|| कृषी गीत ||
हर वरद सं नाता जोरू ढेला फोरु यौ
नोकरिक आशा तोरु यौ ।।
सगर रत्न सं राजित वसुधा
सबटा पूर्ति करैया
बसुधा मैया सब दुःख हरती
हिनका कोरू यौ ,, नोकरिक......
कतवो आनक करब चाकरी
जीवन रहत गुलाम
अपन स्वतन्त्रे माटिक पूजा
प्रेम सं करु यौ ,, नोकरिक........
नव-नव धान गहूँम मकैयक
आब सींस लहरायल
बनि कय आब किसान
माँटि सं रत्न बटोरू यौ ,, नोकरिक..
"रमण" सुमन मिलि अन्नसं भरतै
कोठी आओर बखारी
पहिरब गहना साड़ी
एमहर मनमा मोरु यौ
नोकरिक आसा तोरु यौ
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
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