(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

बुधवार, 1 फ़रवरी 2012

सौराठ फेर चाही - किऐक?

सौराठ फेर चाही - किऐक?

१. दहेज मुक्त विवाह प्रोत्साहन लेल, नहि कि अपन बेटा के बेचैत ओकर भविष्य के एक अहंकारी परिवारके अहंकारी कनियांके हाथ निलामी लेल।

२. मिथिला के महान्‌ परंपरा जाहिठाम नहि सिर्फ वैवाहिक सम्बन्ध आ अधिकार निरीक्षण वा पंजियन होइत छलैक, लोक स्वतन्त्र वातावरणमें वर के चुनाव करैत छलैक बल्कि मिथिलाके लेल नव विकास के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण चर्चा-परिचर्चा सेहो होइत छलैक। आब विद्वत्‌ सभाके रूपमें एकर संरक्षण होइक चाही।

३. हर क्षेत्रके विकास में पर्यटन आ ऐतिहासिक महत्त्वके संरक्षण अत्यन्त आवश्यक छैक, तखनहि ताहि क्षेत्र के अस्मिता के जोगायल जा सकैत छैक। नहि तऽ क्रमशः सभ महत्त्व अपन महत्ता के मरैत छोड़ि देतैक आ तेकर बाद भविष्य में समुद्र के जगह हिमालय के कल्पना केवल आभास कैल जा सकैत छैक। अतः सौराठ पर्यटन के केन्द्र बनैक चाही आ एहि लेल समस्त मैथिलकेँ प्रण लेबाक चाही। मधुबनी सऽ सटल दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, अररिया, पुर्णियां, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढी, चंपारण आ समस्त मिथिला क्षेत्रमें नीक पर्यटन के विकास के संभावना छैक। एहि सभके लेल प्रथम विकास सौराठ सभके लेल दरबाजा खोलि सकैत छैक आ एहि लेल पुनः मिथिला के सशक्त समाज के प्रतिबद्ध बनबाक जरुरी अछि।

४. गुजरात में सोमनाथ महादेव स्वयं सौराठ में आबि बसलाह - एकर बहुत पैघ धार्मिक माहात्म्य सेहो छैक। लेकिन एहि लेल नहि तऽ कोनो चेतना क्षेत्रीय लोक में छन्हि जे एहि जगह के धार्मिक पर्यटन लेल विकास कैल जाय आ नहिये कोनो सरकारी पहल भऽ रहल छैक... आखिर सरकार बिना हमरा-अहाँके जगने किऐक जागत... ताहि हेतु सेहो सौराठ के सभागाछीके विकास अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करतैक।

५. दरभंगा राज क्षेत्र आ एहि संस्था द्वारा निर्मित अनेको जगह प्राचिन आ भव्य कलाकृति सभकेँ संरक्षण के संगहि अनेको एहेन महत्त्वपूर्ण धरोहर छैक जाहिके संरक्षण लेल स्वयं स्थानीय नागरिक पहिले जागैथ - प्रवासित भेल मैथिल आइ दुनिया में सगरो पसरल छथि आ क्रमशः अपन अतीत के सेहो ठुकराबैत छथि... एतेक तक जे गोसाउनि-कुलदेवता पूजन तक उठि गेल अछि... :( आ एहि सभसँ मिथिलाके गौरवमय अतीत स्वयं पिछड़ल जा रहल अछि। अतः सभागाछीके ताला खुलला सऽ एहि सभमें उल्लेखणीय परिवर्तन आ प्रवर्धन के गुंजाईश बढतैक आ मिथिलाके स्वरूप बदलतैक से विश्वास अछि।

अपने लोकनि सँ बेर-बेर निवेदन जे एहि विन्दुपर गंभीरतापूर्वक विचार करी आ मिथिलाके शुद्ध संस्करण निर्माण में सहायक बनी। विकास सेहो स्वतः पटरी पर आयत एहि विश्वास के संग समस्त जनमानसमें शुभकामना अछि।

नमः पार्वती पतये हर हर महादेव!

हरिः हरः!

सहयोगाकांक्षी:
दहेज मुक्त मिथिला परिवार
सौराठ सभागाछी, मधुबनी।

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