- स्वचिन्तन
नोरक सुखैल धार पर ,
अई व्यथित संसार पर ,
करेज क विषाद पर ,
हरैल होशो हवास पर ,
हम बाजु त की बाजु ?
महत्वाकांक्षा के आड़ पर ,
नुकैल व्यभिचार पर,
समस्या हज़ार पर,
समाजक रीत रिवाज पर,
हम बाजु त की बाजु,
मर्यादा के आन पर ,
दुखित प्राण पर ,
ओझरैल समाधान पर,
हरखित इन्सान पर ,
हम बाजु त की बाजु ,
बाजब त कियो मानत कियो नै मानत,
ताई स्वचिन्तन करू अई गंभीर विचार पर,
(रूचि )
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