(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शुक्रवार, 10 मार्च 2017

प्राणप्रियतम सुनू , जा रहल छी कहाँ रंगि दीय आइ हमरा , अहाँ रंग में ।


प्राणप्रियतम  सुनू , जा रहल छी कहाँ 
रंगि  दीय  आइ  हमरा , अहाँ  रंग में । 
छी  मातल   अहाँ  , मस्त  हमहुँ   सुनू 
पूर्ण  यौवन  हमर  ई अहाँक संग में  ॥  
                     प्राणप्रियतम  सुनू  -----
ई अवीर  कर -  कमल सँ  मलू  गाल पर 
आइ  गाबू   ई    होली ,  बिना  ताल  पर 
छन्द  स्वर लय  हेरा  कउ  परा  कउ चलु 
तजि दीय  लाज सबटा  ई हुड़दंग  में  ॥ 
                       प्राणप्रियतम  सुनू  -----
नेत्र   अछि   दुनू   देखु ,  शराबी  जेकाँ 
बकि  रहल  छी  ई  पत्रक जबावी जेकाँ 
अछि   पिपासी  अहाँके    दासी   प्रिय 
भरि  लीय आइ  हमरा , अहाँ  अंग में  ॥ 
                       प्राणप्रियतम  सुनू  ------
रंगल  अछि  वसुधा , रंगल अछि गगन 
ई  अहाँक  रंग  रंगल , हमर  देखु  मन 
रंग   होरी   के   झोरी   लेने   हाथ    में 
"रमण " देखू  पीने  मस्त अइ भंग  में  ॥ 
                      प्राणप्रियतम  सुनू ------
रंगि  दीय  आइ  हमरा , अहाँ  रंग में ।   
रचना कार - 

रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751

मंगलवार, 7 मार्च 2017

यद् राखब - मैथिली ठाकुर के 11 मार्च के 9 बजे सँ कॉलर्स टीवी पर



 हम सब एक बेर फेर जोर लगाबी , मैथिली ठाकुर के 11 मार्च के 9 बजे सँ कॉलर्स टीवी पर राइज़िंग स्टार बनाबय लेल  , वोट जरूर करब।
जय मैथिल - जय मिथिला  


https://www.facebook.com/pankajji13/videos/1388511897866523/

शनिवार, 4 मार्च 2017

मैथिली फगुआ गीत

॥  होरी  ॥ 

उमुख  अनुपम आनन्द  वारि  । 
लायल   होरी   रंगक     विहारि  ॥ 


 जागल  जन -जन  अभिनव  तरंग  
हास्यक   श्रोते   बहि  रहल  बयंग 
निर्भय   विभोर  नाचथि   अनंग  
शंकोच  नीङ   नयनन सँ  गरि   ॥ 
                   लायल   होरी ------
डम्फा      मजीर    भंकृत     मृदंग  
ध्वनि श्रवण पावि  जन - मन  मतंग 
विजया     छानल      अदैत     रसो  
अगणित   लोटे   भरि    कंठ   ढारि ॥  
                    लायल   होरी ------
सब   रास    रंग  में   भेल    लिप्त  
तन   लाल  - लाल ,  मनमोद  तृप्त 
निरखत    नयनन   मुख चंद्र   चारु 
घनश्याम   आइ   घनपट  उधारि  ॥ 
                      लायल   होरी ------
सब जन  अजाति , जानजाति  एक 
नञि    राग - द्वेष     मर्याद -  टेक
उन्मत      भेल    नर -  नारि    वृंद  

कुंकुम    कोपल  मेलय   पछारि  ॥ 
                      लायल   होरी ------ 
अभक्ष्य  हास्य   मुख - गारि छम्य 
वैभव   अभाव   नयि   तकर  गम्य 
सुख - शांति  सुमन  केर  वृक्ष  रोपि  
चिन्ता - बट   चित  फेकल  उखारि ॥
                      लायल   होरी ------
अश्लील   युक्त   सब  गीत - नाद 
श्रवणे  हुलास ,  नयि  जन विषाद  
प्रेमक      वाती      उसकाय    उर्घ  
कामागिन  - कुण्ड  में  घीव  ढारि  ॥
                      लायल   होरी -----
ताम्बूल     तबक    आदर्श    थिक
अघरासव     सँ    अनुराग     पीक
ई स्वर्ण - पर्व , जन  मधुर मिलन
अपवर्ग    आई    आनल     उतारि  ॥
लायल   होरी ------
चउमुख    अनुपम  आनन्द   वारि  । 
लायल     होरी     रंगक     विहारि  ॥ 

रचना कार - 

रेवती रमण झा " रमण "
ग्राम - पोस्ट - जोगियारा पतोर
आनन्दपुर , दरभंगा  ,मिथिला
मो 09997313751