विषय: कवि एकान्त द्वारा चार-दिवसीय अनशन पर लोकक चुप्पी।
चारू कात मिथिला-मिथिला हल्ला मचल अछि लेकिन संगठित रूपमें कतहु किछु नहि! बड दु:खक बात जे दिल्लीमें एक युवा ४ दिनक अनशन करत मिथिला राज्य निर्माण वास्ते लेकिन एहनो घडी समर्थन देनिहार अनशनकारी लग तरह-तरहके सौदाबाजी कय रहल छथि। कियो ई कहैत जे अनशनकारी हमर संगठन - हमरहि छत्रछाया - हमरहि आदेश मानैथ तऽ कियो अन्य तरहक शर्त मुदा 'हम्मे-हम्मा गीत' गाबैत अनशनकारी के मानसिकता पर अत्याचार कय रहल छथि, ओतहि बिना कोनो पूर्व शर्त आ मिथिला राज्य लेल कैल जा रहल विरोधक कार्यक्रममें युवा द्वारा पहिले बेर एतेक पैघ जोशीला स्वरमें आगाज के स्वागत हेतु आगू आबयमें हिचकिचा रहल छथि। आखिर कियैक?
एतेक रास मैथिली साहित्य के सेवार्थ दिन-राति एक केने सुरेबगर रचनाकार सभ छथि मुदा कवि एकान्त के आह्वान प्रति नजैर ईमानदार नहि छन्हि - कियैक?
मिथिला आवाज लग सेहो कवि एकान्तके आवाज नहि पहुँचल अछि, कियैक?
कतेको तरहक मिडियाके डिबिया जरौनिहार खाली 'हम्मा-हम्मा गीत' कखन तक गाबैत रहता?
किऐक नहि कवि एकान्त के अनशन के मिथिला राज्य लेल एक टर्निंग प्वाइन्ट मानैत समस्त मिथिला-मैथिलीसेवीकेँ गूटनिरपेक्छ मंच सँ जुडबाक चाही आ बिना कोनो शर्त आगू आबि आन्दोलन के समर्थन करबाक चाही?
मिथिला राज्य के जे घरहिमें विरोधी छथि तिनको सोचब जरुरी जे आखिर युवा पीढीमें एहेन तरहक सोच आबि गेल, परिस्थिति कतहु ने कतहु ई दरशा रहल अछि जे अवस्था ठीक नहि अछि.... तखन बहानामें मिथिला राज्य लेल संग नहि देब आ कूतर्की बहस सँ निज--- होशियारी मात्रके प्रदर्शन करैत बेकार समय के बितायब, आखिर कतेक दिन?
ई आवाज थीक - एहि मंच सँ एक सर्वमान्य नेतृत्व चुनाव के! अपन-अपन विचार जरुर राखी!
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