बोहीन अपन  डाला  लाके  अपन - अपन  घर-  अगन  गेली 

नोट - डेल्ही एन सी आर  में  ई प्रथम स्थल  अच्छी  जतय मिथिला के  संस्कृति  के  गरीमा  बढबैत अपन पहचान आ संस्कारक संग ई  शुभ  अबसर  पर शिव शक्ति  सोसैटी (सेक्टर ७१ नॉएडा )  दुवारI  साम- चकेबा  पर्व के  आयोजन आए  ६ वर्ष सन  मनाबैत छैथि , अहि  द्वारे कहल  जैत  अच्छी , जतय मैथिल ओतय  मिथिला 

जय मैथिल - जय मिथिला )



बुधवार, 6 नवंबर 2013

छठि मैया आ डूबैत-उगैत सूरुजके पूजा




छठि मैया आ डूबैत-उगैत सूरुजके पूजा


छैठ परमेश्वरी के पूजा समस्त मिथिलावासी लेल अति प्राचिन पारंपरिक पूजन समारोह थीक। सामूहिक रूपमें बेसीतर महिला लेकिन गोटेक पुरुष व्रतधारी सभ संग अनेको प्रकारके पकवान व ऋतुफल संग संध्याकालीन सूर्यकेँ हाथ उठाय नमस्कार अर्पण करैत पुनः उषाकाल भोरहरबेसँ छठि परमेश्वरी (उगैत सूरज) केर दर्शन लेल व्रतधारी करजोड़ि ठरल जलमें ठाड़्ह इन्तजार करैत छथि। सूर्योदय उपरान्त पुनः विभिन्न पकवान व ऋतुफल भरल डालासँ हाथ उठाय नमस्कार अर्पण करैत छठि मैयाके व्रतकथा सुनैत ओंकरी आ ललका बद्धी - ठोप लगबैत व्रतधारी अपन समस्त परिजनकेँ भगवान्‌केर शुभाशीर्वाद हस्तान्तरित करैत छथि। यैह पूजाके छैठक संज्ञा देल जैछ। क्रमशः मिथिला व आसपासके क्षेत्रसँ शुरु भेल ई पूजा आब समस्त संस्कृतिमें प्रवेश पाबि रहल अछि। आस्थाक बहुत पैघ उदाहरण थीक ई पूजा आ समस्त मनोवाञ्छित फल प्रदान करनिहैर शक्तिशाली छठि मैयाक पूजा लेल के आस्थावान्‌ उद्यत नहि होइछ आइ! 

व्रती (साधक) अत्यन्त कठोर नियम एवं शुद्ध आचार-विचार संग निर्जला व्रत करैत छथि आ शरदकालमें ठरल जलमें ठाड़्ह भऽ व्रती सूर्यकेँ जल-फलसँ हाथ उठबैत विशेषार्घ्यसँ पूजा करैत छथि, पूजा काल सेहो विशेष रहैत छैक। सच पूछू तऽ छठि मैयाके पूजा-अर्चनाके विधान देखि हम सभ नहि सिर्फ प्रभावित रहैत छी, बल्कि एकदम कल जोड़ि शरणापन्न अवस्थामें सेहो रहैत छी जे कहीं एको रत्ती गड़बड़ नहि हो नहि तऽ कखनहु साधनामें विघ्न पड़ि जायत आ तेकर दुष्परिणाम व्रतधारी एवं समस्त परिजन पर पड़त। बहुत गंभीर भावनासँ पूर्णरूपेण शरणागत बनि एहि पूजा में साधना करबाक महत्त्व छैक। लेकिन एतेक गंभीरताके रहस्य कि? कि बात छैक जे व्रत एतेक कठोर करय पड़ैत छैक? डूबैत सूरजके पूजा किऐक? आउ प्रयास करैत छी जे एहि समस्त रहस्य पर सँ पर्दा उठाबी। कम से कम आजुक नवतुरिया (हमरा समेत) लेल ई एक शोधक विषय अछि आ एहिमें सावधानीपूर्वक हम सभ मनन करैत आगू देखी!

सभसँ पहिने छठि मैया के थिकी? वा छठि मैया सूरजरूपमें कोना? 

बहुत रोचक प्रसंग कहल गेल छैक - कहियो नारद ऋषि व्यामोहित (नारी रूपमें आकर्षित) भेल छलाह। भगवान्‌ विष्णुकेँ मायासँ नारदकेँ एहि तरहक अवस्थाक प्राप्ति भेल छलन्हि आ कहल गेल छैक जे ई ताहि समय भेल छलन्हि जखन नारदजी कोनो कुण्ड (सरोवर)में संध्या करबाक लेल प्रवेश केने छलाह आ ताहि समय भगवान्‌के मायास्वरूपा एक नारी ओहि सरोवरमें अपन अंग-प्रत्यंग प्राच्छालन करैत रहलीह आ व्यामोहित नारदजी अपन संध्याके (सूर्य एवं गायत्री उपासना) बिसरि बस ओहि नारीके माया-दर्शनमें लागि गेल छलाह। हिनकर भगवान्‌के मायामें एहि तरहें व्यामोहित देखि सूर्य के सेहो हँसी लागि गेल छलन्हि जाहि कारणे सूर्यास्त सँ किछु समय उपरान्त धरि हुनक अस्त नहि भेलन्हि आ नारदके व्यामोहन छूटिते सूर्यक उपस्थिति देखि सभ बात बूझय में आबि गेलन्हि, तखनहि नारद सूर्यकेँ नारीरूप प्राप्त करबाक शाप देलाह जे बादमें प्रभुजीके मध्यस्थ कयलापर विमोचन करैत केवल एक दिवस लेल कायम राखल गेल, कार्तिक मासक षष्ठी (छठम) तिथिकेँ जेकर समय तेसर संध्या (सूर्यास्तसँ एक पहर पहिले) समय सँ अगिला संध्या याने भोरक सूर्योदय काल के एक पहर उपरान्त धरि नारी स्वरूपमें रहबाक बात तय भेल जिनका भगवान्‌ विष्णु छठि मैयाक शक्तिस्वरूपा नाम व वर प्रदान कयलन्हि। मिथिलामें यैह देवीक उपासना लेल पूर्वकालमें योगी-ऋषि द्वारा प्रजाकेँ उपदेश कैल गेल आ आदिकालसँ हिनक उपासनाक एक निश्चित विधान अनुरूप छठि मैयाक आराधना चलैत आबि रहल अछि। 

छठि मैयाक पूजाक महत्त्व कि?

सूर्यक परिचय सर्वविदित अछि। बिना सूर्य सभ सून्न! विज्ञान - ज्ञान - मान - आन - शान - सभ सूर्यके चारू कात, केन्द्रमें केवल सूर्य! नवग्रह, नक्षत्र, भूमण्डल, पंचतत्त्व, उर्जा, पोषण... हर बात के जैड़में सूर्य! सूर्यक उपासना संसार में आस्तिक-नास्तिक सभ करैछ। मिथिलामें जतय पुरुषवर्ग लेल संध्योपासनामें सूर्यकेँ जलक अर्घ्यसँ नित्य पूजा करैक विधान अछि, तहिना सूर्य नमस्कार समान प्रखर योग-साधना, नारीवर्गलेल सेहो नित्य तुलसी एवं सूर्यकेँ जलार्घ्य देबाक परंपरा रहल अछि। सूर्यकेँ भगवान्‌ मानल जायमें किनको कोनो आपत्ति कहियो नहि रहल अछि। नित्य समयसँ उदय, समयसँ अस्त, दिन व रातिक निर्धारण, अग्नि-वायु-वर्षा-मौसम आ समस्त अवयव जे जीवन लेल आवश्यक अछि तेकर दाता - चक्रवर्ती राजा के संज्ञा देल जाइछ सूर्यकेँ। ओ चाहे मनुष्यलोक हो वा आदित्य-वसु वा कोनो अन्य लोक; सभक राजा सूर्य! प्रत्यक्ष देवता के अधिपति सूर्य! साक्षात्‌ नारायण के - त्रिलोकस्वामीके प्रतिनिधित्व करनिहार सूर्य! हिनकर पूजा तऽ लोक नित्य करैत अछि। तखन यदि एक दिन (कार्तिक षष्ठी) हिनक विशेष रूप छठि मैया साक्षात्‌ शक्तिके भंडारिणी हम मानवलोककेर सोझां रहती तऽ के कृपापात्र बनय लेल नहि चाहत! अत: छठि मैयाके आराधना समस्त सखा-परिजन-राष्ट्र लेल कल्याणकारक होइछ। 

सूर्यकेँ प्रतिदिन प्रातः काल अर्ध्य देलासँ आ प्रणाम कएला सँ आयु, विद्या, यश आ बल के वृद्धि होइत अछि ।

आदित्यस्य नमस्कारं ये कुर्वन्ति दिने-दिने ।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम्‌ ॥

छठि मैयाके व्रतकेर नियम कि?



एहि व्रतमें तीन दिनक कठोर उपवास कैल जाइत अछि। चतुर्थी दिन पवित्र पोखैर वा नदीक जलसँ स्नान करैत एक बेर खयबाक परंपरा अछि जेकरा नहाय-खायके संज्ञा देल जाइछ। पञ्चमी दिन उपवास करैत सन्ध्याकाल लवणरहित गुड़सहित खीरसँ खरना कैल जैछ। षष्ठी दिन निर्जल व्रत राखि सूर्यास्त सँ पहिले एवं कतेको जगह सूर्यास्तक बाद पोखरि वा नदीके पवित्र घाट पर जलमें ठाड़्ह भऽ पकवान एवं फलादिक डालासँ अस्त होइत सूर्य जे आब शक्ति-स्वरूपा छठि मैयाक रूपमें परिणत भऽ गेल रहैत छथि तिनका प्रणाम कैल जाइछ, समस्त बन्धु-बान्धवके कुशलता एवं कल्याण लेल प्रार्थना कैल जाइछ, मनोवाञ्छित फल व व्रतक निष्ठापूर्वक सफलता एवं चरणमें अटूट भक्ति लेल प्रार्थना कैल जाइछ। पुनः उदयकालिक सूर्य याने छठि मैयाकेँ विभिन्न प्रकारक पकवान एवं ऋतुफलके डाला आदिसँ हाथ उठाय नमस्कार अर्पित करैथ व्रतक कथा श्रवण कैल जाइछ। 

छठि मैयाक व्रत कथा

एक छलाह राजा प्रियव्रत जिनक पत्नीक नाम मालिनी छलन्हि। राजा रानी नि:संतान होयबाक कारणे बहुत दु:खी छलाह। महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्ठि यज्ञ करौलन्हि, फलस्वरूप मालिनी गर्भवती भेलीह मुदा नौ महीना बाद जखन ओ बालक के जन्म देलीह तऽ ओ मृत अवस्थामें छल। एहिसँ राजा प्रियव्रत बहुत दुःखी भऽ आत्महत्या लेल उद्यत भेलाह। तखनहि एक देवी प्रकट होइत अपन परिचय षष्ठी देवीके रूपमें दैत पुत्र वरदान देनिहैर कहैत हुनका सँ अपन पूजा-अर्चनामें लीन होयबाक लेल उपदेश केलीह। राजा देवीकेर आज्ञा मानि कार्तिक शुक्ल षष्टी तिथि केँ देवी षष्टीकेर पूजा कयलन्हि जाहिसँ हुनका पुत्र-धनके प्राप्ति भेलन्हि। ताहि दिन सँ छठिक व्रतक अनुष्ठान चलि रहल अछि।

एक दोसर मान्यता अनुसार भगवान श्रीरामचन्द्र जी जखन अयोध्या वापसी कयलाह तखन राजतिलक उपरान्त सियाजी संग कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथिकेँ सूर्य देवताकेर व्रतोपासना कयलन्हि आ ओहि दिनसँ जनसामान्य में ई पावैन मान्य बनि गेल और दिनानुदिन एहि पावैनक महत्त्व बढैत चलि गेल जाहिमें पूर्ण आस्था एवं भक्तिक संग ई पावैन मनाओल जाय लागल।






Pravin Narayan Choudhary