तोहर बाजब वर अनमोल
अनमन कोयली सनके बोल
गै तोहर की नाम छौ ।।
चुपके सं निकलै छै घर सं घेला काँख दबाक गे
साँझ प्रात तूँ पैर रोपै छै पोखरिक भीरे जाक गे
के देतौ पानिक तोहर मोल
गंगा की हेती अनमोल।। तोहर .........
उल्टा आँचर उल्टा माटी उलट पलट तोर बाजब गे
ई हमरा वर नीक लगैया नव नव तोहर साजब गे
खन - खन चुड़िक मधुर बोल
खोलौ सबटा तोहर पोल ।। तोहर ..........
चिड़इक पाँखि सनक चंचलई तोहर दुनु नैना गे
पलक पलंगरी पर छन भरि लय
चाही मोरा रयना गे ।। तोहर ..........
गीतकार
रेवती रमण झा " रमण "
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें