(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

सोमवार, 31 दिसंबर 2012

मिथिला कऽ संस्कृति अनुपम : गृहमन्त्री – करुणा झा



मिथिला कऽ संस्कृति अनुपम : गृहमन्त्री  – करुणा झा

मिथिला कऽ संस्कृति जौ नई रहत तऽ नेपालक पहचान नई रहत, 
मिथला सँ मात्र अहि देश के पहचान अछि । आ विद्यापति पुरे राष्ट्रकारी छथि, एहन कहब अछि गृहमन्त्री आ उपप्रधानमन्त्रीको विजय गच्छेदार अपन प्रमुख अतिथी के आसन बाजैत विराटनगर में विद्यापति स्मृति पर्व के अवसर पर कहलनि ।

    मैथिली सेवा समिति, के आयोजना में विराटनगर में (१३–१४) यानी २८–२९ दिसम्बर के विद्यापति सृमति पर्व पुरे धूमधाम आ हर्षौल्लास के संग सम्पन्न भेल अछि । मैथिली सेवा समिति के अध्यक्ष शंभू नाथ झा के अध्यक्षता तथा नेपालक गृह एवं उपप्रधानमन्त्री विजय गच्छेदार के प्रमुख आतिथ्य मे पडोसी देश भारत के विभिन्न प्रान्तक के व्यक्तित्व लोकनि उपस्थित छल । फारविसगंज के सांसद सुखदेव पासवान अररिया के विधायक तथा पटना के मैथिली आकादमी के व्यक्ति लोकनि सब मिथिला राज्य दुनु देश में अपरिहार्य रहल बतौलनि । अई समारोह में मिथिला के कला संस्कृति सँ संबन्धित प्रदर्शनी सेहो लगायल गेल छल । मशहुर मिथिला चित्रकार एस.सी. सुमनद्वारा एकल मिथिला चित्रकला प्रदर्शनी लगाल छल । मैथिली साहित्य के पुस्तक सब सेहो छल ।

    कार्यक्रम क शुरुआत मिथिला के अहिबात पातिल में दीप जरा क प्रमुख अतिथी उद्घाटन केलनि आ मिथिलाञ्चल के मशहुर गायक विरेन्द्र झा, संजय यादव आ अनु चौधरी विद्यापति रचित गोसाउनी गीत सँ शुभारंभ केलनि ।

    अहि अवसर पर मैथिली सेवा समिति तथा दहेज मुक्त मथिला के तरफ सँ किछु विशिष्ट व्यक्ति सबके सम्मान सेहो कएल गेल । दहेज मुक्त मिथिला के दिस सँ विना दहेज के विआह केनिहार दु टा मैथिल वर के मिहर  झा आ चन्दन झा जी के सम्मान पत्र आ उपहार देल गेलनि । उद्घाटन सत्र में पटना के देवेन्द्र झा, राँची के सियराम “सरस” आ राजविराज सँ अमरकान्त झा, करुणा झा लोकनि अपन अपन मन्तव्य व्यक्त केने रहथि । सम्पूर्ण कार्यक्रम के संचालन मैथिली सेवा समिति के महासचिव प्रवीण नारायण चौधरी केलनि ।


सोमवार, 24 दिसंबर 2012

पश्चाताप

हम छलौं ग़मगीन दुःख में ,
ओ मगन उल्लास में .
हम पहिरने मैल कपड़ा ,
ओ कीमती लिबास में .
हमरा नै कियो पुछै छ्लै ,
ओ प्रतिष्ठित समाज में ।
ओकर जिन्दगी वैभव स भरल ,
हम भटकैत बदहवास में .
ओ छल हमर सहोदर भै ,
नैन्ह्पन में भ गेलौ बिना मै-बाप के ।
ओकर विवेक ओकरा सिखौलक ,
के सिखैबतै हम अनाथ के .
हमर हाथ में गुल्ली -डन्टा,
सैद्खन किताब ओकर हाथ में।
हम जाई छलौ इमली तोरअ ,
ओ बैसल किलास में .
हमरा यार दोस के कमी नहीं ,
ओ असगर मगन किताब में .
हम इम्तिहान में फेल भ जाई छलौ ,
ओ सब परीक्षा में पास .
ओ भ गेल आब सरकारी अफसर,
हम कटइ छी घास .
हम जुझै छी रोटी-दाइल लै ,
ओ करैया भोग-विलास .
आब होइया की पैढ़ लैतौ त ,
ई दिन नै देखअ पैरतै ,
अपन भै के एशोआराम स ,
इ ह्रदय कहियो नै जैरतै .
(रूचि)

शनिवार, 22 दिसंबर 2012

बुद्धि के मिथिला संपन्न आ मैथिल निर्धन


शुभ नारायण झा 
समस्त वसुधा मे सर्वविदित अछि जे मैथिल बुद्धि जिवि होइत अछि, विद्वताक भण्डार होइबाक प्रमाण हजारो लाखो साल पाहिले स लिखल शास्त्रादी मे खुबे एकर प्रमाणिकता भेटल। प्रत्येक युग मे मिथिलाक ज्ञान मीमांसा के चित्रण सदैब व्याप्त रहल अछि। याग्व्ल्लक, गौतम, जनक संग वाचस्पति, विद्यापति, अयाची, धरि मिथिलाक विद्वान्क परम्परा के निभावैत, हरिमोहन झा, नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी, फनेश्वर नाथ रेनू, राजकमल चौधरी इत्यादि विद्वान् अधावधि अफरजात यशस्वी रहलाह अछि।



युग विज्ञानक अयाल तs कहू क्षेत्र मे अपार वैज्ञानिक सभ मिथिलाक बुद्धिजीवी होयबाक परंपरा के अप्पन उपलब्धि संग धोत्तक बनल छथि। हिनकर संख्या तs एतेक अछि जे उल्लेख करवा काल सबटा सीस आटिये बन्ह्बाक सदृश्य बुझने अति द्वन्द भए जाएत।
बुद्धिक खेल शतरंज मे तs श्री राम झा के कृति के के नै जनैत अछि? आईएएस, आईपीएस डा. इंजिनियर के तs गिनती पहाड़ ढहबाक सदृश्य होमत। अप्पन दुनिया के भाषा संग करब तs मैथिली विविध प्रकारेण अतुलनीय रहत। एक मात्र भाषा संस्कृतिये लsग नतमस्तक भs सकैछी, किएक नै हो। ओ देब भाषा समस्त देब भाषाक जननी जे छैथ। 

    हम कोनो बुद्धिजीवी रचना वा एकर कृति पर चर्चा नै करब किन्तु जाही क्षेत्र मे ऐना अनंत प्रतिभा भरल पुरल हो ओ क्षेत्र अपने किएक विभिन्न क्षेत्र मे पछुआयल अछि? हम बिना कोनो उदाहरणार्थ प्रमाण देने, अप्पन उम्रक पच्चास के नज़दीक अवैत जतबा प्रदेशक भ्रमण मे घाट घाट के पाइन पिवैत जे किछ अनुभव प्राप्त कएल। ताहि सs आर्यावर्त मे मैथिल स विशिस्ट होयबाक कोनो क्षेत्रक भूभाग नै भेटल। जतs भौगोलिक की बौद्धिक रूप सs ओ क्षेत्र विशेष प्रखर हो। वा कोनो स्वरूपे मैथिल सs बेसी प्रखर बुद्धि रखवा मे सामर्थ हो। ओ बात दोसर जे विभिन्न क्षेत्रक व्यक्ति विशेष क्षेत्र मे जरुर समस्त दुनिया मे एक सs एक नाम कs अपन क्षेत्रक प्रतिनिधित्व मैथिल के तुलना मे बहुत रास केने छैथ मुदा अग्रणी वर्गाक लोक, सार्वजानिक रुपे बुद्धिजीवी, विशेषतः मिथिला मे अछि ई बात मोने पडत। जे प्राकृतिक शारीरिक नकार शिकार सेहो एकर लोक कला आ संस्कृति तs दुनियाक कोनो सांस्कृतिक धरोहर के तुलना मे अधिकाधिक अछि, मिथिला धरे-धरे विविध कला मे माहिर कलाकार अछि जे बिना कोनो विशेष प्रशिक्षण के कलाक क्षेत्र मे अप्पन परम्परे सs पारंगत अछि। एतुक्का खान पानक शैली, पहिरवा-ओढ्बाक सोच, धर्म आ संस्कार परंपरा, इज्जत आ प्रतिष्ठा के मूल्य, सदैव सs उत्तोमतम मानल गेल अछि। अध्यात्म स जुडल ज्ञान एवं आचरण मे सद्गुण भरल पूडल छैक। पंचदेवो पाशक मैथिल सदगुण पर चलैत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे सुफल प्राप्त करैत रहल अछि तखन की कारन छै जे मैथिल के क्षेत्रीय सार्वजानिक विकास एखनहु साधारण छै? ई विषय प्रत्येक मैथिल के आत्मा मंथन योग्य अछि।

     जखन हम अपन भावना सs दोसर के भावनाक थाह लेवाक कोशिश करैत छी तs बहुत रास सर्वमान्य कारण नज़ैर अवैत अछि। पहिल तs ई जे नेनमैते सs हमरा सब के धुरक आइग तथैव अनकर खिदांस पर विशेष परिचर्चा करैत रहवाक पारंपरिक दुर्गुण अछि जे हमरा सबके अप्पन ज्ञानक विशेष हिस्सा के नकारात्मक कर्म मे व्यय भs जाइत अछि।अनकर खिदांस करवाक पीछा हमरा सबके एक दोसरक प्रति परस्पर ईष्याक धोत्तक अछिबद्धि के मिथिला संपन्न आ मैथिल निर्धनसमस्त वसुधा मे सर्वविदित अछि जे मैथिल बुद्धि जीवी होइत अछि, विद्वताक भण्डार होइबाक प्रमाण हजारो लाखो साल पाहिले स लिखल शास्त्रादी मे खुबे एकर प्रमाणिकता भेटल। प्रत्येक युग मे मिथिलाक ज्ञान मीमांसा के चित्रण सदैब व्यप्त रहल अछि। याग्व्ल्लक, गौतम, जनक संग वाचस्पति, विद्यापति, अयाची, धरि मिथिलाक विद्वान्क परम्परा के निभावैत, हरिमोहन झा, नागार्जुन, रामवृक्ष बेनीपुरी, फनेश्वर नाथ रेनू, राजकमल चौधरी इत्यादि विद्वान् अधावधि अफरजात यशस्वी रहलाह अछि।
युग विज्ञानक अयाल तs कहू क्षेत्र मे अपार वैज्ञानिक सभ मिथिलाक बुद्धिजीवी होयबाक परंपरा के अप्पन उपलब्धि संग धोत्तक बनल छथि। हिनकर संख्या तs एतेक अछि जे उल्लेख करवा काल सबटा सीस आंटिये बन्ह्बाक सदृश्य बुझने अति द्वन्द भए जाएत।


    बुद्धिक खेल शतरंज मे तs श्री राम झा के कृति के के नै जनैत अछि? आईएएस, आईपीएस डा. इंजिनियर के तs गिनती पहाड़ ढहबाक सदृश्य होमत। अप्पन दुनिया के भाषा संग करब तs मैथिली विविध प्रकारेण अतुलनीय रहत। एक मात्र भाषा संस्कृतिये लsग नतमस्तक भs सकैछी, किएक नै हो। ओ देब भाषा समस्त देब भाषाक जननी जे छैथ। 



      हम कोनो बुद्धिजीवी रचना वा एकर कृति पर चर्चा नै करब किंडू जाही क्षेत्र मे ऐना अनंत प्रतिभा भरल पुरल हो। ओ क्षेत्र अपने किएक विभिन्न क्षेत्र मे पछुआयल अछि? हम बिना कोनो उदाहरणार्थ प्रमाण देने, अप्पन उम्रक पच्चास के नज़दीक अवैत जतबा प्रदेशक भ्रमण मे घाट -घाट के पाइन पिवैत जे किछ अनुभव प्राप्त कएल। ताहि सs आर्यावर्त मे मैथिल स विशिस्ट होयबाक कोनो क्षेत्रक भूभाग नै भेटल जतs भौगोलिक की बौद्धिक रूप सs ओ क्षेत्र विशेष प्रखर हो। वा कोनो स्वरूपे मैथिल सs बेसी प्रखर बुद्धि रखवा मे सामर्थ हो। ओ बात दोसर जे विभिन्न क्षेत्रक व्यक्ति विशेष क्षेत्र मे जरुर समस्त दुनिया मे एक सs एक नाम कs अपन क्षेत्रक प्रतिनिधित्व मैथिल के तुलना मे बहुत रास केने छैथ मुदा अग्रणी वर्गाक लोक, सार्वजानिक रुपे बुद्धिजीवी, विशेषतः मिथिला मे अछि ई बात मोने पडत। जे पर्कृतिक शारीरिक नकार शिकार सेहो एकर लोक कला आ संस्कृति तs दुनियाक कोनो सांस्कृतिक धरोहर के तुलना मे अधिकाधिक अछि, मिथिला धरे-धरे विविध कला मे माहिर कलाकार अछि जे बिना कोनो विशेष पर्शिक्षण के कलाक क्षेत्र मे अप्पन परम्परे सs पारंगत अछि। एतुक्का खान पानक शैली, पहिरवा की ओढ्बाक सोच, धर्म आ संस्कार परंपरा, इज्जत आ प्रतिष्ठा के मूल्य, सदैव सs उत्तोमतम मानल गेल अछि। अध्यात्म स जुडल ज्ञान एवं आचरण मे सद्गुण भरल पूडल छैक। पंचदेवो पाशक मैथिल सदगुण पर चलैत जीवन के प्रत्येक क्षेत्र मे सुफल प्राप्त करैत रहल अछि तखन की कारन छै जे मैथिल के क्षेत्रीय सार्वजानिक विकास एखनहु साधारणे छै? ई विषय प्रत्येक मैथिल के आत्मा मंथन योग्य अछि।

अनकर खिदांस करवाक पाँछा हमरा सबके एक दोसरक प्रति परस्पर इष्याक धोत्तक अछि। हम अप्पन प्रोन्नति सs ओते प्रशन्न नै भs पवैत छी। जतेक अनकर उन्नति हमरा दुखदायी लगैत अछि। दुखद स्थिति तs तेहेन भs जाएत अछि जे मानसिक अवसाद भ हमर व्यक्तित्व के हास कs दैत अछि, अवसादे मे रहवाक हिस्सा भs गेने, हम स्वयम अप्पन हीत सोचने छोइर आनक अहित सोचबाक विकत हिस्साक, अपने हित सोचव सs वंचित क दैत अछि आ हम आशातीत परिणाम सs स्वयं वंचित रहै जाइत छी। जs ई बात के  बुझि ली तs हम निश्चय सदैव उतरोत्तर विकास कs सकब। हमर सबहक मैथिल कालिदास सs पैघ आर कोन उदहारण भेटत? हुनक मुर्खतो सर्वविदित अछि आ य्त्नक बल पर पत्नीक फटकारक कारणे जे ओ ग्यानी आ सिद्ध भेला तs विश्व प्रसिद्द कवि भेल, बाजल जैत अछि जे कालिदासक एक मात्र रचना 'अभिज्ञान शाकुंतलम' पढने हमर जीवन सफल भए गेल। यौ जी एतव बुझवा के केकरो एते जे अनकर विषय मे जातवा गलत सोचब, ओते काल अपना लेल नीक किएक नै सोची। 

      किछु पारंपरिक भोजन शैली सेहो बुद्धिजीवी वर्ग के अप्पन बुद्धिक अनुपयोगिताक कारण छैक। भारतें के कतेक एहन प्रदेश अछि जतs भोजन लोक मात्र जीबाक लेल खाइत अछि। सदैव कुंड खाएत ओ भुसंद भेल रहैत छैथ आ हमरा सब के पूर्ण सचारक भोजन करवाक सौख सतत तरल खा गलल जेवा पर विवास केने अछि। खान पकवान अनंत परिकार हमर जीह के पूर्ण रुपें बहस देलक आ भोजन पर हमर सबटा ध्यान केन्द्रित भए जाइत अछि। भोरे आईंख खोइलते आजुक भोजन के विन्यास मे लागि जाइत छी। पत्नी उठिते पूछती यौ आय की खायब?, की बनाबू? पति उपलब्ध सामग्री पुइछ कs आजुक विन्याश फार्म देता तत्पश्चात ओ नित्य कर्म मे जेता। जाही भोजन हेतु भोर साँझ मिला कs दू घंटाक श्रम अधिकाधिक भs सकैछ ओही भोजन मे हमरा सव्हक नारी भरो दिन राईत लागल रहैत छथि। जेना हम भोजन हेतु जीवित होय। किएक तs चरुवाक्य मुनि हमरा सबके 'जावत जीवेत सुखं जीवेत, ऋण कृत्वा घृतं पिवेत' के जे मूल मंत्र देने छैथ। भोज भात मे रक्षक वा दरिद्र जेना भोजन करैत अपना के भोगिन्द्र बुझै छी। अक्सर लोकक मुखे सुनव जे हौ... जुरब, रुचब आ पचाब मे सबहक सत्ता चोरे होइत छै। जकरा लग भगवन माया देने छथिन्ह ओ ए स्वभावक स्वामी बनवा मे अपना के सौभाग्यशाली बुझित छैथ किन्तु जाकर घर भुजी भंग नै, तकरे बीबी के किडन चुड़ा, एहन प्रवृतिक मिथिला मे भंडार छै " जकरा खाय लेल लाय ने आ किदन पोछ्वा लेल मिठाई चाही। हमरा सब अपने आयाची जेंका जिह्वा पर नियुक्त राखे पडत ज भानुमती लिखी इतिहास पुरुष बनवाक ऐछ। हमरा सबहक प्रोन्नति मे हमर प्राकृतिक वातावरण सेहो कम जिम्मेवार नै अछि । छवो के छवो। 

 (बुद्धि के मिथिला संपन्न आ मैथिल निर्धन)
ई मिथिलांचल टुडे  मैथिलि  पत्रिका 
वर्ष 1 अंक  3  में  सामिल  अछि 

सोमवार, 10 दिसंबर 2012


मिथिला  राज्य  के  धारण  में
देखल जाओ  एक  नजर
धनकर ठाकुर , कमला कान्त झा जी , विजय ठाकूर  , भीम  सिंह ,  शैलेंदर  झा  जी , इतियादी  महानु - भाव  के  उपस्थिथि  में  ,  सम्पन्य  भेल













मिथिलांचल टुडे  अध्यन  करैत   मैथिल समुदाय 











विजय ठाकुर  जी 


कमला कान्त  झा 








डॉक्टर  - गुरमैता  जी 








एक  दोसर  सन  भेट - घांट  करैत  फेस बूकिया  संघ  , जय  मैथिल - जय  मिथिला  करैत 

मिथिला राज्य के धारना  में फेस बूकिया  युबा संघ  बसन्त  झा  बत्स ,सागर मिश्र , विकास ठाकुर  , मदन कुमार ठाकुर , क्रिशन कुमार राय  (संपादक  मिथिलांचल टुडे ) जगदानन्द झा (मन्नू ) राजकुमार यादव , नीतिस  चौधरी , सत्येंदर कुमार  झा , इतियादी --

मिथिलांचल  टुडे  टीम 

 मिथिला राज्य के  धारना  में -मिथिलांचल टुडे  टीम 

मिथिला राज्य के  धारना में  मिथिलांचल  टुडे  टीम 

मिथिला राज्य के  धारना  में  मिथिलांचल टुडे  टीम 

धनाकर  ठाकू  जी   अपन  मुखरविन्द  सन  मैथिलि  आन्दोलन  के  बारे  में  चर्चा  करैत 


शनिवार, 8 दिसंबर 2012

स्वचिन्तन

  • स्वचिन्तन
नोरक सुखैल धार पर ,
अई व्यथित संसार पर ,
करेज क विषाद पर ,
हरैल होशो हवास पर ,
हम बाजु त की बाजु ?
महत्वाकांक्षा के आड़ पर ,
नुकैल व्यभिचार पर,
समस्या हज़ार पर,
समाजक रीत रिवाज पर,
हम बाजु त की बाजु,
मर्यादा के आन पर ,
दुखित प्राण पर ,
ओझरैल समाधान पर,
हरखित इन्सान पर ,
हम बाजु त की बाजु ,
बाजब त कियो मानत कियो नै मानत,
ताई स्वचिन्तन करू अई गंभीर विचार पर,
(रूचि )

शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

स्वयंसिद्धा

स्वयंसिद्धा
ओ नवजात कन्या जनमैत बुइझ गेल कि ,
ओकर आगमनक गम परिजन में व्याप्त अछि,
हमरा त भेल जिन्दगी आब शुरू भेल या,
मुदा आइबते जिन्दगी समाप्त अछि ,
मिलमिलाइत आइख स देखलक मातम क नजारा ,
जे जन्म लै के अभिशाप क छल इशारा ,
दुनिया के रंग त देख लेलउ ,
अपनों रंग त देखा दियै ,
अई जालिम दुनिया में ,
बेटियों के महत्व बढ़ा दियै .
चाइर साल के उम्र स कर लागल ओ काज,
कहियो नहीं ओ जाई छल खेल धिया -पुता के साथ ,
भै के इस्कूल जैत देख पढ़ के जागल ओकरा चाह,
मुदा पढ़क के नै छल कोनो राह
भोरे -भोरे जखन ओ काट जाई छल घास ,
बगल के स्कूल स अबै छल मास्टर जी क आवाज ,
ओ मास्टर जी स जा क कहलक,
मास्टर जी हमर नाम लिखा दीअ,
चाहे जतेक काज करा लिअ
धरती क स्लेट और करची क कलम बना क,
ओ कर लागल अभ्यास,
धीरे धीरे ओ भ गेल मिडिल पास ,
फेर मै-बाप के भेल एहसास की,
हमर बेटी अछि किछ खास
मै -बाप ओकरा आगा पढौलक,
ओकर सपना में पंख लगेलक ,
जै स लड़की के जागल आत्म विश्वास ,
ओ क सकैया समाज में किछु ख़ास ,
ओकर मेहनत और लगन,
ओकरा मेडिकल में टॉपर बना देलक,
जै ओ समाज के बता देलक कि ,
बेटी के नै मानु अभिशाप
बेटी त क सकैया कतेको घर के आबाद
ताई बेटी के नै तोडू अरमान
किया त बेटियों होई छै माँ- बाप के लेल वरदान
(रूचि )

शनिवार, 1 दिसंबर 2012

मैथिलि रंग मंच में महिला लेल आब उज्जवल भविष्य (रूपम )



मिथिलांचल टुडे प्रकाशित अनक 2 में - मैथिलि रंग मंच में महिला लेल आब उज्जवल भविष्य (रूपम ) सात बरख क उम्र सओं रंगमंच स जुडनिहार रूपम श्री नैन ने तिरपित भेल स घर-घर मे चर्चित भ चुकल छथि। 2009 मे रंगकर्मी प्रमिला झा नाट्य वृति प्राप्‍त केनिहारि रूपम पंचकोशी सहरसा क नाम आइ अपन अभिनय कए नित्‍य निखारबा मे लागल छथि। मध्‍यवर्गीय परिवार लेल रंगमंच आ मैथिली रंगमंच मे महिला क भविष्‍य पर राष्ट्रपति स सम्मानित रूपम क संग विस्‍तार स गप केलथि अछि पत्रकार नीलू कुमारी। प्रस्‍तुत अछि गपशपक किछु खास अंश प्रश्न – अपन संबंध मे किछु बताऊ?
उत्तर – सहरसाक एकटा मध्यमवर्गीय परिवार मे 10 मई 1988 मे हमर जन्म भेल, पिताजीक छाँव बचपने मे हमरा सबके माथ स उठि चुकल छल, माँ पोस-पालि कए पैघ केलक आई हम जे छी हुनके बदौलत। प्रश्न – रंगमंच स कोना जुड़लहूँ? उत्तर – बचपन स हमरा रंगमंच स बेसी लगाव छल, स्कूल कॉलेज मे हम डांस करैत रही, एहि क्रम मे एक बेर सुजीत जी हमर स देखलथि। एकरा बाद ओ हमर घर पर एलथि आ हमरा कहलथि-‘रूपम अहां इप्टा स जुडू, इ एकटा एहन सार्थक मंच अछि जेतए अहांक प्रतिभा कए केवल सराहल नहि जाएत अपितु एकटा नीक मंच सेहो भेटत। हुनक आश्वासन पर 1995 मे हम इप्टा, सहरसा स जुड़लहूँ। तकर बाद त जेना हमर सपना कए पंख लागि गेल आ सबहक आशीर्वाद स आइ हम एहि मुकाम पर छी। प्रश्न – एहि ठाम तक पहुंचबा मे कोन तरहक संघर्ष करए पडल? उत्तर – कॅरियर मे जतय तक पहुंचलहु अछि, हमर माँ क पर्याप्त सहयोग रहल। कहियो कोनो काज लेल ओ मना नहि केलथि। शुरूआत मे बड़ दिक्कत भेल, तरह-तरह कए उलहन सुनए पड़ल। लड़की भ कए कोना मंच पर अभिनय करत, इ सब कहैत रहल। मुदा आब जखन ओ हमरा एहि मुकाम पर देखैत छथि, त सब कए नीक लगैत छैन। प्रश्न-अभिनय क अलावा कोनो अन्य कैरियर सोचने रही? उत्तर – हम संगीत स प्रभाकर केने छी, रंगमंच क अलावा संगीत क साधना सेहो चलैत अछि, अगर हम रंगमंच स नहि जुड़ल रहितहुं त संगीत क क्षेत्र म रहितहुं। प्रश्न – अहाक नजरि मे मैथिली रंगमंचक की भविष्य अछि? उत्तर – मैथिली रंगमंच क भविष्य खास क महिला लेल आब उज्जवल बुझा रहल अछि। एहि चारि-पाँच साल मे मैथिली क जे ग्लोबलाइजेशन भेल अछि ओहि स एकर भविष्य पर कोनो तरह क शक नहि कैल जा सकैत अछि। मैथिली रंगमंच सेहो आब अंतररास्ट्रीय स्तर पर अपन उपस्थिति देखा रहल अछि। मैलोरंग, मिथिलालंगन, मीनाप, पंचकोशी आदि-आदि संस्‍था रंगमंच सब मैथिल प्रतिभागी क सहयोग क रहल अछि। प्रश्न – जीवन क कोनो अविस्मर्णीय क्षण जे अहा हमरा संग साझा करए चाहब। उत्तर – हमर जिनगीक सबस पैघ क्षण छल तरंग महोत्सव मे उत्कृष्ट नृत्य प्रस्तुति लेल प्रतिभा सिंह पाटिल स पुरस्कार लेब। ओना जखन ‘’नैन न तिरपित भेल’’ क पोस्टर समस्‍त बिहार मे लागल छल आ हमर सखी-सम्बन्धी सब फोन पर हमरा बधाई देने रहथि ओ समय हम आइ धरि नहि बिसरलहुं अछि। प्रश्न – अहांक पुरस्कार क सूची त बड पैघ अछि, किछु खास पुरस्कार क चर्चा करए चाहब? उत्तर – 2003 मे खगौल, पटना मे हमरा सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री स सम्मानित कैल गेल अछि आ तरंग महोत्सव मे उत्कृष्ट नृत्यक लेल द्वितीय पुरस्कार रास्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल स भेटल। संगहि 2009 मे मैलोरंग स प्रमिला झा नाट्य वृति आदि भेटल। प्रश्न - नाटक क गप करब त अहंक सूचि ख़तम नै हाएत, किछु खास धारावाहिक वा नाटक केर चर्चा करए चाहब ? उत्तर - कनी हँसैत, सूचि ओतबो पैघ नै अछि मुदा नैन न तिरपित भेल स हमर कैरियर क मुकाम भेटल आ आई हम पटना, दिल्ली, कोलकता समेत कतेको मंच पर अपन अभिनय क प्रदर्शन कए छुकल छि, हमर प्रिय नाटक मे मधुश्रावणी, कनिया-पुतरा, आ पाँच पत्र अछि, ओना हमर प्रिय नाटककार महेंद्र मलंगिया जी छथि। प्रश्न – भविष्य मे कौन तरह क काज करब पसिन करब? उत्तर – जतय काज भेटत आ नीक काज भेटत, हम जरूर करै चाहब। ओ संगीत क्षेत्र हुए वा अभिनय क्षेत्र। प्रश्न – मिथिलांचल टुडे क ई अंक महिला विशेषांक अछि , एहन मे मिथिलानी लेल कोनो सन्देश। उत्तर – निश्चित रूपेण महिला सब स इ कहै चाहब जे जों अहां रंगमंच स जुड़ल छी त पूरा जी जान स जुड़ल रहू, समाज क परवाह जुनि करू, जखन अहां मुकाम पर पहुंच जाएब तखन वैह आलोचक जे आइ अहांक आलोचना क रहल अछि ओ काल्हि अहांक सराहना करत। मिथिलांचल टुडे स गप करबाक लेल बहुत बहुत धन्यवाद। अहूं कए बहुत-बहुत धन्यवाद। मिथिलांचल टुडे प्रगति करए सैह माँ भगवती स कामना।
नीलू कुमारी सहरसा , बिहार