(एकमात्र संकल्‍प ध्‍यान मे-मिथिला राज्‍य हो संविधान मे) अप्पन गाम घरक ढंग ,अप्पन रहन - सहन के संग,अप्पन गाम घर में अपनेक सब के स्वागत अछि!अपन गाम -अपन घर अप्पन ज्ञान आ अप्पन संस्कारक सँग किछु कहबाक एकटा छोटछिन प्रयास अछि! हरेक मिथिला वाशी ईहा कहैत अछि... छी मैथिल मिथिला करे शंतान, जत्य रही ओ छी मिथिले धाम, याद रखु बस अप्पन गाम ,अप्पन मान " जय मैथिल जय मिथिला धाम" "स्वर्ग सं सुन्दर अपन गाम" E-mail: madankumarthakur@gmail.com mo-9312460150

शनिवार, 22 जुलाई 2017

काँवर गीत

|| काँवर गीत || 

रचित -
रेवती रमण झा "रमण" 
मभोला     दिगम्बर  जटा   धारी  | 
 वर अढ़रन  ढ़रन   छथि   त्रिपुरारि  || 
  भरि   गंगाजल    लय   कमरथुआ   | 
 सब कियो मिलि कय  गाबै  नचारी  || 
               बमभोला--- वर अढ़रन --
ऑके  -   धथुरा    भाँगक    गोला  | 
प्रेम  सँ   भोग   लगौलनि   भोला  || 
बाघम्बर     तन   माथे    पे   चंदा  |
कंठ     भुजग   उर   विष   धारी  ||
              बमभोला --- वर अढ़रन ---
झर - झर   झहरय  जटा सँ  गंगा  |
भूत   पिशाच  सब  नाचय   नंगा  ||
सोहे   त्रिशूल  वर  मुण्डक  माला  |
हाथ  मेँ   डमरू  बरदक सवारी  ||
               बमभोला--- वर अढ़रन ---

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