आउ मनाबी महिला -दिवस !
आन बेरक जकां फेर महिला दिवस आबि गेल ! आब ई त बुझले अछि जे ,लोग -बाग ,महिला सब के बधाई दई जेथिन कोनों संस्था क तरफ सं विशिष्ट महिलागन के पुरस्कार ,गुलदस्ता क आदान-प्रदान कयल जेतैक .बस ! समाज अपन कर्तव्यक इतिश्री मानि जाईत अछि .
दरअसल महिला दिवस कोनों एक दिन अथवा ,एक वर्ष मनाबय वला पर्व नही अछि ,ई त सतत चलय वला एकटा विचार -व्यवहार हेबाक चाही .हम सब एक दिनक लेल महिला दिवस मना त लईत छी ,मुदा दोसरे दिन सं बल्कि ओहो दिन ओहिना महिला सब प्रताड़ित होई छथि ,दहेज हत्या ,बलात्कार ,वैश्यावृति,में कोनों कमी नहि देखल गेल अछि .बल्कि दिनों दिन महिलाक प्रति अपराध ब्ध्ले जा रहल अछि ..तखन उपाय कोन?
अपन देशक कानून महिला सब के बराबरि क अधिकार द चुकल छैक मुदा ओहि कानून के व्यवहार में लाबयक प्रयास केनाई त हमरे सभक कर्तव्य थिक .समाज में एखनो महिला के दोयम दर्जा देल जाईत अछि .बेटी के नेनपने सं सिखैल जाईत अछि जे ओ पुरुख सं हीन छैक . बुच्ची दाई पढाई में कतबो कुशाग्र किये न् होथि !अंग्रेजी स्कूल में बुचने के नाम लिखाओल जाईत छैक .संगहि ट्यूशन सेहो! .घर में जों माछ रान्हल गेल त माछक मूडा हुनके परसाई छनि , बेचारी बुच्ची दाई के पूछीये सं संतोष करय पड़ईत छनि ..
ई शोधक विषय हेबाक चाही जे पईघ भेला पर वैह बुच्ची दाई ,अप्पन बेटी संगे ओहने व्यवहार कियैक करैत छथि
एखनो युवा लड़की के सबसं अधिक संघर्ष अपने घर सं करय पडैत छैक .माय ,पितियाईन दादी ,सब ओक्कर पहिरब ओढब ,बात -विचार ,कत्तौ गेनाई-एनाई ,सब पर आपत्ति करैत छथिन. कियैक ने हम महिला सब अप्पन बेटी सब के एहन माहौल दी ,जाहि में ओ अप्पन व्यक्तित्व के सर्वांगीन विकास क सकय,अप्पन भविष्यक सपना साकार करय .सही मायने में महिला दिवस तखने सार्थक होयत .
नीता झा भागलपुर
08051824576