बचाऊ माईक लाज
फेर हमर धरती भेल रंजित,फेर छाती पर फाटल बम,
सुरक्षि छी, विश्वास भेल भंग॥कतेक घरक तारा टूटल,
कतेक माथक सिन्दुर लुटल,
कतेको आँचर भेल सुन्न,कतेक माथक सिन्दुर लुटल,
कतेक दिन देखैत रहब मतसुन्न?
की हमर नहि कोनो कर्तव्य?
निराकरण मे नहि कोनो अधिकार?
की हम कडोरो, सब बेकार?
कखन धरि सहब?
कतेक बेर मरब?
आऊ देशक सब कर्णधार,
करू युगपरिवर्तणक संखनाद,
उखारि फेकू आतंकतावाद,बचाउ फेर एक बेर माइक लाज्॥
Kripa Nand Jha
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