सबटा ख़ुशी अछि दमन पर ,
ऐगो हशी के लेल वक्त्त नहीं
दिन - राएत दोरते -दोरते दुनिया में ,
जिनगी के लेल वक्त्त नही
माय के लोरी के एहाशास त् छैन ,
मुद्दा माय कहैय के लेल वक्त्त नहीं
सब रिश्ता के त छोरी गेला ,
मुद्दा अंतिम संस्कार करैय लेल हुनका वक्त्त नहीं
सबटा नाम मोबाईल में छैन ,
मुद्दा दोस्तों से बात करैय वक्त्त नहीं
मन मर्जी व फर्जी के की बात करी ,
जिनका अपनोहु लेल वक्त्त नहीं
अखियों में बसल त् नींद बहुत ,
मुद्दा नींद से आराम करैय लेल वक्त्त नहीं
दिल अछि गमो से भरल ,
मुद्दा कानैय के लेल वक्त्त नहीं
टका - पैसा के दौर में एहन दौरी ,
की मुरीयो के तकय लेल वक्त्त नहीं
जे गेला हुनकर की कदर करी ,
जखन अपनही सपनों के लेल वक्त्त नहीं
आब अहि बताऊ हे जिनगी ,
अहि जिनगी के लके की हेतय
की ? हरदम जिनगी से मरेय बाला ,
जिबैय के लेल अछि वक्त्त नहीं
madan kumar thakur
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें