(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

मिथिला कऽ संस्कृति अनुपम : गृहमन्त्री – करुणा झा



मिथिला कऽ संस्कृति अनुपम : गृहमन्त्री  – करुणा झा

मिथिला कऽ संस्कृति जौ नई रहत तऽ नेपालक पहचान नई रहत, 
मिथला सँ मात्र अहि देश के पहचान अछि । आ विद्यापति पुरे राष्ट्रकारी छथि, एहन कहब अछि गृहमन्त्री आ उपप्रधानमन्त्रीको विजय गच्छेदार अपन प्रमुख अतिथी के आसन बाजैत विराटनगर में विद्यापति स्मृति पर्व के अवसर पर कहलनि ।

    मैथिली सेवा समिति, के आयोजना में विराटनगर में (१३–१४) यानी २८–२९ दिसम्बर के विद्यापति सृमति पर्व पुरे धूमधाम आ हर्षौल्लास के संग सम्पन्न भेल अछि । मैथिली सेवा समिति के अध्यक्ष शंभू नाथ झा के अध्यक्षता तथा नेपालक गृह एवं उपप्रधानमन्त्री विजय गच्छेदार के प्रमुख आतिथ्य मे पडोसी देश भारत के विभिन्न प्रान्तक के व्यक्तित्व लोकनि उपस्थित छल । फारविसगंज के सांसद सुखदेव पासवान अररिया के विधायक तथा पटना के मैथिली आकादमी के व्यक्ति लोकनि सब मिथिला राज्य दुनु देश में अपरिहार्य रहल बतौलनि । अई समारोह में मिथिला के कला संस्कृति सँ संबन्धित प्रदर्शनी सेहो लगायल गेल छल । मशहुर मिथिला चित्रकार एस.सी. सुमनद्वारा एकल मिथिला चित्रकला प्रदर्शनी लगाल छल । मैथिली साहित्य के पुस्तक सब सेहो छल ।

    कार्यक्रम क शुरुआत मिथिला के अहिबात पातिल में दीप जरा क प्रमुख अतिथी उद्घाटन केलनि आ मिथिलाञ्चल के मशहुर गायक विरेन्द्र झा, संजय यादव आ अनु चौधरी विद्यापति रचित गोसाउनी गीत सँ शुभारंभ केलनि ।

    अहि अवसर पर मैथिली सेवा समिति तथा दहेज मुक्त मथिला के तरफ सँ किछु विशिष्ट व्यक्ति सबके सम्मान सेहो कएल गेल । दहेज मुक्त मिथिला के दिस सँ विना दहेज के विआह केनिहार दु टा मैथिल वर के मिहर  झा आ चन्दन झा जी के सम्मान पत्र आ उपहार देल गेलनि । उद्घाटन सत्र में पटना के देवेन्द्र झा, राँची के सियराम “सरस” आ राजविराज सँ अमरकान्त झा, करुणा झा लोकनि अपन अपन मन्तव्य व्यक्त केने रहथि । सम्पूर्ण कार्यक्रम के संचालन मैथिली सेवा समिति के महासचिव प्रवीण नारायण चौधरी केलनि ।


सोमवार, 24 दिसंबर 2012

पश्चाताप

हम छलौं ग़मगीन दुःख में ,
ओ मगन उल्लास में .
हम पहिरने मैल कपड़ा ,
ओ कीमती लिबास में .
हमरा नै कियो पुछै छ्लै ,
ओ प्रतिष्ठित समाज में ।
ओकर जिन्दगी वैभव स भरल ,
हम भटकैत बदहवास में .
ओ छल हमर सहोदर भै ,
नैन्ह्पन में भ गेलौ बिना मै-बाप के ।
ओकर विवेक ओकरा सिखौलक ,
के सिखैबतै हम अनाथ के .
हमर हाथ में गुल्ली -डन्टा,
सैद्खन किताब ओकर हाथ में।
हम जाई छलौ इमली तोरअ ,
ओ बैसल किलास में .
हमरा यार दोस के कमी नहीं ,
ओ असगर मगन किताब में .
हम इम्तिहान में फेल भ जाई छलौ ,
ओ सब परीक्षा में पास .
ओ भ गेल आब सरकारी अफसर,
हम कटइ छी घास .
हम जुझै छी रोटी-दाइल लै ,
ओ करैया भोग-विलास .
आब होइया की पैढ़ लैतौ त ,
ई दिन नै देखअ पैरतै ,
अपन भै के एशोआराम स ,
इ ह्रदय कहियो नै जैरतै .
(रूचि)

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

बुद्धि के मिथिला संपन्न आ मैथिल निर्धन


शुभ नारायण झा 
समस्त वसुधा मे सर्वविदित अछि जे मैथिल बुद्धि जिवि होइत अछि, विद्वताक भण्डार होइबाक प्रमाण हजारो लाखो साल पाहिले स लिखल शास्त्रादी मे खुबे एकर प्रमाणिकता भेटल। प्रत्येक युग मे मिथिलाक ज्ञान मीमांसा के चित्रण सदैब व्याप्त रहल अछि। याग्व्ल्लक, गौतम, जनक संग वाचस्पति, विद्यापति, अयाची, धरि मिथिलाक विद्वान्क परम्परा के निभावैत, हरिमोहन झा, नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी, फनेश्वर नाथ रेनू, राजकमल चौधरी इत्यादि विद्वान् अधावधि अफरजात यशस्वी रहलाह अछि।



युग विज्ञानक अयाल तs कहू क्षेत्र मे अपार वैज्ञानिक सभ मिथिलाक बुद्धिजीवी होयबाक परंपरा के अप्पन उपलब्धि संग धोत्तक बनल छथि। हिनकर संख्या तs एतेक अछि जे उल्लेख करवा काल सबटा सीस आटिये बन्ह्बाक सदृश्य बुझने अति द्वन्द भए जाएत।
बुद्धिक खेल शतरंज मे तs श्री राम झा के कृति के के नै जनैत अछि? आईएएस, आईपीएस डा. इंजिनियर के तs गिनती पहाड़ ढहबाक सदृश्य होमत। अप्पन दुनिया के भाषा संग करब तs मैथिली विविध प्रकारेण अतुलनीय रहत। एक मात्र भाषा संस्कृतिये लsग नतमस्तक भs सकैछी, किएक नै हो। ओ देब भाषा समस्त देब भाषाक जननी जे छैथ। 

    हम कोनो बुद्धिजीवी रचना वा एकर कृति पर चर्चा नै करब किन्तु जाही क्षेत्र मे ऐना अनंत प्रतिभा भरल पुरल हो ओ क्षेत्र अपने किएक विभिन्न क्षेत्र मे पछुआयल अछि? हम बिना कोनो उदाहरणार्थ प्रमाण देने, अप्पन उम्रक पच्चास के नज़दीक अवैत जतबा प्रदेशक भ्रमण मे घाट घाट के पाइन पिवैत जे किछ अनुभव प्राप्त कएल। ताहि सs आर्यावर्त मे मैथिल स विशिस्ट होयबाक कोनो क्षेत्रक भूभाग नै भेटल। जतs भौगोलिक की बौद्धिक रूप सs ओ क्षेत्र विशेष प्रखर हो। वा कोनो स्वरूपे मैथिल सs बेसी प्रखर बुद्धि रखवा मे सामर्थ हो। ओ बात दोसर जे विभिन्न क्षेत्रक व्यक्ति विशेष क्षेत्र मे जरुर समस्त दुनिया मे एक सs एक नाम कs अपन क्षेत्रक प्रतिनिधित्व मैथिल के तुलना मे बहुत रास केने छैथ मुदा अग्रणी वर्गाक लोक, सार्वजानिक रुपे बुद्धिजीवी, विशेषतः मिथिला मे अछि ई बात मोने पडत। जे प्राकृतिक शारीरिक नकार शिकार सेहो एकर लोक कला आ संस्कृति तs दुनियाक कोनो सांस्कृतिक धरोहर के तुलना मे अधिकाधिक अछि, मिथिला धरे-धरे विविध कला मे माहिर कलाकार अछि जे बिना कोनो विशेष प्रशिक्षण के कलाक क्षेत्र मे अप्पन परम्परे सs पारंगत अछि। एतुक्का खान पानक शैली, पहिरवा-ओढ्बाक सोच, धर्म आ संस्कार परंपरा, इज्जत आ प्रतिष्ठा के मूल्य, सदैव सs उत्तोमतम मानल गेल अछि। अध्यात्म स जुडल ज्ञान एवं आचरण मे सद्गुण भरल पूडल छैक। पंचदेवो पाशक मैथिल सदगुण पर चलैत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे सुफल प्राप्त करैत रहल अछि तखन की कारन छै जे मैथिल के क्षेत्रीय सार्वजानिक विकास एखनहु साधारण छै? ई विषय प्रत्येक मैथिल के आत्मा मंथन योग्य अछि।

     जखन हम अपन भावना सs दोसर के भावनाक थाह लेवाक कोशिश करैत छी तs बहुत रास सर्वमान्य कारण नज़ैर अवैत अछि। पहिल तs ई जे नेनमैते सs हमरा सब के धुरक आइग तथैव अनकर खिदांस पर विशेष परिचर्चा करैत रहवाक पारंपरिक दुर्गुण अछि जे हमरा सबके अप्पन ज्ञानक विशेष हिस्सा के नकारात्मक कर्म मे व्यय भs जाइत अछि।अनकर खिदांस करवाक पीछा हमरा सबके एक दोसरक प्रति परस्पर ईष्याक धोत्तक अछिबद्धि के मिथिला संपन्न आ मैथिल निर्धनसमस्त वसुधा मे सर्वविदित अछि जे मैथिल बुद्धि जीवी होइत अछि, विद्वताक भण्डार होइबाक प्रमाण हजारो लाखो साल पाहिले स लिखल शास्त्रादी मे खुबे एकर प्रमाणिकता भेटल। प्रत्येक युग मे मिथिलाक ज्ञान मीमांसा के चित्रण सदैब व्यप्त रहल अछि। याग्व्ल्लक, गौतम, जनक संग वाचस्पति, विद्यापति, अयाची, धरि मिथिलाक विद्वान्क परम्परा के निभावैत, हरिमोहन झा, नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी, फनेश्वर नाथ रेनू, राजकमल चौधरी इत्यादि विद्वान् अधावधि अफरजात यशस्वी रहलाह अछि।
युग विज्ञानक अयाल तs कहू क्षेत्र मे अपार वैज्ञानिक सभ मिथिलाक बुद्धिजीवी होयबाक परंपरा के अप्पन उपलब्धि संग धोत्तक बनल छथि। हिनकर संख्या तs एतेक अछि जे उल्लेख करवा काल सबटा सीस आंटिये बन्ह्बाक सदृश्य बुझने अति द्वन्द भए जाएत।


    बुद्धिक खेल शतरंज मे तs श्री राम झा के कृति के के नै जनैत अछि? आईएएस, आईपीएस डा. इंजिनियर के तs गिनती पहाड़ ढहबाक सदृश्य होमत। अप्पन दुनिया के भाषा संग करब तs मैथिली विविध प्रकारेण अतुलनीय रहत। एक मात्र भाषा संस्कृतिये लsग नतमस्तक भs सकैछी, किएक नै हो। ओ देब भाषा समस्त देब भाषाक जननी जे छैथ। 



      हम कोनो बुद्धिजीवी रचना वा एकर कृति पर चर्चा नै करब किंडू जाही क्षेत्र मे ऐना अनंत प्रतिभा भरल पुरल हो। ओ क्षेत्र अपने किएक विभिन्न क्षेत्र मे पछुआयल अछि? हम बिना कोनो उदाहरणार्थ प्रमाण देने, अप्पन उम्रक पच्चास के नज़दीक अवैत जतबा प्रदेशक भ्रमण मे घाट -घाट के पाइन पिवैत जे किछ अनुभव प्राप्त कएल। ताहि सs आर्यावर्त मे मैथिल स विशिस्ट होयबाक कोनो क्षेत्रक भूभाग नै भेटल जतs भौगोलिक की बौद्धिक रूप सs ओ क्षेत्र विशेष प्रखर हो। वा कोनो स्वरूपे मैथिल सs बेसी प्रखर बुद्धि रखवा मे सामर्थ हो। ओ बात दोसर जे विभिन्न क्षेत्रक व्यक्ति विशेष क्षेत्र मे जरुर समस्त दुनिया मे एक सs एक नाम कs अपन क्षेत्रक प्रतिनिधित्व मैथिल के तुलना मे बहुत रास केने छैथ मुदा अग्रणी वर्गाक लोक, सार्वजानिक रुपे बुद्धिजीवी, विशेषतः मिथिला मे अछि ई बात मोने पडत। जे पर्कृतिक शारीरिक नकार शिकार सेहो एकर लोक कला आ संस्कृति तs दुनियाक कोनो सांस्कृतिक धरोहर के तुलना मे अधिकाधिक अछि, मिथिला धरे-धरे विविध कला मे माहिर कलाकार अछि जे बिना कोनो विशेष पर्शिक्षण के कलाक क्षेत्र मे अप्पन परम्परे सs पारंगत अछि। एतुक्का खान पानक शैली, पहिरवा की ओढ्बाक सोच, धर्म आ संस्कार परंपरा, इज्जत आ प्रतिष्ठा के मूल्य, सदैव सs उत्तोमतम मानल गेल अछि। अध्यात्म स जुडल ज्ञान एवं आचरण मे सद्गुण भरल पूडल छैक। पंचदेवो पाशक मैथिल सदगुण पर चलैत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे सुफल प्राप्त करैत रहल अछि तखन की कारन छै जे मैथिल के क्षेत्रीय सार्वजानिक विकास एखनहु साधारणे छै? ई विषय प्रत्येक मैथिल के आत्मा मंथन योग्य अछि।

अनकर खिदांस करवाक पाँछा हमरा सबके एक दोसरक प्रति परस्पर इष्याक धोत्तक अछि। हम अप्पन प्रोन्नति सs ओते प्रशन्न नै भs पवैत छी। जतेक अनकर उन्नति हमरा दुखदायी लगैत अछि। दुखद स्थिति तs तेहेन भs जाएत अछि जे मानसिक अवसाद भ हमर व्यक्तित्व के हास कs दैत अछि, अवसादे मे रहवाक हिस्सा भs गेने, हम स्वयम अप्पन हीत सोचने छोइर आनक अहित सोचबाक विकत हिस्साक, अपने हित सोचव सs वंचित क दैत अछि आ हम आशातीत परिणाम सs स्वयं वंचित रहै जाइत छी। जs ई बात के  बुझि ली तs हम निश्चय सदैव उतरोत्तर विकास कs सकब। हमर सबहक मैथिल कालिदास सs पैघ आर कोन उदहारण भेटत? हुनक मुर्खतो सर्वविदित अछि आ य्त्नक बल पर पत्नीक फटकारक कारणे जे ओ ग्यानी आ सिद्ध भेला तs विश्व प्रसिद्द कवि भेल, बाजल जैत अछि जे कालिदासक एक मात्र रचना 'अभिज्ञान शाकुंतलम' पढने हमर जीवन सफल भए गेल। यौ जी एतव बुझवा के केकरो एते जे अनकर विषय मे जातवा गलत सोचब, ओते काल अपना लेल नीक किएक नै सोची। 

      किछु पारंपरिक भोजन शैली सेहो बुद्धिजीवी वर्ग के अप्पन बुद्धिक अनुपयोगिताक कारण छैक। भारतें के कतेक एहन प्रदेश अछि जतs भोजन लोक मात्र जीबाक लेल खाइत अछि। सदैव कुंड खाएत ओ भुसंद भेल रहैत छैथ आ हमरा सब के पूर्ण सचारक भोजन करवाक सौख सतत तरल खा गलल जेवा पर विवास केने अछि। खान पकवान अनंत परिकार हमर जीह के पूर्ण रुपें बहस देलक आ भोजन पर हमर सबटा ध्यान केन्द्रित भए जाइत अछि। भोरे आईंख खोइलते आजुक भोजन के विन्यास मे लागि जाइत छी। पत्नी उठिते पूछती यौ आय की खायब?, की बनाबू? पति उपलब्ध सामग्री पुइछ कs आजुक विन्याश फार्म देता तत्पश्चात ओ नित्य कर्म मे जेता। जाही भोजन हेतु भोर साँझ मिला कs दू घंटाक श्रम अधिकाधिक भs सकैछ ओही भोजन मे हमरा सव्हक नारी भरो दिन राईत लागल रहैत छथि। जेना हम भोजन हेतु जीवित होय। किएक तs चरुवाक्य मुनि हमरा सबके 'जावत जीवेत सुखं जीवेत, ऋण कृत्वा घृतं पिवेत' के जे मूल मंत्र देने छैथ। भोज भात मे रक्षक वा दरिद्र जेना भोजन करैत अपना के भोगिन्द्र बुझै छी। अक्सर लोकक मुखे सुनव जे हौ... जुरब, रुचब आ पचाब मे सबहक सत्ता चोरे होइत छै। जकरा लग भगवन माया देने छथिन्ह ओ ए स्वभावक स्वामी बनवा मे अपना के सौभाग्यशाली बुझित छैथ किन्तु जाकर घर भुजी भंग नै, तकरे बीबी के किडन चुड़ा, एहन प्रवृतिक मिथिला मे भंडार छै " जकरा खाय लेल लाय ने आ किदन पोछ्वा लेल मिठाई चाही। हमरा सब अपने आयाची जेंका जिह्वा पर नियुक्त राखे पडत ज भानुमती लिखी इतिहास पुरुष बनवाक ऐछ। हमरा सबहक प्रोन्नति मे हमर प्राकृतिक वातावरण सेहो कम जिम्मेवार नै अछि । छवो के छवो। 

 (बुद्धि के मिथिला संपन्न आ मैथिल निर्धन)
ई मिथिलांचल टुडे  मैथिलि  पत्रिका 
वर्ष 1 अंक  3  में  सामिल  अछि 

सोमवार, 10 दिसंबर 2012


मिथिला  राज्य  के  धारण  में
देखल जाओ  एक  नजर
धनकर ठाकुर , कमला कान्त झा जी , विजय ठाकूर  , भीम  सिंह ,  शैलेंदर  झा  जी , इतियादी  महानु - भाव  के  उपस्थिथि  में  ,  सम्पन्य  भेल













मिथिलांचल टुडे  अध्यन  करैत   मैथिल समुदाय 











विजय ठाकुर  जी 


कमला कान्त  झा 








डॉक्टर  - गुरमैता  जी 








एक  दोसर  सन  भेट - घांट  करैत  फेस बूकिया  संघ  , जय  मैथिल - जय  मिथिला  करैत 

मिथिला राज्य के धारना  में फेस बूकिया  युबा संघ  बसन्त  झा  बत्स ,सागर मिश्र , विकास ठाकुर  , मदन कुमार ठाकुर , क्रिशन कुमार राय  (संपादक  मिथिलांचल टुडे ) जगदानन्द झा (मन्नू ) राजकुमार यादव , नीतिस  चौधरी , सत्येंदर कुमार  झा , इतियादी --

मिथिलांचल  टुडे  टीम 

 मिथिला राज्य के  धारना  में -मिथिलांचल टुडे  टीम 

मिथिला राज्य के  धारना में  मिथिलांचल  टुडे  टीम 

मिथिला राज्य के  धारना  में  मिथिलांचल टुडे  टीम 

धनाकर  ठाकू  जी   अपन  मुखरविन्द  सन  मैथिलि  आन्दोलन  के  बारे  में  चर्चा  करैत 


शनिवार, 8 दिसंबर 2012

स्वचिन्तन

  • स्वचिन्तन
नोरक सुखैल धार पर ,
अई व्यथित संसार पर ,
करेज क विषाद पर ,
हरैल होशो हवास पर ,
हम बाजु त की बाजु ?
महत्वाकांक्षा के आड़ पर ,
नुकैल व्यभिचार पर,
समस्या हज़ार पर,
समाजक रीत रिवाज पर,
हम बाजु त की बाजु,
मर्यादा के आन पर ,
दुखित प्राण पर ,
ओझरैल समाधान पर,
हरखित इन्सान पर ,
हम बाजु त की बाजु ,
बाजब त कियो मानत कियो नै मानत,
ताई स्वचिन्तन करू अई गंभीर विचार पर,
(रूचि )

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

स्वयंसिद्धा

स्वयंसिद्धा
ओ नवजात कन्या जनमैत बुइझ गेल कि ,
ओकर आगमनक गम परिजन में व्याप्त अछि,
हमरा त भेल जिन्दगी आब शुरू भेल या,
मुदा आइबते जिन्दगी समाप्त अछि ,
मिलमिलाइत आइख स देखलक मातम क नजारा ,
जे जन्म लै के अभिशाप क छल इशारा ,
दुनिया के रंग त देख लेलउ ,
अपनों रंग त देखा दियै ,
अई जालिम दुनिया में ,
बेटियों के महत्व बढ़ा दियै .
चाइर साल के उम्र स कर लागल ओ काज,
कहियो नहीं ओ जाई छल खेल धिया -पुता के साथ ,
भै के इस्कूल जैत देख पढ़ के जागल ओकरा चाह,
मुदा पढ़क के नै छल कोनो राह
भोरे -भोरे जखन ओ काट जाई छल घास ,
बगल के स्कूल स अबै छल मास्टर जी क आवाज ,
ओ मास्टर जी स जा क कहलक,
मास्टर जी हमर नाम लिखा दीअ,
चाहे जतेक काज करा लिअ
धरती क स्लेट और करची क कलम बना क,
ओ कर लागल अभ्यास,
धीरे धीरे ओ भ गेल मिडिल पास ,
फेर मै-बाप के भेल एहसास की,
हमर बेटी अछि किछ खास
मै -बाप ओकरा आगा पढौलक,
ओकर सपना में पंख लगेलक ,
जै स लड़की के जागल आत्म विश्वास ,
ओ क सकैया समाज में किछु ख़ास ,
ओकर मेहनत और लगन,
ओकरा मेडिकल में टॉपर बना देलक,
जै ओ समाज के बता देलक कि ,
बेटी के नै मानु अभिशाप
बेटी त क सकैया कतेको घर के आबाद
ताई बेटी के नै तोडू अरमान
किया त बेटियों होई छै माँ- बाप के लेल वरदान
(रूचि )

शनिवार, 1 दिसंबर 2012

मैथिलि रंग मंच में महिला लेल आब उज्जवल भविष्य (रूपम )



मिथिलांचल टुडे प्रकाशित अनक 2 में - मैथिलि रंग मंच में महिला लेल आब उज्जवल भविष्य (रूपम ) सात बरख क उम्र सओं रंगमंच स जुडनिहार रूपम श्री नैन ने तिरपित भेल स घर-घर मे चर्चित भ चुकल छथि। 2009 मे रंगकर्मी प्रमिला झा नाट्य वृति प्राप्‍त केनिहारि रूपम पंचकोशी सहरसा क नाम आइ अपन अभिनय कए नित्‍य निखारबा मे लागल छथि। मध्‍यवर्गीय परिवार लेल रंगमंच आ मैथिली रंगमंच मे महिला क भविष्‍य पर राष्ट्रपति स सम्मानित रूपम क संग विस्‍तार स गप केलथि अछि पत्रकार नीलू कुमारी। प्रस्‍तुत अछि गपशपक किछु खास अंश प्रश्न – अपन संबंध मे किछु बताऊ?
उत्तर – सहरसाक एकटा मध्यमवर्गीय परिवार मे 10 मई 1988 मे हमर जन्म भेल, पिताजीक छाँव बचपने मे हमरा सबके माथ स उठि चुकल छल, माँ पोस-पालि कए पैघ केलक आई हम जे छी हुनके बदौलत। प्रश्न – रंगमंच स कोना जुड़लहूँ? उत्तर – बचपन स हमरा रंगमंच स बेसी लगाव छल, स्कूल कॉलेज मे हम डांस करैत रही, एहि क्रम मे एक बेर सुजीत जी हमर स देखलथि। एकरा बाद ओ हमर घर पर एलथि आ हमरा कहलथि-‘रूपम अहां इप्टा स जुडू, इ एकटा एहन सार्थक मंच अछि जेतए अहांक प्रतिभा कए केवल सराहल नहि जाएत अपितु एकटा नीक मंच सेहो भेटत। हुनक आश्वासन पर 1995 मे हम इप्टा, सहरसा स जुड़लहूँ। तकर बाद त जेना हमर सपना कए पंख लागि गेल आ सबहक आशीर्वाद स आइ हम एहि मुकाम पर छी। प्रश्न – एहि ठाम तक पहुंचबा मे कोन तरहक संघर्ष करए पडल? उत्तर – कॅरियर मे जतय तक पहुंचलहु अछि, हमर माँ क पर्याप्त सहयोग रहल। कहियो कोनो काज लेल ओ मना नहि केलथि। शुरूआत मे बड़ दिक्कत भेल, तरह-तरह कए उलहन सुनए पड़ल। लड़की भ कए कोना मंच पर अभिनय करत, इ सब कहैत रहल। मुदा आब जखन ओ हमरा एहि मुकाम पर देखैत छथि, त सब कए नीक लगैत छैन। प्रश्न-अभिनय क अलावा कोनो अन्य कैरियर सोचने रही? उत्तर – हम संगीत स प्रभाकर केने छी, रंगमंच क अलावा संगीत क साधना सेहो चलैत अछि, अगर हम रंगमंच स नहि जुड़ल रहितहुं त संगीत क क्षेत्र म रहितहुं। प्रश्न – अहाक नजरि मे मैथिली रंगमंचक की भविष्य अछि? उत्तर – मैथिली रंगमंच क भविष्य खास क महिला लेल आब उज्जवल बुझा रहल अछि। एहि चारि-पाँच साल मे मैथिली क जे ग्लोबलाइजेशन भेल अछि ओहि स एकर भविष्य पर कोनो तरह क शक नहि कैल जा सकैत अछि। मैथिली रंगमंच सेहो आब अंतररास्ट्रीय स्तर पर अपन उपस्थिति देखा रहल अछि। मैलोरंग, मिथिलालंगन, मीनाप, पंचकोशी आदि-आदि संस्‍था रंगमंच सब मैथिल प्रतिभागी क सहयोग क रहल अछि। प्रश्न – जीवन क कोनो अविस्मर्णीय क्षण जे अहा हमरा संग साझा करए चाहब। उत्तर – हमर जिनगीक सबस पैघ क्षण छल तरंग महोत्सव मे उत्कृष्ट नृत्य प्रस्तुति लेल प्रतिभा सिंह पाटिल स पुरस्कार लेब। ओना जखन ‘’नैन न तिरपित भेल’’ क पोस्टर समस्‍त बिहार मे लागल छल आ हमर सखी-सम्बन्धी सब फोन पर हमरा बधाई देने रहथि ओ समय हम आइ धरि नहि बिसरलहुं अछि। प्रश्न – अहांक पुरस्कार क सूची त बड पैघ अछि, किछु खास पुरस्कार क चर्चा करए चाहब? उत्तर – 2003 मे खगौल, पटना मे हमरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री स सम्मानित कैल गेल अछि आ तरंग महोत्सव मे उत्कृष्ट नृत्यक लेल द्वितीय पुरस्कार रास्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल स भेटल। संगहि 2009 मे मैलोरंग स प्रमिला झा नाट्य वृति आदि भेटल। प्रश्न - नाटक क गप करब त अहंक सूचि ख़तम नै हाएत, किछु खास धारावाहिक वा नाटक केर चर्चा करए चाहब ? उत्तर - कनी हँसैत, सूचि ओतबो पैघ नै अछि मुदा नैन न तिरपित भेल स हमर कैरियर क मुकाम भेटल आ आई हम पटना, दिल्ली, कोलकता समेत कतेको मंच पर अपन अभिनय क प्रदर्शन कए छुकल छि, हमर प्रिय नाटक मे मधुश्रावणी, कनिया-पुतरा, आ पाँच पत्र अछि, ओना हमर प्रिय नाटककार महेंद्र मलंगिया जी छथि। प्रश्न – भविष्य मे कौन तरह क काज करब पसिन करब? उत्तर – जतय काज भेटत आ नीक काज भेटत, हम जरूर करै चाहब। ओ संगीत क्षेत्र हुए वा अभिनय क्षेत्र। प्रश्न – मिथिलांचल टुडे क ई अंक महिला विशेषांक अछि , एहन मे मिथिलानी लेल कोनो सन्देश। उत्तर – निश्चित रूपेण महिला सब स इ कहै चाहब जे जों अहां रंगमंच स जुड़ल छी त पूरा जी जान स जुड़ल रहू, समाज क परवाह जुनि करू, जखन अहां मुकाम पर पहुंच जाएब तखन वैह आलोचक जे आइ अहांक आलोचना क रहल अछि ओ काल्हि अहांक सराहना करत। मिथिलांचल टुडे स गप करबाक लेल बहुत बहुत धन्यवाद। अहूं कए बहुत-बहुत धन्यवाद। मिथिलांचल टुडे प्रगति करए सैह माँ भगवती स कामना।
नीलू कुमारी सहरसा , बिहार

शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

मैथिली रंगमंच पर महिलाक स्थिति

मैथिली रंगमंच पर महिलाक स्थिति 


मैथिली रंग-मंच पर महिलाक स्थिति पहिने से बेहतर भेल अछि, मुदा एखनो एकरा बेहतर नहि कहल जा सकैत अछि। मैथिली रंगमंच आइ अपन उन्‍नतिक बाट पर अछि। मैथिली नाटकक मंचन एकटा काल अंतराल मे देखबा लेल भेट रहल अछि। पुरान डीह जरूर नष्‍ट बा कमजोर भ गेल, मुदा नवका दलान अपन भूमिका स मैथिली नाटकक भविष्‍य कए प्रकाशवान केने अछि। एहन मे मैथिली नाटक मे महिला क भागीदारी आ योगदान पर चर्च आवश्‍यक भ गेल अछि। आइ जेना आन भाषाक नाटक मे महिला क भागीदारी देखबा मे भेट रहल अछि, ओहि अनुपात मे मैथिली मंच पर महिला क उपस्थिति एखनो बहुत कम अछि। किछु महिला जे मंच तक पहुंचलथि अछि ओ टीवी आ सिनेमा दिस बेसी सक्रिय भ गेल छथि। नव कलाकार कए सेहो टीवी चैनल बझेबा मे लागल रहैत अछि, एहन मे मैथिली नाटक नीक नवोदित कलाकार क सदिखन बाट तकैत आयल अछि आ एखनो ताकि रहल अछि। - नीलू कुमारी ( विशेष संवाददाता, मिथिलांचल टुडे )


किया नहि अछि नीक स्थिति :
 महिलाक स्थिति त अन्यान्यभाषक रंगमंच पर सेहो नीक नहि अछि मुदा मैथिली सबस पाछु अछि। अन्यान्य भाषक महिलाकर्मी द्वेष भावना स ऊपर उठि समूह क संग काज करैत आगाँ बढैत रहलीह ताहि लेल हुनकर स्थिति मैथिली स नीक अछि। मिथिला मे जे महिला हिम्मत क कए एक्को डेग बढाबैत छथि त आन सब हुनका पकैड़ि कए दू डेग पांछा कए दैत अछि। समूह भावनाक सर्वथा आभाव त अछि संगहि सामाजिक प्रतारणा आ उलहन हुनकर मनोबल कए आर तोड़ि कए राखि दैत अछि। मैथिली रंगमंच पर महिला क उपस्थिति तखने बढत जखन महिला व्यक्तिगत स्वार्थ स ऊपर उठि समूह भावना मे काज करैत आ हुनकर घरक लोक सब आ समाज सेहो हुनकर एही काज कए सराहना करत।
नाटक मे मिथिलानी : मैथिली रंगमंच पर महिला क आधारित कतेको नाटक लिखल गेल आ मंचन कैल गेल मुदा महिलाक स्थिति मे कोनो सुधार नहि क सकल। फेर चाहे ओ 1905 मे जीवन झाक लिखल ‘सुन्दर संयोग’ हो वा गोविन्द झाक बसात, कनिया-पुतरा, मधुयामिनी या सातम चरित्र, ओ फेर जगदीश प्रसाद मंडलक लिखल ‘मिथिलाक बेटी’ हो वा झामेलियाक बियाह, बेचन ठाकुर क बेटीक अपमान वा छिनारदेवी हो, आनंद झाक धधायत नबकी कनियाक लहास, सबटा मे महिलाक चरित्र कए केंद्र मे रखाल गेल अछि। बहुत रास नाटक क मंचन सेहो भेल छल मुदा महिलाक कमी क कारण कतेक नाटक मे महिला कलाकार क भूमिका पुरुष केलथि। मुदा समय क संग किछु माहौल बदलल आ मैथिली रंगमंच पर महिलाक खगता कम होइत गेल।

निर्देशन मे सेहो :
 मैथिली रंगमंच पर महिलाक निरंतरता लेल रंगमंचक निर्देशक सेहो महती भूमिका निभा रहल छथि। ओ नहि केवल महिलाक रंगमंचक सकारात्मक पक्ष स अवगत करा रहल छथि बल्कि हुनकर प्रतिभा कए बुझैत हुनकर भीतरक कलाकार कए सेहो जगा रहल छथि। ओना रंगमंच पर जे महिला स्थिति आइ सकारात्‍मक रूप स बढल अछि तहि मे सबस बेसी योगदान निर्देशक सब कए जाइत अछि। प्रकाश झा सन किछु निर्देशक समाज स लड़ि कए उलहन उपराग सुनि कए रंगमंच स महिला कए जोडि रहल छथि। एही कड़ी मे श्‍याम भाष्‍कर, संजयजी, अक्‍कू, बेचन ठाकुर आदि निर्देशक क नाम सेहो प्रमुखता स लेल जा सकैत अछि। इ सब नित-प्रतिदिन महिला कलाकार कए बढ़ावा द रहल छथि। आइ महिलाक रंगमंच स सिनेमा दिस झुकाव एहि निर्देशक सबहक सबस पैघ सफलता आ चिंता दूनू अछि।
मैथिली रंगमंच पर महिलाक : एहि संबंध मे एखन धरि कोनो तथ्य परक सूचना त नहि अछि मुदा वरीष्ठ रंगकर्मी आ साहित्यकार विभूति आनन्द लिखैत छथि जे हुनकर गाम शिवनगर, जिला मधुबनी मे पहिल बेर 25 अक्टूबर, 1956 मे एकटा मैथिली नाटक महाराणा प्रताप क मंचन भेल छल, जाही मे दूटा मैथिल महिला कलाकार मंच पर उतरल छलीह। सोनादाइ आ सुधा कण्ठ नामक महिला मैथिली रंगमंचक इतिहास कए एकटा नव आयाम देलथि। मैथिली रंगमंच पर महिलाक ई संभवत: पहिल पदार्पण छल। ओकर बाद 1958 मे सुभद्रा झा मैथिली रंगमंचक इतिहास मे एकटा सशक्त हस्ताक्षर भेलीह जे बाद मे जा कए मीलक पाथर साबित भेलीह। ओना त भंगिमा आ अरिपण आदि रंगमंच पर अनके महिला कलाकार उपस्थित भेलीह, जाही मे प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम’ सर्वाधिक उल्लेखनीय छथि। कलकत्ता मे सेहो अनेक बेर कतेक महिला कलाकार एलीह, कतेको त मैथिल नहिंयो रहैत मैथिली सीखी रंगमंच पर एलीह आ हुनका देखि बहुतरास महिलाक झुकाव एही दिशा मे भेल आ हुनके सबहक प्रयास स एही शीर्ष पर पहुंचलनि। आइ मैथिली रंगमंच महिलाक उपस्थिति स भरल पुरल अछि आ दिन दूना राति चौगुना, उतरोत्तर वृद्धि कए रहल अछि।
सामाजिक परंपरा रोकि रहल अछि बाट : मिथिला मे महिलाक अर्थ होएत अछि एक हाथ घोघ दोसर हाथ बच्‍चाक आंगुर। एहन स्त्री जे उम्र धरि अपन घरक चौखट नहि नांघने होए। एक त मिथिला मे स्त्रीक लेल कतेक सामाजिक धारणा आ दोसर नारीक प्रति पूर्वाग्रह हुनका अपन चौखट स पार नहि आबी दैत छैक दोसर सामाजिक उलहन आ अनुराग स ग्रसित भ मन भेला पर सेहो नहि आबि सकैत अछि। अखनो कतेक रास मिथिलानी प्रतिभा रहितो जे अपन घरक चौखट नहि नांघि पबैत अछि तकर सबसे पैघ कारण अछि हमर संस्कार आ सामजिक बंधन क देखावा। मुदा तखनो बदलैत जमानाक संग मिथिला बदलि रहल अछि आ मिथिलानी आब सेहो सशक्त भ रहल छथि। आब ओ नहि खालि अपन घरक चौखट नांघि कए सार्वजानिक मंच पर आबि रहल छथि बल्कि मंच पर स्थापित सेहो भ रहल छथि।
की अछि संभावना : संभावना क सवाल पर ढेर रास मिथिलानी जे मैथिली रंगमंच स जुडल छथि एक स्वर मे कहैत छथि जे “मैथिली रंगमंचक पर महिलाक स्थिति आब सुदृढ़ अछि आ दिन प्रतिदिन एही मे उतरोत्तर विकास भ रहल अछि। मिथिलानी आब रंगमंच स ऊपर उठि सिनेमा मे सेहो अपन भविष्य बना रहल छथि। मुदा ई मैथिली रंगमंचक दुर्भाग्य अछि जे एखन धरि महिला कलाकार पूर्ण रूप स व्यावसायिक रंगमंच क हिस्‍सा नहि भ सकलथि अछि। जे हिनकर विकासक क्रम मे सबसे पैघ रोड़ा अछि। कोनो कलाकारक स्थिति तखने सुधरत जेखन ओ व्यावसायिक होएत। रंगमंच पर खाली फ़ोकट क मनोरंजन आ समय बितेबाक साधन मात्र बुझला स कलाकारक विकास कखनो नहि होएत। संगठन क संग निर्देशक सब कए सेहो एही मे सहयोग करबाक चाही। मैथिलानी तखने आन भाषा-भाषाई रंगमंच संग डेग स डेग मिला कए चलि सकतीह अछि जखन ओ व्यावसायीकरण क हिस्‍सा बनतीह।
( मिथिलांचल  टुडे प्रकाशित  अंक  2  में )
भवदीय:-
नीलू कुमारी ( विशेष संवाददाता, मिथिलांचल टुडे )

सोमवार, 19 नवंबर 2012

घोटालाबला पाइ (हास्य कविता)


घोटालाला पा
                         (हास्य कविता)


ई पोटरी त हमरा सँ 
उठने नहि उठि रहल अछि 
कनेक अहूँ जोड़ लगा दिय भाई 
ई छी घोटालावला पाई।

हम पूछलियन ई की छी 
ओ हमरा कान में कहलनि
कोयला बेचलाहा सभटा रुपैया 
हम एही पुत्री में रखने छि .

हमरा सात पुस्त लोकक गुजर
एही रुप्पैया स चली जायत
हम धरती में पैर नहीं रोपाब आई 
इ छि घोटालावला पाई।

चुपेचाप थोड़ेक अहूँ लिय 
मुदा केकरो सँ कहबई नहि भाई 
सरकारी संपित हम केलियई राई-छाई 
इ छि घोटालावला पाई।

कोयला भूखंडक बाँट-बखरा दुआरे
मंत्रिमंडल के सर्जरी भेल 
लोक हो-हल्ला केलक मुदा 
कोयला दलाली के नफ्फा हमरे ता भेल।

फेर मंत्री पद भेटैत की नहि?
ताहि दुआरे चुपेचाप पोटरी बनेलौहं 
सभटा अपने नाम केने छि भाई 
ई छी घोटालावला पाई।

देखावटी दुआरे सरकारी खजाना  पर 
बड़का-बड़का ताला लटकने छि 
मुदा राति होएते देरी हमीह 
भेष बदली खजाना लूटि लैत छी।

मंत्रीजी के कहल के नहि मानत?
सरकारी मामला में कियक किछु बाजत?
चुपेचाप सभटा काज होयत छैक औ भाई 
 ई छी घोटालावला पाई।

मंगलवार, 30 अक्टूबर 2012

लखना के बाबू

लखना के बाबू 
लखना के बाबू लखना स कहला कि ,
जो जा क हटिया स तरकारी ल क आ .
झोरा -झपटा ल क लखना भेल विदा .
अधे बाट में किछु लोग लखना के लेलेक उठा ,
पट्टी खुजल त  देखलक बियाह क मरबा .
लखना बुइझ  गेल की हैत ओकर वियाह ,
मुस्काईत लखना बियाह क लेलक  ,
ओम्हर बाबू गाइर द  क ओरान क देलक ,  
इ छौरा पी क कतौ ओंघराइत  हैत ,
या दोस-महिम  के संग बौआइत  हैत .
या देख गेल हैत  नटुआ के नाच ,
इ बह्सल छौरा मानैया ने एकोटा बात .
दोसर दिन हुनका पता लागल की ,
लखना कोबर  में बैसल अछि वर बनल ,
केलक कोना बियाह हमरा बिन कहल ?
नै यौ  अई में लखना के कोनो दोष नै ,
ओकरो नै बुझल छलै कि आई ओकर बियाह भ जेतै .
इ सुइन  लखना के बाबु बजला ,
आई स हमही हरदम हटिया जैब ,
तखने कियो बाजल ,
ह यौ  सत्ते कहै छी  नै त दोसरो  बेटा  के दहेज़  गमैब ,
इ बाई नै छै महराज ,
वियाह करब लै कियो हमरो  त  कहियो उठैत ।
हा हा हा .........................
(स्वरचित)


सोहराय  पंडोल  मधुबनी ,मिथिला  , बिहार 

सोमवार, 29 अक्टूबर 2012

कंजूस मास्टर


एकटा मास्टर जी छला बड  कंजूस ,
हुनक कंजूसी स पत्नी रहै छली बड रुष्ट .
साबुन खर्च के डर स चिकनी माईट  स नहाई  छला ,
धोती   फटइ के डर स गमछे पहिर घुमैत छला .
हुनक कंजूसी स पूरा गाम छल परिचित ,
भिखमंगो हुनका स  माँगइ  में रहै छलै भयभीत .
एकटा  हुनकर खिस्सा  सुनैब ,
एहन कंजूस नै  कहियो देखने हैब .
एक बेर 100 के नोट  पत्नी के देलखिन ,
हर्षित भ पत्नी  खर्च  केलखिन .
हुनका की पता की ?
मास्टर जी ओ पैसा मंगथिन .
किछु दिन बाद ओ पत्नी स कहला,
देने रही पैसा से लाउ  त  कमला .
हुनक हल्ला के डर स कमला,
चूपे-चाप पईच ल क हुनका देलखिन ,
पईसा लईते मास्टर जोर स चिचेयेला ,
बाज  हरासंखनी  पइसा  कत खर्च केलै?
कमला अबाक !
की खर्चक  बात हिनका कोना पता ?
डीरियाइत मास्टर बजला ,
मुझौसी हम देने रहियौ 100 के नोट ,
2 ता पचास कोना भेलौ ?
तू हमरा की बुझइ  छै गदहा ?
कमला बस एतबे कहली ,
जा हउ  दैब एहन लिच्चर  तू कोन माईट  स बनेलअअ ........ .


सोमवार, 27 अगस्त 2012

घोंघाउज आ उपराउंज (हास्य कविता)

घोंघाउज आ उपराउंज

(हास्य कविता)



हम अहाँ के गरिअबैत छि

अहाँ हमरा गरिआउ

बेमतलब के करू उपराउंज

धक्कम-धुक्की करू खूम घोघाउंज.



कोने काजे कहाँ अछि

आब ताहि दुआरे त

आरोप-प्रत्यारोप मे ओझराएल रहू

मुक्कम-मुक्की क करू उपराउंज .



श्रेय लेबाक होड़ मचल अछि

अहाँ जूनि पछुआउ

कंट्रोवर्सी मे बनल रहू

फेसबुक पर करू खूम घोघाउंज.



मिथिला-मैथिल के नाम पर

अहाँ अप्पन रोटी सेकू

अपना-अपना चक्कर चालि मे

रंग-विरंगक गोटी फेकू.



अहाँ चक्कर चालि मे

लोक भन्ने ओझराएल अछि

अहाँ फेसबूकिया ग्रुप बनाऊ

अपनों ओझराएल रहू हमरो ओझराऊ.



ई काज हमही शुरू केलौहं

नहि नहि एक्कर श्रे त हमरा अछि

धू जी ई त फेक आई.डी छि

अहाँ माफ़ी किएक नहि मंगैत छी?



बेमतलब के बड़-बड़ बजैत छी

त अहाँ मने की हम चुप्पे रहू?

हम की एक्को रति कम छी

फेसबुक फरिछाऊ मुक्कम-मुक्की करू.



आहि रे बा बड्ड बढियां काज

गारि परहू, लगाऊ कोनो भांज

कोनो स्थाई फरिछौठ नहि करू

सभ मिली करू उपराउंज आ घोंघाउज.
http://kishankarigar.blogspot.com 

गुरुवार, 23 अगस्त 2012

मिथिला राज्य के धरना में जुटल मैथिल समुदाय ,


मिथिला राज्य  के  धरना में  जुटल  मैथिल  समुदाय ,




मिथिला राज्य  के  धरना में  जुटल  मैथिल  समुदाय ,
चल -चित्र  में  सेहो  देखू -











बुधवार, 1 अगस्त 2012

अहींटा एकटा नीक लोक छी . (हास्य कविता)

 अहींटा एकटा नीक लोक छी .
                           हास्य कविता

"कारीगर" कतेक दिन बाद परीक्षा पास केलक
ओ त बड्ड बुडिबक अछि
अहाँ त बड्ड पहिने बड़का हाकिम बनि गेलौहं
ताहि द्वारे अहींटा एकटा नीक लोक छी .

अहाँक सफलताक  राज त
कहियो ने कियो कही सकैत अछि
अहाँ अपने लेल हरान रहैत छी
आ अहींटा एकटा नीक लोक छी .

सर समाज सँ कोनो मतलब नहि रखलौहं
परदेश मे दूमंजिला मकान बना लेलौहं
गाम घर सँ स्नेह रखनिहर कें
अपनेमने अहाँ बुडिबक बुझहैत छी .

अप्पन सभ्यता  संस्कृति अकछाह लगइए
ओकरा अहाँ बिसरै चाहैत छी
परदेश मे रंग-बिरंगक संस्कृति मे
अहाँ के नीक लगइए खूब मगन रहैत छी.

धियो-पूता के मातृभाषा नहि सिखबैत छि
ओकरा अंग्रेजी टा बजै लेल कहैत छी
मत्रिभाषक आंदोलन चलौनिहर बुडिबक
आ अहींटा एकटा नीक लोक छी.     

गाम घर पछुआएल अछि रहिए दिऔ
नहि कोनो माने मतलब राखू
अहाँ ए.सी. मे बैसल आराम करैत छि
अहींटा एकटा नीक लोक छी.

सर-समाज सँ स्नेह रखलौहं तहि द्वारे
हम बकलेल बुडिबक घोषित भेल छी
अहाँ रुपैया कम ढ़ेरी लगेलौहं
तहि द्वारे अहींटा एकटा नीक लोक छी.

खली रुपैया टा चिन्हैत छी
अहाँ बिधपुरौआ बेबहर करैत छी.
पाइए अहाँ लेल सभ किछु
आ अहीं टा एकटा नीक लोक छी.

कियो पहिने कियो बाद मे
मेहनत करनिहार त सफल हेबे करत
ओकरा अहाँ प्रोत्साहित कियक नहि करैत छी?
यौ सफलतम मनूख अहींटा एकटा नीक लोक छी
.

सोमवार, 30 जुलाई 2012

नया संघीय नेपालमें मिथिला राज्य लेल अहिंसात्मक सत्याग्रहरूपी माँग संग धरना पर बैसल मिथिला राज्य संघर्ष समिति - जनकपुर के रामानन्द चौक पर बम द्वारा हमला कैल गेल। एहिमें घटनास्थल पर चारि गोटा निर्दोष सत्याग्रही के मृत्यु भऽ गेल जखन कि लगभग २४ आदमी घायल भऽ गेलाह। नेपाल में कोनो आन्दोलनमें भाग लेनिहार पर एतेक शक्तिशाली बम के प्रयोग आ सेहो सुनियोजित ढंग सऽ होयब अनबुझ रहस्य के तरफ तऽ इशारा करिते अछि संगे मिथिला के पहचान पर एहेन जबरदस्त चोट करब उग्रवादी तत्त्वके अपराधिक मनोवृत्तिके सेहो उजागर करैत अछि। मिथिलाके इतिहासमें शायद ई पहिल दुर्भाग्यपूर्ण बमकाण्ड केर घटना थीक। विगत किछु दिन सँ मिथिला राज्य संघर्ष समिति अपन माँग मिथिला राज्य के निर्माण प्रति नेपाल सरकार के ध्यानाकर्षण हेतु चरणबद्ध रूपमें करैत आबि रहल छल। ठीक जानकी नवमी एहेन पुनीत अवसर पर जनकपुरके पावन धाम के एहेन निन्दनीय घटना सऽ अपवित्रता केर कलंक लगायल गेल। समूचा मिथिलांचल के लोक नेपाल, भारत के संग विश्वके अनेको कोणमें रहनिहार के स्तब्ध कय देलक।

विगत किछु वर्षमें नेपाल सऽ राजतंत्रके खात्मा भेला उपरान्त नया संविधान बनबाक क्रम जारी अछि आ आब मुश्किल सऽ किछु दिन मात्र बाकी अछि जखन नेपाल के संविधान के घोषणा करब अनिवार्य अछि। नेपाल के सर्वोच्च अदालत एक अन्तिम तारीख जेठ १४ गते तक बनाबय लेल संविधान सभाके निर्देशन देने अछि। एहि अन्तिम तारीखके घोषणा भेला उपरान्त वर्तमानमें एहिठाम समस्त जनमानस अपन-अपन जातीय, क्षेत्रीय, सांस्कृतिक, भाषिक व अन्य पहचान के संविधानमें स्थान दियेबाक लेल व्यग्र अछि। एहेन कोनो दिन नहि जे कतहु बन्दी नहि होइ, हड़ताल नहि होइ वा कोनो प्रकार के माँग जनता अपन तरीका सँ सरकार के समक्ष प्रस्तुत नहि करैत हो। राजनीतिक दल सभ सेहो आपसी सहमति लेल जी-तोड़ प्रयास कय रहल अछि। जखन कि मिथिला प्रति सभके हृदयमें सम्मान छैक, लेकिन मधेस के राजनीति आ समग्र मधेस एक प्रदेश के माँग जाहिपर पहिले बेर एतेक रास सभासद चुनाव जीतिके संविधान सभा पहुँचल अछि, एहि सभ सँ मिथिला प्रति उदासीनता स्पष्ट रूपमें देखल जा रहल अछि। जे माओवादी पार्टी अपन चुनावी घोषणापत्र में संघीय नेपालमें मिथिला राज्य के सम्मानपूर्वक गठन करब कहने छलैक तेकर किछुवे दिन पूर्व एक नया प्रस्तावना राज्य-पुनर्गठन आयोग समक्ष रखलक जाहिमे मिथिला के नामोनिशान तक नहि देखेलक आ एक नया नाम मधेस विराट प्रदेश के चर्चा कयलक जाहि सँ मिथिलाके लोकमें उद्वेलन भेलैक आ तदोपरान्त मिथिला राज्य संघर्ष समिति अपन शान्तिपूर्ण आन्दोलन विभिन्न चरणमें करैत आबि रहल छल आ वर्तमानमें सेहो निरंतरता पौने छैक। मिथिला लेल मधेसवादी दल के द्वैत चरित्र सेहो देखयमें अबैत छैक। नेपाल के गणतंत्र घोषित होइते उत्पीड़ित पक्ष सभ के दबल आवाज उखड़लैक आ एहि में मधेस के आन्दोलन द्वारा मधेसीके सम्मान उपलब्धिमूलक भेलैक। चारू कात सऽ बस एक आवाज एलैक जे पहिले समग्र मधेस एक प्रदेश के मान्यता भेटैक तदोपरान्त मधेस भीतर जतेक संस्कृति, भाषा-भाषी, जात-जाति आदि छैक तेकरा लेल विकास क्षेत्र के रूपमें अलग-अलग प्रदेश बनायल जेतैक। लेकिन राजनीतिक धार के दिशा संक्रमण काल के एहि किछुवे वर्ष में एहेन बनि गेल छैक जे मधेस एक प्रदेश निर्माण व्यवहारिक नहि छैक, एतय तक जे स्वयं मधेसवादी दल जे सत्तामें पर्यन्त साझेदार छैक सेहो सभ अलग-अलग फोरम सऽ आवाज निकालय लागल छैक जे एक मधेस प्रदेश के माँग व्यवहारिक नहि छैक। एतबा नहि... मधेस एक प्रदेश के सभ सऽ पैघ बाधक एहिठाम के आदिवासी, जनजाति, मुसलिम आदि सेहो अपन पहचान मधेसी के रूपमें करय सऽ इनकार कयलाके बाद एहेन झगड़ा आ अन्तर्कलह के स्थिति उत्पन्न भेलैक जे नेपालमें एक मधेस प्रदेश के माँग लगभग अनिश्चित बनि गेलैक।

नेपालमें सभ दिन राजनीतिक निर्णयमें भारतके मुख्य भूमिका देखल गेलैक अछि। हालहि भारत के सेना प्रमुख अपन नेपाल यात्रा पर आयल समयमें प्रेसके सम्बोधित करैत कहलखिन जे नेपालमें एक मधेस प्रदेश के प्रारूप व्यवहारिक नहि छैक। नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दल नेपाली काँग्रेस, एमाले व एमाओवादी सभ एहि बात पर अपन प्रतिबद्धता जाहिर कयलक जे नेपालमें एक मधेस प्रदेश संभव नहि होयत। तखन आब मिथिलाके पहचान लेल राजनीतिक दलमें कि सोच अछि व हुनका सभके द्वारा राखल गेल प्रारूपमें मिथिला के चर्चा किऐक नहि कैल गेल अछि इत्यादि महत्त्वपूर्ण विन्दुपर मैथिल सभ सोचय लगलाह आ लगभग तीन दशक सऽ मिथिला राज्यके माँग करनिहार मिथिला राज्य संघर्ष समिति के नेतृत्वमें ई माँग राखल गेल जे मिथिला राज्य कायम कैल जाय।

एहि तरहक अनेको आन्दोलन नेपालमें सर्वत्र चलि रहल अछि। मधेसमें अन्य समूह द्वारा सेहो अपन पहचान आ क्षेत्र के अलग राज्यके रूपमें कायम करबाक लेल आन्दोलन चलि रहल अछि। लेकिन किछु धार एहनो अछि जे मधेस स्वतंत्र देश निर्माण करय लेल अपन प्रतिबद्धता जाहिर करैत आबि रहल अछि। वर्तमान हमला के जिम्मेवारी एहने एक गूट लेलक अछि जेकर माँग मधेस स्वतंत्र देश के छैक। लेकिन विडंबना एहेन छैक जे अन्य समूह द्वारा मधेसमें कैल जा रहल कोनो माँग के प्रतिकार स्वरूप आइ धैर एहेन कोनो कार्रबाई एहि भूमिगत समूह सभ द्वारा नहि कैल गेल अछि। लेकिन मिथिलाके लोक स्वभाव सऽ कोमल हृदयके आ व्यक्तिवादी सोचमें बेसी अग्रसर रहैछ तखन एहेन माँग लऽ के सड़क पर आन्दोलन करैत देखि प्रतिद्वंद्विताके भावना सऽ या अन्जान कोनो भय व आक्रोश के कारण एहेन जघन्य हमला कैल गेल संभव बुझैछ।

नेपालमें हर तरफ सऽ एहि हमलाके निन्दा भेल अछि। भूमिगत संगठन सभ सेहो एहि तरहक कार्रबाई के अपराधिक कहलक अछि। राष्ट्रसंघीय मिशन द्वारा घटनाके संज्ञान लैत नेपाल सरकार सऽ निष्पक्ष जाँच करैत आवश्यक कार्रबाई के सिफारिश कैल गेल। तहिना भारत के दूतावास द्वारा सेहो एहि घटना के भर्त्सना कैल गेल। समूचा राष्ट्रमें एक अजीब शोक-लहर पसैर गेल अछि। मिथिला क्षेत्र सँ बाहर सेहो मैथिल सभ एकर भर्त्सना आ शोक सभा कय रहल छथि। भारतमें सेहो एहि घटना पर मैथिल सभ अपन आक्रोश प्रकट कयलनि अछि। राजनीतिकर्मी सभ मिथिला राज कायम करय लेल अपन शुभकामना संदेश पठौलनि अछि। आगामी १२ मई, २०१२ के एक वृहत रैली के द्वारा श्रद्धाञ्जलि सभा जानकी मन्दिर प्राँगणमें आयोजित कैल जायत से मिथिला राज्य संघर्ष समिति के सह-संयोजक सुनील मल्लिक बतौलनि अछि। संयोजक परमेश्वर कापड़ि सेहो बम-हमलामें घायल भऽ गेल छलाह। हुनक इलाज काठमाण्डुमें चलि रहल छन्हि आ ओ खतरा सऽ बाहर छथि। एहि घटनामें मारल गेल पाँचो जनकेँ नेपाल सरकार शहीद घोषणा कयलक आ सभक परिवार के दस-दस लाख के क्षतिपूर्ति उपलब्ध कराबय के घोषणा कयलक अछि। संगहि घायल सभक बेहतरीन इलाज लेल स्वयं प्रधानमंत्री एक विशेष मिटींग करैत डाक्टर सभके निर्देशन देलनि। घटना के फोटो सभ निम्न अछि।

- प्रवीण चौधरी

मिथिला राज्य संघर्ष समिति - जनकपुर द्वारा सभा-गोष्ठीके दृश्य

जानकी नवमी दिन धरना पर बैसकी के घटना सऽ किछु काल पहिलेक दृश्य

घटनामें प्रयुक्त मोटरसाइकिल - एहि में बम लगायल गेल छल

घटना उपरान्त के दृश्य

घटनामें शहीद प्रसिद्ध रंगकर्मी रंजू झा के मृत शरीर

बम लागल मोटरसाइकिल के क्षतिग्रस्त भेलापर के दृश्य

घटना उपरान्तक दृश्य

मिथिला राज्य संघर्ष समिति - संयोजक परमेश्वर कापड़ि गंभीर घायल अबस्थामें

घटनामें घायल दीपेन्द्र दास के उद्धारकर्ता एम्बुलेन्स तरफ लऽ जाइत कालक दृश्य - ४ दिन तक भेन्टीलेटर पर रहला के बाद अन्तिम साँस लेनिहार दीपेन्द्र दास

घटना उपरान्त शहीदके अन्तिम यात्राकालके दृश्य

Prasiddh Rangkarmi Ranju Jha - Shahid bain geli Mithila Rajya ke lel - Janaki Navami ke din Janakpur me!

Ghatna me shahid 5 jan ke photo sang shraddhanjali rally lel aamantran patra

Ghatna ke virodh me Rajbiraj me aandolankaari sabh virodh sabha aa putla dahan me..

Rajbiraj ke virodh juloos

Itahari ke shok sabha

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Biratnagar ke shok sabha

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