सब स पहिने दिल्ली कार्यक्रम के ले तमाम मिरानीसे सेनानी के हार्दिक शुभकामना, मिथिला राज्य के लेल प्रयास जाहि स्तर पर मिरानीसे द्वारा सम्भव अछि शायद कोनो दोसर मंच सा सम्भव नहीं अछि, पिछला एक दू साल में जे कोनो कार्यक्रम, जन जागरण और धरना प्रदर्शन वा नेतागण नेतागण संग भेट वार्ता काबिलेतारीफ छल।
आई मिथिला नहीं सम्पूर्ण देश और विदेशो में भी अलग मिथिला राज्य के मांग (मिरानीसे) द्वारा जे उठाओल जा रहल अछि से चर्चित अछि, संगहि एक टा बात (जे गंभीर अछि) जन समर्थन, और एक आवाज पर इकठ्ठा भेनाई महत्वपूर्ण अछि (उदाहरण : - जाई जगह जगह पर अपन मिरनिसे कार्यकर्ता प्रदर्शन करबाक लेल इकठ्ठा भेल डेल्ही पुलिस द्वारा हटा देल गेल और देश के सब स महत्वपूर्ण जगह पर १४४ के बाबजूद दिल्ली c. m द्वारा अपन समर्थक संग दू दिन तक भांगरा के कार्यक्रम भेल से पूरा देश देखलक और संगहि पुलिस और तमाम केंद्र सरकार के मंत्रीगण सेहो सहभागी भेल, कारण - धरना कोनो पार्टी प्रायोजित छल ताई लेल केंद्र सरकार सेहो अपन वोट के खातिर उपयुक्त कार्यवाई करय में हमेशा बचय के कोशिश कयलक) मतलब साफ अछि जे अगर धरना प्रदर्शन राजनीतिक होयत त सरकारो गम्भीरता स एक्शन लई छै ओना अगर कोनो आम धरना होयत ता याद आबैत अछि (बाबा रामदेव के रामलीला). अलग मिथिला राज्यक मांग शायद ही कोनो पार्टी एखुनका परिदृश्य में पूर्ण रूपेण समर्थन करत।
भाजपा सांसद कीर्ति झा जी द्वारा समर्थन स्वागत योग्य अछि,
एक टा सुझाव/निवेदन/जनाकांक्षा … जे किया नै मिरनिसे के एक राजनीतिक रूप देल जाय लगभग सब पदाधिकारी (मिरानीसे के) एक जन प्रतिनीधि के हिसाब सा कार्यरत छि और संगहि राजनीतिक परिवेश स छि ज्यादा तकलीफ नहि होयबाक चाही कारन राजनीतिक पार्टी के अपन एजेंडा होयबाक चाही जे मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय के पूरा करबाक लेल भेल अछि (अलग मिथिला राज्य) ई प्रमुख मुद्दा होयबाक चाही जन समर्थन जरूर जरूर भेटत। जमीनी स्तर पर हर मैथिल के अई संग्राम में सहभागिता लेल उत्साहित करबाक जरुरत अछि संगहि मिथिलांचल के हरेक गाव और शहर में सदस्यता अभियान चलेबाक जरुरत अछि.
ओना बिना राजनीतिक भेने सेहो सफलता भेटइ छै मुदा शनैः शनैः (एक बात और अगर झारखण्ड, विदर्भ, तेलंगाना, पूर्वांचल या और कोनो राज्यक मांग गैर राजनीतिक होईत त शायद अहि पर कार्यवाई सम्भव नहीं छल, झारखण्ड, तेलंगाना बनी गेल शीघ्रहि विदर्भ और उ.प में सेहो छोट - छोट राज्य बनी जायत कियाक ता हर पार्टी अपन नफा नुकसान देखति कार्यवाई करैत अछि से त आहाँ सभ लोकनि ज्यादा समझदार/जानकार छी).
अंत में - उपरोक्त विचार किछु ग्रामीण जनमानस और हमर अपन अछि हमर विचार स अगर किनको तकलीफ या ठेस पहुँचनि त हैम क्षमाप्रार्थी छी। —
आई मिथिला नहीं सम्पूर्ण देश और विदेशो में भी अलग मिथिला राज्य के मांग (मिरानीसे) द्वारा जे उठाओल जा रहल अछि से चर्चित अछि, संगहि एक टा बात (जे गंभीर अछि) जन समर्थन, और एक आवाज पर इकठ्ठा भेनाई महत्वपूर्ण अछि (उदाहरण : - जाई जगह जगह पर अपन मिरनिसे कार्यकर्ता प्रदर्शन करबाक लेल इकठ्ठा भेल डेल्ही पुलिस द्वारा हटा देल गेल और देश के सब स महत्वपूर्ण जगह पर १४४ के बाबजूद दिल्ली c. m द्वारा अपन समर्थक संग दू दिन तक भांगरा के कार्यक्रम भेल से पूरा देश देखलक और संगहि पुलिस और तमाम केंद्र सरकार के मंत्रीगण सेहो सहभागी भेल, कारण - धरना कोनो पार्टी प्रायोजित छल ताई लेल केंद्र सरकार सेहो अपन वोट के खातिर उपयुक्त कार्यवाई करय में हमेशा बचय के कोशिश कयलक) मतलब साफ अछि जे अगर धरना प्रदर्शन राजनीतिक होयत त सरकारो गम्भीरता स एक्शन लई छै ओना अगर कोनो आम धरना होयत ता याद आबैत अछि (बाबा रामदेव के रामलीला). अलग मिथिला राज्यक मांग शायद ही कोनो पार्टी एखुनका परिदृश्य में पूर्ण रूपेण समर्थन करत।
भाजपा सांसद कीर्ति झा जी द्वारा समर्थन स्वागत योग्य अछि,
एक टा सुझाव/निवेदन/जनाकांक्षा … जे किया नै मिरनिसे के एक राजनीतिक रूप देल जाय लगभग सब पदाधिकारी (मिरानीसे के) एक जन प्रतिनीधि के हिसाब सा कार्यरत छि और संगहि राजनीतिक परिवेश स छि ज्यादा तकलीफ नहि होयबाक चाही कारन राजनीतिक पार्टी के अपन एजेंडा होयबाक चाही जे मिरनिसे के जन्म एक महत्वपूर्ण विषय के पूरा करबाक लेल भेल अछि (अलग मिथिला राज्य) ई प्रमुख मुद्दा होयबाक चाही जन समर्थन जरूर जरूर भेटत। जमीनी स्तर पर हर मैथिल के अई संग्राम में सहभागिता लेल उत्साहित करबाक जरुरत अछि संगहि मिथिलांचल के हरेक गाव और शहर में सदस्यता अभियान चलेबाक जरुरत अछि.
ओना बिना राजनीतिक भेने सेहो सफलता भेटइ छै मुदा शनैः शनैः (एक बात और अगर झारखण्ड, विदर्भ, तेलंगाना, पूर्वांचल या और कोनो राज्यक मांग गैर राजनीतिक होईत त शायद अहि पर कार्यवाई सम्भव नहीं छल, झारखण्ड, तेलंगाना बनी गेल शीघ्रहि विदर्भ और उ.प में सेहो छोट - छोट राज्य बनी जायत कियाक ता हर पार्टी अपन नफा नुकसान देखति कार्यवाई करैत अछि से त आहाँ सभ लोकनि ज्यादा समझदार/जानकार छी).
अंत में - उपरोक्त विचार किछु ग्रामीण जनमानस और हमर अपन अछि हमर विचार स अगर किनको तकलीफ या ठेस पहुँचनि त हैम क्षमाप्रार्थी छी। —