शनिवार, 28 अप्रैल 2018
अपन गाम अपन बात: आम का आम और गुठली के दाम , से किया आउ देखु
अपन गाम अपन बात: आम का आम और गुठली के दाम , से किया आउ देखु: आर्यु र्वैदिक मतानुसार आम के पंचांग (पाँच अंग) काज अबैत अछि। एही वृक्षक अंतर्छाल केर क्वाथ प्रदर, खूनी बवासीर आ फेफड़ा वा आँत सँ रक्तस्...
गुरुवार, 26 अप्रैल 2018
तोहर बाजब वर अनमोल- रेवती रमण झा " रमण "
तोहर बाजब वर अनमोल
अनमन कोयली सनके बोल
गै तोहर की नाम छौ ।।
चुपके सं निकलै छै घर सं घेला काँख दबाक गे
साँझ प्रात तूँ पैर रोपै छै पोखरिक भीरे जाक गे
के देतौ पानिक तोहर मोल
गंगा की हेती अनमोल।। तोहर .........
उल्टा आँचर उल्टा माटी उलट पलट तोर बाजब गे
ई हमरा वर नीक लगैया नव नव तोहर साजब गे
खन - खन चुड़िक मधुर बोल
खोलौ सबटा तोहर पोल ।। तोहर ..........
चिड़इक पाँखि सनक चंचलई तोहर दुनु नैना गे
पलक पलंगरी पर छन भरि लय
चाही मोरा रयना गे ।। तोहर ..........
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
बगुला त ठामे अइ हँस सब चलिगेल - रचयिता - रेवती रमण झा " रमण "
की कहियौ रौ बौआ, युगे बदलिगेल ।
बगुला त ठामे अइ , हँस सब चलिगेल
की कहियौ.......
मोर तअ बैस गेल , नाँचय सब कौआ
जितगरहा एक नै , देखहिन रौ बौआ
गिदराक ज्ञान सुनी ,निरबुधिया पलिगेल
की कहियौ........
पूतक पोथी नई बाप पढ़ि पौलक
हाथी में बल कते चुट्टी बतौलक
ज्ञान ध्यान गीता सहजहि निकलि गेल
की कहियौ........
वहिरा बौका बनल पटवारी
चोरे उचक्का अइ मठक पुजारी
"रमण" पिवि तारी रौ मोने मचलि गेल
की कहियौ........
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
mo 9997313751
बुधवार, 4 अप्रैल 2018
शब्दानुप्रास अलंकार - रेवती रमण झा " रमण "
सरस्वती वंदना
शीतल सलिल सरोवर सरसिज
श्वेताम्बर शुभ सरस्वती ।
सरगम - सार सितार सुशोभित
सींचू सुललित सदमती ।।
|| प्रभात ||
अलंकृत आसमान अरुणोदय
आभा अवनि अनल अछि ।
अंडज अट्टहास आद्र अति
अलंकार आनल अछि ।।
अचला अम्बुधि अम्ब अम्बुज
अछि अभिनव अभिरामा ।
अलि अरविन्द अथिर अति आनन
अवलोकन अविरामा ।।
आन्तरिक्ष अम्बुद अम्बर अली
अनिल अम्र ओछायल ।
आरसि अवनि आप अब्ज अछि
अंशुमालि ओहि आयल ।।
|| भोरक बेला ||
उमगत उष्म रश्मि
उदिय मान उनत
उर्वि उदय उषा उदित
उचकि - उचकि उठत
उदधि उदक उत्पल
उन्मादिनी उरज उभय
उज्जवल उदन्वान उठल
उमगत उर उनमाद उदय
|| पनिहारिन ||
कर कण्ज कुम्भ कटी कसी कल्पी
कंजुक कली कोमल कोकनद कल
कुमकुम कपोल कोमल कुशुम
कुशुमित कलाघर कवि कहय
काकोबर कच कंठ कक्षप
कर कान कंगन किरण कंचन
करुण कोमल कुहुकि कीर
कृशानु कल कर कोउ कहय
किसलय कलेवर कल कमल
कन्दर्प काल कामिनी
कापर करौ कलत्र केश ?
कंत कात कहौ कासौ
कुवलय कुलंकषा , कहाँ
कवन्ध काल कैसे कहौ
|| स्नातक ||
स्हर सदन सँ सखि सरि संजुत
स्नातक सर सुन्दरि समुदाई
सुमन सुवेष सकुल सुगन्धित
सरिता सलिल सरोज सुहाई
श्लाद्दया शुचि शुदामिनी
श्रीफल सोह सौकुमार्य
स्निग्ध शुधाग्रह सोह शुक
सयानी सकल सनहुँ सुकार्य
शतदल सुत सजाउ सीथ
शम्बर सुन्य सर्व सुजल
श्यामा सोह सोमु सुन्य
स्वामी सुभामिनी सकल
समय सखी सुख पूँज सोलह
सुमन सेज सुवास समाने
सतत सवल शरीर सारंग शर
सहस्त्र सहौ समधाने
|| आलिंगन क्रीड़ा ||
पचि - पचि परसय पति प्रगति पंथ पद
पेखिय प्रतिबिम्ब पड़ी प्रमुदित
पुट - पाणी पचारि पयोधर पै
पशुपति प्रतिदुन्द प्रबल प्रमत
पति पौरुष परुष प्रहार प्रेम
पिड़ित प्रतिकूल पडी पतिपय
पसेउ - पसेउ पटु पाय पोच
पैहहि पति पुन - पुन परसय
|| छलक छुरी ||
छटपटाइत छातीक छिहुलैत
छोटछीन छौडीक छवि
छिरिआयल छाताक छाँहे छल
छानविन छनेत छुब्ध छी
छिटकैत छल ,छल छुपकल
छिटने छ्ल छाउर
छौडी छाँटलि छेटगरि
छलक छूरी छ्ल
|| चमचाक चालि ||
चतरल चहूँ चमचाक चाईल
चटपट चक्षुक चमत्कारे चिन्हैत
चाहक चुस्कीए चूसि - चूसि
चिल्हक चोखगर चोचे
चियारैत चमड़ी चिबाबैत
चंडाल चोभि - चोभि
चमडीक चुम्बकीय चटक
चानक चादरि चिन्हाबेत
चमकैत चपलाक चमके
चुपचाप चित्त के
चहटगर चटकार चटाबैत
चितासनक चादरि चढ़बैत
चटैत चतुर चमचा
चरण चाँपि चुट्टिक चालि
चतरल चहुँ चमचाक चालि
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
Mob - 09997313751
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