(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

रविवार, 10 अक्तूबर 2010

इ कहानी 1352-1448 बिचक अछि जाही में महा कवी विद्यापति के जन्म बिस्फी गाम में भेलानी और ओ मैथिलीक बहुत पैघ कवी भेला जिनका कबी कोकिल के उपाधि देल गेलनी और ओ महादेव के बहुत पैघ भक्त सेहो छलाकवी विद्यापतिक रचना एतेक प्रभाबी होईत छलनी जे जखन ओ आपण रचना के गबैत छला त कैलाश पर बईसल भगबान महादेव प्रशन्न भ जाईत छला और हरदम हुनक रचना सुनबाक इच्छा राखैत छला, ई इच्छा एतेक बड़ी गेलनि जे ओ एक दिन माता पार्वती के कहलखिन " हे देवी सुनु, हम मृत्युलोक जा रहल छी कवी विद्यापतिक रचना हमरा बहुत नीक लागैत अछि और हमर मोन भ रहल अछि जे हम हुनका संगे रही क' हुनक रचना सुनी, त अहां अही ठाम कैलाश में रहू और हम जा रहल छी मृत्युलो" और रचना सुनबाक लेल धरती पर आबी गेला, और विद्यापति के ओतै नौकर बनी क उगना के नाम स काज कर लागला ओ विद्यापतिक चाकरी में लागी गेला ओ हुनकर सब काज करथिन हुनका पूजक लेल फूल और बेलपत्र तोरी क आनैथ बरद के चरबैथ सब चाकरी करैत और राइत में सुत्बा काल में हुनकर पैर सेहो दबबैथ (धन्य ओ विद्यापति जिनक पैर देवक देव महादेव दबबैथ) अहि प्रकारे जखन बहुत दीन बीत गेल, ओम्हर माता पार्बती बहुत चिंतित भ गेली हुनका लगलैन जे आब महादेब मृत्यु लोक स वापस नै एता, और ओ हुनका बापस अनबाक प्रयास में लैग गेली, ओ क्रोध के आदेश देलखिन जे आहा जाऊ और विद्यापतिक पत्नी सुधीरा में प्रवेश क जाऊ जाही स उगना द्वारा कोनो गलत काज भेला पर सुधीरा हुनका मारी क भगा देती, लेकिन माता पार्वती के इ प्रयाश सफल नै भेलैन तखन ओ दोसर प्रयाश केलि ओ प्याश के कबी विद्यापतिक ऊपर तखन सवार क देलखिन जखन ओ एकटा जंगल के रास्ता स उगना संगे राजा शिव शिंह के ओतै जारहल छला ओ घोर जंगल छलाई ओत दूर दूर तक ज'लक कोनो आस नै छलाई और ओही बिच में कवी विद्यापति प्याश स तरपअ लागला "रे उगना जल्दी सँ पाइन ला रउ नै ता हम मइर जेबउ बर जोर स प्यास लागी गेलौ" कहैत जमीन पर ओन्घ्रे लगला, आब उगना की करता ओ परेशान भ गेला एम्हर उम्हर पाइन के तलाश में भट्क' लगला हुनका पाइन नै भेटलैन, तखन ओ एकटा गाछक पाछू में नुका गेला और अपण असली रूप धारण क' अपन जटा सँ गंगाजल निकालला' और फेर उगनाक रूप धारण क विद्यापति के ज'ल देलखिन, विद्यापति जल पिबैते देरी चौक गेला ओ उगना स पूछ' लागला " रे उगना इ त गंगाजल छऊ, बता एता गंगाजल कत स अन्लाए" आब उगना की करता ओ कतबो बहाना बनेला लेकिन हुनकर एको नै चलल, ओ कि करता हुनका विबश भ अपन रूप देखाब' परलानी और ओ अपन असली रूपक दर्शन कवी विद्यापति के देलखिन, विद्यापति महादेवक अशली रूपक दर्शन करिते देरी चकित रही गेला और हुनक चरण पर खसी क हुनका स छमाँ माँग' लागला "प्रभु हमरा छमाँ करू हम अहां के चिन्ह नै सकलौं हमरा स पहुत पैघ अपराध भ गेल" तखन हुनका उठाबैत महादेव कहलखिन "हम आहा संगे एखन और रहब, लेकिन हमर एकता शर्त अछि जे आहा इ बात केकरो स नै कहबनी और जखने आहा इ बात केकरो लंग बाजब ओही छन हम अहाँ लंग स चली जायब" विद्यापति शर्त के मंजूर करैत और दुनु गोटे राजदरबार के तरफ चली गेला, माता पार्बती के इहो प्रयाश सफल नै भेलैन. तखन एक दिन उगन के बेलपत्र लावय में कनिक देरी भ गेलनि ताहि पर सुधीरा एतेक क्रोधित भ गेली कि ओ चुल्हा में जरैत एकटा लकड़ी निकली क हुनका मारबाक लेल उठेल्खिन "सर'धुआ आय तोरा नै छोर्बाऊ तू बड शैतान भ गेला हन हमर बच्चा सब भूख स बिलाय्प रहल अछि और तू एतेक देर स बेलपत्र ल' क' एलै हन" कहैत हुनका दिश बढ़लखिन, तखन विद्यापति स देखल नै गेलन्हि और ओ बजला "हे हे इ की करैत छि इ त साक्छात महादेव छैथ" और एतबे कहिते महादेव गायब भ गेलखिन, फेर विद्यापति हुनका जंगले जंगले तक' लगला और "उगना रे मोर कतै गेला" गबैत रहला लेकिन उगना फेर हुनका नै भेटलखिन, और ओ अपन प्राण तियैग देलखिन I
ओ स्थान जाहि ठाम देवक देव महादेव कवी-कोकिल विद्यापति के अपन अशली रूपक दर्शन देने छलखिन ओही ठाम "बाबा उगना" के मंदिर छैन और ओहिमे शिवलिंग जे छाई से अंकुरित छाई, जेकर कहानी किछु एहन, छाई जे एक बेर गामक एक बुजुर्ग ब्यक्ति के महादेव सपना देलखिन की "हम एकता गाछक जैर में छी" और ओतै बहुत पैघ जंगल छलई तखन गामक लोक सब तैयार भ क ओय ठाम गेला और पहुँच क जखन खुदाई केला त देखलखिन की एकटा बहुत सुन्दर शिवलिंग छाई, सब गेटे बहुत खुश भेला और विचार भेलय की हिनका बस्ती पर ल चलू ओय ठाम मंदिर बना क हिनक स्थापना करब और हुनका उठेबाक लेल जखने हाथ लगेलखिन की ओ फेर स जमीन के भीतर चली गेला, फेर स कोरल गेल और हुनका निकलवाक प्रयाश कैल गेलई, इ प्रयाश दू तीन बेर कैल गेल मुदा सब बेर ओ जमीन के भीतर चली जायत छला, तखन सब गोटे के बुझबा में एलईन जे इ अहि ठाम रहता और अय ठाम स नै जेता, तखन ओही ठाम साफ सफाए कैल गेल और तत्काल मंडप बनैल गेल और बाद में मंदिरक निर्माण सुरु भेल जे १९३२ में जा क तैयार भेल और अहि मंदिरक परिसर में ओ अस्थान सेहो अछि जाहि ठाम महादेव अपना जटा स गंगाजल निकलने छला और आय ओ इनारक रूप में अछि जेकरा "च्न्द्रकुप" के नाम स जानल जैत छाई और एखनो ओकर जल शुद्ध गंगाजल छाई, जे लैब टेस्टेड छाई !
दरभंगा के एकटा बहुत प्रशिद्ध डॉक्टर अपना मेडिकल लैब में एकर टेस्ट केने छलखिन और ओ अय बात के सुचना ग्रामीण सब के देलखिन जे अय में पूरा गंगाजल के तत्व बिद्यमान अछि, और इ दोसर रुपे सेहो टेस्टेड छाई, अय जल के यदि अहां बोतल में राखि देबय ता इ ख़राब नै होइत छाई
इ स्थान मधुबनी जिलाक भवानी पुर गाम में स्थित अछिएत' सब गेटे एकबेर जरुर आबी, एही स्थानक कुनु तरहक जानकारिक लेल अहां हमरा स संपर्क क सकैत छि"जय बाबा उग्रनाथ"
बसंत झा
e-mail- jha.basant@gmail.com
9310350503

1 टिप्पणी:

  1. bahut nik bhai ji sahi marg darshan delo , aai se 12 sal pahine ugna mahadev ke darshn keno chhelo ,man bahut khushi bhel aa shanti seho bhetal , aab pardeshi bhagelo tahi dware nahi jay pabait chhi , jahiya pher kahiya baba ke mahima hetain ta khiyo ohi raste gujarab ta marg darshan hoyat ,जय बाबा उग्रनाथ,

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