की कहियौ रौ बौआ, युगे बदलिगेल ।
बगुला त ठामे अइ , हँस सब चलिगेल
की कहियौ.......
मोर तअ बैस गेल , नाँचय सब कौआ
जितगरहा एक नै , देखहिन रौ बौआ
गिदराक ज्ञान सुनी ,निरबुधिया पलिगेल
की कहियौ........
पूतक पोथी नई बाप पढ़ि पौलक
हाथी में बल कते चुट्टी बतौलक
ज्ञान ध्यान गीता सहजहि निकलि गेल
की कहियौ........
वहिरा बौका बनल पटवारी
चोरे उचक्का अइ मठक पुजारी
"रमण" पिवि तारी रौ मोने मचलि गेल
की कहियौ........
रचयिता
रेवती रमण झा " रमण "
mo 9997313751
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