(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

मंगलवार, 9 जुलाई 2013

अक्सर पूछल जायवाला प्रश्न आ उत्तर

  • अक्सर पूछल जायवाला प्रश्न आ उत्तर


    प्रिय द.मु.मि.के आगन्तुक! -

    हम सभ अनुभव कयलहुँ अछि जे दहेज मुक्त मिथिला अपन स्थापना मार्च ३, २०११ सँ एखन धरिक अत्यन्त कम अवधिमें एक अन्तर्राष्ट्रीय समूह बनि गेल अछि; शनैः शनैः समयक माँग अनुरूप बहुत रास सुधार सेहो लाओल गेल अछि जाहिसँ सहभागीजनकेँ सुविधा हो। पहिले ई पूर्णतः मैथिल हेतु मात्र समर्पित छल, कालान्तरमें एतय अन्यके सहभागिता देखैत हम सभ हिन्दी आ अन्य भाषाके सेहो मिथिलाक भाषा मैथिलीके अतिरिक्त मान्यता देलहुँ।

    आब देखयमें आबि रहल अछि जे आगन्तुक एहि समूहके बारे आ एकर प्रतिबद्धता के बारे जानकारी रखबाक लेल बेसी रुचि लऽ रहल छथि। अतः आजुक आवश्यकता एक ‘अक्सर पूछऽ जायवाला प्रश्न आ उत्तर’ के अछि जाहिसँ सभक जिज्ञासा के पूर्ण समाधान हो, एतय तक जे सदस्यगण पहिले सऽ सहभागी बनल छथि हुनकहु जानकारी के अभाव देखल जाइछ, अतः ई कदम हुनकहु लेल हितकारी बनत।

    एखन एकरा अहिना छोड़ल जा रहल अछि बिना कोनो प्रश्नक - अपने अपन तरहें प्रश्न निर्माण कय सकी। या, यस्वतः संज्ञान सऽ सामान्यतया पूछल जायवाला प्रश्न हम सभ स्वयं रखैत अपने लोकनिक जानकारी लेल सभ बात राखब।

    हरिः हरः!

    प्र. १. दहेज मुक्त मिथिला के परिचय संछिप्तमें?

    उ. एक जागृति अभियान! युवा के जागरण हेतु दहेज प्रथा के बढैत प्रकोप पर चर्चा के प्रोत्साहन! दहेज नहि लेब, नहि देब... धिया-पुता में सेहो नहि लेब-देब आ ने एहेन कोनो विवाह में सहभागी बनब जतय लेन-देन भेल हो।

    प्र. २. दहेज के परिभाषा?

    उ. सब किछु पसिन पड़ल, विवाह लेल तैयार छी... मुदा स्वेच्छाचार के विरुद्ध एक-दोसर पर माँग थोपैत छी। माँग कैल कोनो वस्तुके दहेज कहल जैछ। विवाह के पूर्व-शर्तमें एहेन माँग के मात्र दहेज कहल जाइछ जे सामान्य आवश्यक माँग - जेना नीक घर-वर, नीक बोल-वचन, नीक पढल-लिखल, नीक खानदान, सुन्दर आदर्श... ई सभ माँग मानवता के पोषक माँग थीक, एकरा दहेज नहि कहल जा सकैत छैक। ई सभ भावना के माँग भेल जे हर प्राणीमें नीक प्रति आकर्षण रखैछ। वस्तुतः माँग ओ भेल जे हमर बेटी लेल हमरा चान चाही, हमरा २ गो तारा आ वृहस्पति समान गन्धर्व-राजकुमार चाही... ओम्हर जे हमरा अलखचान स्वर्गक परी पुतोहु चाही, ग्रेजुएट आ विदुषी विद्योतमा चाही.. से सभ चाही आ चाह के युद्ध में अन्त के माँग जे मुद्रा एतेक चाही... बरियाती के स्वागत एना चाही... विवाह शहरे में हो... होटल में बरियाती के ठहराव हो... आ अनेको तरहक माँग जे वास्तवमें सामनेवाला के स्वेच्छा सऽ आ क्षमता सऽ बहुत दूर के वा कर्जा करय लेल बाध्यकर हो। एहेन माँग के हम सभ दहेज मानी। अर्थात माँगरूपी द्रव्य वा वस्तु वा थोपुआ भावना के हम सभ दहेज मानी। ओ दहेज नहि भेल जे दुनू पक्ष मनमर्जी सँ अपन सन्तानके विवाह उपलक्ष्य लेन-देन करय लेल तैयार छथि, करैत छथि वा करबाक इच्छा रखैत छथि।

    प्र.३ दहेजक विरोध किया? 
    उ. दहेजक विरोध के मूल कारण जे आइ के विकसित युग में हमर समाज में अखनो बेटा आ बेटी में असमानता मानल जा रहल अछि। बेटा अगर शिक्षित आ रोजगार सँ जुरल अछि तऽ पुतोहु चाही गुणी, शिक्षित, खानदानी आ तेकर संग दहेज़ के मोट रकम आ साज-समान आधुनिक युग मुताबिक। भले बेटा डॉ. अईछ आ पुतहु सेहो डॉ. तैयो बेटा बाला लेबे करता। एकटा गरीब बाप के बेटी जे सर्वगुण संपन्न अछि, मुदा पिता के पास पाई नहि छैन तांइ ओकरा मजबूरन बेमेल वियाह के लेल बाध्य होबय परैत छैक। लोक दहेज़ के प्रतिष्ठा सऽ जोरने जा रहल छैथ। फलाँ के बेटा के एतेक देलकैक तऽ हमर बेटा कि ओकरा सऽ कम अछि? ई प्रश्न दिन ब दिन एहि दहेज़ रूपी दानव के काया बढा रहल अछि। साधारण लोक आजुक एहि आर्थिक संकट के समय में अपन निर्वहन करय में असमर्थ भऽ रहल अछि, तइ पर ई दहेजक चिंता बहुतो के जीवन के सुख-चैन के बरबाद केने अछि। आब समय आइब गेल जे समाज के सब वर्ग एहि विकराल समस्या पर चिंतन करी.   

    प्र.४ दहेज अभिशाप कोना?

    उ. दहेज के शुद्ध स्वरूप तऽ परंपरा सँ केवल आशीर्वाद आ स्वेच्छाके प्रतीक रहल, मुदा कालान्तर में लोभ, लालच आ सौदागरी के कारण आब ई माँगरूप में परिणत भऽ गेल अछि। एकर दूरगामी प्रभाव एतेक खतरनाक जे लोक बेटी पैदा तक करय में डेराइत छथि, आधुनिक विज्ञानक विध्वंसक गति सँ कोइखमें बेटीके भ्रूण केर हत्या होवय लागल अछि। एकर दोसर दुष्प्रभाव ई जे लोक सस्ता-सुभिस्ता निबटय के चक्करमें बेटीके समुचित पढाइ सँ सेहो वंचित रखैत छथि। बेटी जातिकेँ समाजिक दुत्कार के कारण मनोबल गिरल जा रहल छैक आ लिंगभेदके सभ दुष्प्रभाव सऽ समाज पिछड़ल जा रहल अछि। समाजिक सौहार्द्र आ समग्र विकास के जगह विध्वंसक विचारधारा आ अनाचार-कदाचार बढल जा रहल अछि। कतेको बेटी उपेक्षित रहलाके कारण आत्महत्या सनक कलंकी कदम तक उठा लैछ। कतेको गरीबके बेटी अपन देह के बाजार में निलाम तक करय लगैछ। हर तरहें दहेज के चलते विकास ठमैक गेल अछि आ नित्य हिंसा-अत्याचार के चलते समाजक एक सशक्त अंग नारी अवहेलना के शिकार बनि रहल छथि। एकर बुराई तऽ हम किछु मात्र गना सकल होयब, एकर बर्बरता के सीमा नहि छैक जेना बुझा रहल अछि।

    प्र.५ दहेज मुक्त मिथिला कि दहेज मुक्त विवाह लेल आवश्यक कार्य करैत छैक?

    नहि! विवाह नितान्त व्यक्तिगत विचार आ रुचिके बात थीक। एहिमें भला कोनो संस्था कोना के प्रयस करतैक! बस, ई एक मुहिम थीक जे दहेज मुक्त विवाह लेल सभ सँ अपील करत। दहेज मुक्त विवाह करनिहार के सम्मान देत। दहेज के बुराई सभ के लोकक समक्ष राखत। आजुक नव पीढी के संग चर्चा करत जे आखिर कोनो परंपरा के रूप यदि बिगैड़ जाइत छैक तखन बोझ कतेक दिन तऽ उठायल जाय! दहेज के स्वच्छ परंपरा आब मरल लाश जेकाँ वातावरण प्रदूषित केने जा रहल छैक। एहि सँ महामारी पसैर रहल छैक। एहि लाश के संस्कार करब जरुरी छैक नहि कि एकरा लऽ के राजनीति वा समाजिक सम्मानके प्रतीक ठाड़्ह करब! एहि लेल आजुक पीढी जागैथ आ अपन बड़-बुजुर्गके बुझाबैथ। बस यैह सभ तरहक जागृति पसारबाक अभियानके नाम थीक दहेज मुक्त मिथिला। जी! यदि युवा एकत्र होइत छथि तऽ स्वयंसेवाके तर्ज पर किछु कार्य जरुर करैथ। जेना महत्त्वपूर्ण परंपरा के संरक्षण! एहि में वर्तमान समय सौराठ सभा के शुद्ध स्वरूप के संरक्षण लेल प्रयास करैत छैक। देश-विदेश पसरल समस्त मैथिल आइ इहो समस्या सऽ जूझि रहल छथि, अत: एहि लेल एवं मिथिलाक सम-सामयिक समस्या पर सामूहिक चर्चा लेल सेहो एक सांस्कृतिक पर्यटन केन्द्रके रूपमें लोकवर्गकें जमा होयब जरुरी।

    प्र.  हमर बेटी/ बहिन के विवाह मे दहेज देवय परल ताइ हमहूँ दहेज लेब। ई कतेक उचित?

    उ. किछू गोटे के कहब छैन जे हमार बहिन/ बेटी के विवाह मे दहेज देवय परल ताइ दहेज लेब। आब काहू जे जदी आई हमर घर मे चोरी भ जाई त की हमहूँ दोषर के घर चोरी करी। ई की उचित? आहाँ किया दहेज गननौ? एक बेर विरोध त करू। मानाई छि दिकत होयत मुदा दहेज रूपी दानव स लड़े त परबे करत। मात्र आरोपित कय आपण जिम्मेदारी स भगव की उचित?    



    www.dahejmuktmithila.org

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें