(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 23 जुलाई 2016

मधुश्रावणी पूजा


 सम्पूर्ण मधुश्रावणी पूजा 

    मधुश्रावणी पूजा सैं पहिने लड़का बाला ओहिठाम लड़की बला  ओतय सं नोत जाइत अछिनोत में पांच टा रांगल सुपारी  पीरा कागज़ पर लाल कलम सं लिखल लड़का  पिता  नाम सं पता जाइत अछि . मधुश्रावणी पूजा  ओरिआओन जाहि कन्या के नव विवाह भेल छनि  सावन  चौठ  संध्या काल भिन्न प्रकारक फूल  पात तोरि रखैत छैथ जाहि   घर में पूजा होयत टकरा बढियां सैं साफ़ कय निचा देल चित्र  अनुसार अरिपन पडत 
पूजा  सामग्री –
गौरी बनेवाक लेल
साँझ खन भगवती ,महादेव ,ब्राह्मण ,हनुमान और गौरी कय गीत गाविदुईब,कांच हल्दी ,धनिया (कनी )मिला  गौर बनत,जकरा ढउरल सरवा पर एकटा सिक्का पर गौरी राखि पान  पात  झापि ,पान  पात  ऊपर सिंदूरक गद्दी राखि ललका कपडा  झापि भगवति लग राखि देवेइ I
पाँच टा मैना पात  पाँच टा केरा पात सासुर दिस सं  पाच टा मैना पात  पाँच टा केरा पात नैहर दिस सं रहत जाहि में सबटा पर पाँच पाँच टा बिसहारा सिन्दूर सं ,काजर सं ,पिठार सं  श्री खंड चानन सं लिखल जायत


 कुसुमावती,पिङ्गला,चनाई,एवं लीली  पूजा  लेल चारि गोट करा  पात  पुड़ा बनायल जायत
नैवेद्य  लेल – अरवा चावल,चूड़ा,चीनी ,आम,कटहल,केला,अंकुरी , चनाई  हेतु एकता डाली में अरबा चावल ,पैसा और एटा छाछी में दही रहत ,
बिन्नी के मोटरी में – धनी,धान,दुब ,हरिद ,सुपारी ,बड़ी इलाइची,लौंग ,छोटकी इलाइची (11 टा  ) पैसा सब के एक टा ललका कपडा में बाँधी के पोटरी बनायल जायत, 

पुरहर ,पातिल  ओहि के निचा में धान राखल जायत
गाय  दूध ,पान सुपारी ,गौरी  लेल फूल ,नीम  पात,नेबू,कुश,पाँच टा मईटक बिसहारा नैहर सं  पाँच टा सासुर सँ ।। 

 पहिल दिन  कथा
मौना पंचमी  कथा -
एक दिन एकटा बूढी स्नानक हेतु पोखैर गेलि  देखलखिन जे धार में एकटा चिकनी पात पर पाँच टा किछु लहलाहैत अछि I  जीव सब बूढी के कहलखिन जे –हे बूढी ! गाम जा  लोक सब के सूचित  दिअऊ जे आई मौनी पंचमी थिकैक से लोक सब अपना घर आँगन के निक जेकाँ पवित्र कय,स्नान कय पाँच टा मईटक आकृति बना ओहि में सिंदूर-पिठार लगा दूभि साईट देथिन  हुनका पर नेबोनीमक पात ,कुश चढेथिन I नव बर्तन में खीर  घुरजौर बनेती .ओकर बाद बिसहारा  पूजा कय हुनका दूध,लावा ,खीर  घुरजौर चढ़ा अपनों सब नेबो नीम खीर-घुरजौर के सेवन करैथ I जे कियो एही प्रकारे पूजा करता तिनका कल्याण हेतनि I
    बूढी गाम आबि सबके कहलखिन I सब गोटा बूढी के कहलानुसारे पूजा केलनि,मुदा किछु लोग एकरा मात्र खिस्सा बुझि अनठा देलैथ I जे सब पूजा केलैथ से सब  ठीक रहला मुदा जे नय केलैथ से सब राति में मरि गेल I गावँ में हाहाकार मचि गेल I सब लोग धार लग ओहि बूढी संगे फेर गेलैथ  देखलखिन जे पाँचो बिसहारा साँप ओहिना लहलहैत छेलेथ I सब हुनका आगु कल जोरि मुइला  जियेवाक उपाय पुछलखिन I तखन बिसहारा कहलखिन जे – पहिने   सब हमरा अनुसारे पावनि नहीं केलैथ ते सब मरि गेला ,आब एके उपाय जँ गाम में ककरो कराही में खीर-धोरजौर लागल हैत तँ ओकरा मूईल सब के मुँह में चटा देवैक   सब पुनः जीवित भय जेता मुदा आगु सं नियमित मौनी पंचमी के पूजा करता I
    गाम  लोक बिसहारा  कहलानुसार केलेथ  सब मुइल लोक सब पुनः जीवित भय गेला ,और सब गोटा बिसहरी माता  प्रणाम कई हुनका  क्षमा मंगलैथ I
बिसहारा  जन्म
   एक दिन गौरी महादेव सरोवर में जल क्रीङा करैत छलाह I संयोगवश शिव के वीर्य स्खलन भय गेल I महादेव ओकरा पुरैनिक पात पर राखि देलखिन I ओहि सं बिसहारा पाँचो बहिन  जन्म भेल I महादेव के अपना संतान पाँचो बिसहारा सं मोह भय गेल , प्रतिदिन सरोवर में स्नान लेल जाथिन  बङी -बङी काल धरि ओकरा सब संगे खेलैथ I गौरी  संदेह होमए लगलैन I  एक दिन महादेव के पाछु पाछु सरोवर तक गेलथ  ओतय शिव के अनका संगे खेलाइत देख क्रोधित भय गेलैथ  सब बिसहरी के फेकए लागलि I तखन महादेव हुनका बुझेलखिन जे  सब हुनकर बेटी छिएनि  कल्याणकारी छैथ I मृत्युभुवन में सावन मास जे एय पाँचो बहिन छी-जाया ,बिसहरी ,शामिलबारी  दोतलि के पूजा करतैथ  धन-ध्यान सं पूर्ण होयतथि  ओकरा सब तरहे कल्याण होयत I
कथा सुनला उपरांत नीचा लिखल बाचो बीनी सुनितीं - 
बाचो - बीनी
पुरैनिक पत्ता ,झिलमिल लत्ता ताहि चढ़ी बैसली बिसहरी माता I
हाथ सुपारी खोईंछा पान ,बिसहरी माता करती शुभ कल्याण “II
  देवता सब के प्रणाम करि बिनी  पोटरी कलश पर राखि सब जेष्ठ सब के प्रणाम करि ,पूजा बला साडी खोलि राईख देथिन,जकरा फेर सब दिन पूजा काल पहिरल जायत I
    साँझ में साँझ  कोहवर  गीत गायल जायत I एहिना मधुश्रावनी सं एक दिन पूर्व तक पूजा कथा  बीनी होईत रहत I
   पहिल दिनक मधुश्रावणी पूजा कथा समाप्त भेल , आगू क्रमशः दिन प्रतिदिनक पूजा कथा प्रेषित करैत रहब..कुनु त्रुटि लेल समस्त मिथिला सँ क्षमा चाहब..!!!

Neelam Jhaa 
 मिथिला मंथन

साभार - संस्कार मिथिला

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