(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 29 दिसंबर 2014

दहेज मुक्त मिथिला मुंबई-

28 दिसम्बर -२०१४    दहेज मुक्त मिथिला मुंबई-
द्वारा आयोजित 'मिथिला महोत्सव' २८ दिसम्बर भारतक आर्थिक राजधानी मुंबई मे भव्यतापूर्वक समापन भेल। एहि कार्यक्रमक विधिवत् उद्घाटन पंडित राजेन्द्र झा तथा कृष्ण कुमार झा 'अन्वेषक' केर वेदपाठ आ स्वस्तिवाचन सँ प्रारंभ कैल गेल। तदोपरान्त रश्मि प्रिया द्वारा विद्यापतिरचित गोसाउनि गीत 'जय जय भैरवि' केर गान सँ प्रारंभ कार्यक्रम मे एक सँ बढि कय एक प्रस्तुति परसल गेल। माधव राय, मनुवा ठाकुर, ज्ञानेश्वर दुबे, सुरेशानन्द, रश्मि प्रिया, प्रीति सुमन, पूजा झा - हिनका लोकनि द्वारा एक सँ बढिकय एक दहेज पर आधारित लोकगीत, विद्यापति गीत आ मिथिला महिमागान कैल गेल। भाइ माधव राय द्वारा उगना रे मोर कतय गेलाह आ ज्ञानेश्वर दुबे केर आजु नाथ एक व्रत महासुख लागत हे आ फेर सुरेशानन्द केर हे हर हमर करहु प्रतिपाला सहित अनेकानेक शिव ओ शक्ति केर आराधना जे मिथिलाक खास विशेषता अछि तेकर प्रस्तुति सँ हर मैथिली कार्यक्रम मे स्वयं महादेव आ गौरीक संग मिथिलाक पाहुन राम आ धिया सिया सब कियो आह्लादित भेलाह। उपस्थित जनमानस केर बाते कि कैल जाय जखन स्वयं आराध्यदेव आह्लादित होइथ। कार्यक्रमक भव्यता पर विमल जी मिश्र बस एतबी कहैत छथि "जे एकर वर्णन शब्द मे संभव नहि अछि'। पंकज झा, संयोजक व दहेज मुक्त मिथिलाक राष्ट्रीय अध्यक्ष कहैत छथि "समयक पाबंदी सजा बुझाइत छल - कार्यक्रमक भव्यताक शिखर-शोभा कि कहू"। राजेश राय केर शब्द अछि "बस भाइजी, अहीं टा के कमी छल, बाकी कार्यक्रम तऽ लाजबाब भेल।
   एहि अवसर पर दहेज मुक्त मिथिला अभियान लेल खास रूप सँ नवीन मिश्रा द्वारा तैयार कैल गेल एक डक्युमेन्ट्री फिल्म केर प्रदर्शन सेहो कैल गेल। दहेज समाजक केहेन कूरीति अछि, एहि कूरीतिकेँ लोक जानि-बुझि कोना प्रश्रय दय रहल अछि, एकरा सँ समाजकेँ निजात दियेबा लेल अभियानक दिशा ओ दशा केहेन अछि, एहि मे आमजनक सहभागिता कोन तरहें कैल जाय.. इत्यादि विषय पर समेटल बात राखैत एहि डक्युमेन्ट्री सँ उपस्थित सब कियो एतेक प्रभावित भेला जेकर परिणामस्वरूप उपस्थित हजारों लोकक भीड़ सँ युवाक आवाज आबय लागल जे हम सब संकल्पित छी दहेज मुक्त मिथिला लेल, माँगरूपी दहेजक प्रतिकार करबा मे हम सब एहि अभियानक संग छी। मिथिला तखनहि स्वच्छ आ सुन्दर बनत जखन स्वेच्छाचारिताक बढाबा देल जाय। एहेन सांगीतिक समागम जाहि मे वैचारिक क्रान्ति हो, यैह तऽ मूल उद्देश्य रहैक एहि भव्य कार्यक्रमक। आ अभियानक सफलता लेल जतय मुंबई केर समस्त मैथिल सितारा लोकनि उपस्थित भऽ जाइथ तऽ फेर कल्पना कैल जा सकैत छैक जे समागम कतेक महान ओ गंभीर छल। उल्लेखनीय अछि जे सब सितारा 'राजीव सिंह (गजरा), राहुल सिन्हा, फूल सिंह, मनोज झा, नविन मिश्र, डा. अभय झा, संजीव पूनम मिश्र, गौरव झा, ज्ञानेश्वर दुबे' स्वस्फूर्त दहेज मुक्त मिथिला अभियानक सफलता लेल आगाँ आबि एहि कार्यक्रम मे भाग लेलनि आ संदेश देलनि जे घर-घर एहि अभियानक संदेश केँ पहुँचाबय मे ओ सब सदिखन संग छथि। ओना तऽ एहि कार्यक्रम मे उपस्थिति बहुतो लोकक होइत मुदा उत्तर भारत मे कड़क ढंढक चलते बाहरी उपस्थिति कम भऽ सकल, धरि दिल्ली सँ विमल जी मिश्र अपन वचन केँ निर्वाह करैत एहि कार्यक्रम मे महत्त्वपूर्ण सहभागिता प्रदान केलैन, आयोजक समिति आभार सहित धन्यवाद प्रकट कयलनि एहि लेल।
      कलाकार, फिल्मी सितारा, गायक, विद्वान्,समाजिकनेतृत्वकर्ता अभियानी आ खास कय आयोजक संस्थाक समस्त समर्पित युवा-शक्ति - सबहक समर्पण सँ सुव्यवस्थित एहि ऐतिहासिक विश्वस्तरीय कार्यक्रम आयोजन मे संचालक किसलय कृष्ण अपन प्रखर ओ ओजपूर्ण संचालन सँ मंच केँ एहि तरहें बान्हिकय प्रस्तुति सब करैत रहलाह जाहि मे प्रमुख अतिथि डा. बुद्धिनाथ मिश्र केँ सीधे मंच पर सम्मान कार्यक्रम मे आमंत्रित करबाक अवसर भेटल आ हुनक मुखारविन्द सँ संबोधन भेल जे 'दहेज सँ समाज प्रभावित अछि, निवारण आवश्यक'। तहिना अतिथि लोकनिक सम्मानक क्रम निरंतरता मे रखैत मंच पर सांसद गोपाल सेठी द्वारा कहल गेल जे 'दहेज सब समाजकेँ प्रभावित कय रहल अछि, तैँ एकरा समाप्त करू आ बेटा-बेटी केर समानरूप सँ शिक्षित करू'। एहि कार्यक्रमक विशिष्ट आमंत्रित अतिथि दिल्ली सँ आयल अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा केँ मंच सँ सम्मान करैत हुनक मुखारविन्द सँ संबोधन भेल जे 'एक समय दहेज उन्मुलन लेल बैजु बाबु संग सौराठ सँ कार्यक्रम प्रारंभ केने रही, ओकरे नवरूप दहेज मुक्त मिथिला केर कार्य प्रशंसनीय अछि'। स्थानीय विधायक प्रकाश सुर्वे सेहो मंच द्वारा सम्मानित होइत अपन उद्गार प्रकट केला जे 'दहेजक लोभी केर सामाजिक बहिष्कार कैल जाय'। संस्थाक संरक्षक पंडित धर्मानन्द झा सेहो सम्मानित भेला उपरान्त अपन संबोधन मे कहलनि जे 'हम जाहि वचन मे अपना केँ बन्हलहुँ तेकरा अपन बेटीक विवाह सँ पूरा केलहुँ, आगाँ दुइ-दुइ पुत्रधनक पिता रहैत एहि वचनकेँ निर्वाह करबाक लेल प्रतिबद्ध छी'। समयाभाव मे बहुते रास वक्ताकेँ मौका नहि भेटलनि, दयानन्द झा द्वारा सेहो संछिप्त संबोधन मे कहल गेल जे 'सामाजिक विकास लेल दहेज परित्याग करबाक जरुरत अछि'।   अन्त मे एहि सुन्दर आयोजन लेल दहेज मुक्त मिथिलाक समस्त मुंबई कार्यकारिणी केँ समुचित सराहनाक संग अध्यक्ष पंकज झा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन करैत अभियान संग निरंतर सहयोग करैत 'दहेज मुक्त मिथिला' निर्माण हेतु सबहक संग पेबाक आह्वान कैल गेल। विदित हो जे ई अभियान फेसबुक सँ शुरु होइत आइ ग्लोबल बनि गेल अछि आ हर मैथिलक संग अन्य-अन्य सहयात्रीवर्ग मे विषय प्रवेश करैत क्रान्ति-आमंत्रण भऽ रहल अछि। एहि आयोजना केँ फेसबुक सँ लाइव फेसबुकास्ट सेहो कैल गेल। कैमरा आ मैसेज द्वारा नियंत्रित समस्त कार्यक्रम केँ स्लट-वाइज फेसबुक पर प्रसारण कैल गेल जाहि मे आयोजन पक्षक धर्मेन्द्र झा, राजेश राय आ राधेश्याम खाँ चुनचुनक संग हम प्रवीण समस्त पोस्ट केँ मैनेज कय रहल छलहुँ। ई आयोजन केँ एहेन कहल जा सकैत छैक जे 'न भूतो न भविष्यति'।  
   बिना कोनो भेद भाव कें एहेन कार्यक्रम, पहिल बेर देखल गेल की,जाहि में मुम्बई कें सांसद विधायक आ अनेकानेक संगठन सबहक कार्यकर्ता,बुद्धिजीबी सब कें सब इक्कठा भऽ कें एक सुर में,बिना कोनो राजनीति कें, दहेज मुक्त मिथिला' अभियानक प्रशंशा केलक आ बाजल जे देश समाज कें लेल,शुरु कएल गेल "दहेज मुक्त अभियान" सब सँ उत्तम कार्य अछि । एहेऩ सुन्दर भव्य आयोजन कें परिकल्पना में श्री प्रविण नारयण चौधरी जी कें दूर दृष्टि,दिव्य विचार धारा, अमुल्य परिश्रम सर्वविदित अछि । पं.श्री धर्मन्नद जी आ पंकज जी कें कार्य दछ्ता अतुलनिय अछि । एक कृष्ण अछि तऽ दोसर अर्जुन,किनका सारथि कहि किनका महारथि कहि । एक सँ बढि कें एक,दिग्गज रथि सब कें संग,दानव रुपि दहेज कें दमन करबाक लेल,वचन आ कर्म रूपि अस्त्र -शस्त्र सँ सुसज्ति भऽ कें महायुद्ध जितबाक लेल प्रतिबद्ध । पितामह भिष्म कें सदृश शोभायमान,श्री विजय चन्द्र झा जी, मिथिलाक कुरीति कें समाप्त करबाक लेल महारथि सब कें अन्दर जोश क संचार करैत छलाह । बुद्धि नाथ मिश्र जी,एहि महाभारतक व्युह रचना भेदन पर,अपन अमोघ दृष्टांत सँ अवगत करा रहल छलाह । पं.श्री धर्मानन्द जीक आतिथ्य आ पंकज जीक सेवा भाव सँ अभिभुत छी । अद्वितय स्वभाव आ हृदयस्पर्शि बिचारधाराक गंगा बहैत पहिल बेर देखबाक सौभाग्य मिलल । धन्य हमर मिथिला,धन्य हमर मैथिल । हम किएक नहि गर्व करब । पुर्व जन्मक कोनो सतकर्मक फल थीक जे एतेक नीक कार्यक्रम में,पं.श्री धर्मानन्द जी आ पंकज जी कें संग भ्राति स्नेहक दुर्लभ खजाना मिलल  जय मिथिला जय मैथिल ।

शुक्रवार, 26 दिसंबर 2014

श्रद्धांजलि ( स्वर्गीय श्री शैलेन्द्र मिश्र भाइके )

श्रद्धांजलि ( स्वर्गीय श्री  शैलेन्द्र मिश्र भाइके )
M  S अपार्टमेंट  सिविल  सर्विस  ऑफ़िसर कलव  के जी  मार्ग देल्ही
२१ दिसम्बर २०१४ 
 
१६ दिसम्बर  २०१४  के  शैलेन्द्र  मिश्र  बिमारी सं ग्रषित  के  कारन  मात्र  - ५२ वर्ष के अवस्था  में  स्वर्गवशी  भगेलहा , हुनक श्रद्धांजलि  देबाक लेल  मिथिला कला मंच आ सुगति - सोपान  के  सानिंध्य  में श्री मति - कुमकुम झा   और  A -वन फिल्ल्म  इंडिस्ट्री    के  संचालक  सुनील झा पवन के अगुवाई  में  विभिन्  प्रकार के डेल्ही   एन सी आर  में  जतेक  भी संस्था  अच्छी  हुनका  सब  के  समक्ष  शैलेन्द्र  मिश्रा नामक  बल्ड  बैंक  के योजना  बनबै  के  मार्गसं अविगत  केला ।  जे  गति शैलेद्र  भाई , हेमकान्त  झा , अंशुमाला झा  के  संग  भेल ।  ओहि विपप्ति  सं  दोसर किनको  नै  गुजरै परैं ।  कियाक  नै  हम  सब  मिल  एकटा  एहन  काज  करी  जाहिसं  मैथिलि कला मंच के हित  में राखी  हुनका  लेल  किछु  राशि निवित  राखल  जय और  ओहि  राशि  के  शैलेन्द्र  भाई  एहन  लोक  लेल  जरुरत  परला पर  मैथिल कला मंच  काम  आबैथि  ।
      
       ब्लड  बैंक के  जिम्बारी  डॉक्टर  विद्यानन्द  ठाकुर  आ  ममता  ठाकुर  जी  स्वीकार  करैत  अपन  मार्ग   सं  सब  के  अबगति  करेला ।   ओतय  दहेज़  मुक्त  मिथिला   डेल्ही  प्रभाड़ी  मदन कुमार  ठाकुर   सेहो   अप्पन  जिम्मेबारी  के  निर्वाह  करैत  डी म म  के  पूर्ण सहयोग  के  अस्वाशन  देला  ।

         आखिर मिथिला कला मंच सन  पिछरल  कियाक ? से  मैलोरंग  के  समस्त  टीमसं जानकारी  और   रहस्य मय  बात के  पूर्ण  सहयोग भेटल ।   मैथिल  कला  रंगकर्मी सं  जे  भी  जुरल  छथि  हुंकर  जिनगी  कोनो  खास  नै  कहल  जय  ओहिसं जिनगी के गुजर - वसर  नै  कैइयल जा  सकइत  अच्छी ।  ताहि  हेतु  भारत  सरकार  से  उचित न्याय  के  मांग  कइल जैय ।

        एवं प्रकारे   सेकड़ो  के  संख्या   में आवि  भाई  शैलेन्द्र के  श्रद्धांजलि  दय  प्रणाम  करैत  हुनक  आत्मा के  शांति  प्रदान  होयक  लेल   गयत्री  मन्त्र  के  उच्चारण  करैत   २ मिनट  के  मोन धारण  कइल  गेल  ।

   शैलेन्द्र  भाई  के  गुजरालसं खास के  कला और  साहित्य  दुनू  में  बहुत  नुकसान  अच्छी ।   कही  नै  सकैत  छी  कतेको   शैलेन्द्र भाई  के  चेला  रंग कर्मी  कला  मंच  सं पाछू छुटी गेला ।  मिथिला  मैथिलि के प्रति  हुनक  एकटा  बस  अवाज  बानी  रही  गेल --
 हे  मिथिला  अहाँ  मरैय  सन  पहिने  हम  मरीय   जय    

गुरुवार, 25 दिसंबर 2014

मिथिला महोत्सव - २०१४

मिथिला महोत्सव - २०१४
दहेज़ मुक्त  मिथिला  के  सानिध्य में  - 28  दिसम्बर - 2014  के  देहिसर  मुंबई में   मिथिला  मोहोसव के  आयोजन  होबय जा रहल  अच्छी ,  जाहि  में  अपनेक समस्त परिवार के  उपस्थिति  अनिवार्य  अच्छी  ,  दहेज़  खास क मिथिला  में एकटा  बहुत  पैघ समस्या अच्छी , जाहि  के  निवारण  हेतु , दहेज़ मुक्त मिथिला  परिवार  अपन  कर्तव्  के  पालन  करैत  बेर - बेर  देल्ही  आ   मुंबईटा  नै पूरा विस्व  में  दहेज़ समस्या के  खत्म  कराय  में  लागल  अच्छी , चाहे  नेपाल  सन  करुणा  झा  होयत या प्रवीण जी   आई  तक  अपन  कर्तवय  सं  पाछू  नै हैट पोलैथि  ,  ओहे जिम्बारी के  पालन  करैक  लेल  दहेज़ मुक्त  मिथिला  अध्यक्ष , पंकज झा (मुम्बई ) आ संरक्ष   पंडित  श्री  धर्मनद  झा  , संजय मिश्र  इतियादी  अनेको  भी  सहयोगी शामिल  छैथि , हुनक  अभिलाषा  कइ  पूरा  करैक  लेल  अपनेक  सहयोग  अनिवार्य  अच्छी  । 

याद रखाब - 28 दिसम्बर - २०१४  रवि  दिन 
जय मैथिल जय  मिथिला 

शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

शामा- चकेवा मोहत्सव शिव शक्ति सोसाएटी के द्वारा नॉएडा -

शामा- चकेवा  मोहत्सव  शिव शक्ति सोसाएटी के  द्वारा   नॉएडा -
   
      लगातार सात वर्ष से कार्य - कर्म   के  पालन  करैयत शिव  शक्ति   सोसाईटी  फेर एक  बेर  अपन ज़ीमेबरी  के  निर्वाह करैयत   नॉएडा सेक्टर 71 मे  समा - चकेवा पर्व  मोह्होत्सव के  आयोजन विश्मभर ठाकुर  के  अध्यक्छता मे सम्पनय भेल  , जाहि में  मुखय अतिथि  संसद श्री महेश शर्मा   विधायक  बिमला नाथन के कर कमाल द्वारा दीप प्रज़ोलित करैत सभा के मनोरंजनक दिस  इसारा करैत   किसलय कृष्ण जी के माइक सुपूर्ति  कइल  गेलन  –

      मंच के  संचालन क्रिसलय कृष्ण जी करैयत सुनील झा पवन , हरीनाथ झा , रिचा ठाकुर , निशा झा , संगीता तिवारी ,कोसल किशोर  अनिल अकेला , जी के सानिध्य में  रंगा रंग कार्य करम - चालू  भेल - निशा  झा  के  समां -चकेव गीत सुनी  दर्शाक  खास क मई - बहिन  बहुत  रास  आनंद  उठेली ,

ओहिना  रिचा  ठाकुर  के  स्वमधुर सं निकलल समां चकेवा के  गीत  होय  या  भगवती  बंदना , श्रोता सुनी मन्त्र - मुग्ध  भगेला , तहिना सुनील जी के अहा - अहा- की  कहु कोना के  तुटलो मोती के हार , आ हैए तुमोल वाली  हे ये सुपौल वाली , एतेक  दर्शक  उत्साहित भेलाह  वर्णन  नै  क सकैत  छी ।  कहावत  कोनो खराप  नै  छैक  जनम  यदि  ली त  मिथिलेटा  में  ली  से हरिनाथ झा सावित केला १०३डिग्री बोखार रहैत  मंच पर ऐला , जेना लागल  जे  गामक हवा  संगे  लेक  ऑयल  छैथ - हेगै  बुधनी माय --- चल गए बच्ची गाम पर ---  जातेय   देखे  छी  ततय  बिहार -- सुनिक  दर्शक लोकनि  लोट  पोट भगेला ,


   संगीत मनोरंजन  समापन के  बाद  - मिथिला मैथिलिक मौलिक अधिकार भारतीय संघ  द्वारा , 
तकर  कलस यात्रा  जे १३ सेप्टेम्बर  २०१४ के साईं करुणा धाम सं सुरुवात  कइल गेल छल , ओहि  कलस  यत्रा  के  सुनील झा पवन जनजागरण  हेतु भर  उठेने छाला ओ भार मदन कुमार ठाकुर (विद्यापति गौरव मंच)  विद्यापति कालोनी जलपुरा ग्रेटर नॉएडा निवसी के सोपल गेलानिं  

सोमवार, 3 नवंबर 2014

देवोत्थान अर्थात देवता के जगेबाय वाला तिथि :


देवोत्थान अर्थात देवता के जगेबाय वाला तिथि :
जे कियो एकादशी तिथि के भगवान विष्णुक पूजन अभिवंदन करैत छथि ओ समस्त दुख सौं मुक्त भs जन्म मरण के बंधन सौं मुक्त भs जैत छथि।
आई देवोत्थान एकादशी अछि ।
आई चारि मासक बाद भगवान् नींद सौं उठताह, तदर्थ अपने सभक हेतु भगवानकेँ उठेबाक मंत्र :-
ऊँ ब्रह्मेन्द्र रुद्रैरभिवन्द्यमानो भवान ऋषिर्वन्दितवन्दनीय:।
प्राप्तां तवेयं किल कौमुदाख्या जागृष्व-जागृष्व च लोकनाथ।।
मेघागता निर्मल पूर्ण चन्द्र: शरद्यपुष्पाणि मानोहराणि।
अहं ददानीति च पुण्यहेतोर्जागृष्व च लोकनाथ।।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविन्द! त्यज निद्रां जगत्पते।
त्वया चोत्थीयमानेन उत्थितं भुवनत्रयम्
विष्णु पुराणक अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी के हरिशयनी एकादशी कहल जैत अछि। अहि दिन भगवान विष्णु चारि मासक लेल क्षीरसागर में शयन करबाक लेल चैल जैत अछि।
चारि मासक बाद भगवान विष्णु कार्तिक शुक्ल एकादशी के जगैत छथि।
ताही कारणे कार्तिक एकादशी के देवोत्थान अर्थात देवता के जगेबाय वाला तिथि के रूप में मानेबाक प्रचलन पौराणिक काल सौं अछि।
अहि एकादशी के तुलसी एकादश सेहो कहल जैत अछि।
अहि दिन तुलसी विवाहक सेहो आयोजन कयल जैत अछि।
आजूक दिन तुलसी जी केर विवाह शालिग्राम सौं कराओल जैत अछि ।
मान्यता अछि कि अहि तरहक के आयोजन सौं सौभाग्यक प्राप्ति होइट अछि ।
एहेन मान्यता अछि कि तुलसी शालिग्रामक विवाह करेला सौं ओहने पुण्य प्राप्त होइट अछि जे माता-पिता अपन पुत्रीक कन्यादान कs पबैत छथि ।
अहि वर्ष ई एकादशी 3 नवम्बर 2014 के दिन अछि।
एक गोट पौराणिक कथा अनुसार भगवान विष्णु भाद्रपद मासक शुक्ल एकादशी के महापराक्रमी शंखासुर नामक राक्षसक संहार विशाल युद्धक बाद समाप्त केने छलाह तs थकावट दूर करबाक हेतु क्षीरसागर में जाs सुइत रहलाह आ चारि मासक पश्चात फेर जखन ओ उठलाह तs ओ दिन देवोत्थनी एकादशी कहायल।
अहि दिन भगवान विष्णुक सपत्नीक आह्वान कय विधि विधान सौं पूजन करबाक चाही। अहि दिन उपवास करबाक विशेष महत्व अछि ।
अग्नि पुराण के अनुसार अहि एकादशी तिथि के उपवास बुद्धिमान, शांति प्रदाता व संततिदायक होइत अछि ।
विष्णुपुराण में कहल गेल अछि कि कोनो कारण सौं चाहे लोभ के वशीभूत भs, चाहे मोह के वशीभूत भs जे कियो एकादशी तिथि के भगवान विष्णुक पूजन अभिवंदन करैत छथि ओ समस्त दुख सौं मुक्त भs जन्म मरण के बंधन सौं मुक्त भs जैत छथि।
ओतहि सनत कुमार अहि एकादशीक महत्त्ता केर वर्णन करैत लीखैत छथि कि जे व्यक्ति एकादशी व्रत या स्तुति नहीं करैत छथि ओ नरकक भोगी होइत छथि। महर्षि कात्यायन के अनुसार जे व्यक्ति संतति, सुख सम्पदा, धन धान्य व मुक्ति चाहैत छथि हुनका देवोत्थनी एकादशी के दिन विष्णु स्तुति, शालिग्राम व तुलसी महिमा के पाठ व व्रत रखबाक चाही।
भागवतपुराणक अनुसार विष्णु केर शयन कालक चारि माह में मांगलिक कार्यक आयोजन निषेध होइत अछि।
शास्त्रोंक अनुसार श्रीहरि विष्णु अहि समय क्षीरसागर में शयन अवस्था में रहैत छथि तथा पृथ्वी अहि काल में रजस्वला रहैत अछि ।


Santosh Jha

शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014

मिथिलाक लोकपर्व सामा चकेवा

मिथिलाक लोकपर्व सामा चकेवा
   
         छठि के भोरका अर्घ्य के दिन सं अपन मिथिला मे एकटा पावनि मनाएल जाएत अछि सामा-चकेवा. सामा-चकेबा के अहां मिथिलांचल के एकटा खास लोकपर्व कहि सकैत छी. सामा-चकेवा अहां के आओर दोसर ठाम देखय लेल नहि मिलत.

       बच्चा मे गाम मे बहिन सभ के सामा-चकेवा पावनि के मनाबैत देखैत छलहुं. एकरा अहां सामा-चकेवा खेलैत सेहो कहि सकय छी. ओना त ई पावनि लड़की-महिला सभ के अछि… मुदा बच्चा मे ओहि मे हमहुं सभ शामिल भs जाएत छलहुं.

सामा चकेबा भाई-बहिनक प्रेमक पावनि अछि. अहि मे सामा-चकेवा… सतभइया… बृंदावन… चुगला… ढोलिया बजनिया… वन तितिर … पंडित आओर दोसर मूर्ति खिलौना सं खेलल जाइत अछि… सन स बनल चुगला के जलायल जाइत अछि… सामा चकेवा भोरका छठि के शुरू भs कार्तिक पूर्णिमा के दिन तक खेलल जाएत अछि आओर विसर्जन करि देल जाइत अछि
.
सामा चकेवा के बारे मे कहल जाइत अछि जे सामा भगवान श्रीकृष्ण के पुत्री श्यामा छलीह. ओ अपन पिताक शाप के कारण चिड़य बनि गेल छलीह. कहल जाइत अछि जे भगवान श्रीकृष्णजी के बेटी श्यामा… सामा के जंगल में खेलय के शौक छलन्हि… अपन एहि प्रकृति सं जुड़ल रहय के शौक… फूल पत्ती… पक्षी सं खेलय के शौक के लेल ओ हर दिन पौ फूटतहिं जंगल दिस चलि जाइत छलीह. सामा के प्रकृति सं जुड़य… गाछ-बृक्ष… पशु-पक्षी सं खेलय के ई बात चुगला…चूड़क के नीक नहि लागल. ओ श्रीकृष्णजी के पास जा क सामा के बारे मे उल्टा पुल्टा बात बता देलक. एहि पर खिसियाक भगवान कृष्ण सामा के चिड़य बनि जाइ के शाप दs देलथिन्ह. जेहि सं सामा चिड़य बनि गेलीह.


जखन एहि बातक पता सामा के भाई के लगलन्हि. त ओ अपन बहिन के शाप सं मुक्त करय आ वापस लाबय लेल लगि गेलाह. ओ तप करय लगलाह. हारि कs भगवान के कहय पड़लन्हि जे कार्तिक मास के अहांक बहिन अयताह आओर पूर्णिमा के दिन विदा भय जएताह. ताहि दिन सं भाई- बहिनक प्रेमक.. स्नेहक ई पावनि… सामा चकेबा के रूप में मनावल जाइत अछि.


एहि पावनि मे सामा-चकेवा के मूर्ति लs क आठों दिन सामा चकेवा खेलल जाएत अछि. एहि मे एकटा आओर बात अछि जे ई शाम के बाद खेलल जाएत अछि. सामा चकेवा के गीत गाएल जाएत अछि.

Amit Chaudhary 

रविवार, 28 सितंबर 2014

चिठ्ठी - विनय बिहारी जी के नाम



    श्रीयुत् विनय बिहारीजी 

   माननीय कला एवं संस्कृति मंत्री,बिहार ।

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नवरात्रा की शुभकामनाओं के साथ कहना चाहूँगा कि मुझे पूर्व में कुछ दिन आपके सानिध्य में आने का सौभाग्य रहा है और आप मेरे FB मित्र भी हैं इसलिये, आपसे खुली बात करने में मुझे कोई संकोच नहीं है।

      आपने दरभंगा के KSDS विश्वविद्यालय के सभागार में घोषणा की कि दरभंगा में रवीन्द्र भवन बनेगा।इसमे क्या शक कि रवींद्रनाथ टैगोर पूरे देश के गौरव हैं परंतु, मिथिला में भी विभूतियों की कमी नहीं।स्वयं रवींद्र नाथ टैगोर ने विद्यापति की रचना से प्रभावित होकर भानुसिंहेर पदावली की रचना की।तो मिथिला मे पहले तो महाकवि विद्यापति फिर, रवींद्र नाथ टैगोर।वैसे भी, मिथिला याज्ञवल्क्य,गौतम,कणाद,कौशिक,कपिल,द्विजेश,मंडन मिश्र,शुकमुनि,सीता,हनुमान,जैसे ईश्वरीय नामों से विभूषित है।मिथिला मे इनलोगों के नाम से संस्थान बनबाइये और यशस्वी बनिये।

   (2)मैथिली मंच पर भोजपुरी गीत गाकर कृपया, मैथिलों को दिग्भ्रमित नहीं करें।हमें किसी भी भाषा से कोई दुराव नहीं।परंतु,मैथिली की महत्ता आप जान पायेंगे तो आप भी मैथिली-मैथिली करेंगे।इस भाषा की अपनी लिपि,अपना व्याकरण,विश्व प्रसिद्ध साहित्य और साहित्यकार हैं जिसके आधार पर मैथिली को संविधान की अष्टम् अनुसूची में स्थान मिला।भोजपुरी भाषा की विचित्र स्थिति है।

       वस्तुतः यह काशी में अवधी से मिलती जुलती है,चंपारण में चंपारणी भाषा है,पटना के इर्दगिर्द यह मगही है।वस्तुतः भोजपुरी केवल आरा,छपरा,बलिया और बक्सर तक सिमटी है। किसी भी भाषा की साहित्यिक पहचान उसकी सहायक क्रियायों से होती हैं जो आजतक भोजपुरी में निर्धारित ही नहीं हो सकी।कहीं बा,कहीं लन,कहीं खे ।क्या जरूरत है मैथिलों को इस उलझन में पड़ने की।आपकी भाषा है,आप इसकी सेवा में लगे रहें, कोई आपत्ति नहीं परंतु,मिथिला में कला संस्कृति विभाग के द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मैथिली का प्रभुत्व रहने दीजिये।यह जगज्जननी जानकी की मातृभाषा है ।इसे अपने ही घर में प्रभावहीन करने की राजनीति नहीं कीजिये। यह मेरा व्यक्तिगत अनुरोध है।आशा है आप मेरा पोस्ट पढ़कर मनन करने का कष्ट करेंगे।
सधन्यवाद।

  DrChandramani Jha 

सोमवार, 22 सितंबर 2014

दिल्लीमे मिथिला-मैथिलीक उन्नयन


दिल्लीमे मिथिला-मैथिलीक उन्नयन
उन्नयन यानि एहेन काज जाहि सँ उन्नति हो -     
       
   निस्सन्देह पैछला सप्ताहान्त १३ सितम्बर दिल्लीक साईंधाम मे आयोजित 'मैथिली महायात्रा शुभारंभोत्सव - २०१४' सँ लगातार दिल्ली मे 'मैथिली-मिथिला' केर उन्नति हेतु एक सऽ बढिकय एक कार्यक्रमक आयोजन कैल गेल अछि। बस एक सप्ताहक भीतर दुइ अति महत्त्वपूर्ण आयोजन सम्पन्न भेल अछि।
    
१५ सितम्बर लोधी रोड सभागार मे मैथिली फिल्म 'हाफ मर्डर' केर स्क्रीनींग शो केर आयोजन कैल गेल। तहिना मिथिला मिरर - मैथिली केर राष्ट्रीय न्युज पोर्टल द्वारा काल्हि वार्षिकोत्सव केर रूप मे 'विशिष्ट सम्मान समारोह - २०१४' केर सफलतापूर्वक आयोजन कैल गेल जाहि मे दर्जनो मैथिली-मिथिला विशिष्ट योगदानकर्ताकेँ सम्मानित कैल गेलनि।
           मिथिला प्राचिनकाल सँ विद्यागाराक रूप मे प्रसिद्ध रहल अछि। आइ जखन शिक्षा प्राप्ति लेल मिथिला केन्द्रक विकेन्द्रीकरण होइत उनटे मिथिला पिछडल आ उपेक्षित क्षेत्र मे गानल जाइत अछि तैयो एहि ठामक शिक्षित व्यक्तित्व दुनिया भरि मे अपन प्रतिभा सँ शिक्षाक प्रसार मे पूर्ववत् लागल छथि। ई कहब अतिश्योक्ति नहि होयत जे दुनियाक सबसँ प्रसिद्ध होवार्ड विश्वविद्यालय या कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय सँ लैत हर देश केर प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान मे मैथिलक उपस्थिति ओहिना अछि जेना भारतक विभिन्न लब्धप्रतिष्ठित विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थानमे मैथिल शिक्षक केर उपस्थिति विद्यमान अछि। मैथिल कतहु रहैथ, अपन विद्या आ उच्च संस्कार सँ ओहि समाज केँ नहि मात्र पारंपरिक शिक्षा प्रदान करैत छथि, वरन् भाषा-संस्कृति आ संस्काररूपी व्यवहारिक शिक्षा सेहो ओ अपन लोकपावैन व भिन्न-भिन्न आयोजनक मार्फत मानव समुदाय केँ दैत रहैत छथि। विगत किछु सौ वर्ष मे जखन मिथिलादेश टूटैत-टूटैत आब मात्र 'मिथिलाँचल' नामक क्षयशील भूत रूप मे जीबित अछि ताहि विपन्न समय मे फेर टुकधुम-टुकधुम लोकजागृति अपन 'सनातन शक्ति' केँ स्मृति मे आनि पुरखा नैयायिक गौतम, मीमांसक जैमिनी, सांख्य-उद्भेदक कपिल ओ जीवन‍-आचारसंहिता निर्माता याज्ञवल्क्य सहित नव्य-नैयायिक वाचस्पति एवं बच्चा झा केर त्यागपूर्ण कीर्ति मिथिलाकेँ फेर सँ जियेबाक लेल वचनबद्ध बनि रहल छथि। सलहेश, लोरिक आ दीनाभद्रीक जनसेना फेर सँ फाँर्ह बान्हि रहल छथि। विद्यापति, मंडन, अयाची, चन्दा झा आ सब विभूति बेरा-बेरी अपन-अपन शक्ति ओ सामर्थ्यक संग पुन: मिथिला केँ बचेबाक लेल पृथ्वीलोक मे पदार्पण कय चुकल छथि।
        राजकीय शक्ति नहि जानि कोन विद्रोही षड्यन्त्रक कारणे मिथिला-मैथिली केँ एना उपेक्षित केने छथि जेना एकरा जीबित रहला सँ अन्य सबहक नाश भऽ जेतैक या रहस्य अन्जान अछि, शोधक विषय छैक जे आखिर केन्द्र या राज्य केर कोन एहेन मजबूरी छैक जे भारतक अभिन्न हिस्सा मिथिला केँ संविधान द्वारा कोनो सम्मान सही समय पर नहि दैत छैक। मैथिली भाषा सँ पुरान दोसर कोनो साहित्यसंपन्न भाषा नहि, मुदा राजनीति मनसाय केहेन जे स्वतंत्रता प्राप्तिक ५६ वर्षक बाद एकरा संविधानक आठम अनुसूची मे स्थान देल गेलैक।    
मिथिला बज्जि-संघ केर रूप मे पहिल गणतंत्रक अनुपम उदाहरण विश्व केँ देलक आइ ओ भारतीय संघ केर हिस्सा नहि बनि सकल अछि। मैथिली आठम अनुसूची मे स्थान प्राप्त केलक, ओम्हर बिहार राज्य मे मैथिलीक पढाई खत्म करबाक लेल अनिवार्य विषय सँ ऐच्छिक बनायल गेल, फेर शिक्षक केर नियुक्ति नहि करैत मैथिली सँ पूर्णरूपेण विच्छेद कैल गेल आ मैथिली भाषा मे पठन-पाठनकेँ प्रोत्साहन देबाक ठाम पर उनटा हतोत्साहित करबाक विद्वेषपूर्ण वातावरण बनायल गेल। क्षेत्रक आर्थिक उपेक्षाक चर्चा कि करू जतय सँ लोक बिना प्रवास पर गेने अपन पेटो नहि पोसि सकैत अछि। मिथिलाक उर्वरापन बाढि आ सुखार सँ जतेक बर्बाद नहि भेल ताहि सँ बड बेसी बर्बादी एतय राजनीतिक माहौल मे आपसी जातिवादी मनमुटाव सँ लोक खेत मे काज तक केनाय छोडि देलक ताहि सँ बर्बादी बेसी भेल। अछैत उर्वरापन जँ जमीन मे बाँझपन केर प्रवेश देल जाय तऽ लक्ष्मी किऐक नहि रुसती?   
         प्रवास अत्यधिक दिल्ली मे केन्द्रित बुझाइत अछि। मैथिलक बौद्धिक क्षमता आइये नहि, मुगलकाल मे सेहो ओतबे प्रखर छल तैँ ओहि समयक राजधानीक्षेत्र ब्रज-मथुरा-पुरानी दिल्ली मे सेहो रहल छलाह। बाद मे ब्रिटिशकाल मे कलकत्ता आ आब स्वतंत्र गणतांत्रिक भारत मे राजधानी दिल्ली मे हिनका लोकनिक वर्चस्व केँ नकारल नहि जा सकैत अछि। विधानसभा, लोकसभा, विधान-परिषद्, राज्यसभा, राज्यभवन - सबठाम मैथिल केर पहुँच बनि गेल अछि। तैँ कहब जे एतेक महत्त्वपूर्ण जगह पर पहुँचल लोक मैथिली वा मिथिलाक कल्याण निमित्त तत्पर छथि तऽ सरासर गलत होयत। ओ सब एहि प्रति पूर्ण बेईमान छथि। लेकिन वर्तमान प्रक्रिया यानि 'आम मैथिल जागरण' सँ आब कुम्भकरणी निन्न टूटि रहल छन्हि। निस्सन्देह आब इहो सब दिल्ली मे सेमिनार, गोष्ठी आ विद्वत् सभा कय रहल छथि। बहुत जल्दी ई सब 'जनसभा' मे परिणति पाओत से विश्वास राखू। साहित्यिक संस्कार जखनहि समाज मे अपन ओजरूपी बीज केँ छीटैत छैक, तऽ अंकुरा सीधे क्रान्तिरूपी गाछ केर जन्म दैत छैक। प्रजातंत्र मे प्रजाक महत्त्व सर्वोपरि रहलैक अछि। एहि मादे मैथिल अभियानी लोकनि धन्यवादक पात्र छथि जे भाषा-संस्कृति, सिनेमा, पत्रकारिता सहित समाजक उन्नयन संग मैथिली-मिथिलाक उन्नयन लेल डेग निरन्तर बढा रहल छथि। धन्यवाद दिल्ली!
        
   काल्हिये सम्पन्न मिथिला मिरर केर वार्षिकोत्सव मे एक सऽ बढिकय एक व्यक्तित्व केर पहिचान कैल गेल, हुनकर विशिष्ट योगदान हेतु विशिष्ट सम्मान विभिन्न विशिष्ट नेतृत्वकर्ताक हाथें सौंपल गेल, विवरण निम्न अछि।
१. श्री महेंद्र मलंगिया, मैथिलीक विराट नाट्य लेखन कें मैथिली नाट्य लेख क्षेत्र में
२. श्री विजय चंद्र झा दिल्ली मे मिथिला-मैथिलीक लेल समाज सेवा मे
३. श्री ए. एन. झा चिकित्साक क्षेत्र में वर्तमान मे देशक सब सँ पैघ न्युरोसर्जन आ मेदांता मेडिसिटी अस्पतालक विभागाध्यक्ष
४. डा. शेफालिका वर्मा मैथिली साहित्य लेखन
५. श्री संजय कुमार झा भारतीय प्रशासनिक सेवाक क्षेत्र में वर्तमान में चीफ विजिलेंश कमिश्नर वित्त मंत्रालय भारत सरकार
६. श्री आर. डी. वर्मा व्यवसायक क्षेत्र मे चेरयमैन वीएचआर ग्रुप
७. श्री प्रकाश झा मैथिली रंगमंचक निर्देशन मे
८. श्री कौशल कुमार मैथिली फोन्ट्स (मिथिलाक्षर युनिकोड) निर्माणक क्षेत्र मे
९. श्री संजय सिंह फिल्म आ थियेटर, फिल्म गैंग आॅफ वासेपुर में फज़लू भैया आओर फिल्म राॅकस्टार मे रणबीर कपुरक संग आ देशक श्रेष्ठतम रंगमंच सँ जुडल, राष्ट्रीय नाट्य अकादमी सँ पासआउट,
१०. श्री बिमल कांत झा, सहरसा मे मिथिला-मैथिलीक लेल सतत सेवा प्रदान करनिहार एक प्रतिबद्ध व्यक्तित्व वर्तमान दिल्ली सरकार मे रजिस्ट्रारक पद पर कार्यरत,
११. श्री विष्णु पाठक मूल रूप सँ बेगुसराय निवासी आ समाजसेवाक क्षेत्र मे आगु रहनिहार,
१२. श्रीमती अनिता झा मूल सं बलाइन मधुबनीक रहनिहाइर आ खानदानी मिथिला पेंटिंग सँ जुड़ल आ करीब 200 सं बेसी लोक केँ प्रशिक्षण देनिहाइर, हिनकर कीर्ति फ्रांसक तत्कालिन राष्ट्रपति निकोलस सर्कोजी द्वारा प्रशंसित-स्वीकृत, शीला दीक्षित, नीतीश कुमार, दिल्ली मेट्रो द्वारा सेहो प्रशंसित-स्वीकृत, मूल रूप सँ तांत्रिक-पद्धति पर आधारित पेंटिंग मे महारात हासिल,
१३. श्री मेराज सिद्दिकी मैथिली भाषाक लेल अग्रसर मुस्लिम युवा आ अंतरराष्ट्रीय दरिभंगा फिल्म महोत्सवक जनक
१४. श्री किसलय कृष्ण मैथिली फिल्म आ पत्रकारिता
१५. श्रीमती आशा झा टीवी एंकर वर्तमान में प्रतिष्ठित समाचार चैनल न्यूज़ नेशन में कार्यरत
१६. श्री विश्व मोहन झा मीडिया आओर विज्ञापनक क्षेत्र मे
जय मिथिला - जय जय मिथिला!!
हरि: हर:!!

सोमवार, 15 सितंबर 2014

मिथिला - मैथिलीक मौलिक अधिकारक रक्षाक लेल शुभारम्भ कलश यात्रा , दहेज़ मुक्त मिथिलाक अगुवाई में देल्ही सं

मिथिला - मैथिलीक  मौलिक अधिकारक  रक्षाक लेल  शुभारम्भ  कलश यात्रा ,  दहेज़ मुक्त मिथिलाक  अगुवाई में  देल्ही  सं
Pravin Narayan Choudhary- 
हम एक बेर फेर समस्त दिल्लीवासी गंभीर एवं प्रतिबद्ध मिथिला-मैथिली प्रेमीजन केँ हार्दिक धन्यवाद देबय चाहब जे अपने लोकनिक सहयोग सँ एतेक भव्यता संग काल्हिक कार्यक्रम संपन्न भेल। एक तऽ मानव ताहू पर सँ अनेको तरहक भौतिक भोग-व्यसन सँ रोगग्रस्त कमजोर मानसिकताक शिकार हम प्रवीण एवं समस्त आयोजन पक्ष कतेको प्रकारक त्रुटिपूर्ण प्रस्तुति केने होयब, ताहि सब लेल अपने लोकनि क्षमा करब। किछु महत्त्वपूर्ण घोषणा सब करबाक छल, किछु अभियानक जानकारी सब देबाक छल, लेकिन कार्यक्रम अपन गति मे चलि देबाक कारणे हमरा वश मे किछु नहि रहि सकल। तैँ बेर-बेर मात्र क्षमायाचना टा करब। जे किछु त्रुटि भेलैक ताहि लेल आगाँ आरो सुन्दरता संग सुधार अनैत दिन-ब-दिन बेहतरी केर दिशा मे हम सब बढब से विश्वास बढि गेल।
आयोजन पक्षक मित्र लोकनि!
    
      अहाँ सबहक ऋण सँ ऊऋण हम कहियो नहि भऽ सकब। अमरनाथजी केर निरंतर सहयोग, डिजाइनिंग सहित कार्यक्रम लेल अत्यन्त महत्त्वपूर्ण मानल जायवला सामरिक सहयोग एवं प्रखरता-ओजस्वी संचालन करैत पुन: समीक्षा तक अपनेक संग अविस्मरणीय रहल। संजीव भाइ द्वारा बौद्धिक-वैचारिक आ अतिथिक सूची निर्धारण करैत 'कमल संदेश' केर कार्यालय पर्यन्त संयोजन हेतु उपलब्ध करेनाय - ओह शब्द नहि अछि जे हम धन्यवाद कय सकी। बस, आह्लादित हृदय सँ हमर स्नेह स्वीकार करब। कौशलजी केर सह-संयोजन मानू जेना प्रवीणक दोसराइत बनि सब बागडोर सम्हारलैन, आ केहन हमर स्मृति जे अहाँक अभियान पर जे चर्चा करेबाक छल वैह मनमस्तिष्क सँ बाहर चलि गेल। लेकिन याद राखब, जगज्जननी मैथिली केर कृपा, हम अहाँक हरेक सपना केँ साकार करबाक लेल आइये आ एखनहि सँ प्रण करैत छी। किछु समय देल जाउ। पहिने सँ दिमाग मे जे सब रहल से सब शालीनतापूर्वक संपन्न भेल आ आब मिथिलाक्षर फोन्ट विकास मे यथाशीघ्र निश्चित प्रगति आनि सकब, से गछैत छी। दिसम्बर २०१४ धरि ई कार्य पूरा करबायब, अहाँ निश्चिन्त रहू। हमर 'दि बेस्ट एफोर्ट्स' एहि विन्दु पर आगामी समस्त कार्यक्रम - भ्रमण, अभियान मे ई योजना शामिल रहत। आइ प्रामिस यू! प्रकाश भाइ, मैलोरंग - अहाँक सृजनशील आ क्रान्तिकारी योजना निर्माण हमर मनक बात करैत प्रमुख अतिथिक चुनाव सुझाव मे सहयोग केलक - सहभागिता हेतु अपनेक हर प्रयास नमन योग्य भेल।
फेसबुक केँ धन्यवाद - जे भाइ नरेन्द्र मिश्र संग भेट करौने छल। भाइ अपन संस्थान 'साईंधाम' केर दर्शन करबैत गछने छलाह जे कहियो अहाँ सब मिथिला लेल एतहु अभियान संचालित करू। ओ जहिना एतेक बात कहलैन, तहिये सँ दिमाग मे चलि रहल छल। सब मित्रवर्गकेँ कहने रही जे मिथिला-मैथिली प्रति अगाध सिनेह रखनिहार नरेन्द्र भाइजी केँ हम सब जोडिकय स्वयंसेवा सँ अपन मातृभूमि-मातृभाषा सहित संस्कृति-साहित्य-समाज लेल आगू बढब। ठीक तहिना भगवतीक कृपा सँ एहि बेर संभव भेल। भाइकेँ एक बेर फोन करिते सांगोपाँग तैयार आ तत्पर रहैत सहयोग देबाक वचन देलनि। काल्हि कार्यक्रम मे हुनक स्वैच्छिक योगदान सँ कार्यक्रम स्थल, साज-सज्जा, अतिथि-सत्कार (जलपान सहित) सहयोग लेल पूरा कार्यालय एवं साईंधाम केर अधिकारीवर्ग केँ तैयार अवस्था मे उपलब्ध करौलनि। साईंधाम केँ हृदय सँ धन्यवाद आ आभार प्रकट करैत नरेन्द्र भाइजीक एतेक पैघ सहयोग प्रति बेर-बेर नमन करय चाहब।
कम समय मे सोचल एहि कार्यक्रम एकमात्र महादेव केर प्रेरणा सँ साक्षात् जगज्जननी मिथिला धिया सिया एवं गौरीक कृपा सँ संभव भेल। किछु भाइ लोकनि नहि आबि पेला। शेफालिका माय आ निवेदिता बहिन केर अनुपस्थिति बड कचोटलक। लेकिन आदित्य भूषण मिश्र संग हुनक एक मित्र स्वयं सियारूप मे आबि कार्यक्रमरूपी शिव केँ शव होमय सँ बचबैत स्वयं पूर्ण कार्यक्रम अवधि भरि लेल शक्तिस्वरूपा अन्नपूर्णा बनि विराजमान रहली आ मैथिली नहि बुझितो ओ आनन्दमग्न होइत अपनो एक प्रस्तुति हिन्दी मे पूर्ण मर्मसँ भरल प्रस्तुत केलीह। कविश्रेष्ठ मैथिलक कमी नहि रहल। मनीष झा बौआभाइ, आदित्य भाइ, नितेश कर्ण, किशन कारीगर, जगदानन्द झा मनु भाइ... रामानाथ बाबु, विमल बाबु, विजय काका, विजय जेट भाइ, संजय नागदह भाइ... मस्त वातावरण मे मैथिली जिन्दाबाद - मिथिला जिन्दाबाद होइत रहल। बिजली गूल भेलाक बाद कवि लोकनिक उत्साह एहेन चरम पर छल जे मोमबत्तीक रौशनी मे सेहो कविता वाचन चलैत रहल। अन्त मे बिजली केँ फेर आबय पडलैन।
     
अक्षय बाबु केर आलेख लेल देल समय - बहुत कमे समय मे दिन-राति एक करैत समस्त संवैधानिक सन्दर्भ पर प्रकाश दैत हम मिथिलावासीक मौलिक अधिकार पर प्रकाश देबाक एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण आलेखक प्रस्तुति ऐतिहासिक भेल। एहि विषय पर गंभीर कार्य करैत जाहि तरहें सुझाव देल गेल से मनन एवं अनुकरण योग्य अछि। डा. देवशंकर नवीन - हमरा लोकनिक मार्गदर्शक - हिनक प्रमुख आतिथ्य कार्यक्रम लेल पूर्ण चन्द्रमाक शीतल - निश्छल चाँदनीक समान छल। ऋतेशजी एवं शिशिर बाबु संग नीलमाधव चौधरी सर केर सरस प्रोत्साहित करयवला उपस्थिति आ राखल गेल आलेख पर टिप्पणी सारगर्भित छल। नाउ एण्ड देन - मिथिला मेन - दहेज मुक्त मिथिलाक प्रथम संरक्षक महोदय कृपानन्द सर केर अध्यक्षता कार्यक्रम केर पूर्णता हेतु मोहर लगेबाक काज केलक। तहिना परम आदरणीय वरिष्ठ विकासवादी अभियानी आ हमरा लोकनिकेँ सदिखन आशीर्वाद सँ प्रेरित करनिहार अखिल भारतीय मिथिला संघ केर अध्यक्ष श्री विजय चन्द्र झा केर उपस्थिति मिथिलाक भीष्म पितामह समान छल। ऋषि मलंगिया भाइ केर सहयोगी - प्रेरक वचन सँ डेग-डेग उठबैत मात्र ४ दिन मे कार्यक्रम केँ सफलता संग संपन्न कैल जा सकल। नीरज पाठक, रामचन्द्रजी, हेमन्त भाइ, प्रसुन प्रशान्त, मिहिर बाबु - हम कतेक नाम गनाउ।
दिल्ली मे आब बुझाइते नहि अछि जे अपन निजी गाम नहि हो। अहाँ सबहक उर्जा सँ हमर उर्जा हजारो गुना बढि गेल अछि। सुनील पवन जी द्वारा कलश यात्राक प्रथम चरण लेल जोश-भरल मदैद - विश्वास राखू, अहाँक हर सपना पूरा होयत आ मिथिला-मैथिली लेल ई देन कदापि कियो बिसरि नहि सकत।

गुरुवार, 11 सितंबर 2014

मैथिली महायात्रा शुभारंभोत्सव २०१४

हकार:-------------------

मैथिली महायात्रा शुभारंभोत्सव २०१४

समय: ४ बजे सायं काल स' 
 
दिनांक: १३ सितम्बर २०१४ (शनि दिन)

स्थान: साईं धाम, प्रसाद नगर (टैंक रोड पार्किंग)

राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन के समीप, नई दिल्ली 
 
दूरभाष: ०११ - २५७५०५३१ / ३२
 आयोजक:  -

     दहेज़ मुक्त मिथिला नेपाल एवम् भारत संयुक्त , कृपया ध्यान 
देब जे 'मैथिली भाषासेवी' - चाहे साहित्य, समाज, संस्कृति, कला,
 रंगकर्म, लेखनी, पत्रकारिता, शिक्षण, प्रशिक्षण, कोनो क्षेत्र मे जुडल 
लोक एहि कार्यक्रम मे अनिवार्यरूप सँ भाग लेब।

  सीमित सहभागिता संग संचालित एहि कार्यक्रम मे भाग लेनिहार
 अपन नाम, नंबर पहिने जरुर पोस्ट/मैसेज करी। संगहि, जे कियो अपन
  प्रस्तुति देबाक लेल इच्छुक होइ ओ अपन आलेख, विचार, कविता,
कथा, पहिने सँ पोस्ट करी

शनिवार, 6 सितंबर 2014

अनंत पूजा

अनंत पूजा 
 
    अनंत भगवान विष्णु सृष्टि के आरंभ में चैदह लोकक 'तल, अतल, वितल, सुतल, तलातल, रसातल, पाताल, भू, भुवः, स्वः, जन, तप, सत्य, मह' केर रचना कयने छलाह । अहि सभ लोकक पालन करबाक हेतु स्वयं 14 रूप में प्रकट भेलाह जाहि सौं अनंत प्रतीत होमेय लगलाह।

        ताहि कारणे अनंत पूजा के दिन एक गोट पात्र में दूध, मधु, दही, घी और गंगाजल मिला क्षीर सागरक निर्माण कयल जैत अछि । फेर कचका ताग सौं बनल चैदह गिठ्ठह वाला अनंत सूत्र सौं भगवान अनंत के क्षीर सागर में ताकल जैत अछि । 


पूजाक पश्चात अहि ताग के अनंत भगवानक स्वरूप मानि पुरूष अपना दाहिना बांहि पर और स्त्री बाम बांहि पर अनंत के धारण करैत छथि।

मान्यता इहो अछि जे युधिस्ठीर के अप्पन राज पाट अहि उपास सौं पुनः प्राप्त भेल छलन्हि।

अनंतक चैदहो गिठ्ठह में प्रत्येक गिठ्ठह एक एक लोकक प्रतीक होइत अछि जकर रचना भगवान विष्णु केने छलाह। अहि प्रत्येक गिठ्ठह में भगवानक ओहि चैदह रूपक वास मानल जैत अछि जे चौदह लोक में वास करैत छथि।

Sanskar - संस्कार
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गुरुवार, 28 अगस्त 2014

लोक पावनि चौरचन

पावनि-तिहार: लोक पावनि चौरचन 

(प्रो. पवन कुमार मिश्र)
 

    समस्त विज्ञजन केँ विदित अछि जे समग्र विश्‍व मे भारत ज्ञान विज्ञान सँ महान तथा जगत्‌ गुरु कऽ उपाधि सँ मण्डित अछि । एतवे टा नहि भारत पूर्व काल मे "सोनाक चिड़िया" मानल जाइत छल एवं ब्रह्माण्डक परम शक्‍ति छल। भूलोकक कोन कथा अन्तरिक्ष लोक मे एतौका राजा शान्ति स्थापित करऽ लेल अपन भुज शक्‍तिक उपयोग करैत छलाह । एकर साक्ष्य अपन पौराणिक कथा ऐतिह्‌य प्रमाणक रुप मे स्थापित अछि ।

      हमर पूर्वज जे आई ऋषि महर्षि नाम सँ जानल जायत छथि हुनक अनुसंधानपरक वेदान्त (उपनिषद्‍) एखनो अकाट्‍य अछि । हुनक कहब छनि काल (समय) एक अछि, अखण्ड अछि, व्यापक (सब ठाम व्याप्त) अछि । महाकवि कालिदास अभिज्ञान शकुन्तलाक मंगलाचरण मे "ये द्वे कालं विधतः" एहि वाक्य द्वारा ऋषि मत केँ स्थापित करैत छथि । जकर भाव अछि व्यवहारिक जगत्‌ मे समयक विभाग सूर्य आओर चन्द्रमा सँ होइछ ।

‘प्रश्नोपनिषद्‍’ मे ऋषिक मतानुसार परम सूक्ष्म तत्त्व "आत्मा" सूर्य छथि तथा सूक्ष्म गन्धादि स्थूल पृथ्वी आदि प्रकृति चन्द्र छथि । एहि दूनूक संयोग सँ जड़ चेतन केँ उत्पत्ति पालन आओर संहार होइछ ।

    आत्यिमिक बौद्धिक उन्‍नति हेतु सूर्यक उपासना कैल जाइछ । जाहि सँ ज्ञान प्राप्त होइछ । ज्ञान छोट ओ पैघ नहि होइछ अपितु सब काल मे समान रहैछ एवं सतत ओ पूर्णताक बोध करवैछ । मुक्‍तिक साधन ज्ञान, आओर मुक्‍त पुरुष केँ साध्यो ज्ञाने अछि । सूर्य सदा सर्वदा एक समान रहैछ । ठीक एकरे विपरीत चन्द्र घटैत बढ़ैत रहैछ । ओ एक कलाक वृद्धि करैत शुक्ल पक्ष मे पूर्ण आओर एक-एक कलाक ह्रास करैत कृष्ण पक्ष मे विलीन भऽ जाय्त छाथि । सम्पत्सर रुप (समय) जे परमेश्‍वर जिनक प्रकृति रुप जे प्रतीक चन्द्र हुनक शुक्ल पक्ष रुप जे विभाग ओ प्राण कहवैछ प्राणक अर्थ भोक्‍ता । कृष्ण पक्ष भोग्य (क्षरण शील वस्तु) ।

     विश्‍वक समस्त ज्योतिषी लोकनि जातकक जन्मपत्री मे सूर्य आओर चन्द्र केँ वलावल केँ अनुसार जातक केर आत्मबल तथा धनधान्य समृद्धिक विचार करैत छथिन्ह । वैज्ञानिक लोकनि अपना शोध मे पओलैन जे चन्द्रमाक पूर्णता आओर ह्रास्क प्रभाव विक्षिप्त (पागल) क विशिष्टता पर पड़ैछ । भारतीय दार्शनिक मनीषी "कोकं कस्त्वं कुत आयातः, का मे जनजी को तात:" अर्थात्‌ हम के छी, अहाँ के छी हमर माता के छथि तथा हमर पिता के छथि इत्यादि प्रश्नक उत्तर मे प्रत्यक्ष सूर्य के पिता (पुरुष) आओर चन्द्रमा के माता (स्त्री) क कल्पना कऽ अनवस्था दोष सं बचैत छथि ।

     अपना देश मे खास कऽ हिन्दू समाज मे जे अवतारवादक कल्पना अछि ताहि मे सूर्य आओर चन्द्रक पूर्णावतार मे वर्णन व्यास्क पिता महर्षि पराशर अपन प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘वृद्ध पराशर’ मे करैत छथि । "रामोऽवतारः सूर्यस्य चन्द्रस्य यदुनायकः" सृ. क्र. २६ अर्थात्‌ सूर्य राम रुप मे आओर चन्द्र कृष्ण रुप मे अवतार ग्रहण केलन्हि ।

       ई दुनू युग पुरुष भारतीय संस्कृति-सभ्यता, आचार-विचार तथा जीवन दर्शनक मेरुद्ण्ड छथि आदर्श छथि । पौराणिक ग्रन्थ तथा काव्य ग्रन्थ केँ मान्य नायक छथि । कवि, कोविद, आलोचक, सभ्य विद्धत्‌ समाजक आदर्श छथि । सामान्यजन हुनका चरित केँ अपना जीवन मे उतारि ऐहिक जीवन के सुखी कऽ परलोक केँ सुन्दर बनाबऽ लेल प्रयत्‍नशील होईत छथि ।

      एहि संसार मे दू प्रकारक मनुष्य वास करै छथि । एकटा प्रवृत्ति मार्गी (प्रेय मार्गी)- गृहस्थ दोसर निवृत्ति मार्गी योगी, सन्यासी । प्रवृत्ति मार्गी-गृहस्थ काञ्चन काया कामिनी चन्द्रमुखी प्रिया धर्मपत्‍नी सँ घर मे स्वर्ग सुख सँ उत्तम सुखक अनुभव करै छथि । ओहि मे कतहु बाधा होइत छनि तँ नरको सँ बदतर दुःख केँ अनुभव करै छथि ।

  कर्मवादक सिद्धान्तक अनुसार सुख-दुःख सुकर्मक फल अछि ई भारतीय कर्मवादक सिद्धान्त विश्‍वक विद्धान स्वीकार करैत छथि । तकरा सँ छुटकाराक उपाय पूर्वज ऋषि-मुनि सुकर्म (पूजा-पाठ) भक्‍ति आओर ज्ञान सँ सम्वलित भऽ कऽ तदनुसार आचरणक आदेश करैत छथिन्ह ।

हम जे काज नहि केलहुँ ओकरो लेल यदि समाज हमरा दोष दिए, प्रत्यक्ष वा परोक्ष मे हमर निन्दा करय एहि दोष "लोक लाक्षना" क निवारण हेतु भादो शुक्ल पक्षक चतुर्थी चन्द्र के आओर ओहि काल मे गणेशक पूजाक उपदेश अछि ।

हिन्दू समाज मे श्री कृष्ण पूर्णावतार परम ब्रह्म परमेश्‍वर मानल छथि । महर्षि पराशर हुनका चन्द्रसँ अवतीर्ण मानैत छथिन्ह । हुनके सँ सम्बन्धित स्कन्दपुराण मे चन्द्रोपाख्यान शीर्षक सँ कथा वर्णित अछि जे निम्नलिखित अछि ।

    नन्दिकेश्‍वर सनत्कुमार सँ कहैत छथिन्ह हे सनत कुमार ! यदि अहाँ अपन शुभक कामना करैत छी तऽ एकाग्रचित सँ चन्द्रोपाख्यान सुनू । पुरुष होथि वा नारी ओ भाद्र शुक्ल चतुर्थीक चन्द्र पूजा करथि । ताहि सँ हुनका मिथ्या कलंक तथा सब प्रकार केँ विघ्नक नाश हेतैन्ह । सनत्कुमार पुछलिन्ह हे ऋषिवर ! ई व्रत कोना पृथ्वी पर आएल से कहु । नन्दकेश्‍वर बजलाह-ई व्रत सर्व प्रथम जगत केर नाथ श्री कृष्ण पृथ्वी पर कैलाह । सनत्कुमार केँ आश्‍चर्य भेलैन्ह षड गुण ऐश्‍वर्य सं सम्पन्‍न सोलहो कला सँ पूर, सृष्टिक कर्त्ता धर्त्ता, ओ केना लोकनिन्दाक पात्र भेलाह । नन्दीकेश्‍वर कहैत छथिन्ह-हे सनत्कुमार । बलराम आओर कृष्ण वसुदेव क पुत्र भऽ पृथ्वी पर वास केलाह । ओ जरासन्धक भय सँ द्वारिका गेलाह ओतऽ विश्‍वकर्मा द्वारा अपन स्त्रीक लेल सोलह हजार तथा यादव सब केँ लेल छप्पन करोड़ घर केँ निर्माण कऽ वास केलाह । ओहि द्वारिका मे उग्र नाम केर यादव केँ दूटा बेटा छलैन्ह सतजित आओर प्रसेन । सतजित समुद्र तट पर जा अनन्य भक्‍ति सँ सूर्यक घोर तपस्या कऽ हुनका प्रसन्‍न केलाह । प्रसन्‍न सूर्य प्रगट भऽ वरदान माँगूऽ कहलथिन्ह सतजित हुनका सँ स्यमन्तक मणिक याचना कयलन्हि । सूर्य मणि दैत कहलथिन्ह हे सतजित ! एकरा पवित्रता पूर्वक धारण करव, अन्यथा अनिष्ट होएत । सतजित ओ मणि लऽ नगर मे प्रवेश करैत विचारऽ लगलाह ई मणि देखि कृष्ण मांगि नहि लेथि । ओ ई मणि अपन भाई प्रसेन के देलथिन्ह । एक दिन प्रंसेन श्री कृष्ण के संग शिकार खेलऽ लेल जंगल गेलाह । जंगल मे ओ पछुआ गेलाह । सिंह हुनका मारि मणि लऽ क चलल तऽ ओकरा जाम्बवान्‌ भालू मारि देलथिन्ह । जाम्बवान्‌ ओ लऽ अपना वील मे प्रवेश कऽ खेलऽ लेल अपना पुत्र केऽ देलथिन्ह ।

    एम्हर कृष्ण अपना संगी साथीक संग द्वारिका ऐलाह । ओहि समूहक लोक सब प्रसेन केँ नहि देखि बाजय लगलाह जे ई पापी कृष्ण मणिक लोभ सँ प्रसेन केँ मारि देलाह । एहि मिथ्या कलंक सँ कृष्ण व्यथित भऽ चुप्पहि प्रसेनक खोज मे जंगल गेलाह । ओतऽ देखलाह प्रदेन मरल छथि । आगू गेलाह तऽ देखलाह एकटा सिंह मरल अछि आगू गेलाह उत्तर एकटा वील देखलाह । ओहि वील मे प्रवेश केलाह । ओ वील अन्धकारमय छलैक । ओकर दूरी १०० योजन यानि ४०० मील छल । कृष्ण अपना तेज सँ अन्धकार के नाश कऽ जखन अंतिम स्थान पर पहुँचलाह तऽ देखैत छथि खूब मजबूत नीक खूब सुन्दर भवन अछि । ओहि मे खूब सुन्दर पालना पर एकटा बच्चा के दायि झुला रहल छैक बच्चा क आँखिक सामने ओ मणि लटकल छैक दायि गवैत छैक-

सिंहः प्रसेन भयधीत, सिंहो जाम्बवता हतः ।



सुकुमारक ! मा रोदीहि, तब ह्‌येषः स्यमन्तकः ॥

         अर्थात्‌ सिंह प्रसेन केँ मारलाह, सिंह जाम्बवान्‌ सँ मारल गेल, ओ बौआ ! जूनि कानू अहींक ई स्यमन्तक मणि अछि । तखनेहि एक अपूर्व सुन्दरी विधाताक अनुपम सृष्टि युवती ओतऽ ऐलीह । ओ कृष्ण केँ देखि काम-ज्वर सँ व्याकुल भऽ गेलीह । ओ बजलीह-हे कमल नेत्र ! ई मणि अहाँ लियऽ आओर तुरत भागि जाउ । जा धरि हमर पिता जाम्बवान्‌ सुतल छथि । श्री कृष्ण प्रसन्‍न भऽ शंख बजा देलथिन्ह । जाम्बवान्‌ उठैत्मात्र युद्ध कर लगलाह । हुनका दुनुक भयंकर बाहु युद्ध २१ दिन तक चलैत रहलन्हि । एम्हर द्वारिका वासी सात दिन धरि कृष्णक प्रतीक्षा कऽ हुनक प्रेतक्रिया सेहो देलथिन्ह । बाइसम दिन जाम्बवान्‌ ई निश्‍चित कऽ कि ई मानव नहि भऽ सकैत छथि । ई अवश्य परमेश्‍वर छथि । ओ युद्ध छोरि हुनक प्रार्थना केलथिन्ह अ अपन कन्या जाम्बवती के अर्पण कऽ देलथिन्ह । भगवान श्री कृश्न मणि लऽ कऽ जाम्ब्वतीक स्म्ग सभा भवन मे आइव जनताक समक्ष सत्जीत के सादर समर्पित कैलाह । सतजीत प्रसन्‍न भऽ अपन पुत्री सत्यभामा कृष्ण केँ सेवा लेल अर्पण कऽ देलथिन्ह ।

      किछुए दिन मे दुरात्मा शतधन्बा नामक एकटा यादव सत्ताजित केँ मारि ओ मणि लऽ लेलक । सत्यभामा सँ ई समाचार सूनि कृष्ण बलराम केँ कहलथिन्ह-हे भ्राता श्री ! ई मणि हमर योग्य अछि । एकर शतधन्वान लेऽ लेलक । ओकरा पकरु । शतधन्वा ई सूनि ओ मणि अक्रूर कें दऽ देलथिन्ह आओर रथ पर चढ़ि दक्षिण दिशा मे भऽ गेलाह । कृष्ण-बलराम १०० योजन धरि ओकर पांछा मारलाह । ओकरा संग मे मणि नहि देखि बलराम कृष्ण केँ फटकारऽ लगलाह, "हे कपटी कृष्ण ! अहाँ लोभी छी ।" कृष्ण केँ लाखों शपथ खेलोपरान्त ओ शान्त नहि भेलाह तथा विदर्भ देश चलि गेलाह । कृष्ण धूरि केँ जहन द्वारिका एलाह तँ लोक सभ फेर कलंक देबऽ लगलैन्ह । ई कृष्ण मणिक लोभ सँ बलराम एहन शुद्ध भाय के फेज छल द्वारिका सँ बाहर कऽ देलाह । अहि मिथ्या कलंक सँ कृष्ण संतप्त रहऽ लगलाह । अहि बीच नारद (ओहि समयक पत्रकार) त्रिभुवन मे घुमैत कृष्ण सँ मिलक लेल ऐलथिन्ह । चिन्तातुर उदास कृष्ण केँ देखि पुछथिन्ह "हे देवेश ! किएक उदास छी ?" कृष्ण कहलथिन्ह, " हे नारद ! हम वेरि वेरि मिथ्यापवाद सँ पीड़ित भऽ रहल छी ।" नारद कहलथिन्ह, "हे देवेश ! अहाँ निश्‍चिते भादो मासक शुक्ल चतुर्थीक चन्द्र देखने होएव तेँ अपने केँ बेरिबेरि मिथ्या कलंक लगैछ । श्री कृष्ण नारद सँ पूछलथिन्ह, "चन्द्र दर्शन सँ किएक ई दोष लगै छैक ।

  
    नारद जी कहलथिन्ह, "जे अति प्राचीन काल मे चन्द्रमा गणेश जी सँ अभिशप्त भेलाह, अहाँक जे देखताह हुनको मिथ्या कलंक लगतैन्ह । कृष्ण पूछलथिन्ह, "हे मुनिवर ! गणेश जी किऐक चन्द्रमा केँ शाप देलथिन्ह ।" नारद जी कहलथिन्ह, "हे यदुनन्दन ! एक वेरि ब्रह्मा, विष्णु आओर महेश पत्नीक रुप मे अष्ट सिद्धि आओर नवनिधि के गनेश कें अर्पण कऽ प्रार्थना केयथिन्ह । गनेश प्रसन्न भऽ हुनका तीनू कें सृजन, पालन आओर संहार कार्य निर्विघ्न करु ई आशीर्वाद देलथिन्ह । ताहि काल मे सत्य लोक सँ चन्द्रमा धीरे-धीरे नीचाँ आबि अपन सौन्द्र्य मद सँ चूर भऽ गजवदन कें उपहाल केयथिन्ह । गणेश क्रुद्ध भऽ हुनका शाप देलथिन्ह, - "हे चन्द्र ! अहाँ अपन सुन्दरता सँ नितरा रहल छी । आई सँ जे अहाँ केँ देखताह, हुनका मिथ्या कलंक लगतैन्ह । चन्द्रमा कठोर शाप सँ मलीन भऽ जल मे प्रवेश कऽ गेलाह । देवता लोकनि मे हाहाकार भऽ गेल । ओ सब ब्रह्माक पास गेलथिन्ह । ब्रह्मा कहलथिन्ह अहाँ सब गणेशेक जा केँ विनति करु, उएह उपय वतौताह । सव देवता पूछलन्हि-गणेशक दर्शन कोना होयत । ब्रह्मा वजलाह चतुर्थी तिथि केँ गणेश जी के पूजा करु । सब देवता चन्द्रमा सँ कहलथिन्ह । चन्द्रमा चतुर्थीक गणेश पुजा केलाह । गणेश वाल रुप मे प्रकट भऽ दर्शन देलथिन्ह आओर कहलथिन्ह - चन्द्रमा हम प्रसन्‍न छी वरदान माँगू । चन्द्रमा प्रणाम करैत कहलथिन्ह हे सिद्धि विनायक हम शाप मुक्‍त होई, पाप मुक्‍त होई, सभ हमर दर्शन करैथ । गनेश थ बहलाघ हमर शाप व्यर्थ नहि जायत किन्तु शुक्ल पक्ष मे प्रथम उदित अहाँक दर्शन आओर नमन शुभकर रहत तथा भादोक शुक्ल पक्ष मे चतुर्थीक जे अहाँक दर्शन करताह हुनका लोक लान्छना लगतैह । किन्तु यदि ओ सिंहः प्रसेन भवधीत इत्यादि मन्त्र केँ पढ़ि दर्शन करताह तथा हमर पूजा करताह हुनका ओ दोष नहि लगतैन्ह । श्री कृष्ण नारद सँ प्रेरित भऽ एहिव्रतकेँ अनुष्ठान केलाह । तहन ओ लोक कलंक सँ मुक्‍त भेलाह ।
   
 एहि चौठ तिथि आओर चौठ चन्द्र केँ जनमानस पर एहन प्रभाव पड़ल जे आइयो लोक चौठ तिथि केँ किछु नहि करऽ चाहैत छथि । कवि समाजो अपना काव्य मे चौठक चन्द्रमा नीक रुप मे वर्णन नहि करैत छथि । कवि शिरोमणि तुलसी मानसक सुन्दर काण्ड मे मन्दोदरी-रावण संवाद मे मन्दोदरीक मुख सँ अपन उदगार व्यक्‍त करैत छथि - "तजऊ चौथि के चन्द कि नाई" हे रावण । अहाँ सीता केँ चौठक चन्द्र जकाँ त्याग कऽ दियहु । नहि तो लोक निंदा करवैत अहाँक नाश कऽ देतीह ।
       एतऽ ध्यान देवऽक बात इ अछि जे जाहि चन्द्र केँ हम सब आकाश मे घटैत बढ़ैत देखति छी ओ पुरुष रुप मे एक उत्तम दर्शन भाव लेने अछि । जे एहि लेखक विषय नहि अछि । हमर ऋषि मुनि आओर सभ्य समाजक ई ध्येय अछि, मानव जीवन सुखमय हो आओर हर्ष उल्लास मे हुनक जीवन व्यतीत होन्हि । एहि हेतु अनेक लोक पावनि अपनौलन्हि, जाहि मे आवाल वृद्ध प्रसन्‍न भवऽ केँ परिवार समाज राष्ट्र आओर विश्‍व एक आनन्द रुपी सूत्र मे पीरो अब फल जेकाँ रहथि ।

आवास - आदर्श नगर, समस्तीपुर
सभार : मिथिला अरिपन 
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