मैथिलीक विकासक बाधा थिक
आजुक युवाशक्ति मिथिलाक
पढ़ि लिख कए बनि जाइ छथि
डाक्टर आ कलक्टर
मुदा नहि पढ़ि लिख सकैत छथि
मिथिलाक दू आखर ।
घरसँ निकलैत
ओ कहथिन "चलो स्टेशन"
लागैत छनि शंकोच
कहैमे की "चलू स्टेशन"
जेता जखन गामक चौकपर
लागत जेना
बसि रहला मैथिलीक कोखिपर।
सदिखन दूगोट समभाषी
बाजत अपने भाषा
परञ्च दू गोट मैथिल
जतबैलेल अपन प्रशनेल्टी
मैथिली तियागि कए
बजए लगता सिस्टमेटी
अपन माएक भाषासँ
प्रेस्टीजपर लागैत छनि बट्टा
लोग की कहतनि
संस्कारीसँ भs गेला मरचट्टा
संस्कारीसँ भs गेला मरचट्टा ।
@ जगदानन्द झा 'मनु'
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