मंगलवार, 9 अक्टूबर 2018
सोमवार, 1 अक्टूबर 2018
शुक्रवार, 28 सितंबर 2018
रमण दोहावली
|| रमण दोहावली ||
1. तिनका - तिनका लाय के , जोरि लियो संसार ।
"रमण" एकहि तूफ़ान में , डूब गयो मझधार ।।
2. वो चाहे तो सब करे , "रमण" मनोरथ नहि ।
मृत्यु जनम के जाल में , जीव सकल भव - माहि ।।
3. नाही हर्ता कोउ कर्ता , नाही भोग अभोग ।
रे मनुआँ जिद नाहि कर , विधि का सब संयोग ।।
4. झरेतो पत्ता देख के , झरे जगत के नैंन ।
जब बसन्त ऋतु आइहे , "रमण" मिले सुख चैन ।।
5. मूरख को समझात है , ज्ञानी घर - घर जाय ।
"रमण" वारी अब तेरी , तुझे कौन समझाय ।।
6. ज्ञान करम से होत है , करम से हो अज्ञान ।
मानुष ऐसा करम कर , "रमण" मिले भगवान ।।
7. जाके मन मंदिर भया , हृदय ज्ञान आगार ।
काबा काशी छारि के , "रमण" सुगम दरवार ।।
8. दिनहि गवाँयो कपट में , रात गवाँयो सोय ।
धरम साँस एक नहि दियो , "रमण" तू काहे रोय ।।
9. पंडित फेरे डाल दी , जीमै सकल बरात ।
दिल दरिया तूफ़ान में , गई सुहागन रात ।।
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob - 9997313751
1. तिनका - तिनका लाय के , जोरि लियो संसार ।
"रमण" एकहि तूफ़ान में , डूब गयो मझधार ।।
2. वो चाहे तो सब करे , "रमण" मनोरथ नहि ।
मृत्यु जनम के जाल में , जीव सकल भव - माहि ।।
3. नाही हर्ता कोउ कर्ता , नाही भोग अभोग ।
रे मनुआँ जिद नाहि कर , विधि का सब संयोग ।।
4. झरेतो पत्ता देख के , झरे जगत के नैंन ।
जब बसन्त ऋतु आइहे , "रमण" मिले सुख चैन ।।
5. मूरख को समझात है , ज्ञानी घर - घर जाय ।
"रमण" वारी अब तेरी , तुझे कौन समझाय ।।
6. ज्ञान करम से होत है , करम से हो अज्ञान ।
मानुष ऐसा करम कर , "रमण" मिले भगवान ।।
7. जाके मन मंदिर भया , हृदय ज्ञान आगार ।
काबा काशी छारि के , "रमण" सुगम दरवार ।।
8. दिनहि गवाँयो कपट में , रात गवाँयो सोय ।
धरम साँस एक नहि दियो , "रमण" तू काहे रोय ।।
9. पंडित फेरे डाल दी , जीमै सकल बरात ।
दिल दरिया तूफ़ान में , गई सुहागन रात ।।
रचनाकार
रेवती रमण झा "रमण"
mob - 9997313751
बुधवार, 4 जुलाई 2018
मिथिला क्रान्ति सन्देश - रेवती रमण झा "रमण"
|| मिथिला क्रान्ति सन्देश ||
घायल नहिं खाली भाषा
पौरुषे भेल अछि घायल ।
क्रान्ति - वाहिनी कफन बान्हि
ललकार दैत अछि आयल ।
पराधीनहि जे रहि कS जीबैए
भाषा अनके जे सब दिन बजैए
ओ अइ रखने अपन वियर्थ जीवन
द्वारि अनकर जे सबदिन निपैए
पराधीनहि जे.......
मातृ-स्नेहके जे बिसरि गेल अइ
अपन अधिकारर्सँ जे ससरि गेल अइ
ओकर कुकुरो सं वत्तर छै जीवन
सतत् अनकर जे तीमन चटैए
पराधीनहि जे.......
की भरोसे करू संग कक्कर देतै
जे ने मायक भेलै ओकि अनकर हेतै
सुधा-सरिता बिसरि कS अपन मैथिलीक
घोरि माहुर जे अपने पिबेए
पराधीनहि जे.......
चुप मिथिला के वासी कियक भेल छी
मातृ भाषा कि अप्पन बिसरि गेल छी
दुष्ट देलक दखल यौ अहाँक घरमे
गीत देखू विजय केर गवैए
पराधीनहि जे.......
ताकू एम्हरो,ककर आँखि नोरे भरल
एक अवला बेचारी बिपति में पड़ल
"रमण" देखू अतय लाख संतति जकर
चुप करै लै ने एक्को अबैए
पराधीनहि जे रहि कS जीबैए
भाषा अनकर जे सब दिन बजैए
रचनाकार
बुधवार, 27 जून 2018
मंगलवार, 26 जून 2018
कृषी गीत - रेवती रमण झा " रमण "
|| कृषी गीत ||
हर वरद सं नाता जोरू ढेला फोरु यौ
नोकरिक आशा तोरु यौ ।।
सगर रत्न सं राजित वसुधा
सबटा पूर्ति करैया
बसुधा मैया सब दुःख हरती
हिनका कोरू यौ ,, नोकरिक......
कतवो आनक करब चाकरी
जीवन रहत गुलाम
अपन स्वतन्त्रे माटिक पूजा
प्रेम सं करु यौ ,, नोकरिक........
नव-नव धान गहूँम मकैयक
आब सींस लहरायल
बनि कय आब किसान
माँटि सं रत्न बटोरू यौ ,, नोकरिक..
"रमण" सुमन मिलि अन्नसं भरतै
कोठी आओर बखारी
पहिरब गहना साड़ी
एमहर मनमा मोरु यौ
नोकरिक आसा तोरु यौ
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
गुरुवार, 21 जून 2018
मिथिकला केर थि इहय दलान - रेवती रमण झा " रमण "
कहाँ गेलौ यौ बैसु बाउ ।
लिय तमाकुल तेजगर खाउ ।।
पढ़ि लिखि करब छीलब की घास ।
विदाउट इंग्लिश परमोटेड पास ।।
धरु अपन पुस्तैनी पेना ।
पूर्व पितामह कैलनि जेना ।।
करू घूर करसी सुनगाउ ।
खटरस चुटकी बात बनाउ ।।
इंजीनियर भेल कते कनै छथि ।
झामगुरि सब दिन गनैछथि ।।
पढ़ि लिखि करत कहु की क कय ।
घरक कैंचा अपन द कय ।।
होउ दियौ चुटकी सरिया कय ।
फुरत बात तखन फरिया कय ।।
तेजगर पात तमाकुल मगही ।
चुनबैत लागत खन-खन बगही ।।
सेकू हाथ दुनू सरिया कय ।
लीय तमाकुल चून मिला कय ।।
नोकर चाकर अनकर नोकरी ।
तै सं अपन उठायब टोकरी ।।
ओ कि माइक जनमल बेटा ।
हम की माइक उपजल टेटा ।।
उपजायब खायब घर चोकर ।
कलम वला के राखब नोकर ।।
सब सं बुद्धिक बुद्धू हम ही ।
मोछक उठल हमरो पम्ही ।।
हम की माउग थिकौं अग्यानि ।
अनकर बात लेबै हम मानि ।।
होउ तरहथ दय दीयौ चाटी ।
अंग्रेजिया छोरु परिपाटी ।।
उरत चून नहि काटत ठोरो ।
कि, धरफर करू गिनै छी कोरे ।।
पान करू रस चुसि - चूसि कय ।
मिथ्या नै छी कहैत फूसि कय ।।
खोलू पानबटा परसू पान ।
ई मिथिला केर थिक दलान ।।
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
गुरुवार, 7 जून 2018
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