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सोमवार, 24 दिसंबर 2012

पश्चाताप

हम छलौं ग़मगीन दुःख में ,
ओ मगन उल्लास में .
हम पहिरने मैल कपड़ा ,
ओ कीमती लिबास में .
हमरा नै कियो पुछै छ्लै ,
ओ प्रतिष्ठित समाज में ।
ओकर जिन्दगी वैभव स भरल ,
हम भटकैत बदहवास में .
ओ छल हमर सहोदर भै ,
नैन्ह्पन में भ गेलौ बिना मै-बाप के ।
ओकर विवेक ओकरा सिखौलक ,
के सिखैबतै हम अनाथ के .
हमर हाथ में गुल्ली -डन्टा,
सैद्खन किताब ओकर हाथ में।
हम जाई छलौ इमली तोरअ ,
ओ बैसल किलास में .
हमरा यार दोस के कमी नहीं ,
ओ असगर मगन किताब में .
हम इम्तिहान में फेल भ जाई छलौ ,
ओ सब परीक्षा में पास .
ओ भ गेल आब सरकारी अफसर,
हम कटइ छी घास .
हम जुझै छी रोटी-दाइल लै ,
ओ करैया भोग-विलास .
आब होइया की पैढ़ लैतौ त ,
ई दिन नै देखअ पैरतै ,
अपन भै के एशोआराम स ,
इ ह्रदय कहियो नै जैरतै .
(रूचि)

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